पेट्रोल में बार-बार भारी मूल्य वृद्धि कांग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्रीय सरकार की “जन-विरोधी” नीति का स्पष्ट प्रतीक; आम जनता से इसका डट कर मुक़ाबला करने की अपील
केन्द्रीय सरकार की ग़लत आर्थिक नीतियों का विरोध व प्रदेश को न्याय दिलाने हेतु सतत् सजग व संघर्षशील रहने का बी.एस.पी. प्रमुख माननीया सुश्री मायावती जी का आह्वान
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उŸार प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी के आह्वान पर पार्टी के ‘देश-व्यापी जन-आन्दोलन’ के तहत उŸार प्रदेश के समस्त 72 ज़िला मुख्यालयों पर, कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व की केन्द्रीय यू.पी.ए. सरकार द्वारा पेट्रोल की क़ीमत में की गयी भारी वृद्धि के खि़लाफ, आज ज़ोरदार “एक-दिवसीय धरना-प्रदर्शन” आयोजित किया गया। पेट्रोल मूल्य में भारी वृद्धि को और ज़्यादा महँगाई बढ़ाने वाला केन्द्र सरकार का, “जन-विरोधी” क़दम बताते हुये इसे तत्काल वापस लेने की माँग की गयी।
बी.एस.पी. के तत्वावधान में समस्त उŸार प्रदेश में आयोजित इस ज़ोरदार धरना-प्रदर्शन कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर आम लोगों ने भी शिरकत कर केन्द्र सरकार के इस “जन-विरोधी फैसले“ के खि़लाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया। ज़िला मुख्यालयों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार पार्टी के इस जन-आन्दोलन में छोटे-बड़े तमाम कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों के साथ-साथ राज्य में बी.एस.पी. सरकार के मंत्रियों ने भी जोश के साथ बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। इस अवसर पर पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने केन्द्र सरकार द्वारा पेट्रोल की क़ीमत को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने को एक ग़लत नीति करार दिया, क्योंकि इस कारण ही आम जनता पर पेट्रोल मूल्य वृद्धि का भार लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
देशभर में भारी महँगाई से त्रस्त आम लोगों को केन्द्र की सरकार द्वारा पेट्रोल की क़ीमतों में लगातार व हर कुछ अन्तराल पर की गयी वृद्धि के फलस्वरूप अन्य आवश्यक वस्तुओं पर पड़ने वाले इसके दुष्प्रभाव का बोझ हर दिन झेलना पड़ रहा है और इस वृद्धि के कारण महँगाई और ज़्यादा व बेतहाशा बढ़ी है, जिसका बहुत ही बुरा प्रभाव ग़रीब व मध्यम वर्गीय परिवारों को झेलना पड़ राह है।
बी.एस.पी. वक्ताओं ने कहाकि केन्द्र सरकार के इस प्रकार के फैसलों से बार-बार यह साबित हो रहा है कि कांग्र्रेस पार्टी आम आदमी व ग़रीब जनता के हित के प्रति पूरी तरह “असंवेदनशील” है तथा उनके दुःख-दर्द के प्रति कांग्रेस पार्टी के आँसू मात्र घड़ियाली हैं। वास्तव में कांग्रेस पार्टी और महँगाई एक-दूसरे के पर्याय बन गये हंै। केन्द्र सरकार के एजेण्डे से आम जनता का हित पूरी तरह से ग़ायब है। केन्द्र सरकार को तेल कम्पनियों के घाटे की तो चिन्ता है, लेकिन पेट्रोल की क़ीमतों मंे बढ़ोŸारी से जनता को होने वाली जानलेवा महँगाई की दिक़्क़त से कोई लेना-देना नहीं है। केन्द्र सरकार का, इस प्रकार का फैसला उसकी “ग़लत आर्थिक नीति“ का जीता-जागता उदाहरण है। महँगाई नहीं रोक पाना केन्द्र सरकार की सबसे बड़ी विफलता हैै।
बी.एस.पी. वक्ताओं ने अपने सम्बोधन में कहाकि गत् दिनांक 01 अप्रैल, 2008 से अब तक कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व की यू.पी.ए. सरकार ने पेट्रोल की क़ीमतों में “12 बार” इज़ाफा किया है, जिस कारण ही 01 अप्रैल, 2008 को उŸार प्रदेश में पेट्रोल की क़ीमत जो 48.30 रुपये प्रति लीटर थी, वह बढ़कर अब 68.46 रुपये प्रति लीटर हो गयी है। साथ ही, फरवरी, 2011 में जब अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की दर 120 डाॅलर प्रति बैरल पहुँच गयी थी, तो उस समय राज्यों में होने वाले विधानसभा आम चुनाव के मद्देनज़र लाखों-करोड़ों रुपये के महा-घोटालों से घिरी केन्द्र सरकार ने घबराकर तेल कम्पनियों को पेट्रोल की क़ीमतों में वृद्धि करने से रोक दिया था, जबकि जून, 2010 से पेट्रोल की क़ीमतें सरकारी नियंत्रण से मुक्त हैं। और अब जब अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमत काफी घट गयी है, तब यू.पी.ए. सरकार ने पेट्रोल के दामों में प्रति लीटर 05 रुपये से अधिक की वृद्धि कर दी। केन्द्र सरकार का यह फैसला पूरी तरह “स्वार्थ से प्रेरित तथा राजनैतिक” है, जिसका कोई आर्थिक आधार नहीं है। देश की जनता को आज भी अच्छी तरह याद है कि यू.पी.ए. की पहली सरकार ने वर्ष 2009 में लोक सभा आम चुनाव के पहले पेट्रोल पदार्थाें के दामों को घटा दिया था और केन्द्र की सŸाा में फिर से वापसी होते ही पूँजीपतियों के चंगुल में फँसी इसी ही सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल के दामों में बढ़ोŸारी कर दी थी।
साथ ही, विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के दौरान काॅरपोरेट जगत को मदद पहुँचाने के इरादे से केन्द्र सरकार ने वर्ष 2008-09 में 04 लाख करोड़ रुपये का सब्सिडी राहत पैकेज प्रदान किया था। वर्ष 2009-10 में भी जब भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत थी, तब भी केन्द्र सरकार ने काॅरपोरेट जगत को लगभग 04 लाख करोड़ रुपये का सब्सिडी राहत पैकेज दिया था। अब जबकि देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर लगभग 08 प्रतिशत है, ऐसी दशा में वर्ष 2010-11 के बजट में यू.पी.ए. सरकार द्वारा काॅरपोरेट जगत को 4.5 लाख करोड़ रुपये के सब्सिडी राहत पैकेज देने के फैसले से यह बात फिर एक बार साबित हो गयी है कि “कांग्रेस का हाथ ग़रीबों व आम जनता के साथ नहीं है, बल्कि पूँजीपतियों और धन्नासेठों के साथ है।”
पेट्रोल सहित डीज़ल, गैस व मिट्टी के तेल की क़ीमतों में लगातार हो रही वृद्धि देश में हर तरफ बेतहाशा महँगाई का एक बहुत बड़ा कारण बनकर, समस्त ग़रीब व मध्यम वर्गाें के लिये बहुत बड़ी कठिन समस्या बन गयी है, जबकि पेट्रोल से जुड़े उत्पादों में केन्द्र सरकार द्वारा की जा रही बार-बार वृद्धि के बावजूद, उŸार प्रदेश की आम जनता को राहत पहुँचाने के लिये बी.एस.पी. सरकार द्वारा दिनांक 7 जून, 2008 से उŸार प्रदेश में घरेलू उपयोग वाली रसोई गैस को “कर-मुक्त“ किया जा चुका है।
इसके अलावा, किसानों को राहत पहुँचाने के इरादे से डीज़ल पर “वैट“ की दर को 21 प्रतिशत से घटाकर 17.23 प्रतिशत किया जा चुका है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकारी राशन की दुकानों से ग़रीबों को वितरित किये जाने वाले मिट्टी के तेल पर वैट की दर को भी घटाकर पाँच प्रतिशत किया जा चुका है। साथ ही, प्रदेश की आम जनता के हित को ध्यान में रखकर पेट्रोल, डीज़ल तथा मिट्टी के तेल की टैक्स दर में प्रदेश सरकार ने जनवरी, 2009 के पश्चात् कोई वृद्धि नहीं की है। इस प्रकार, उŸार प्रदेश में माननीया सुश्री मायावती जी की सरकार अगर ये रिआयतें जनता को नहीं दी होती तो प्रदेश में पेट्रोल व अन्य आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतें और ज़्यादा बढ़ गयी होतीं।
उल्लेखनीय है कि पेट्रोल मूल्य में भारी वृद्धि के खि़लाफ “देश-व्यापी जन-आन्दोलन” के तहत आज दिनांक 31 मई सन् 2011 को उŸार प्रदेश के समस्त 72 ज़िलों में ज़ोरदार एक-दिवसीय धरना-प्रदर्शन के बाद, पार्टी अध्यक्ष के निर्देशानुसार, देश के दूसरे राज्यों में अलग-अलग तारीख़ में राज्य मुख्यालयों पर एक-दिवसीय विशाल धरना-प्रदर्शन आयोजित किये जायेंगे।
बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीया सुश्री मायावती जी के निर्देश पर उŸार प्रदेश में अनुशासित तरीक़े से व ज़िला प्रशासन से पूर्व अनुमति लेकर, ज़िला कलेक्टेªेट से अलग हटकर बड़े मैदान में ज़ोरदार व विशाल एक-दिवसीय धरना-प्रदर्शन आयोजित कर केन्द्र सरकार की ग़लत आर्थिक नीतियों का विरोध करने पर पार्टी के सभी छोटे-बड़े कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों को बधाई देते हुये माननीय सुश्री मायावती जी ने कहाकि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली केन्द्रीय सरकार की नीति व इसका चरित्र हमेशा से ही “जन-विरोधी” व ख़ासकर, उŸार प्रदेश जैसे विशाल राज्य के लिये “विकास-विरोधी” रहा है, जिस कारण ही ग़रीबी, बेरोज़गारी व महँगाई आज एक राष्ट्रीय समस्या बनकर उभरी है, परन्तु कांग्रेसी नेता व केन्द्र में उसकी सरकार इस गंभीर समस्या के प्रति उदासीन व असंवेदनशील है। ग़रीबों के प्रति उनकी बातें केवल “घड़ियाल आँसू“ हैं। इसलिये आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े राज्य, उŸार प्रदेश की ग़रीब जनता को, हर मामले में, केन्द्र सरकार से न्याय हासिल करने के लिये सतत् सतर्क व संघर्षशील रहने की ज़रूरत है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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