लेखा-परीक्षकों ने उत्तर प्रदेश सरकार के करोड़ों रुपये के चीनी मिल घोटाले की पुष्टि की है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव एवं घोटाला पर्दाफाश समिति के अध्यक्ष, डा. किरीट सोमैया ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री बी. एल. जोशी से अनुरोध किया है कि वह भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो/सीबीआई को उत्तर प्रदेश के चीनी मिल घोटाले की जांच करने के लिए कहें।
लेखा-परीक्षकों की टिप्पणियों से अब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चीनी मिलों की बिक्री में निम्न बातों की पुष्टि होती है:-
ऽ अवमूल्यन
ऽ चोरी-छिपे लेन-देन
ऽ गैर-पारदर्शी नीलामी
ऽ टेंडर प्रक्रिया में हेरा-फेरी
अपनी ताजा रिपोर्ट/टिप्पणी में लेखा-परीक्षकों ने गैर-पारदर्शिता और हेरा फेरी से हजारों करोड़ रुपए की हुई हानि की पुष्टि की है। पता चला है कि उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लिमिटेड की चीनी मिलों की बिक्री संबंधी अपने पुनरीक्षण में महालेखापाल/लेखा-परीक्षकों ने अनेक मुद्दे उठाये हैं। यह भी पता चला है कि रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को प्रस्तुत कर दी गई है। डा. सोमैया ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि वह इन दस्तावेजों को सार्वजनिक करें।
राज्यपाल को भेजे गए एक अभ्यावेदन में डा. सोमैया ने अनुरोध किया है कि सीबीआई/भ्रष्टाचार विरोधी ब्यूरो जैसी किसी भी एजेंसी को घोटाले की जांच करने के लिए कहा जाए। डा. सोमैया ने यह भी बताया कि भाजपा ने चीनी मिल घोटाले का पर्दाफाश किया और उसने भारत के राष्ट्रपति और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को जुलाई, 2011 में इस संबंध में दस्तावेजी साक्ष्यों सहित विस्तृत ब्यौरा भी भेजा था।
महालेखापाल/लेखा-परीक्षकों द्वारा किये गए पुनरीक्षण/लेखा परीक्षा में भाजपा द्वारा किये गए पर्दाफाश की पुष्टि की गई है। महालेखापाल/लेखा-परीक्षकों की टिप्पणियां इस प्रकार हैं:-
ऽ प्लांट और मशीनरी का 82 करोड़ रुपए का अवमूल्यन किया गया।
ऽ उन 3 चीनी मिलों के मामले में कोई ठोस विचा/मूल्यांकन नहीं किया गया जो मुनाफे में चल रही थीं।
ऽ अवमूल्यन का कारण सहारनपुर चीनी मिलों की पुरानी और नई मिलों की भूमि का दुर्भावपूर्ण क्लबिंग करना था।
ऽ पुरानी सहारनपुर मिलों का भूमि मूल्य 251 करोड़ रुपए आंका गया था। क्लबिंग और हेरा फेरी से मूल्यांकन करके भूमि का 154 करोड़ रुपए का कम मूल्यांकन किया गया।
ऽ बैतालपुर, बाराबंकी, बरेली आदि 11 चीनी मिलों के भूमि मूल्यांकन में हेरा फेरी से 500 करोड़ रुपए की हानि हुई।
ऽ एक ही ग्रुप द्वारा हेरा फेरी से गैर-पारदर्शी बोली के कारण 100 करोड़ से अधिक की हानि हुई।
ऽ उदाहरण के तौर पर बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर में अलग-अलग नामों से बोलियां प्राप्त हुई, परंतु उनका मालिक एक ही था।
ऽ इन गैर-पारदर्शी बोलियों के कारण प्रतिस्पद्र्धा नहीं रही जिसकी वजह से इन चीनी मिलों की बिक्री में 300 करोड़ रुपए की हानि हुई।
ऽ 11 मिलों के लिए केवल एकल बोली प्राप्त हुई। पता चला है कि बोगस कंपनियों अर्थात् हल्द्वानी, रामकोला, बाराबंकी, देवरिया स्थित चीनी मिलों से बोली स्वीकार की गईं।
ऽ 11 मिलों से केवल 91.61 करोड़ रुपए ही वसूल हुए।
भाजपा मांग करती है कि चुनावों के बाद:-
1. चीनी मिल घोटाले की जांच के आदेश दिए जाएं।
2. गैर-पारदर्शी एवं हेरा फेरी वाली बोलियों को रद्द किए जाएं।
3. विशेष जांच दल का गठन किया जाए।
4. घोटालेबाजों के खिलाफ दाण्डिक कार्यवाही की जाए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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