Posted on 15 January 2010 by admin
लखनऊ- उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने शुक्रवार को अपना 54वां जन्मदिन गरीबों के नाम समर्पित कर दिया। इस मौके पर उन्होने करीब 7,312 करोड़ रुपये की जनकल्याणकारी योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया।
लखनऊ में अपने सरकारी आवास पर मायावती ने संवाददाताओं से कहा, “बीते वर्षो की तरह इस साल भी मेरे जन्मदिन पर प्रदेशवासियों को बसपा सरकार की तरफ से कल्याणकारी योजनाओं का तोहफा दिया गया है। राज्य में एक नई पेंशन योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत राज्यभर के करीब 30 लाख गरीबों को 300 रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जाएगी। “
मुख्यमंत्री ने कहा, “आज कुल 7,312 करोड़ रुपये की 264 जनकल्याणकारी योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया है। इन योजनाओं के क्रियान्वयन से प्रदेश के गरीबों और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के जीवन स्तर का उत्थान होगा। साथ ही प्रदेश विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा।“
इस मौके पर मायावती ने केंद्र में सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को उत्तर प्रदेश को 80,000 करोड़ रुपये का विशेष आर्थिक पैकेज न देने के लिए एक बार फिर कोसा और कहा, ” राज्य के विकास के लिए मैंने प्रधानमंत्री जी को कई बार पत्र लिखकर विशेष आर्थिक पैकेज की मांग की लेकिन आज तक एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिली।“
मायावती ने कहा, “हमारी सरकार ने अपने सीमित संसाधनों से सरकारी खर्चो में कटौती करके गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं प्रारंभ की हैं। “
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Vikas Sharma
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Posted on 15 January 2010 by admin
लखनऊ-समाजवादी पार्टी के राज्य संसदीय बोर्ड की बैठक आज पार्टी के राज्य मुख्यालय 19, विक्रमादित्य मार्ग, लखनऊ में प्रदेश अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में हुई। बैठक में नेता विरोधी दल श्री शिवपाल सिंह यादव, विधान परिशद में नेता प्रतिपक्ष श्री अहमद हसन, श्री भगवती सिंह(सांसद), श्री माता प्रसाद पाण्डेय (पूर्व विधान सभा अध्यक्ष) श्री बलराम सिंह यादव एवं श्री अवधेश प्रसाद (पूर्व मंत्री) की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
बैठक में मुख्यमंत्री मायावती के जन्मदिन पर “जनकल्याण दिवस´´ के रूप में मनाए जाने को प्रदेश की मंहगाई, शीत लहर तथा जर्जर कानून व्यवस्था से पीड़ित प्रदेश की जनता का उपहास बताया गया। मुख्यमंत्री मायावती के बसपा विधायक बलात्कार, हत्या और दूसरे अपराधिक कृत्यों को अंजाम देकर उनके जन्मदिन का जश्न मना रहे हैं।
बैठक में 19 जनवरी, को समाजवादी पार्टी द्वारा होने वाले जनआन्दोलन की तैयारी तथा विधान परिशद चुनाव में सत्तारूढ दल द्वारा बरती गई धांधली की निन्दा की गई। बैठक में कहा गया कि अधिकारियों ने सत्तारूढ़ दल का साथ दिया। साक्षरों के साथ भी जबरन सहयोगी लगाकर बसपा के पक्ष में मतदान कराया गया। सपा के मतदाताओं का हर तरह से उत्पीड़न किया गया। लोकतन्त्र की हत्या कर सरकार ने विधान परिशद का यह चुनाव जीता है।
बैठक में कहा गया कि सैकड़ों लोग ठंड से मर रहे हैं। न कहीं अलाव जल रहे हैं, न रैन बसेरा चल रहे हैं। गरीबों को घटिया कंबल बॉटे जा रहे हैं यह सरकार पूरी तरह संवेदन शून्य है। किसान लुट रहा हैं उसे बिजली, पानी, खाद, बीज, की किल्लत है। सगे बीमारी और भुखमरी से विभिन्न क्षेत्र कराह रहे हैं। मंहगाई ने जिन्दगी दुश्वार कर दी है। मुख्यमंत्री का इधर ध्यान नहीं वे अपनी महिमा मंडन में लगी है। उनका जन्मदिन जश्न गरीबों के जख्मों पर नमक छिड़कना है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 14 January 2010 by admin
लखनऊ-प्रदेश के उच्चसदन में बहुमत का नया इतिहास रचने वाली उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने अवध नगरी लखनउ को एक नया वास्तुशिल्प देकर लखनऊ को करोड़ों-करोड़ों बहुजन परिवारों का तीर्थ स्थल बना दिया। इस इतिहासिक कार्य के लिये अन्जाम देने का जो साहस दिखाया है उसे इतिहास सदियो तक याद रखेगा।
माया की जब भी चर्चा होगी तो इतिहास में सुनेहरों अक्षरों मे यह इबारत लिखी जायेगी। वह किसी परीकथा की जादुई छड़ी घुमाने वाली नायिका तो नहीं पर उससे भी ज्यादा करिश्माई है…वह किसी पौराणिक कथा की अलौकिक शक्तियों वाली देवी तो नहीं, पर उससे ज्यादा चमात्कारिक है….वह मायावी भी नहीं हाँ माया जरूर है, पर ईश्वर की माया नहीं….वह जीती जागती हाड़मांस की माया है, वह भारतीय राजनीति की माया है, विकृत समाज की माया है…बहुजन समाज को धोका देने वाले विधायको को सुप्रीम कोर्ट तक जाकर दंड दिलाने वाली माया है, विपक्षी की नजरों में दौलत की माया है तो अपनो के बीच दलितो ही नहीं सबकी माया है….वह मायावती है जिन्होने उत्तर प्रदेश के राजनैतिक रंगमंच पर दो दशक से बिसरा दिये गये ब्राह्यमणों को राजनैतिक तुला पर सबसे शक्तिशाली और परिणाम मुखी ताकत के रूप में पुर्नस्थापित कराकर सभी राजनैतिक दलों को अचंभित कर दिया है। सियासी दंगल की घोषणा के पूर्व उ0प्र0 चुनावी दंगल में ताल ठोकते हुऐ 120 से अधिक ब्राह्यमणों को प्रत्याशी बनाने की घोषणा करके चुनावी अंकगणित का गुणनफल बदल दिया है उ0प्र0 की राजनीति में माया का जादू मतदाता से लेकर नेताओं पर जमकर बोल रहा है।
यह सब करिश्मा कर देने वाली मायावती ने अपने जीवन की 51 वर्षगांठ के अवसर पर कहा कि देश में सम्पूर्ण बहुजन समाज ही मेरा परिवार है और इस समाज को मान-सम्मान व स्वाभिमान की जिन्दगी बसर करने तथा इन्हे अपने पैरों पर खड़ा करने हेतु मैंने अपना तमाम जीवन समर्पित किया है तथा जिसके लिऐ अनेक प्रकार की दुख: तकलीफे भी उठाई है जो अवश्य ही आने वाली पीढ़ियों के लिऐ प्रेरणा श्र्रोत का काम करेगी इसी प्रेरणा के लिए उन्होंने 2 जून 2005 को अपने जीते जी अपनी ही प्रतिमा का अनावरण किया तो 9 जून को प्रदेश की राजधानी में ब्राह्यमण महारैली का सफल आयोजन कराके सतीश चन्द्र मिश्र को सारथी बनाने के साथ अगडी जाति के वैश्य सुधीर गोयल के कंधो पर सर्वणो के धुब्रीकरण का ताना-बाना बुना कि उ.प्र. की पूर्व मुख्यमंत्री कु मायावती के चौथी बार मुख्यमंत्री बनाने के लिए प्रदेश भर में यह सी हवा चलने लगी जिसके कारण राजनीति के बड़े-बड़े धुंरधर खिलाड़ीयों को दिन में तारे-नजर आने लगे है दलित-ब्राह्यमण-मुस्लिम तिकड़ी के वल पर समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के साढ़े तीन वर्ष के शासन को तहस नहस करने की उद्घोषण जनता के द्वारा कराने में कामयाबी पर चुकी है। हजारों साल से जारी शोषण और दमन के प्रति मूक विद्रोह को प्रचंड सार्थक अभिव्यक्ति देते हुये इस अद्भूत नायिका ने दलित स्वाभिमान को जिस अंदाज में भारतीय लोकतंत्र की अनिवार्यता बनाया है, उसके लिये वह इससे ज्यादा प्रशंसा की हकदार हो सकती है कम रत्ती भी नहीं।
मई 2002 को जब मायावती लखनऊ के ऐतिहासिक लामार्टिनियर ग्राउन्ड पर तीसरीबार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रही थी तो सत्ता के सारे दिग्गज हाहाकार कर रहे थे। उस रोज कोई नहीं कह रहा था कि मायावती का मुख्यमंत्री होना कोई चमत्कार है। ध्यान रहे, इससे पहले जब वह 1995 में मुख्यमंत्री बनी तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्ह राव ने फिर दूसरी दफा 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने उनकी ताजपोशी को भारतीय लोकतंत्र का चमत्कार करार दिया था। सच भी है, करिश्मा एक या दो बार हो सकता है तीसरी बार नहीं। इन दो प्रधानमंत्रीयों ने `चमत्कार´ शब्द को इस्तेमाल बेशक इसी आशा के साथ किया होगा कि अब यह बासपा कभी इस स्थिति में नहीं होगी कि सूबे की सबसे ऊँची कुर्सी पर जा बैठे। एक बार समाजवादी पार्टी के साथ और दूसरी बार कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली बसपा अपनी ताकत इतनी बड़ा होगी कि अकेले दम पर वह प्रदेश की दूसरी नम्बर की पार्टी के रूप में उभर सकती है, वह भी भारतीय जनता पार्टी को हाशिऐ पर धकेल कर। अतीत की बात करे तो 6 वर्ष पूर्व फरवरी में विधानसभा चुनाव होने के पूर्व जो चुनावी सर्वेक्षण हुये उन सब में बसपा को सत्ता से काफी दूर और भाजपा, सपा के मुकाबले बहुत पीछे दर्शाया गया था लेकिन मायवती के जादुई व्यक्तित्व और बदली हुई ठोस रणनीति के चलते नीले झण्डे वाली पार्टी ने 99 सीटें हासिल कर सत्ता की कुंजी अपने पास कैद कर ली थी सो भाजपा के ही मैन अटल बिहारी बाजपेयी को इसमें चमत्कार न दिखना स्वाभाविक था। श्री बाजपेयी ने इस साक्षात हकीकत को समझा और भाजपा को और दुर्गति से बचाने के लिये उन्होनें मायवती के बड़े हुऐ कद को उचित सम्मान दिया।
राजनाथ सिंह और कलराज मिश्र जैसे धुंरघरों के विरोध को नजरअंदाज कर अदम्य इच्छाशक्ति की स्वामिनी मायावती की तीसरी ताजपोशी का पथ प्रशस्त किया । इस पथ का निर्माण चमत्कार या भाग्य की बदौलत से नहीं हुआ इसका श्रेय जाता है मायावती के दलित मिशन को कुछ भारतीय समाज की विसंगतियों-विकृतियों को। कहना अतिश्योक्ति न होगा कि इन सारी स्थितियों ने एक साथ मिलकर मायावती के रूप में ऐसी विलक्षण नायिका गढ़ी है जो एक जातिविहीन समाज की अकेली रचनाकार हो सकती है।
मायावती को विलक्षण या अद्भुत कहने के पीछे ठोस तार्किक कारण है। इन्हें समझने के लिऐ उन सारी स्थितियों का विश्लेषण करना होगा जिनके बीच से गुजर कर उन्होंने तीन बार प्रदेश की बागडोर संभालने की अविश्वनीय कामयावी हासिल की है। यहां एक बार स्पष्ट कर देना जरूरी है कि यह विश्लेषण किसी मुख्यमंत्री बन चुकी महिला के लिए नहीं है बल्कि सामाजिक परिवर्तन का दुरूह जंग लड़ रही मिशनरी मायावती को है। मात्र 21 वर्ष के राजनीतिक कैरियर में तीन बार मुख्यमंत्री होने को मायावती की व्यक्तिगत और मिशनरी दोनों उपलब्धियों के रूप में देखा जाना चाहिए। व्यक्तिगत उपलब्धि इस लिहाज से कि पूरी राजनीतिक यात्रा में उनके गुणों, स्वभाव और क्षमता का योगदान अहम है। यदि वह बेबाक और बिना लाग-लपेट के तीखा बोलने वाली न होती, यदि वह अपने अंदर के विद्रोह को दबा लेती, यदि निडर न होती, यदि वह जान को जोखिम मोल लेने वाली न होती और यदि वह दमन-शोषण झेलने की अभ्यस्त हो चुकी दलित कौम को झिझोड़कर जगाने की नैसगिZक कला में दक्ष न होतीं तो बेशक न वह आज की तारीख में देश को परिवर्तन की राह दिखाने वाली चौथी बार उ0प्र0 की मुख्यमंत्री बनने की दावेदार नहीं होतीं ओर न कभी पहले हुई होती। हो सकता है वह कहीं कलेक्टर, शिक्षिका या सुविधा सम्पन्न गृहस्थी की मालिक होती लेकिन दलितों की आस्था का केन्द्र कतई न होती। इसलिये इस उपलब्धि को व्यक्तिगत कहना अनुचित नहीं होगा। मिशन की कामयाबी तो शत-प्रतिशत हैं। प्रदेश का दलित जागा है, उसमे राजनितिक चेतना का उदय हुआ है। वह एक झण्डे के नीचे लामबंद हुआ है और `बहिन जी´ में अपनी राजनीतिक-सामाजिक आर्थिक मुक्ति तलाश रहा है।
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Posted on 14 January 2010 by admin
लखनऊ - प्रदेश में मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना के अंतर्गत माह दिसम्बर तक 6500 बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लक्ष्य के सापेक्ष 4418 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है।
संस्थागत वित्त विभाग से प्राप्त सूचना के अनुसार इस दौरान बैंकों ने 115.03 करोड़ रूपये के ऋण स्वीकृत किए हैं, जिसके सापेक्ष 98.59 करोड़ रूपये ऋण के रूप में वितरित किए हैं।
उल्लेखनीय है कि इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती बेरोजगारी का समाधान करने, ग्रामीण शिक्षितों के शहर की ओर पलायन को हतोत्साहित करने तथा अधिक से अधिक रोजगार के अवसर गॉंव में ही उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के व्यक्तिगत उद्यमियों को 5.00 लाख रूपये तक की वित्तीय सहायता बैंकों के माध्यम से 4 प्रतिशत से 10 प्रतिशत ब्याज की दर से उपलब्ध करायी जाती है।
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Posted on 13 January 2010 by admin
लखनऊ- देवरिया सीट से चुनाव जीते संजीव द्विवेदी अब उच्च सदन के ‘माननीय‘ सदस्य हो गए हैं। उधर उन्हें जीत का प्रमाण मिला और इधर सरकार को उनकी सुरक्षा की फिक्र हो गई। यह वही ‘माननीय‘ संजीव द्विवेदी हैं, जिनके खिलाफ लखनऊ में ही गैंगस्टर एक्ट के तहत दो मुकदमें चल रहे हैं। आर्म्स एक्ट का भी उनके खिलाफ एक मुकदमा विचाराधीन है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 147, 148, 149, 447 के तहत भी वह आरोपी है। यह उनका मुकम्मल परिचय नहीं है। हत्या के प्रयास, लूट और गैंगस्टर एक्ट के पांच मुकदमों में सबूतों के अभाव में उन्हें ‘बाइज्जत‘ बरी भी किया जा चुका है।
‘माननीय’ सूरज भान इलाहाबाद सीट से विधान परिषद का चुनाव जीते हैं। सदन की गैलरी से जब गुजरेंगे उन्हें सैल्यूट मिलेंगे। प्रोटोकाल के तहत उन्हें डीएम और एसपी सलाम बजाएंगे लेकिन इलाहाबाद की कोर्ट में पेशी की तारीखों पर उनकी पुकार कत्ल के मुल्जिम के रूप में ही होगी। उनके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, जान से मारने की धमकी, क्रिमनल एक्ट एससीएसटी एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमें चल रहे हैं।
बदायूं से चुनाव जीतने वाले जितेंद्र यादव भी क्रिमनल एक्ट के तहत आरोपी हैं लेकिन अब उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी यूपी पुलिस की हो गई है। उनके खिलाफ गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में दो मुकदमें चल रहे हैं। सरकारी कामकाज में बाधा, गाली-गलौज, जान से मारने की धमकी देना जैसे आरोपों में भारतीय दण्ड संहिता की धारा 147, 353, 332, 504, 506 के तहत उन पर मुकदमें हैं। खैर अब वह भी ‘माननीय‘ सदस्य हो गए हैं। बलिया से चुनाव जीतने वाले रवि शंकर पप्पू के खिलाफ तो हत्या, लूट, साजिश रचने, जान से मारने की धमकी देने के आरोप में भारतीय दण्ड संहिता की धाराओं के साथ क्रिमनल एक्ट के तहत भी चार मुकदमें चल रहे हैं। लखनऊ से चुनाव जीतने वाले अरविंद त्रिपाठी राज्यसभा सदस्य बृजेश पाठक के साले हैं। सरकारी रिकार्डो में अब तक जब भी अरविंद त्रिपाठी का परिचय दर्ज होता था तो लिखा जाता था कि वह जमीन पर कब्जा करने, घर में घुसकर मारपीट करने, बलवा के आरोपी हैं। क्रिमनल एक्ट भी उनके खिलाफ लगा हुआ है लेकिन अब विधान परिषद के माननीय सदस्य हो गए हैं। अब वह सरकारी सुरक्षा में चलेंगे। आजमगढ़ से चुनाव जीतने वाले कैलाश अभी तक महाराष्ट्र में मुकदमा लड़ने के लिए जाते थे, तो एक साधारण नागरिक की हैसियत से जाते थे। उनके खिलाफ वहां आर्म्स एक्ट के साथ-साथ फर्जी अभिलेख तैयार करने, उसका इस्तेमाल करने जैसे संगीन अपराध में एक मुकदमा चल रहा है लेकिन अब अब जब वह अगली पेशी के लिए जाएंगे, वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के माननीय सदस्य के रूप में जाने जाएंगे। उनके साथ यूपी पुलिस भी होगी, जो उनकी सुरक्षा में तैयार होगी। मिर्जापुर-सोनभद्र से चुनाव जीतने वाले श्याम नारायन भी अब माननीय सदस्य हो गए हैं। उनके खिलाफ वाराणसी में आर्म्स एक्ट के तहत एक मुकदमा चल रहा है। प्रतापगढ़ से चुनाव जीतने वाले अक्षय प्रताप सिंह हत्या के प्रयास, बलवा, धोखाधड़ी, फर्जी अभिलेख तैयार करने, उनका इस्तेमाल करने जैसे संगीन अपराधों के मुल्जिम हैं। उनके खिलाफ तीन मुकदमें चल रहे हैं। एक मुकदमा आर्म्स एक्ट का भी है। वैसे पूर्व में भी वह विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। पिछली लोकसभा में वह प्रतापगढ़ के सांसद भी थे। झांसी-जालौन-ललितपुर से चुनाव जीते डा. संतराम, इनकी सिर पर किसी की जान लेने का आरोप है, यह बात और है उन पर यह आरोप गैर इरादतन है। भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 ए के तहत उनके खिलाफ मुकदमा चल रहा है। उरई में वह एक स्टील कम्पनी में निदेशक थे और दो मजदूरों की मौत जलकर हो गई थी। खैर डां संतराम अब विधान परिषद के सदस्य हो गए हैं। सोनिया गांधी के निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली से कांग्रेस के ही टिकट पर चुनाव जीतने वाले दिनेश प्रताप सिंह के खिलाफ भी तीन मुकदमें चल रहे हैं। रामपुर-बरेली से चुनाव जीते केसर सिंह के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 353 और 188 के तहत मुकदमा चल रहा है।
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