Archive | April, 2017

बुन्देलखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में पेय जल समस्या के समाधान की कार्य योजना को मंजूरी

Posted on 12 April 2017 by admin

मुख्यमंत्री ने बुन्देलखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में पेय जल की व्यवस्था के लिए ग्राम्य विकास राज्य मंत्री को कैम्प करके योजनाओं को त्वरित गति से पूरा कराने के निर्देश दिए

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज यहां लोक भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में बुन्देलखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में पेय जल समस्या के समाधान की कार्य योजना को क्रियान्वित करने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत बुन्देलखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रीष्म ऋतु में पेय जल समस्या के समाधान हेतु पी0एल0ए0 में रखी गई 47.36 करोड़ रुपए की धनराशि के सापेक्ष 47.03 करोड़ रुपए की कार्य योजना पर अमल किया जाएगा।

इसमें 31.80 करोड़ रुपए की लागत से बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 07 जनपदों में पहले से स्थापित 3,815 हैण्डपम्पों की रीबोरिंग तथा 8.75 करोड़ रुपए की लागत से 1,174 नये हैण्डपम्पों का अधिष्ठापन कराया जाएगा। इस प्रकार इन दोनों कार्यों हेतु कुल 40.55 करोड़ रुपए धनराशि की कार्य योजना प्रस्तुत की गई, जिसे मंत्रिपरिषद ने मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके अतिरिक्त बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 07 जनपदों में उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा संचालित पाइप पेय जल योजनाओं को पूरी क्षमता पर क्रियाशील करने हेतु आवश्यकतानुसार नये नलकूप के निर्माण, खराब नलकूपों की रीबोरिंग, पम्प एवं पाइप लाइन इत्यादि कार्यों की मरम्मत हेतु 6.48 करोड़ रुपए की कार्य योजना पर भी सहमति प्रदान कर दी गई है।

बुन्देलखण्ड विशेष पैकेज के अंतर्गत द्वितीय चरण में वर्ष 2013-14 में प्रस्तावित पाइप पेय जल योजनाओं की अवशेष परियोजनाओं को शीघ्र पूरा कराने का निर्णय भी लिया गया है। इनमें 20 योजनाएं जून, 2017 तक, 02 योजनाएं सितम्बर, 2017 तथा 01 योजना मार्च, 2018 तक पूरा कराने के लिए ग्राम्य विकास विभाग को निर्देशित किया गया है। इसी प्रकार राज्य ग्रामीण पेय जल योजना के तहत जनपद झांसी की 5.2202 करोड़ रुपए की लागत की स्वीकृत 02 ग्रामीण पाइप पेय जल योजनाओं की निविदा प्रक्रिया पूरा कर शीघ्र कार्य शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए 2.0881 करोड़ रुपए भी अवमुक्त कर दिए गए हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय ग्रामीण पेय जल कार्यक्रम के तहत बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सभी 07 जनपदों में निर्माणाधीन 28 ग्रामीण पाइप पेय जल योजनाओं में से 17 परियोजनाओं को इसी वित्तीय वर्ष में पूर्ण कराकर पेय जल आपूर्ति प्रारम्भ करने के लिए कहा गया है।

बाद में प्रेस वार्ता में मंत्रिपरिषद के फैसलों की जानकारी देते हुए मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह एवं श्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने बुन्देलखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में पेय जल की व्यवस्था के लिए ग्राम्य विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ0 महेन्द्र सिंह को आवश्यकतानुसार क्षेत्र में कैम्प करके योजनाओं को त्वरित गति से पूरा कराने के निर्देश दिए हैं। इसी प्रकार नगरीय क्षेत्रों में पेय जल की समस्या के समाधान के लिए नगर विकास मंत्री श्री सुरेश खन्ना के स्तर से त्वरित निर्णय लेने की अपेक्षा की गई है।

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ग्रामीण क्षेत्रों में 48 घण्टे में क्षतिग्रस्त विद्युत ट्रांसफाॅर्मर को बदलने की नई व्यवस्था का प्रस्ताव मंजूर

Posted on 12 April 2017 by admin

किसानों के निजी नलकूप के क्षतिग्रस्त ट्रांसफाॅर्मर को विभागीय वाहन से 48 घण्टे में बदला जाएगा

मंत्रिपरिषद ने ग्रामीण क्षेत्रों में 48 घण्टे में क्षतिग्रस्त विद्युत ट्रांसफाॅर्मर को बदलने की नई व्यवस्था को मंजूरी प्रदान कर दी है। नवीन व्यवस्था 01 मई, 2017 से लागू की जाएगी। इस निर्णय के तहत, किसानों का विद्युत देयक बकाया नहीं होने की दशा में, उनके निजी नलकूप के क्षतिग्रस्त ट्रांसफाॅर्मर को विभागीय वाहन से 48 घण्टे में बदलने की व्यवस्था की जाएगी। जबकि वर्तमान व्यवस्था के अनुसार किसान को निजी नलकूप का क्षतिग्रस्त ट्रांसफाॅर्मर स्वयं उतार कर वर्कशाॅप लाना पड़ता है।

नई व्यवस्था में विभागीय वाहन निविदा द्वारा वर्कशाॅप डिवीजन में ही अनुबन्धित किए जाएंगे तथा उनके नियंत्रण में रहेंगे। सभी वाहनों में जी0पी0एस0 माॅनीटरिंग सिस्टम उपलब्ध रहेगा। ट्रांसफाॅर्मर के क्षतिग्रस्त होने पर विभिन्न स्रोतों से सूचना प्राप्त होने पर वर्कशाॅप द्वारा जिस क्षमता का ट्रांसफाॅर्मर क्षतिग्रस्त हुआ है उसी क्षमता का ट्रांसफाॅर्मर वाहन द्वारा, ट्रांसफाॅर्मर क्षतिग्रस्त होने के स्थान पर भेजा जाएगा। सम्बन्धित लाइनमैन/संविदा कर्मचारी उस स्थान में सम्बन्धित फीडर का शट-डाउन लेकर उपलब्ध रहेगा। वाहन के साथ मौजूद टीम द्वारा स्थानीय स्तर पर सम्बन्धित लाइनमैन/संविदा कर्मचारी के समन्वय से पुराना क्षतिग्रस्त ट्रांसफाॅर्मर उतार लिया जाएगा तथा मरम्मतशुदा ट्रांसफाॅर्मर स्थापित कर दिया जाएगा।

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विकास प्राधिकरणों, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण एवं उ0प्र0 आवास एवं विकास परिषद का महालेखाकर द्वारा किया जाएगा आॅडिट

Posted on 12 April 2017 by admin

विकास प्राधिकरणों, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण एवं उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद  की महालेखाकर (आर्थिक एवं राजस्व सेक्टर आॅडिट) से सम्परीक्षा कराने के सम्बन्ध में शासन द्वारा अब तक की गई कार्यवाही से मंत्रिपरिषद को अवगत कराया गया है। कार्यवाही के तहत गाजियाबाद विकास प्राधिकरण सहित आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के अधीन गठित प्राधिकरणों, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण एवं उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद की आॅडिट कराने के सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है।

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बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत प्रदेश में 487 रु0 प्रति कुन्तल की

Posted on 12 April 2017 by admin

दर से किसानों का एक लाख मीट्रिक टन आलू खरीदने की व्यवस्था

प्रदेश के आलू उत्पादक किसानों की विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु पूर्व में गठित मंत्रियों की समिति की रिपोर्ट पर की गई कार्यवाही से मंत्रिपरिषद को अवगत कराया गया है। उपलब्ध करायी गई जानकारी के अनुसार बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत प्रदेश में 487 रुपए प्रति कुन्तल की दर से किसानों का एक लाख मीट्रिक टन आलू खरीदने के लिए शासन द्वारा भारत सरकार को प्रेषित प्रस्ताव की स्वीकृति 07 अप्रैल, 2017 को प्राप्त हुई। इसके क्रम में राज्य सरकार द्वारा क्रय एजेन्सियों-यू0पी0 एग्रो, पी0सी0एफ0, हाॅफेड तथा उ0प्र0 उपभोक्ता सहकारी संघ के माध्यम से किसानों का आलू क्रय करने का फैसला लिया गया है। किसानों से आलू क्रय करने में यदि नामित संस्थाओं को किसी प्रकार की हानि होती है तो उसे भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा 50ः50 के अनुपात में वहन किया जाएगा, जिसमें अनुमन्य ओवरहेड चार्जेज भी सम्मिलित है, किन्तु हानि क्रय लागत के 25 प्रतिशत की सीमा तक ही अनुमन्य होगी।

बाद में प्रेस वार्ता में मंत्रिपरिषद के फैसलों की जानकारी देते हुए मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह एवं श्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि इस वर्ष आलू की अच्छी पैदावार हुई है, लेकिन पिछली राज्य सरकार ने समय रहते आलू उत्पादक किसानों को लाभ उपलब्ध कराने के लिए कोई कार्ययोजना तैयार नहीं की, जिसके फलस्वरूप किसानों की कठिनाइयों को देखते हुए वर्तमान राज्य सरकार ने आलू खरीद का निर्णय लिया है। सभी जिलाधिकारियों से अपेक्षा की गई है कि वे किसानों की मांग के अनुसार तत्काल आलू क्रय केन्द्रों की स्थापना करते हुए किसानों को राहत पहुंचाने का काम करें।

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सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा, 2013 में सम्मिलित अभ्यर्थियों को अधिकतम आयु सीमा में छूट देते हुए वर्ष 2017 एवं 2018 की सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा में सम्मिलित होने हेतु 02 अतिरिक्त अवसर प्रदान किये जाने का निर्णय

Posted on 12 April 2017 by admin

मंत्रिपरिषद ने सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा, 2013 में सम्मिलित अभ्यर्थियों को अधिकतम आयु सीमा में छूट देते हुए वर्ष 2017 एवं 2018 की सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (प्रारम्भिक) परीक्षा में सम्मिलित होने हेतु 02 अतिरिक्त अवसर प्रदान किये जाने के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है।

ज्ञातव्य है कि शासन द्वारा निर्गत उत्तर प्रदेश सेवाओं में भर्ती (आयु सीमा) (दसवां संशोधन) नियमावली, 2012 के प्रख्यापन के फलस्वरूप राज्याधीन सेवाओं में अधिकतम आयु 35 वर्ष से बढ़ाकर 40 वर्ष कर दी गई। इसका लाभ वर्ष 2013 की परीक्षा में सम्मिलित अभ्यर्थियों को प्राप्त हुआ। वर्ष 2012 में जिन अभ्यर्थियों का अंतिम अवसर था, उन्हें आयु सीमा बढ़ाए जाने के कारण, वर्ष 2017 तक प्रारम्भिक परीक्षा में सम्मिलित होने का अवसर विद्यमान है। परन्तु वर्ष 2013 में आयु सीमा बढ़ने का लाभ उन अभ्यर्थियों को, जिनकी आयु 39 वर्ष या इससे अधिक थी, उनके लिए केवल एक अवसर वर्ष 2013 की परीक्षा सम्मिलित होने का विद्यमान रहा। इस सम्बन्ध में प्रतियोगी छात्रों/अभ्यर्थियांे द्वारा लगातार की जा रही मांग के दृष्टिगत मंत्रिपरिषद द्वारा यह निर्णय लिया गया। प्रेस वार्ता में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि मंत्रिपरिषद के इस फैसले से लगभग 40 हजार नौजवानों को लाभ होगा।

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बार्डर एरिया डेवलपमेंट कार्यक्रम के फण्डिंग पैटर्न में परिवर्तन का प्रस्ताव स्वीकृत

Posted on 12 April 2017 by admin

मंत्रिपरिषद ने बार्डर एरिया डेवलपमेंट कार्यक्रम के फण्डिंग पैटर्न में परिवर्तन सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। परिवर्तन के फलस्वरूप योजना की 60 प्रतिशत धनराशि भारत सरकार से प्राप्त होगी तथा 40 प्रतिशत धनराशि राज्य सरकार द्वारा वहन की जानी होगी। अर्थात विगत वर्षाें में प्राप्त केन्द्रीय सहायता के आधार पर औसतन 50 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष की केन्द्र सरकार से अनुमोदित कार्य योजना के सापेक्ष अब लगभग 33 करोड़ रुपए की धनराशि राज्य सरकार को वहन करनी होगी।

वित्तीय वर्ष 2016-17 से भारत सरकार से प्राप्त धनराशि के सापेक्ष 40 प्रतिशत राज्यांश के समायोजन के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 की कार्य योजना संरचना में इस धनराशि (वर्ष 2016-17 में वांछित राज्यांश की सीमा तक) को अतिरिक्त धनराशि के रूप में जोड़ते हुए कार्य योजना तैयार कर, आगामी वर्षाें में भी तदनुसार कार्यवाही की जाएगी।

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उ0प्र0 राज्य की सड़कों को 15 जून, 2017 तक गड्ढा मुक्त करने का निर्णय

Posted on 12 April 2017 by admin

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश राज्य की सड़कों को 15 जून, 2017 तक गड्ढा मुक्त करने का निर्णय लिया है। इस क्रम में लोक निर्माण विभाग के विभिन्न श्रेणी के 85,943 कि0मी0 मार्गों को 4,502 करोड़ रुपए की लागत से गड्ढा मुक्त करने की अनुमति प्रदान की गई है।

मार्च, 2017 में इस प्रयोजन हेतु 282 करोड़ रुपए की धनराशि निर्गत की जा चुकी है, जबकि शेष 4,220 करोड़ रुपए की धनराशि का प्रावधान वर्तमान वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में किया जाएगा। इसके अतिरिक्त 3100 कि0मी0 नेशनल हाइवे की मरम्मत का कार्य भी लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जाएगा। किन्तु इस पर आने वाले व्यय की धनराशि भारत सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी। इस सम्बन्ध में कार्य योजना बनाकर एन0एच0ए0आई0 को पे्रषित करते हुए अधिक से अधिक धनराशि प्राप्त करने का प्रयास किया जाएगा।

लोक निर्माण विभाग के अतिरिक्त पंचायती राज, मण्डी परिषद, गन्ना एवं ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अतिरिक्त स्थानीय नगर निकायों की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का कार्य सम्बन्धित विभागों द्वारा किया जाएगा। प्रेस वार्ता में ऊर्जा मंत्री श्री श्रीकान्त शर्मा ने बताया कि इसके साथ ही, यह भी निर्णय लिया गया है कि बरसात के दौरान एवं घरों से निकलने वाले पानी को सड़कों पर आने से रोकने के लिए सड़कों के किनारे डेªनेज सिस्टम पर भी ध्यान दिया जाएगा।

ज्ञातव्य है कि पूरे प्रदेश में सड़कों की लम्बाई लगभग 2,25,885 कि0मी0 है, जिनमें 7,147 कि0मी0 राज्य मार्ग, 7,637 कि0मी0 प्रमुख जिला मार्ग, 48,006 कि0मी0 अन्य जिला मार्ग तथा लगभग 1,63,035 कि0मी0 ग्रामीण मार्ग हैं।

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प्रदेश में इंसेफेलाइटिस एवं अन्य जल एवं विषाणु जनित

Posted on 12 April 2017 by admin

बीमारियों के रोकथान के लिए प्रभावी उपाय करने का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में इंसेफेलाइटिस एवं अन्य जल एवं विषाणु जनित बीमारियों के रोकथान के लिए प्रभावी उपाय करने का निर्णय लिया है, जिसके क्रम में प्रदेश के सभी मेडिकल काॅलेजों में 10 बेड जे0ई0/ए0ई0एस0 के मरीजों के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया गया है। इसी प्रकार प्रदेश के समस्त जिला चिकित्सालयों में 20 बेड की अतिरिक्त व्यवस्था करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी प्रदान कर दी गई है।

बाद में प्रेस वार्ता में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि इंसेफेलाइटिस से सर्वाधिक प्रभावित जनपदों के सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के चिकित्सकों को मस्तिष्क ज्वर से प्रभावित रोगियों के उपचार के लिए बाबा राघवदास मेडिकल काॅलेज, गोरखपुर में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि वेक्टर नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत फाॅगिंग एवं कीटनाशक छिड़काव तथा एण्टी लारवल स्प्रे का सतत् अनुश्रवण करने का निर्देश सभी जिलाधिकारियों एवं मुख्य चिकित्साधिकारियों को दिया गया है। मुख्यालय से भी छिड़काव के सम्बन्ध में फीडबैक प्राप्त करने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि लगभग दो सप्ताह पूर्व ही जनपद स्तरीय अधिकारियों को वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से इस रोग से निपटने के लिए की गई तैयारियों की समीक्षा करते हुए आवश्यक निर्देश दिए गए हैं।

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गन्ना मूल्य का समय से भुगतान सुनिश्चित कराने एवं बकाया

Posted on 12 April 2017 by admin

भुगतान न करने वाली चीनी मिलों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने गन्ना मूल्य का समय से भुगतान सुनिश्चित कराने एवं बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान न करने वाली चीनी मिलों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।

इस सम्बन्ध में मंत्रिपरिषद को अवगत कराया गया कि पेराई सत्र 2014-15 के लिए गन्ना किसानों का अवशेष देय 20,646.07 करोड़ रुपए के सापेक्ष 10 अप्रैल, 2017 तक 20,605.96 करोड़ (99.81 प्रतिशत) गन्ना मूल्य भुगतान किया जा चुका है। इसी प्रकार पेराई सत्र 2015-16 के लिए देय 18,003.21 करोड़ के सापेक्ष किसानों को अब तक 17,853.11 करोड़ (99.17 प्रतिशत) रुपए का भुगतान किया जा चुका है। पेराई सत्र 2016-17 की स्थिति की जानकारी देते हुए बताया गया कि 10 अप्रैल, 2017 तक (अध्यासी चीनी मिल को गन्ना आपूर्ति किए जाने की तिथि से 14 दिन पूर्व तक) कुल देय गन्ना मूल्य 22,630.67 करोड़ रुपए के सापेक्ष किसानों को 18,327.52 करोड़ (80.99 प्रतिशत) गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है। पेराई सत्र 2016-17 अभी चल रहा है, इसलिए इस पेराई सत्र के समाप्त हो जाने के उपरान्त गन्ना मूल्य की वास्तविक देयता निर्धारित की जाएगी।

बाद में प्रेस वार्ता में मंत्रिपरिषद के फैसलों की जानकारी देते हुए मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह एवं श्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारियों एवं गन्ना आयुक्त को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि किसी भी चीनी मिल द्वारा गन्ना किसानों के भुगतान के लिए निर्धारित समय सारणी का अनुपालन न करने की दशा में सख्त कार्रवाई की जाए।

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प्रदेश में बालू/मौरम की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए उ0प्र0 उपखनिज (परिहार) नियमावली, 1963 में संशोधन करने का निर्णय

Posted on 12 April 2017 by admin

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में बालू/मौरम की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए तात्कालिक निर्णय लेते हुए उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली, 1963 में संशोधन करने का निर्णय लिया है।

ज्ञातव्य है कि प्रदेश में नदी तल में उपलब्ध बालू/मौरम आदि के पट्टे पर खनन संक्रियाएं मा0 उच्च न्यायालय के आदेशों से स्थगित हैं। दिनांक 21 दिसम्बर, 2016 को मा0 उच्च न्यायालय ने यह भी व्यवस्था दी कि वर्तमान में लागू नियमावली किसी दूसरे प्रदेश से जारी परिवहन प्रपत्र के आधार पर प्रदेश में उपखनिजों के परिवहन से मान्य नहीं करते। इसके कारण अन्य प्रदेशों से आने वाले उपखनिजों की आपूर्ति भी रुकी है, जिसके क्रम में मंत्रिपरिषद ने आज यह निर्णय लिया है।

उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में गठित मंत्री समूह की संस्तुति के आधार पर उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली के नियम-70 में संशोधन करके अन्य प्रदेशों द्वारा जारी वैध परिवहन प्रपत्र को प्रदेश में उपखनिजों के परिवहन हेतु मान्य करने का फैसला लिया है। यह भी निर्णय लिया गया है कि इस नियम का उल्लंघन करने पर पूर्व निर्धारित 01 हजार रुपए दण्ड के स्थान पर 25 हजार रुपए का दण्ड रोपित किया जाएगा।

बाद में प्रेस वार्ता में मंत्रिपरिषद के फैसलों की जानकारी देते हुए मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह एवं श्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण करने तथा प्रदेश में पर्याप्त बालू एवं मौरंग इत्यादि उपलब्ध कराने के लिए मंत्री समूह का गठन किया था। मंत्री समूह ने तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए जो संस्तुति की है। इसके आधार पर व्यवस्था की गई है कि जिलाधिकारियों के माध्यम से मात्र 06 माह के लिए ई-निविदा के माध्यम से 10 एकड़ तक के पट्टे दिए जाएंगे। इस व्यवस्था के प्रभावी होने से पहले अन्य प्रदेशों द्वारा जारी वैध परिवहन प्रपत्र को मानने का निर्णय लिया गया है, जिससे तात्कालिक बालू/मौरम की कमी को दूर किया जा सके। आगे मंत्री समूह के निर्णय के आधार पर दीर्घावधि नीति बनाने का निर्णय लिया जाएगा।

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