मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में बालू/मौरम की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए तात्कालिक निर्णय लेते हुए उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली, 1963 में संशोधन करने का निर्णय लिया है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में नदी तल में उपलब्ध बालू/मौरम आदि के पट्टे पर खनन संक्रियाएं मा0 उच्च न्यायालय के आदेशों से स्थगित हैं। दिनांक 21 दिसम्बर, 2016 को मा0 उच्च न्यायालय ने यह भी व्यवस्था दी कि वर्तमान में लागू नियमावली किसी दूसरे प्रदेश से जारी परिवहन प्रपत्र के आधार पर प्रदेश में उपखनिजों के परिवहन से मान्य नहीं करते। इसके कारण अन्य प्रदेशों से आने वाले उपखनिजों की आपूर्ति भी रुकी है, जिसके क्रम में मंत्रिपरिषद ने आज यह निर्णय लिया है।
उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में गठित मंत्री समूह की संस्तुति के आधार पर उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली के नियम-70 में संशोधन करके अन्य प्रदेशों द्वारा जारी वैध परिवहन प्रपत्र को प्रदेश में उपखनिजों के परिवहन हेतु मान्य करने का फैसला लिया है। यह भी निर्णय लिया गया है कि इस नियम का उल्लंघन करने पर पूर्व निर्धारित 01 हजार रुपए दण्ड के स्थान पर 25 हजार रुपए का दण्ड रोपित किया जाएगा।
बाद में प्रेस वार्ता में मंत्रिपरिषद के फैसलों की जानकारी देते हुए मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह एवं श्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण करने तथा प्रदेश में पर्याप्त बालू एवं मौरंग इत्यादि उपलब्ध कराने के लिए मंत्री समूह का गठन किया था। मंत्री समूह ने तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए जो संस्तुति की है। इसके आधार पर व्यवस्था की गई है कि जिलाधिकारियों के माध्यम से मात्र 06 माह के लिए ई-निविदा के माध्यम से 10 एकड़ तक के पट्टे दिए जाएंगे। इस व्यवस्था के प्रभावी होने से पहले अन्य प्रदेशों द्वारा जारी वैध परिवहन प्रपत्र को मानने का निर्णय लिया गया है, जिससे तात्कालिक बालू/मौरम की कमी को दूर किया जा सके। आगे मंत्री समूह के निर्णय के आधार पर दीर्घावधि नीति बनाने का निर्णय लिया जाएगा।