सूचना के अधिकार से भ्रष्टाचार और लालफीताशाही पर अंकुश लगेगा - राज्यपाल
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज राजभवन के गांधी सभागार में ‘उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के बढ़ते कदम’ नामक पुस्तिका का विमोचन किया। समारोह में उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त श्री जावेद उस्मानी, राज्य सूचना आयुक्त श्री अरविन्द सिंह बिष्ट, श्री विजय शंकर शर्मा, श्री पारसनाथ गुप्ता, श्री स्वदेश कुमार, श्री सैय्यद हैदर अब्बास रिज़वी, श्री हाफिज उस्मान, श्री राजकेश्वर सिंह, श्री गजेन्द्र यादव तथा उत्तर प्रदेश शासन के वरिष्ठ अधिकारीगण, विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष श्री देश दीपक वर्मा, उत्तर प्रदेश नगर पालिका वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री राकेश गर्ग, राजस्व परिषद के अध्यक्ष श्री प्रवीर कुमार, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। पुस्तिका का प्रकाशन उत्तर प्रदेश सूचना आयोग द्वारा किया गया है। पुस्तिका में उत्तर प्रदेश सूचना आयोग द्वारा गत दो वर्षो में प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने हेतु उठाये गये महत्वपूर्ण कदमों का विवरण दिया गया है।
राज्यपाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के महत्व पर प्रकाश डालते हुये कहा कि सही अर्थोें में सूचना का अधिकार कानून एक क्रांतिकारी कदम है जिससे भ्रष्टाचार और लालफीताशाही पर अंकुश लगाया जा सकता है। सूचना के अधिकार के अंतर्गत प्राप्त सूचनाओं का उपयोग समाज के हित में होना चाहिये। सूचना के अधिकार का उपयोग दूसरों को परेशान करने की दृष्टि से किया जाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि सूचना आयोग अपने कार्य में दक्षता लाने के लिये विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करें।
श्री नाईक ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम का उद्देश्य शासन एवं प्रशासन तंत्र की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता को बढ़ाना, अधिकारियों की जवाबदेही तय करना तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि प्रदेश में सुशासन की स्थापना में सूचना का अधिकार अधिनियम का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम को जितने बेहतर तरीके से लागू किया जायेगा, प्रदेश में शासन व प्रशासन की कार्यप्रणाली में उतना अधिक सुधार आयेगा।
राज्यपाल ने कहा कि किसी भी अधिनियम के क्रियान्वयन में नियमों की विशेष व्यवस्था होती है। नियम के बिना अधिनियम केवल लाईब्रेरी की शोभा हो सकते हैं। प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 को प्रभावी तरीके से लागू करने की दिशा में उत्तर प्रदेश सूचना आयोग द्वारा गत दो वर्षो में उठाये गये कदमों एवं उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली, 2015 के प्रख्यापन की सराहना भी की। उन्होेंने यह अपेक्षा व्यक्त की कि उत्तर प्रदेश सूचना आयोग, प्रदेश सरकार के साथ पूर्ण समन्वय स्थापित करते हुए, आने वाले वर्षो में प्रदेश में इस अधिनियम को और भी प्रभावी तरीके से लागू करवायेगा।
श्री नाईक ने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की कि पारदर्शिता और जवाबदेही की दृष्टि से आयोग द्वारा अपने दो वर्षों का कार्यवृत्त प्रकाशित किया गया है। राज्यपाल ने बताया कि जवाबदेही और पारदर्शिता की दृष्टि से वे गत 38 वर्षों से जनता को अपना कार्यवृत्त प्रस्तुत करते आ रहे हैं। वे तीन बार विधायक तथा पांच बार सांसद रहे हैं। विधायक रहते हुये ‘विधान सभा में राम नाईक‘, सांसद रहते हुये ‘लोकसभा में राम नाईक’ एवं सांसद न रहने पर ‘लोकसेवा में राम नाईक’ तथा राज्यपाल बनने के बाद गत 2 वर्षों से ‘राजभवन में राम नाईक’ नाम से अपना कार्यवृत्त प्रस्तुत करते आ रहे हैं।
मुख्य सूचना आयुक्त श्री जावेद उस्मानी ने देश में सुशासन की स्थापना के परिप्रेक्ष्य में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गत दो वर्षो में आयोग द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं, जिनके माध्यम से प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके। उन्होंने बताया कि जहाँ वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में लगभग 64,000 नयी अपीलें आयोग में दायर की गयी, वहीं इन दो वर्षो में आयोग द्वारा लगभग 72,000 अपीलों का निस्तारण किया गया। इस कारणवश आयोग में लम्बित अपीलों की संख्या गत दो वर्षो में लगभग 55,000 से घटकर 47,000 के स्तर पर आ गयी।
मुख्य सूचना आयुक्त ने यह भी बताया कि आयोग की पहल पर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा दिसम्बर, 2015 में उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली, 2015 अनुमोदित एवं प्रख्यापित की गयी। इस नियमावली के लागू होने के उपरान्त प्रदेश में अधिनियम का क्रियान्वयन एकरुपता के साथ एवं सुव्यवस्थित तरीके से सम्भव हो सका है। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 एवं उत्तर प्रदेश सूचना का अधिकार नियमावली, 2015 के विभिन्न प्राविधानों के बारे में प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में कार्यरत लगभग 18,000 जन सूचना अधिकारियों के प्रशिक्षण का एक वृहद्व कार्यक्रम जनवरी, 2016 से प्रारम्भ किया गया। इस कार्यक्रम के तहत लखनऊ मुख्यालय पर शासन एवं विभिन्न निदेशालयों में कार्यरत जन सूचना अधिकारियों के प्रशिक्षण के उपरान्त, प्रदेश के सभी 18 मण्डलों के मुख्यालयों पर प्रशिक्षण आयोजित किये गये, जिनमें प्रत्येक मण्डल के सभी जनपदों में कार्यरत जन सूचना अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण की आवश्यकता को देखते हुये, यह प्रशिक्षण कार्यक्रम सतत रुप से जारी रहेगा।
मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा बताया गया कि सूचना आयोग की आंतरिक कार्यप्रणाली में सुधार लाने हेतु अनेक प्रभावी कदम उठाये गये हैं। आयोग में निबन्धन कार्यालय, अभिलेखागार तथा प्रतिलिपि अनुभाग का गठन किया गया है। आयोग द्वारा विभिन्न जन सूचना अधिकारियों पर लगाये गये अर्थदण्ड की वसूली सुनिश्चित करने हेतु, आयोग की पहल पर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा अर्थदण्ड की वसूली का अनुश्रवण करने की व्यवस्था स्थापित की गयी है।
मुख्य सूचना आयुक्त ने कहा कि आयोग के कार्य को और अधिक दक्ष बनाने के दृष्टिकोण से सूचना प्रोद्योगिकी (Information Technology) का अधिक से अधिक प्रयोग सुनिश्चित किया गया है। आयोग में लम्बित सभी अपीलों का विवरण Electronic Case Information System (ECIS) पर दर्ज किया जा रहा है। आयोग की नई वेबसाइट भी बनायी गयी है, ताकि जनसाधारण को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005, उ0प्र0 सूचना का अधिकार नियमावली, 2015 एवं उत्तर प्रदेश सूचना आयोग से संबंधित आवश्यक सूचनाएं आसानी से प्राप्त हो सकें।
मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा यह भी बताया गया कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश सूचना आयोग प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का क्रियान्वयन और अधिक प्रभावी तरीके से सुनिश्चित करने हेतु इसी प्रकार के कदम उठाता रहेगा तथा उत्तर प्रदेश शासन के साथ समन्वय स्थापित करके यह प्रयास जारी रखेगा कि अधिनियम के उद्देश्यों की प्राप्ति हो सके।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में श्री स्वदेश कुमार, राज्य सूचना आयुक्त द्वारा राज्यपाल एवं अन्य गणमान्य अतिथिगण का स्वागत किया गया। श्री पारस नाथ गुप्ता, राज्य सूचना आयुक्त द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।