Archive | February 2nd, 2013

ग्रामीणो को सबसे ज्यादा मशक्कत खरीद दारी करने में उठानी पडती है

Posted on 02 February 2013 by admin

ग्रामीण अंचलो में शहरी नागरिको की उपेक्षा ग्रामीणो को सबसे ज्यादा मशक्कत खरीद दारी करने में उठानी पडती है । ग्रामीण क्षेत्रो मे अपेक्षा कृत अच्छे व ब्रान्डेड सामानो की दुकाने कम ही दिखायी पडती है देखा जाय तो हकीकत तो सामने मुंहवाये खडी है । ग्रामीण अंचल मे रहने वाला व्यक्ति जिसकी कोई मोटी कमाई नही है ज्यादातर खेतिहर मजदूर है जिसे छोटी ग्रामीण बाजारो मे समय निकालकर सामान खरीदने के लिए आता है ।
खेतिहर मजदूर भी यदि कडुवा तेल, नमकीन,बिस्कुट, डालटा, मसाला, साबुन व पैकेट नुमा सामानो को खरीदना चाहता है कम रुपये मे अच्छे सामान की इच्छा जरुर करता है परन्तु उसकी मजबूरी है कि जेब के सौ रुपये मे ज्यादा सामान परिवार मे पहुंच जाय जिससे पूरे परिवार को एक समय का भोजन व नास्ता सभी सदस्यो को मिल जाय । महगांई की इस दौर मे एक लम्बा परिवार जिसमें लगभग १०-१२ सदस्य मौजूद हो तो एक समय के भोजन के लिए उपयुक्त सामग्री घर मे लाने के लिए कम से कम १२० से १३० रुपये तक की जरुरत पडती है । ग्रामीण अंचल का व्यक्ति मजदूरी दिन भर १५० रुपया कमा कर १० रुपये के परिवार को किसी तरह से सस्ती सामग्री खरीदकर पूरे परिवार को दो टाइम का भोजन कर पाता है । ऐसी हालातो मे छोटे शहरो के ग्रामीण अंचलो पर मंहगाई का भार और बढ़ जाता है ।
कुछ लेखक व अर्थशास्त्री जो शहरी क्षेत्र व नगरी क्षेत्र दिल्ली जैसे इलाको मे बैठ कर ग्रमीणो मे रहने वाले वासिन्दो के बारे मे अनायास बिना किसी सच्चाई के टिप्पणी कर बैठते है । जबकि उन्होने ग्रामीण क्षेत्रो मे रहने वाले व्यक्तियों को कभी करीब से जाकर नही देखा ।
कुछ अर्थशास्त्री व मार्केट मे सकल घरेलू उत्पादो की बिव्रहृी पर भी बेवजह तर्क सामने लाते है । ग्रामीण अंचलो मे रहकर सरकार से वेतन पाने वाला व्यक्ति भी मंहगे ब्राड के सामनो को खरीदने से कन्नी काट जाता है । क्योकि ग्रामीण अचल के कमाउहृ सपूत दूरदर्शन पर नये नये एडवरटाइज को देखते है । परन्तु उनकी समझ से वह बहुत दूर है । उन उत्पादो एवं महंगे व अच्छे ब्रांडो के बारे मे उन्हे बताया नही जाता है जिससे ग्रामीण पूर्णतरूअनभिज्ञ होते है । ऐसे हालातो मे ८० फीसदी ग्रामीण व्यक्ति अच्छे उत्पाद नही हो पाते यदि कभी अच्छे उत्पाद खरीद भी लिया तो तितलौकी नीम चढी के ही हालात सामने आते है । यह जरुर है कि ग्रामीण अंचल का नागरिक मिलावटी खाद्य पदार्थो का सेवन नही करता है बल्कि क्षेत्र में तैयार उत्पादो पर ज्यादा विश्वास करता है ।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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