उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने आज विधान भवन स्थित तिलक हाल में उत्तर प्रदेश की 17वीं विधान सभा में प्रथम बार निर्वाचित विधायकों के लिये आयोजित दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर विधान सभा के अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित, गुजरात विधान सभा के अध्यक्ष श्री रमनलाल वोरा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, संसदीय कार्यमंत्री श्री सुरेश कुमार खन्ना, नेता प्रतिपक्ष श्री रामगोविन्द चैधरी, प्रदेश के सभी मंत्री, राज्यमंत्री तथा नवनिर्वाचित विधायकगण उपस्थित थे। प्रबोधन कार्यक्रम का आयोजन विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित द्वारा किया गया है।
राज्यपाल ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत सबसे बड़ा जनतांत्रिक देश है। देश की सर्वाधिक आबादी वाले प्रदेश की 22 करोड़ जनता 403 विधायक चुनकर विधान सभा भेजती है। 17वीं विधान सभा में 238 सदस्य यानि 59 प्रतिशत नये सदस्य प्रथम बार निर्वाचित हुये हैं। विधान सभा के तीन महत्वपूर्ण घटक होते हैं, विधान सभा अध्यक्ष, सत्तारूढ़ दल के मंत्री एवं सदस्य तथा अन्य विरोधी दल के सदस्य। सदन की गरिमा बनाये रखते हुये सत्तारूढ़ पार्टी अपने विकास कार्यक्रम सदन में रखे और विपक्ष उस पर सुझाव दे, टिप्पणी करे तथा अध्यक्ष की जिम्मेदारी बनती है कि वह यह देखे कि सदन की कार्यवाही सार्थक रूप से चले। विरोधी पक्ष को अपनी बात रखने का अधिकार होना चाहिये और सरकार को अपना काम करने का रास्ता मिलना चाहिये।
श्री नाईक ने कहा कि विधायक निधि का उपयोग पारदर्शिता के साथ करें। अपनी कल्पना से जनहित में परियोजनाओं का चयन करें। समिति बनाकर परियोजना के अनुसार विधायक निधि का नियोजन करें और यह सुनिश्चित करें कि सही ढंग से धन का उपयोग हो। भ्रष्टाचार से बचें क्योंकि भ्रष्टाचार से संदेह निर्माण होता है। उन्होंने कहा कि कमीशन जैसे लाभ से स्वयं को दूर रखें। मतदाताओं के प्रति जवाबदेही और पारदर्शिता के आधार पर प्रतिवर्ष कार्यवृत्त प्रकाशित करना लाभदायक होता है। राज्यपाल ने बताया कि 23 दिसम्बर, 1993 को उनके प्रस्ताव पर सांसद निधि की शुरूआत हुई। इसी तरह संसद में राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत गाये जाना उनके प्रयास से संभव हुआ और ‘बाम्बे’, बम्बई को उसका असली नाम मुंबई दिलाया।
राज्यपाल ने कहा कि जनप्रतिनिधि को अपने निर्वाचन क्षेत्र से जीवंत सम्पर्क बनाये रखना चाहिये। विधायक के नाते सबको साथ लेकर चलें, चाहे चुनाव में समर्थन किया हो अथवा विरोध में मतदान किया हो। कार्यकर्ताओं के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार रखें तथा पदाधिकारियों को भी उचित सम्मान दें। जनता को सहज उपलब्ध हों। जनप्रतिनिधियों के लिये सक्षम कार्यालय आवश्यक है जहाँ आम जनता सहजता से मिल सके तथा व्यवस्थित रूप से पत्राचार के माध्यम से भी संपर्क बनाये रखें। वक्तव्य देते समय भाषा को संयमित रखें। मीडिया से निरन्तर संवाद बनाये रखते हुये अच्छे संबंध बनायें। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि को अपने निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं का निराकरण करते हुये उसे सही ढंग से संवारना चाहिये।
श्री नाईक ने कहा कि विधान सभा की कार्यवाही में सक्रिय प्रतिभाग मतदाताओं को प्रभावित करता है इसलिये कार्यवाही में हिस्सा लेना चाहिये। विधान सभा सत्र के समय उपस्थित रहें। तारांकित और अतारांकित विभिन्न नियमों के अधीन वक्तव्य, शून्यकाल में अपना सहभाग बढ़ायें। उन्होंने कहा कि विधान सभा अध्यक्ष के साथ अच्छा सम्पर्क रखें जिससे आपको शून्यकाल में या अन्य चर्चा में अपनी बात रखने का मौका मिले। राज्यपाल ने यह भी कहा कि महापुरूषों, शहीदों एवं बलिदानियों की जयंती एवं पुण्यतिथि के अवसर पर सम्मिलित होकर जनसम्पर्क बनाये रखें तथा जनहित के मुद्दों में सहभाग करना राजनैतिक लाभ देता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोकतंत्र में विधायिका का बहुत महत्व है। विधान सभा प्रदेश की सबसे बड़ी संस्था है जिसकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। आज सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाले जनप्रतिनिधियों के लिये विश्वसनीयता का संकट है। नियम के दायरे में रहकर अपनी बात रखी जाये तो ज्यादा प्रभावी भी होती है और समाधान भी निकलता है। अमर्यादित व नियम विरूद्ध बात न कहें। विधायिका के माध्यम से तकदीर और तस्वीर दोनों बदल सकती है। जनप्रतिनिधि जनता के दुःख-दर्द को समझें और जनता के प्रति जवाबदेह रहें। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार भी विश्वसनीयता की कमी का कारण है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधान सभा में आदर्श माहौल बनायें और ज्यादा से ज्यादा दिन विधान सभा की कार्यवाही हो। विधायक बिना किसी पूर्वाग्रह के सदन में अपनी बात रखें। सरकार बिना भेदभाव के विधान सभा में सबकी बात सुनेगी और विचार करेगी। उन्होंने कहा कि पूरा विधान मंडल मिलकर काम करे और जनता की अपेक्षा पर खरा उतरने का प्रयास करे। श्री योगी ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि पहली बार कोई राज्यपाल विधायकों को प्रबोधन दे रहा है कि सदन कैसे चले और विधायकों का व्यवहार कैसा हो। लोकतंत्र के लिये यह शुभ लक्षण है। विधान सभा में जनहित में चर्चा होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख के साथ-साथ प्रदेश के अभिभावक की तरह हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने सांसद निधि, राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत व अनेकों ऐसे मुद्दे संसद में उठाकर श्रेष्ठ परम्परा को आगे बढ़ाने का काम किया।
कार्यक्रम में विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने सबका स्वागत किया तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया। उन्होंने कहा कि विरोधी पक्ष को सत्ता पक्ष को सुझाव देने की जिम्मेदारी होती है तथा सत्ता पक्ष का दायित्व है कि सबको साथ लेकर चले।
कार्यक्रम का संचालन प्रमुख सचिव विधान सभा श्री प्रदीप दुबे ने किया।