उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लखनऊ स्थित मण्डी परिषद के ‘अपना बाजार’ की तर्ज पर झांसी एवं सैफई में भी अपना बाजार खोलने को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। दूसरे चरण में प्रदेश के बड़े शहरों तथा प्रमुख शहरों में भी अपना बाजार खोले जाएंगे। मण्डी परिषद द्वारा कराए जाने वाले 10 करोड़ से ऊपर के निर्माण कार्यों की ई-टेण्डरिंग की जाएगी। मण्डी परिषद द्वारा कृषि विषय में शोध करने वाले प्रदेश के लगभग सवा सौ छात्रों को 6000 रुपए मासिक छात्रवृत्ति दी जाएगी।
मुख्यमंत्री आज सचिवालय, एनेक्सी में मण्डी परिषद के संचालक मण्डल की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य की किसान मण्डियों की कार्य प्रणाली को इस प्रकार और सहज बनाना चाहिए, ताकि छोटे और मध्यम किसान भी सीधे इनसे लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा कि किसानों को सरकारी योजनाओं का और अधिक लाभ दिलाने में मण्डी परिषद महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि मण्डी परिषद ऐसे बाजारों को विकसित करे, जिनमें किसान सीधे और आसानी से अपनी कृषि उपज का विक्रय कर सकें और उपभोक्ताओं को सस्ती दर पर कृषि उपज उपलब्ध हो सके। बैठक में चावल निर्यात नीति को भी मंजूरी दी गई, जिसके तहत निर्यात किए जाने वाले चावल को मण्डी शुल्क से मुक्त रखे जाने का प्रस्ताव है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को अपनी उपज सीधे उपभोक्ताओं को बिक्री करने की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से अपना बाजार की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका है। यहां पर होने वाली फुटकर बिक्री पर मण्डी शुल्क नहीं लगता। इन बाजारों में हैण्डीक्राफ्ट एवं हैण्डलूम के दस्तकारों को भी अपने उत्पाद प्रदर्शित करने एवं उन्हें बेचने के अवसर भी प्रदान किए जाते हैं। साथ ही इनमें लोक कलाकार अपनी कला का भी प्रदर्शन कर सकेंगे। सामुदायिक क्रियाकलापों की भी व्यवस्था होगी। उन्होंने बताया कि लखनऊ के अपना बाजार की तर्ज पर प्रथम चरण में सैफई तथा झांसी में ये बाजार विकसित किए जाएंगे। दूसरे चरण में प्रदेश के बड़े शहरों तथा प्रमुख स्थानों पर अपना बाजार बनाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों में किसानों के ऐसे पुत्र-पुत्रियों, जो कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में शोध कर रहे हैं, उन्हें प्रतिमाह 6000 रुपए छात्रवृत्ति दी जाएगी। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश के पांच कृषि विश्वविद्यालयों में लगभग सवा सौ छात्रों को प्रतिवर्ष इस योजना से लाभ मिलेगा और राज्य में कृषि अनुसंधान को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मण्डी परिषद द्वारा कराए जाने वाले 10 करोड़ से अधिक की लागत वाले निर्माण कार्यों की ई-टेण्डरिंग सुनिश्चित कराई जाए और ई-टेण्डर/ई-प्रोक्योरमेण्ट प्रणाली के अन्तर्गत समस्त टेण्डर शासन की ई-टेण्डर वेबसाइट पर अपलोड किए जाएं। ताकि पूरी पारदर्शिता से निर्माण कार्य सम्पन्न हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की गुड़/खाण्डसारी इकाइयों के मण्डी शुल्क के मामले में विगत कई वर्षों से प्रशासनिक समस्याएं पैदा हो रही थीं। व्यापारियों को भी शुल्क देने में कठिनाई आ रही थी, इसके दृष्टिगत चीनी वर्ष 01 अक्टूबर, 2012 से 30 सितम्बर, 2013 के लिए एकमुश्त मण्डी शुल्क समाधान योजना लागू की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मण्डी परिषद को अपनी आय को बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए और ऐसी नीतियां तैयार करनी चाहिए, जिनसे प्रदेश के किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके। किसान से उपभोक्ता सीधे खरीदारी कर सकें, इसकी व्यवस्था मण्डी परिषद को करनी चाहिए।
बैठक में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि नोएडा तथा साहिबाबाद में फल सब्जी मण्डी का विस्तार कराया जाएगा तथा गोरखपुर में एक आधुनिक मत्स्य मण्डी भी विकसित की जाएगी। श्रावस्ती के भिन्गा में मण्डी बनाने को मंजूरी के साथ-साथ निर्णय लिया गया है कि लखनऊ में दुबग्गा स्थित नवीन फल एवं सब्जी मण्डी का भी विस्तार किया जाएगा। बैठक में मुख्य सचिव जावेद उस्मानी, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री राकेश गर्ग, प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक रंजन, मण्डी परिषद के निदेशक राजीव अग्रवाल के अलावा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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