नफ़ासत, नज़ाकत, अदब और तहजीब के लिए पूरी दुनिया में मशहूर लखनऊ प्रदेश की राजधानी होने के साथ-साथ आजाद देश में स्थापित अनकों स्मारकों के लिए अब जाना जाने लगा है।
कुछ समय पहले तक देश-विदेश से बड़ी संख्या में सैलानी यहां लखनऊ नवाबों द्वारा बनाये गये इमामबाड़ों आदि को देखने के लिए आते थे। लेकिन अब बदली पहचान के साथ लखनऊ में एक नया बदलाव भी नज़र आ रहा है। यहां एक नई आकाश रेखा उभरी है, जिसने दुनिया भर में एक अलग पहचान दी है। माननीया मुख्यमन्त्री जी ने गैर बराबरी वाली सामाजिक व्यवस्था को बदल कर समतामूलक समाज की स्थापना के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले अनेक महान सन्तों, गुरूओं व महापुरूशों के सम्मान में स्मारक, संग्रहालय, मूर्तियां व पार्क का निर्माण कराया है, जो अब स्वयं में वास्तु कला के अनुपम नमूने होने के साथ-साथ भारतीय सभ्यता की आत्मा एवं निर्माण कला के कई आयामों को भी प्रदिशZत करते हैं। इसके साथ ही लखनऊ में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए अनेक परियोजनाएं तेजी से मूर्त रूप ले रही है, जिसके चलते देश के सबसे बड़े प्रदेश की राजधानी का कायाकल्प हो चुका है। जिसकी मिसाल पूरे देश में मिलना मुिश्कल है।
अब स्थिति यह है कि देश के कोने कोने से भारी संख्या में लोग लखनऊ में स्मारकों, संग्रहालयों व पार्कों आदि को देखने आने लगे हैं। देश में दलित व पिछड़े वर्गों में समय समय पर जन्में महापुरूषों के सम्मान में निर्मित ये स्मारक देश के करोड़ों उपेक्षित वर्गों के लोगों के लिए आस्था और स्वाभिमान का प्रतीक बन चुके हैं, जिन्हें देखकर सर्वजन समाज के लोग गौरव का अनुभव करते है। इसके अलावा नवाबी दौर की ऐतिहासिक इमारतों को देखने वाले अन्य पर्यटकों के लिए यह स्मारक और पार्क आदि आकर्षण के नए केन्द्र बन कर उभरे हेैं। लगभग प्रति दिन ही इन स्मारकों में बड़ी तादाद में लोगों की आमद-रफ्त देखी जा सकती है।
गौर तलब है कि मुख्यमन्त्री जी द्वारा पिछले वर्ष 25 जून को डॉ0 भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल द्वार, डॉ0 भीमराव अम्बेडकर विहार, समतामूलक चौक, सामाजिक परिवर्तन गैलरी, डॉ0 भीमराव अम्बेडकर स्मारक दृश्य स्थल, डॉ0 भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन प्रतिबिम्ब स्थल, सामाजिक परिवर्तन संग्रहालय, मान्यवर श्री कांशीराम जी स्मारक स्थल का लोकार्पण किया गया था।
यह सभी स्मारक वास्तु कला की दृिश्ट से अनोखे ही कहे जायेगे। मान्यवर श्री कांशीराम जी स्मारक स्थल का गुम्बद अब देश का सबसे बड़ा गुम्बद है, जिसका निर्माण अपने आप में इंजीनियरिंग का एक नमूना है। इसी तरह सामाजिक परिवर्तन संग्रहालय के दोनो गुम्बद भी इंजीनियरिंग एवं स्थापत्य कला की वििशश्ट उपलब्धियों के रूप में आज जाने जाते हैं।
इसके अलावा बौद्ध विहार शान्ति उपवन का भी गत 25 जून को लोकार्पण किया गया था। ये सभी आज आस्था और पर्यटन के महत्वपूर्ण स्थल बन गये हैं।
लखनऊ शहर के मध्य कोई विशाल एवं भव्य ग्रीन इको गार्डन न होने के कारण शहरवासियों द्वारा इसकी लगातार जरूरत महसूस की जा रही थी। इसे ध्यान में रखते हुए लखनऊ शहर के बीचो-बीच मान्यवर श्री कांशीराम जी इको गार्डन का भी विकास प्रारम्भ हो गया है। ग्रीन इको गाडेZन के विकसित हो जाने पर लखनऊ शहर में एक ऐसा अदुभुत और मनोहारी गार्डेन विकसित होगा, जो न केवल देश भर में बल्कि दुनिया भर में अब तक स्थापित किये गये इको गार्डेनों में अनोखा होगा।
आने वाले समय में लखनऊ अपनी नई पहचान के साथ पयर्टकों की मेहमान-नवाजी के लिए तैयार है।
कुछ प्रमुख स्थलों की वास्तु कला विशिष्टताएं निम्नवत् हैं:-
डॉ0 भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल
लखनऊ में गोमती नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित Þडा0 भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थलß 107 एकड़ (4,33,417 वर्ग मीटर) क्षेत्रफल में निर्मित है। आगन्तुक के मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर शिलापट टेक्स्ट पैनल के साथ-साथ खूबसूरत ग्रेनाइट स्तम्भों का रास्ता भी दिखता है, जो सम्राट अशोक द्वारा स्थापित किये गये स्तम्भों की याद दिलाते है। इसके बाद विस्तृत कॉम्प्लेक्स में दर्शकों के लिए चार मुख्य आकर्षण स्थल हैं।
Þबाबा साहेब डा0 भीमराव अम्बेडकर स्मारकß अपने विस्तृत कमल (पद्म) रूप में कॉम्प्लेक्स का मुख्य आकर्षण है। 6.5 एकड़ (27,004 वर्ग मीटर) के क्षेत्रफल में उठी हुई सतह पर इस संरचना में चार Þचैत्य पोर्ट्लß हैं। खूबसूरत उत्तरी पोट्Zल से दर्शक घुसने पर अपने को गुलाबी मकराना संगमरमर द्वारा निर्मित स्थल में पाता है। मुख्य गुम्बद की छतरी के अन्दर और नीचे स्मारक का केन्द्रीय चैम्बर है, जहां बाबा साहेब डा0 भीमराव अम्बेडकर के जीवन की विविध अवस्थाओं को कांस्य की चित्रावली प्रदर्शित करती है। इसके बाद, चैम्बर में दर्शक आगे बढ़ने पर बाबा साहेब डा0 भीमराव अम्बेडकर की कांस्य मूर्ति को, जैसा कि अब्राहम लिंकन की मूर्ति लिंकन मेमोरियल, वाशिंगटन में है, के रूप में, बैठे हुए देखता है।
स्मारक से बाहर निकलने पर दर्शक डा0 भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन संग्रहालय के दो स्तूपों की तरफ बढ़ता है, जो 2.5 एकड़ (11,008 वर्ग मीटर) के क्षेत्रफल में ऊंची डबल नींव पर स्थित हैं, दो गुम्बद (प्रत्येक 100 फीट से अधिक के व्यास) सुप्रसिद्ध सन्तों, गुरूओंं और प्रेरक महापुरूषों का देवालय है, जिन्होंने ऐतिहासिक काल से लेकर अब तक सामाजिक समानता के लिए संघर्ष किया। गुम्बदों जो आन्तरिक तौर पर कांसे से निर्मित है, की छतरी के नीचे इन महापुरूषों और स्वप्नदृष्टाओं की संगमरमर की मूर्तियां हैं, जबकि सटी हुई दीवारों पर इन महापुरूषोें द्वारा सामाजिक परिवर्तन के लिए किये गये आन्दोलन में उनकी भागीदारी का उल्लेख है।
तीसरा मुख्य स्थान 04 एकड़ (16,260 वर्ग मीटर) क्षेत्रफल में स्थित विस्तृत सामाजिक परिवर्तन गैलरी है। एक तरफ ऊंची विशाल दीवार और और दूसरी ओर खूबसूरत स्तम्भ श्रेणियों से घिरी इस अर्द्ध चक्राकार मुक्ताकाशी गैलरी में कई मूर्तियां और भित्ति चित्र हैं। इस अर्द्धचक्र के केन्द्र में ऊंचाई पर बाबा साहेब डा0 भीमराव अम्बेडकर की मूर्ति स्थित है।
सामाजिक परिवर्तन गैलरी से दर्शक के उत्तर की तरफ आगे बढ़ने पर बगल में 62 हाथियों की मूर्तियों की गैलरी हैै, जिसके शीर्ष पर स्मारक का चौथा मुख्य हिस्सा है। Þप्रतिबिम्ब स्थलß जो पूरे कॉम्प्लेक्स का प्रतिनिधित्व करता है, बहुजन समाज के प्रेरक नेताओं, बी0एस0पी0 के संस्थापक मान्यवर श्री कांशीराम जी और उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमन्त्री व सामाजिक परिवर्तन की आधुनिक शिल्पकार सुश्री मायावती जी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया है।
आगे ऊंचे प्लेटफार्म पर पिरामिड के समान Þडा0 भीमराव अम्बेडकर स्मारक दृश्य स्थलß से समूचे डा0 भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल का विहंगम दृश्य दिखायी पड़ता है।
स्मारक के अन्दर कई छोटी किन्तु महत्वपूर्ण संरचनाएं स्थित है। इसमें Þबुद्ध स्थलß में भगवान गौतम बुद्ध की चतुर्मुखी प्रतिमा और श्रद्धांजलि स्वरुप 21.60 मीटर (71 फीट) ऊंचा Þसामाजिक परिवर्तन स्तम्भß सम्मिलित हैं। Þसामाजिक परिवर्तन स्तम्भß स्थल के प्रवेश द्वार के नजदीक स्थित है जिसे ऐतिहासिक अशोक स्तम्भ के समान चुनार पत्थर से निर्मित किया गया है। यह स्तम्भ सबसे ऊंचे इन स्तम्भों में से डेढ़ गुना अधिक ऊंचा है।
बगल में, 2.5 एकड़ (9446 वर्ग मीटर) के क्षेत्रफल में स्थित जमीन पर कॉम्प्लेक्स के एक अभिन्न हिस्से, प्रशासनिक ब्लॉक और जनसुविधा परिसर को विकसित किया गया है, जो जनसुविधाओं से युक्त कॉम्प्लेक्स है।
इन तत्वों के साथ-साथ प्रवेश चौक, विस्तृत अग्र प्रांगण, बड़ी हाथी गैलरी, कांस्य के फव्वारे, चुनार पत्थर से बनायी गई मजबूत चारदीवारी, रास्ते, प्राकृतिक दृश्य और विस्तृत खुला स्थान Þडा0 भीमराव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थलß की सुन्दरता में चार चांद लगाते हैं।
मान्यवर श्री कांशीराम जी स्मारक स्थल
इस गरिमापूर्ण और भव्य स्मारक की कल्पना मान्यवर श्री कांशीराम जी के जीवन और कार्यों को समर्पित एक उपयुक्त श्रद्धांजलि के रुप में की गई है। 60 एकड़ (2,42,811 वर्ग मीटर) में विकसित इस कॉम्पलेक्स का एक महत्वपूर्ण हिस्सा-इसका मुख्य स्मारक भवन मान्यवर श्री कांशीराम जी स्मारक है, जिसे 2.5 एकड़ (10,500 वर्ग मीटर) में निर्मित किया गया है। इसका ऊंचा क्यूपोला (बनचवसं) जिसका व्यास 125 फीट है, इस प्रकार के विस्तृत निर्माण मेें से एक है। 177 फीट ऊंंचा यह स्मारक लखनऊ के आकाश वृृत्त पर काबिज है। यह संरचना जिसे दीघZ आयु के उद्देश्य से ठोस समूह और स्टेनलेस स्टील द्वारा निर्मित किया गया है, अभियान्त्रिकी का उत्कृष्ट नमूना है। बाह्य हिस्सा बंसी पहाड़पुर के रेतीले पत्थर और आन्तरिक गुलाबी मकराना संगमरमर और कांसे से निर्मित है।
संगमरमर आच्छादित मुख्य चैम्बर के अन्दर मान्यवर श्री कांशीराम जी और उनकी एकमात्र राजनैतिक उत्तराधिकारी उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमन्त्री बहन कु0 मायावती जी की 18 फीट ऊंची कांसे की प्रतिमाएं है। इस प्रेरक स्मारक में 6 विस्तृत कांसे के भित्ति चित्र स्थित हैं, जिसमें श्रद्धांजलि स्वरुप बहुजन नायक के जीवन और उनकी उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया है।
भवन के पाश्र्व में 30 विस्तृत हाथियों की मूर्तियों से युक्त गलियारे हैं। 4 कांसे के फव्वारे (30 फीट ऊंचे), ग्रेनाइट स्तम्भ और स्मारक अभिलेख इस भव्य वास्तुकला की संरचना को पूर्ण करते हैं।
बौद्ध विहार शान्ति उपवन
31 एकड़ (1,25,710 वर्ग मीटर) के क्षेत्रफल में विकसित किया गया यह उपवन, जो कि लगभग 1.2 कि0मी0 की लम्बाई में है और शारदा नहर तथा वीआईपी रोड के पाश्र्व में है। इस उपवन के एक किनारे पर संरचनाएं और विस्तृत बगीचे हैं।
इस कॉम्पलेक्स का मुख्य आकर्षण केन्द्रीय स्तम्भ श्रेणियां है, जिसमें भगवान गौतम बुद्ध की चतुमुZखी संगमरमर प्रतिमा स्थित है। इसके पाश्र्व में मेल खाती हुयीं मान्यवर श्री कांशीराम जी और उनकी एकमात्र राजनैतिक उत्तराधिकारी उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमन्त्री बहन कु0 मायावती जी की प्रतिमाएं हैं।
स्तम्भ श्रेणी के दोनों ओर 2 संरचनाएं हैं जिसमें से एक में ध्यान कक्ष और विस्तृत पुस्तकालय है जबकि दूसरी संरचना में आवासीय मठवासियों के लिये आवासीय कॉम्पलेक्स है। पश्चिम की ओर विस्तृत बगीचे और सार्वजनिक स्थल हैं जिनकी दूरी कानपुर रोड पर बाबा साहब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर चौराहे तक है। बगीचे, लॉन, फव्वारे (3 कांस्य और 1 पत्थर), रास्ते, जाली और विस्तृत बोधि वृक्षारोपण-इस कॉम्पलेक्स के अन्य आकर्षण हैं।
आगन्तुकों और स्टाफ के लिये पािर्कंग क्षेत्र, जन व अवस्थापना सुविधाअों तथा इनका रख-रखाव और प्रशासनिक ब्लॉक का निर्माण बगल में 1.5 एकड़ (5,561 वर्ग मीटर) क्षेत्रफल मेें किया गया है, जो कॉम्पलेक्स का एक अभिन्न हिस्सा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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