सण्डीला विधानसभा क्षेत्र पर पूरे जनपद की निगाहे गड़ी है। इस क्षेत्र मे 6 माह पहले ही चुनावी संग्राम पूरे जोर से चल रहा है, क्योकि यह विधानसभा क्षेत्र प्रदेश सरकार के कैबिनेट मन्त्री का है, और उनका मुकाबला भी दोबारा विधायक रह चुके सपा के कद्दावर नेता महावीर और काग्रेस की दिग्गज प्रत्याशी बेगम इशरत रसूल से दोबारा हो रहा है। मन्त्री जी की प्रतिष्ठा के साथ ही प्रदेश सरकार की प्रतिष्ठा का क्षेत्र बन गया है। कैबिनेट मन्त्री अब्दुल मन्नान वर्ष 1996 मे पहली बार सण्डीला विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि चुने गये थे। 2002 तथा 2007 के चुनाव में उन्हें सफलता प्राप्त हुई, लेकिन इस बार जितनी मेहनत उन्हें करनी पड़ रही है, सम्भवतः उतनी मेहनत पिछले चुनावो मे नही करनी पड़ी थी। इस समय पनघट की राह काॅटो से भरी है। मुसीबत इसलिये और परवान चढ़ गई क्योकि कुॅवर महावीर भाजपा छोड़कर सपा से जुड़ गये है, क्योकि 1991 तथा 1993 मे वह चुनाव जीत चुके है। इसके अलावा 1980 से 1990 तक वह भरावन ब्लाक प्रमुख रहें तो क्षेत्र मे उनका वर्चस्व भी है। ऐसे विजेताओ की सीटो का मुकाबला दिलचस्प एवं और कठिन बनाने की कोशिश करके काग्रेस प्रत्याशी बेगम इशरत रसूल जो पूर्व मे काग्रेस पार्टी का क्षेत्र सण्डीला विधानसभा क्षेत्र रहा है और इसी परिवार का क्षेत्र कहा जाता रहा है, सत्ता सघर्ष मे त्रिकोणीय अवस्था मे कहा जाने लगा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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