27 मार्च 1999 को गिरीश कर्नाड को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करते हुए भारत की राजनीति के भीष्मपितामह कहे जाने वाले एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने राजनीति के बारे में कुछ ऐसा कहा था कि राजनीति सबसे दिलचस्प नाटक है, जिसमें आदमी ऊबता नहीं है। समझ में नहीं आता जिस काल में हम जी रहे हैं उसे चित्रित करने के लिए किस प्रकार का नाटक किया जाएगा अथवा लिखा जाएगा। यह सच्चाई है कि आज आदर्शवाद नाममात्र का रह गया है और सत्ता की सिद्धान्तहीन राजनीति उसका स्थान ले रही है। उ0प्र0 की कैबिनेट ने प्रदेश को चार भागों में बांटने का निर्णय लिया है। अपने क्रियाकलापों से लोगों की नजरों से गिर चुकी सरकार लोगों की नजरों में पुनः चढ़ने के लिए कोई भी कोर कसर छोड़ना नहीं चाहती। इसलिए उसने अब लोगों की भावनाओं को उभार कर अपना उल्लू सीधा करने के लिए प्रदेश विभाजन का शिगूफा छोड़ा है जो सिद्धान्तहीन राजनैतिक उदाहरण कहा जा सकता है। जाहिर है कि अन्य दल भी पीछे क्यों रहें उन्होंने भी अपने-अपने अंदाज में इस निर्णय को परिभाषित करते हुए बयानबाजी की है। प्रदेश की जनता किसकी बात पर भरोसा किया जाए इस बारे में अलग-अलग राय रखती है वेैसे राजनीति की अपनी एक अलग जुबान होती है जब नेता कहे हाॅं उसे ना समझना चाहिए और जब कहे ना तो उसे हाॅं समझना चाहिए। प्रदेश बंटवारे पर लोगों ने इसे महज चुनावी स्टंट, पैतरेबाजी, शिगूफा व मायावती का आखिरी चुनाव अस्त्र ही कहा है। राज्य के विभाजन का प्रकरण बीरबल की उसी खिचड़ी की तरह है जो कभी पक नहीं सकी। बसपा सरकार के पिछले साढे चार वर्ष के कार्यकाल पर नजर डाले तो देश के कभी उत्तम प्रदेश कहा जाने वाला उत्तर प्रदेश को इस सरकार ने आम प्रदेश से भी निचे पहुंचा दिया है। भंयकर भ्रष्टाचार, महिलाओं पर अत्याचार, किसानों, नौजवानों, व्यापारियों का घोर उत्पीड़न हुआ है। प्रदेशवासी तानाशाही सरकार के आगे बेबस है। हालत ऐसी हो गई है जो इसके विरूद्ध में बोलेगा वो झेलेगा। आम आदमी की तो सरकार के विरूद्ध बोलने की स्थिति क्या होती होगी जब प्रदेश के उच्च अधिकारियों को भी पागल करार दिया जाता है। जिसका ताजा उदाहरण आई0पी0एस0 अधिकारी डी0डी0मिश्र हैं। डीडी मिश्र के अनुसार वरिष्ठ आईपीएस हरमिन्दर राज की आत्महत्या को भी उन्होंने हत्या की गई बताया। अन्य किसी ने जब भी जुबान खोलने की जुरर्त की उनको महत्वहीन पदों पर भेजकर अपमानित किया गया। उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी के कुशासन से निजात पाने के लिए जनता ने बसपा पर भरोसा कर उसकी पूर्ण बहुमत की सरकार बनावाई थी बसपा ने नारा दिया था चढ़ गुण्डन की छाती पर मोहर लगाओ हाथी पर, आज इसका ठीक उल्टा देखने का मिल रहा है, गुण्डे चढ़ गए हाथी पर गोली मार रहे हैं जनता की छाती पर। इस सरकार ने तत्कालीन सपा सरकार के सारे रिकार्डो को तोड़ते हुए प्रदेश को विकास की जगह विनाश की जगह खड़ा कर दिया है। सपा राज में आम आदमी की दुर्दशा, अपराधियों का बुलन्द हौेंसला, अराजकता, अलगाववाद, आतंकवाद, साम्प्रदायिक तनाव, संसदीय मर्यादाओं का हनन, महिलाओं व व्यापारियों का उत्पीड़न, वोट के लोभ में विद्धेष आदि फैलाने की राजनीति खूब हुई। सपा राज में अराजकता और अपराध चरम पर पहुंच गई, हत्या अपहरण और पुलिस हिरासत में मौतों से उ0प्र0 देश में शर्मशार था। उस समय के आकड़ों के अनुसार प्रदेश में 12 हजार से अधिक हत्याएं हुई। विधायक राजूपाल, किशनानन्द राय और अजीत सिंह को गोलियां बरसा कर मौत की नींद सुला दिया गया। इसीतरह पूर्व विधायकों तथा सांसदों को जिला पंचायत सदस्यों, बीडीसी सदस्यों व प्रधानों और उनके परिवार के लोगों तथा विपक्षीय दलों के कार्यकर्ताओं की राजनीतिक विद्धेष के कारण हत्याएं हुई। जमीनों, मकानों, दुकानों पर कब्जे होना आम बात की गई। नामी छपे हुए अपराधियों पर से मुकदमें वापस हो रहे हैं। निरअपराध लोगों को झूठे मुकदमों में फंसाया गया। खाकी वर्दी की लूट की घटनाएं भी खूब हुई। जनता भयभीत थी, सरकार अपराधियों और माफियाओं का खुलकर समर्थन कर रही थी उस समय भी प्रदेश के मंत्री परिसर में अपराध, भ्रष्टाचार व तस्करी में लिप्त लोग शामिल थे। उस राज में हुए लगभग सारे चुनाव पुलिस एवं माफिया की दबंग राजनीति का शिकार हुए। राजनीति का अपराधी करण और अपराध का राजनीतिकरण हुआ उससमय भी प्रदेश की स्थिति जंगलराज से बदत्तर थी। नौकरशाही सत्तारूढ़ दल की धमकियों के आगे भयग्रस्त थी। प्रशासन व पुलिस के अनेक अधिकारी समाजवादी पार्टी के एजेण्ट के रूप में काम कर रहे थे। पुलिस, अपराधी और सत्तारूढ़ दल के नापाक गठबंधन के कारण प्रदेष में अपराध बढ़ रहे हैं और अपराधी भी निर्भय होकर घूम रहे हैं। एक सम्प्रदाय द्वारा समानान्तर न्याय प्रणाली, सरीय अदालतें चलाई गई। हिन्दुओं के पवित्र धाम स्थिति राम मन्दिर पर आतंकवादी हमला, मऊ में हिन्दुओं का नरसंहार, वाराणसी के प्राचीन संकटमोचन मंदिर व रेलवे स्टेशन पर विस्फोेट हुआ था। अल्पसंख्,यक तुष्टीकरण व वोट बैंक के लिए अपराधियों के विरूद्ध कार्रवाई न करना सरकार की नीति बन गई थी। सामान्य त्यौहारों पर भी हमले हुए और गौहत्या धड़ल्ले से जारी थी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश बंटवारे का विरोध करने वाली समाजवादी पार्टी सरकार ने उस समय सरकार के सहयोग दल के रूप में प्रदेश के बंटवारे की मांग करने वाले लोकदल सपा सरकार का हिस्सा था। लोकदल प्रदेश को विभाजित कर देश की राजनीति में उ0प्र0 के महत्व को कम करना चाहता था। लाखों की संख्या में बेराजगार, नौजवानों को सरकार से निराशा ही मिली, धन और जाति को बढ़ावा दिया गया, नौकरियों में भर्ती घोटाला हुआ, उ0प्र0 भ्रटाचार और घोटालों का प्रदेश बना। एक दो राजनीति परिवार देखते ही देखते करोड़ों के सम्पत्ति के स्वामी बन गए। नोयडा की बेशकीमती भूमि कुछ लोगों की जागीर हो गई थी। मासूम बच्चों के साथ दुराचार कर उनकी हत्या, करने वाला निठारी कांड आज भी रोंगटे खड़े कर देता है। यह सब बसपा को सत्ता से उखाड़ कर प्रदेश को विकास और सुशासन देने की बात करने वाली समाजवादी पार्टी की सरकार की कुछ बानगी भर है। वर्तमान बसपा सरकार की भी यही नीति है। घोर भ्रष्टाचार, जातीय विद्धेष, महिलाओं का उत्पीड़न, बसपा की प्राथमिकता है। दोनों दलों ने अति पिछड़े अति दलितों को राजनाथ सिंह सरकार द्वारा दिए गए लाभ को तानाशाही तरीके से छीेना। बसपा सरकार ने सपा से दो हाथ आगे बढ़कर प्रदेश को नुकसान पहुंचाया है। साढ़े चार वर्ष के शासन में भ्रष्टाचार को नई पहचान देकर उसे शिष्टाचार बना दिया। पहले भ्रष्टाचार प्रतिशत में होता था अब उसने लूट का रूप धारण कर लिया। अनेक मंत्रियों को अपना पद गंवाना पड़ा व जेल जाना पड़ा। महिलाओं पर जुल्म ढाए जा रहे हैं यहां तक की थानों में मासूल बच्चियों के साथ बलात्कार कर उनके शव को पेड़ से लटकाया जाता है। फैजाबाद की एक शिक्षिका स्कूल से पढ़ाकर जब अपने घर आ रही थी तब दिन दहाड़े उसक अस्मत लूटकर उसकी हत्या कर दी गई। ऐसी शर्मशार करने वाली घटनाएं प्रदेश में हुई। उपर से नीचे तक भ्रष्टाचार का बोलबाला है। जमीन आंवटन, गु्रप हाउसिंग योजनाओं में सरकारी हिस्सेदारी जान पड़ती है। भाजपा इसे माया कमीशन का नाम दिया। भाजपा का कहना है कि हर काम पर तभी मोहर लगती है जब माया कमीशन जमा हो जाता है। 12 जून 2011 को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह नेताओं ने महामहिम राष्ट्रपति को मायावती सरकार द्वारा घोटाले कर 2 लाख 54 करोड़ रू0 लूट का सिलसिलेवार आरोप पत्र दिया था। सपा और बसपा दोनों दलों के मुखियाओं पर आए से अधिक सम्पत्ति रखने का मुकदमा मा0सर्वोच्च न्यायालय में चल रहा है और निर्णायक दौर में है। गुजरात, केरल व तमिलनाडू अच्छे शासन के कारण टांप थ्री राज्य में है। वहीं छत्तीसगढ़, म0प्र0, हिमाचंल प्रदेश, आन्धप्रदेश को रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, जलवायु, आधारभूत संरचना में अग्रणीय होने के कारण सम्मानित किया गया है। उ0प्र0 को किसी भी क्षेत्र में सम्मान नहीं मिला है। सपा व बसपा में अनेकों समानताएं हैं। सिद्धान्तहीनता स्वार्थहित तथा वोट वैंक को केन्द्र में रखकर राजनीति आधारित क्षेत्रीय दलों में आगे भी रहेंगी। यहां मुख्य मुद्दे पर कोई आता नहीं खिचडि़या बीरबल सी पक रही हैं बस। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हमें यह मंत्र दिया था कि ’’यदि कोई दुविधा हो तो तुम्हें क्या करना चाहिए। तुम्हें भारत के उस सबसे असहाय व्यक्ति के बारे में सोचना और स्वयं से पूछना चाहिए कि तुम जो कुछ करने जा रहे हो उससे उस व्यक्ति की भलाई होगी क्या’’। इन क्षेत्रीय दलों को समझने के लिए गांधी का यह पैमाना आज भी कारगर है।
लेखक- उ0प्र0 भाजपा के मीडिया प्रभारी हैं।
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