भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती द्वारा समाज सेवी अन्ना हजारे द्वारा जन लोकपाल विधेयक पर अन्ना को दी गई, सलाह लोकपाल की नियुक्ति का मामला अन्ना राज्य सरकारों पर छोड़े और 2014 में अन्ना की सिविल सोसाइटी के लोग चुनाव लड़कर अपना जन लोकपाल विधेयक बनाएं, पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सार्वजनिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ समाजसेवी अन्ना के आंदोलन और जन लोकपाल विधेयक पारित करने की मांग से आकण्ठ भ्रष्टाचार में डूबी मायावती सरकार भयग्रस्त है।
श्री शाही ने कहा कि मायावती का जन लोकपाल पर दिया गया बयान उनकी घबराहट है। बसपा जस्टिस सेन के विरूद्ध राज्यसभा में महाभियोग के प्रस्ताव के खिलाफ मत देकर भ्रष्टाचार और घोटाले के पक्ष में खड़े होने का प्रमाण दे चुकी हैं।
केन्द्र सरकार के दबाव में भ्रष्टाचार की प्रतीक बनी ताकतें इस आंदोलन को जाति और सम्प्रदाय के नाम पर भ्रमित करने का पुरजोर प्रयास कर रही हैं जबकि असलियत यह है कि सार्वजनिक जीवन में व्याप्त भ्रष्टाचार से अति पिछड़े, कमजोर तथा अल्पसंख्यक वर्ग के लोग सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं। अब निहित स्वार्थो में यह राजनैतिक ताकतें इसी अल्पसंख्यक और जातियों में बाॅंटने का काम कर रही हैं जो घोर निन्दनीय है। लेकिन जनता अब इनके बहकावे में आने वाली नहीं है और वह सार्वजनिक जीवन से भ्रष्टाचार से मुक्ति का संकल्प ले चुकी है। श्री शाही ने कहा कि अच्छा होता कि मायावती लोकपाल द्वारा उनके मंत्रिमंडल के जिन सहयोगियों के खिलाफ जांच की है उनमें अभी दो बर्खास्त किए जाने बाकी हैं उनको भी बर्खास्त कर अपनी सरकार के कार्यकाल में शासन, प्रशासन द्वारा किए गए घोटाले और लूट के धन को वापस सरकारी खजाने में जमा कराती और भ्रष्टाचार के खिलाफ इस आंदोलन तथा सशक्त लोकपाल का समर्थन करती।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com