Archive | March 22nd, 2019

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने सैम पित्रोदा और रामगोपाल यादव के बयान को शर्मनाक बताया

Posted on 22 March 2019 by admin

लखनऊ 22 मार्च 2019, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने कांग्रेस अध्यक्ष के करीबी सैम पित्रोदा और समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव के पुलवामा में हुए आंतक हमले और एयर स्ट्राइक पर की गई गलत बयानी को शर्मनाक बताया है। कहा कि विपक्षी बार-बार सेना और सैनिकों को अपमानित कर रहे हैं। सेना की कार्यवाही पर संदेह जताकर वह कौन सा संदेश देना चाह रहे हैं? देश की जनता आतंकियों का गुणगान और उनकी रिहाई करने वालों का हिसाब चुनाव में जरूर करेगी। डां. पाण्डेय ने उक्त बात आज पाटी के राज्य मुख्यालय पर विभिन्न दलों से आये नेताओं को पार्टी की सदस्यता ग्रहण समारोह के अवसर पर उपस्थित पत्रकारों से वार्ता करते हुए कही। photo-joining-1
डॉ. पांडेय ने कहा कि रामगोपाल यादव पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों की शहादत पर संदेह जताकर किसे खुश करना चाह रहे हैं। आखिर कौन सी वोट बैंक की मजबूरी है जो विपक्षी दल लगातार सेना के शौर्य और पराक्रम पर भी सवाल खड़े करने से भी नहीं हिचक रहे हैं। उन्होंने कहा कि आतंकियों को प्रश्रय देने का कांग्रेस का पुराना इतिहास रहा है। चरारे शरीफ और हजरतबल की घटनाएं उनके चाल और चरित्र दोनों को दर्शाती हैं जब सेना के मनोबल को तोड़ते हुए न सिर्फ आतंकियों को सरकारी दावत दी गई बल्कि उन्हें बॉर्डर तक पहुंचाने का प्रबंध भी कराया। सैम पित्रोदा राहुल गांधी की भाषा बोल कर देश के वीर जवानों की शहादत का अपमान कर ही रहे हैं देश के 130 करोड़ लोगों की मनो भावना के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं। कहा कि इन नेताओं और दलों में पाकिस्तान परस्त बनने की होड़ क्यों मची है? यह समझ से परे है।
उन्होंने कहा कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष पाकिस्तान में भारतीय वायुसेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक में मारे गए आंतकियों को लेकर सवाल उठा रहा है मैं विपक्ष के नेताओं से पूछता हूॅ कि क्या उन्हें भारतीय सेना और वायुसेना पर विश्वास नहीं है। डाॅ. पाण्डेय ने आरोप लगाया कि विपक्ष के नेता सेना का मनोबल तोड़ने में लगे है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव जनता के सामने आकर बतायें कि वे अपने नेताओं के बयानों से सहमत है कि नहीं उन्होंने कहा कि अब यह दलील नहीं चलेगी कि कांग्रेस इन नेताओं के बयानों से अपने को अलग कर ले।

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सदस्यता ग्रहण

Posted on 22 March 2019 by admin

लखनऊ 22 मार्च 2019, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में भाजपा सरकार और प्रदेश की योगी सरकार द्वारा लोककल्याण के लिए किये जा रहे कार्यों से प्रभावित होकर आज भी सपा-बसपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय ने आज पार्टी के राज्यमुख्यालय पर विभिन्न दलों से आये नेताओं को उनके समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता दिलाई।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डाॅ. महेन्द्र नाथ पाण्डेय के समक्ष भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने वालों में हमीरपुर से समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद राजनारायण बुधौलिया (रज्जू महराज) बहुजन समाज पार्टी से 2014 में मछली शहर से लोकसभा से प्रत्याशी रहे भोलानाथ पी सरोज, बसपा के पूर्व राज्यमंत्री सतीश पाल, पूर्वविधानसभा प्रत्याशी गरौठा उमाशंकर निरंजन और राठ नगर पालिका के अध्यक्ष श्री निवास उर्फ बब्लू बुधौलिया ने बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।
इस अवसर पर पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष सुधीर हलवासिया, प्रदेश महामंत्री गोबिन्द नारायण शुक्ला, प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेयी, प्रदेश मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित तथा प्रदेश मीडिया सहप्रभारी आलोक अवस्थी सहित कई अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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लोक सभा सामान्य निर्वाचन-2019

Posted on 22 March 2019 by admin

प्रेस काउन्सिल आॅफ इण्डिया तथा एन0बी0एस0ए द्वारा प्रिन्ट एवं इलेक्ट्राॅनिक मीडिया हेतु निर्वाचन सम्बन्धी प्रकाशन एवं प्रसारण के लिए जारी दिशा-निर्देश
मुख्य निर्वाचन अधिकारी

-प्रेस का यह कर्तव्य होगा कि वह निर्वाचनों तथा अभ्यर्थियों के बारे में तथ्य परक एवं विषय परक रिपोर्ट दें। समाचार पत्रों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे निर्वाचनों के दौरान किसी अभ्यर्थी, पार्टी या घटना के बारे में अतिशयोक्तिपूर्ण रिपोर्टों और दूषित निर्वाचन प्रचारों में हिस्सा लें। व्यवहार में, दो या तीन कड़ी प्रतियोगिता वाले निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थी सारी मीडिया को अपनी ओर ध्यानाकर्षित करते हैं। वास्तविक प्रचार पर रिपोर्ट तैयार करते समय समाचार पत्र में ऐसा कोई महत्वपूर्ण बिंदु नहीं छूटना चाहिए जो कि अभ्यर्थी द्वारा उठाया गया हो और जो उसके विरोधी पर आक्षेप लगाता हो।
-सांप्रदायिक या जाति आधार पर वोट मांगते हुए निर्वाचन प्रचार करना निर्वाचन नियमावली के अधीन निषेध है। अतः प्रेस को धर्म, वंश, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर लोगों के बीच विद्वेष या घृणा की भावना को बढ़ावा देने से बचना चाहिए।
-प्रेस को किसी अभ्यर्थी के आचरण और उसके निजी चरित्र के संबंध में कोई मिथ्या या आलोचनात्मक वक्तव्य अथवा उसकी अभ्यर्थिता या नाम वापस लेने के संबंध में किसी प्रकार के प्रकाशन से बचना चाहिए ताकि निर्वाचनों में उस अभ्यर्थी की अपेक्षाएं प्रतिकूल रूप से प्रभावित न होने पाए। प्रेस को किसी अभ्यर्थी, दल के विरूद्ध असत्यापित आरोपों को प्रकाशित नहीं करना चाहिए।
-प्रेस से किसी अभ्यर्थी/दल के प्रचार में शामिल होने की अपेक्षा नहीं की जाती है। यदि वह ऐसा करता है तो यह ऐसे अन्य अभ्यर्थी/दल को इस संबंध में जवाब देने के अधिकार की अनुमति भी देगा।
-प्रेस सत्ताधारी पार्टी, सरकार की उपलब्धियों के संबंध में सरकारी खर्च/राजकोष पर किसी विज्ञापन को स्वीकार/प्रकाशित नहीं करेगा।
-प्रेस निर्वाचन आयोग, रिटर्निंग अधिकारियों या मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा समय समय पर जारी सभी निर्देशों, आदेशों, अनुदेशों का पालन करेगा।
इलेक्ट्राॅनिक मीडिया
-समाचार प्रसारणकर्ता को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत निर्धारित नियमों तथा विनियमों के अनुसार सुसंगत निर्वाचन मामलों, राजनैतिक दलों, अभ्यर्थियों, प्रचार अभियान मामलों तथा मतदान प्रक्रियाओं के बारे में लोगों को वस्तुनिष्ठ तरीके से सूचित करने का प्रयास करना चाहिए।
-न्यूज चैनलों को किसी राजनैतिक पार्टी से संबंध होने की स्थिति में पार्टी या अभ्यर्थी से संबद्धता को उल्लेख करना चाहिए। समाचार प्रसारकों का यह कर्तव्य बनता है कि वे अपनी निर्वाचन संबंधित रिपोर्टिंग में सन्तुलन एवं निष्पक्षता बनाये रखें जब तक कि वे सार्वजनिक रूप से किसी विशेष दल या अभ्यर्थी का सहयोग एवं समर्थन नहीं करते हैं।
-न्यूज प्रसारकों को सभी प्रकार की अफवाहों, निराधार अटकलबाजियों तथा गलत सूचना देने से बचना चाहिए, विशेष रूप से जब यह किन्हीं विशेष दलों या अभ्यर्थियों के संबंध में हो।
-समाचार प्रसारकों को ऐसे सभी राजनैतिक तथा वित्तीय दबावों से बचना चाहिए जो कि निर्वाचनों की कवरेज तथा निर्वाचन संबंधी मामलों पर प्रभाव डालते हों।
-समाचार प्रसारकों को अपने समाचार चैनलों में प्रसारित सम्पादकीय तथा विशेषज्ञ राय के बीच स्पष्ट अंतर रखना चाहिए।
-निर्वाचन संबंधी मामलों से संबंध रखने वाले समाचारों तथा कार्यक्रमों की प्रत्येक विषय वस्तु के संबंध में यथार्थता (सच्चाई) सुनिश्चित करते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि गलती से या असावधानी से किसी गलत सूचना का प्रसारण हो जाता है, तो जैसे ही प्रसारक के संज्ञान में यह बात आती है, तो वह उसे उसी विशिष्टता से प्रसारण करेगा जैसे कि मूल प्रसारण के समय किया था।
-समाचार प्रसारकों, उनके संवाददाताओं और अधिकारियों को धन, किसी प्रकार का उपहार या ऐसा कोई समर्थन स्वीकार नहीं करना चाहिए, जो उन पर किसी प्रकार का प्रभाव डाले या प्रभाव डालता हुआ प्रतीत हो या प्रसारक अथवा उसके कार्मिक की विश्वसनीयता को क्षति पहुॅचाये।
ऽसाम्प्रदायिक या जाति के आधार पर प्रचार करना निर्वाचन विधि के अधीन निषेध है। सामाचार प्रसारकों को ऐसी रिपोर्टों से सख्ती पूर्वक परहेज करना चाहिए, जिससे धन, वंश, जाति, समुदाय, क्षेत्र या भाषा के आधार पर वैमनस्यता या घृणा की भावना को बढ़ावा मिले।
-समाचार प्रसारकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे ‘समाचारों‘ तथा ‘पेड सामाग्री‘ का अंतर बनाए रखने में सावधानी बरतें। सभी प्रकार की पेड सामग्री पर “पेड विज्ञापन“ या “पेड सामग्री“ स्पष्ट रूप से चिन्हित किया जाना चाहिए।
-ओपीनियन पोल को रिपोर्ट करते समय उसकी सटीकता और निष्पक्षता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। दर्शकों के लिए यह खुलासा किया जाना चाहिए कि ओपीनियन पोल के संचालन और उसके प्रसारण के लिए उन्हें किसने अधिकृत किया है, किसने उसका संचालन किया है और किसने उसके लिए भुगतान किया है। यदि किसी समाचार प्रसारक के पास ओपीनियन पोल अथवा अन्य निर्वाचन प्रेक्षणों का परिणाम है तो उसे संदर्भ, और ऐसे मतदानों के स्कोप और सीमाओं को भी, उनकी सीमाबद्धताओं के सहित, अवश्य स्पष्ट करना चाहिए। ओपीनियन पोल के प्रसारण के साथ ऐसी सूचना भी अवश्य दी जानी चाहिए, जिससे दर्शक मतदान का महत्व समझ सकें यथा प्रयुक्त पद्धति, सैंपल का आकार, त्रुटियों की गुंजाइश, फील्डवर्क, तारीखें तथा प्रयोग किए गए आंकड़े। प्रसारक को इस संबंध में भी सूचना देनी चाहिए कि वोट शेयर किस प्रकार सीट शेयर में बदल जाता है।
पेड न्यूज
-पेड न्यूज की पहचान करने का कोई सेट या निश्चित फार्मूला नहीं बनाया जा सकता। पेड न्यूज की पहचान तथ्यों और परिस्थितियों पर विवेकपूर्ण विचार करके किया जा सकता है। किसी एक प्रत्याशी के पक्ष में दिखने वाली खबर, साक्षात्कार आदि को मात्र इस कारण कि वह किसी प्रत्याशी के पक्ष में है, पेड न्यूज नहीं माना जा सकता। निर्वाचन के दौरान निर्वाचन आयोग के अनुदेशों के अन्तर्गत समाचार पत्र किसी प्रत्याशी अथवा दल की जीत के बारे में एक ईमानदारी भरा मूल्यांकन कर सकते हैं, और ऐसे प्रयास को पेड न्यूज नहीं मान सकते जब तक कि यह स्थापित न हो जाए कि ऐसी खबर छापने के लिए धन का आदान-प्रदान या पत्रकारिता के मानदण्डों से समझौता हुआ है।
-किसी अखबार की नीति के अन्तर्गत किसी पार्टी, विचार अथवा क्षेत्र के प्रत्याशी को समर्थन देने की बात हो सकती है और इसे पेड न्यूज नहीं माना जायेगा। किसी प्रत्याशी द्वारा किसी दिन विज्ञापन प्रकाशित करने मात्र से उसी दिन उस प्रत्याशी के पक्ष में समाचार भी आने को भी निर्णयक रूप से पेड न्यूज नहीं माना जा सकता। राज्य के निर्वाचन अधिकारियों को किसी समाचार को पेड न्यूज के रूप में अवधारित करने के पहले बहुत न्यायोचित समझ के साथ विचार करना होगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री,लखनऊ
दिनांकः 22 मार्च 2019
प्रिन्ट मीडिया

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