उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने कहा है कि कृशि क्षेत्र में कृशकों को सस्ते मूल्य पर सिंचाई की उपलब्धता सुनिष्चित कराने के उद्देष्य से सोलर इरीगेषन पम्पों की स्थापना हेतु 21.97 करोड़ रुपये की व्यवस्था कराई गई। उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग को रोकने के लिए लीफ कलर चार्ट के आधार पर आवश्यकतानुसार उर्वरकों का प्रयोग कराना तथा सिंचाई में जल की बर्बादी को समाप्त करने के लिए खेतों में टैन्शियोमीटर का प्रयोग करने के लिए नई योजना स्वीकृत। बुन्देलखण्ड में तिल की खेती को बढ़ावा देने तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ग्वार की खेती से कृषकों अधिक लाभ दिलाने के लिए रू0 2.83 करोड़ की परियोजनाएं अनुमोदित। मृदा स्वास्थ्य को सुधार कर भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने तथा हरी खाद हेतु पर्याप्त धनराशि की व्यवस्था। पूर्वी उत्तर प्रदेश में जलमग्न क्षेत्र में जल निकासी की व्यवस्था करके भूमि को कृषि योग्य बनाने एवं खेती के अन्तर्गत लाने के लिए रू0 2.16 करोड़ की व्यवस्था।
लघु सिंचाई विभाग की गहरे/मध्यम गहरे ट्यूबवेल की स्थापना हेतु रू0 100.00 करोड़ की व्यवस्था।
ऽ 806 निश्क्रिय एवं विद्युत दोश के कारण बंद पड़े 606 राजकीय नलकूपों को पुनःक्रियान्वित किए जाने की रू0 130.00 करोड़ की योजनाएं अनुमोदित।
ऽ पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए रू0 4.46 करोड़ की व्यवस्था।
ऽ मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हैचरीयों की स्थापना हेतु धनराशि की व्यवस्था।
ऽ आलू उत्पादकों को आलू के उन्नतशील बीज उपलब्ध कराने के लिए कानपुर में आलू अनुसंधान केन्द्र की स्थापना की स्वीकृति।
ऽ धान, मक्का, गेंहू एवं बाजरा के ऐसी प्रजाति जिनमें पोषक तत्वों की भरमार है, उनके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए न्यूट्री फार्म योजना की स्वीकृति।
प्रदेष के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में केन्द्र द्वारा वित्त पोशित राश्ट्रीय कृशि विकास योजना की राज्य स्तरीय स्वीकृति समिति की बैठक आहूत की गयी। बैठक में प्रदेष के कृशि, पशुपालन, उद्यान, डेयरी, सिंचाई, लघु सिचाई, मत्स्य, सहकारिता, रेषम, कृशि विवधीकरण के प्रमुख सचिव/सचिव तथा कृशि विष्वविद्यालयों के कुलपति/प्रतिनिधि, संबंधित विभागों के विभागाध्यक्ष के साथ-साथ कृशि एवं सहाकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव, डा0 आषीश कुमार भूटानी, डा0 अनुपम वारिक, अपर आयुक्त, टी0एम0पी0ओ0 एवं श्री जगतवीर सिंह, उपायुक्त, एन0आर0एम0, कृशि मंत्रालय, भारत सरकार तथा श्री ओ0पी0 मिश्रा, उप महानिदेषक, मत्स्य एवं साॅख्यिकी, कृशि मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रतिभाग लिया गया।
प्रमुख सचिव (कृशि) द्वारा समिति को अवगत कराया गया कि विगत वर्श 2012-13 में उपलब्ध रही धनराषि रू0 570.14 करोड़ के सापेक्ष रू0 499.29 करोड़ का उपयोग कराया गया है। दिनांक 01.04.2013 को अप्रयुक्त अवषेश के रूप में धनराषि रू0 70.85 करोड़ का उपयोग वर्श 2013-14 में कराए जाने हेतु केन्द्र सरकार द्वारा पुनर्वैधीकरण कर दिया गया है। वर्तमान वित्तीय वर्श 2013-14 में रू0 106.09 करोड़ की वित्तीय स्वीकृतियाॅ एस0एल0एस0सी0 से अनुमोदित परियोजना के षेश कार्यों हेतु निर्गत कर दी गईं है जिनके सापेक्ष कार्यांे के निश्पादन की कार्यवाही क्रमिक है। योजना की प्रगति पर अध्यक्ष द्वारा संतोश व्यक्त करते हुए निर्देष दिए गए कि वर्तमान वित्तीय वर्श में भी अधिक से अधिक धनराषि का उपयोग सुनिष्चित कराया जाए।
समिति को यह भी अवगत कराया गया कि केन्द्र स्तर से अब तक रू0 875.88 करोड़ का एलोकेषन प्राप्त हो चुका है। समिति द्वारा विचार-विमर्ष के उपरान्त वर्श 2013-14 हेतु लगभग
रू0 885.00 करोड़ की परियोजनाएं अनुमोदित की गईं, जिनमें महत्वपूर्ण परियोजनाएं निम्नवत् है:-
मुख्य सचिव द्वारा सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को यह भी निर्देष दिए गए कि राश्ट्रीय कृशि विकास योजनान्र्तगत संचालित परियोजनाओं के कार्य पूर्ण पारदर्षिता के साथ कराए जाएं तथा सृजित परिसम्पत्तियों एवं अवस्थापनाओं के हस्तानांन्तरण की कार्यवाही नियत अवधि में सुनिष्चित कराई जाए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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