Archive | November, 2013

समाजवादी पार्टी की दिनांक 9 नवम्बर,2013 को बरेली में होने वाली जनसभा अब दिनांक 21 नवम्बर,2013 को होगी।

Posted on 01 November 2013 by admin

समाजवादी पार्टी की दिनांक 9 नवम्बर,2013 को बरेली में होने वाली जनसभा अब दिनांक 21 नवम्बर,2013 को होगी।  पार्टी ने यह भी निर्णय लिया है कि झासी में प्रस्तावित 23 नवम्बर,2013 तथा इलाहाबाद में 30 नवम्बर,2013 को होने वाली जनसभाओं की तिथियां तय कर बाद में घोषित की जायेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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नवम्बर में तीन चरण में होगा राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन

Posted on 01 November 2013 by admin

- 02 नवम्बर व 16 नवम्बर को अपराà 02 से 05 बजे तक मिनीलोक अदालत तथा
- 23 नवम्बर को 10 बजे से 05 बजे तक मेगा लोक अदालत      -रा0 लो0 अदालत में तीन हजार वादों के निस्तारण का लक्ष्य
- कठिनार्इ की सिथति में हेल्पलाइन पर सम्पर्क करें वादकारी
-रा0लो0अ0 की सफलता में सराहनीय भूमिका के लिए सम्मानित होंगे अधिवक्ता व पुलिसकर्मी
आनन्दनगर, महराजगंज।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुरूप लोक अदालतों के माध्यम से अधिक से अधिक वादों के निस्तारण के लिए आगामी नवम्बर माह में 02 नवम्बर , 16 नवम्बर तथा 23 नवम्बर को स्थानीय न्यायालय परिसर में तीन चरण में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। उक्त बातें सिविल जज फरेन्दा डाक्टर सुनील कुमार सिंह ने बुद्धवार को एक प्रेस वार्ता में कहीं। उन्होंने बताया कि 02 व 16 नवम्बर को अपराà 02 से 05 बजे तक मिनी लोक अदालत के रूप में तथा 23 नवम्बर को  प्रात: 10 से 05 बजे तक मेगा लोक अदालत के रूप में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है जिनमें तीन हजार वादों को सुलह समझौते के माध्यम से निस्तारित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
सिविल जज डाक्टर सिंह ने बताया कि इसके अतिरिक्त 11 नवम्बर से 13 नवम्बर तक सायं चार से सात बजे तक सी आर पी सी की धारा 125 के तहत भरण पोषण तथा वरिष्ठ नागरिकोें के मामलों में सुलह समझौते के आधार पर खुले न्यायालय में निपटाए जाएंगे। 14 नवम्बर ,16 नवम्बर व 18 नवम्बर को मूल वादों के अलावा निष्पादन , कन्टेम्प्ट , उत्तराधिकार , पी ए वाद तथा  22 नवम्बर को 60 आबकारी अधिनियम , 34 पुलिस एक्ट , एम वी एक्ट , 290 आर्इ पी सी तथा वाट माप व शाप ऐक्ट से सम्बनिधत पत्रावलियां भी शाम चार से सात बजे के बीच सम्बनिधत लिपिक से सम्पर्क कर लोक अदालत में निस्तारण के लिए लगवार्इ जा सकती हैं। इन सभी मामलों में मध्यस्थता खुले न्यायालय में सायं चार से सात बजे तक की जाएगी। उन्होंने बताया कि  आर्इ पी सी की धारा 147, 323 , 324 ,504 व 506 जैसे आपराधिक मामलों में भी अभियुक्त के इकबालिया बयान के आधार पर न्यूनतम अर्थ दण्ड लगाकर निस्तारित किए जाएंगे।
डाक्टर सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के तीनों चरणों के लिए समन व वारण्ट का तामीला समय से सुनिशिचत कराने के लिए फरेन्दा , पुरन्दरपुर, बृजमनगंज व कोल्हुर्इ के थानाध्यक्षों  सहित फरेन्दा, धानी व लक्ष्मीपुर पुलिस चौकी प्रभारियों के अलावा कोर्ट नाजिर व सभी चारों थानों के पैरोकारों को लगाया गया गया है। सिविल जज डाक्टर सिंह ने बताया कि इसके अलावा मिनी लोक अदालत व मेगा राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए निशिचत तिथि से पूर्व जिन वादकारियों को समन या वारण्ट का तामीला न हो पाया हो वे वादकारी भी 01 , 15 , व 22 नवम्बर को कार्यालय से सम्पर्क कर अपनी पत्रावली लोक अदालत के लिए लगवा सकते हैं और लोक अदालत का लाभ उठा सकते हैं।

रा0 लो0 अदालत में अनुपसिथति पर जारी होगा एन बी डब्लू
आनन्दनगर,महराजगंज।
पिछले महीनों में किए गए भारी प्रयास के बाद भी लोक आलतों में उपसिथती को प्रभावी नहीं कहा जा सकता। अधिसंक्ष्य वादकारियों के अनुपसिथत होने के कारण लोक अदालतों कें माध्यम सें निस्तारण की प्रकृया काफी धीमी है। उक्त बातें सविलि जज  फरेन्दा डा0 एस के सिंह ने कही। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालतों में अनुपसिथत रहने वालों के खिलाफ गैर जमानती वारण्ट के अलावा सी आर पी सी की धारा 82 व 83 के तहत कुर्की की कारवार्इ की जाएगी।

हेल्प लाइन का भी लाभ उठा सकते हैं वादकारी
आनन्दनगर, महराजगंज।
सिविल जज  फरेन्दा डा0 स के सिंह ने बताया कि आगामी नवम्बर माह में तीन चरणों में लगने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में वादकारियों की भारी भीड़ की सिथ्ति में वादकारी हेल्प लाइन नम्बरों पर सम्पर्क कर अपनी कठिनार्इ का निराकरण कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि वादकारी लोक अदालत में अपनी पत्रावली लगवाने के लिए मुनसरिम विनोद कुमार श्रीवास्तव मो0 नं 8004610676, वैयकितक सहायक राजेश कुमार मो0 नं0 9450570017, फौजदारी लिपिक पवन पाण्डेय 9451404005,
जितेन्द्रनाथ तिवारी वाद लिपिक 8756269285, मनोज कुमार दूबे अर्दली 9919911675 तथा रामजीत प्रसाद कार्यालय चपरासी के मोबाइल नम्बर 9451473669 पर सम्पर्क कर अपनी समस्या का समाधान करा सकते हैं।
सम्मानित किए जाएंगे अधिवक्ता व पुलिस कर्मी
आनन्दनगर,महराजगंज।
आगामी नवम्बर माह में तीन चरणों में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय लोक अदालतों में वादकारियों की प्रभावी उपसिथति में पुलिस कर्मियों तथा सुलह समझौतें के आधार पर मामले के निस्तारण में अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ऐसे में लोक अदालतों में प्रभावी व सराहनीय भूमिका के लिए अधिवक्ताओं व पुलिस कर्मियों को  आगामी तीन दिसम्बर को सम्मानित किया जाएगा। उक्त जानकारी देते हुए सिविल जज ( जे डी ) फरेन्दा ने बताया कि इसके लिए बार एसोसिएसन के अध्यक्ष ओमप्रकाश पाण्डेय  व मंत्री प्रेम कुमार सिंह के द्वारा विस्तृत योजना बनार्इ जा रही है।
फोटो- प्रेस वार्ता करते सिविल जज फरेन्दा डाक्टर सुनील कुमार सिंह।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव ने आज यहां कहा कि मुजफफरनगर की घटना गम्भीर है।

Posted on 01 November 2013 by admin

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव ने आज यहां कहा कि मुजफफरनगर की घटना गम्भीर है। जो लोग आपस में अलगाव पैदा करने और वैमनस्य फैलाने की कोशिशों में लगे हैं, उन्हें अपने मंसूबों में सफल नही होने दिया जाएगा। सांप्रदायिक ताकतों से ज्यादा शकित सरकार में होती है। किसी पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होने कहा मुसलमानो की हालत सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक दलितों से भी ज्यादा खराब हैं। शिक्षा,नौकरी, राजनीति सभी क्षेत्रों में वे उपेक्षित है। हम इसीलिए उनके साथ खड़े हैं ताकि समाज में सामंजस्य रहे और कोर्इ उत्पीड़न का शिकार न हो। हम उनके साथ किसी भी स्तर पर अत्याचार या भेदभाव बर्दाश्त नहीं करेगें।
श्री यादव मुख्यालय, लखनऊ में आचार्य नरेन्द्र देव तथा सरदार बल्लभ भार्इ पटेल की जयंती पर आयोजित समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। समारोह में सर्वश्री भगवती सिंह, राम गोविन्द चौधरी ,डा0 अशोक बाजपेयी, के0विक्रमराव, डा0 मधु गुप्ता, निशीथ राय, सुनील यादव ने भी अपने विचार रखें। संचालन प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चौधरी ने किया।
श्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मुसिलमो को हो रही दिक्कतों के मददेनजर समाजवादी पार्टी सरकार ने उनकी बेटियों की पढ़ार्इ और शादी के लिए 30 हजार रूपए का अनुदान और मुजफफरनगर घटना के शिकार विस्थापित मुसिलमो को घर बनाने के लिए 5-5 लाख रूपए की सहायता दी है। पीडि़तों को 90 करोड़ की सहायता दी जा रही है।
श्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक सदभाव को बिगाड़ने की कोशिशें लम्बे समय से चल रही है। मंदिर मसिजद विवाद के पीछे समाज के बंटवारे की साजिश थी। शिलान्यास करके विवाद को भड़काया गया। बाबरी मसिजद को हमने टूटने से बचाया और मजबूरन गोली चलानी पड़ी। अभी 84 कोसी परिक्रमा के बहाने लोगों को साधू वेष में अयोध्या लाने की साजिश हुर्इ। उन्होने कहा कि हम सांप्रदायिकता के खिलाफ पुरजोर लड़ार्इ अकेले ही लडते रहे है। भाजपा जब तक अपनी नीतियां नहीं बदलती, हम विरोध करते रहेगें।
श्री यादव ने आचार्य नरेन्द्र देव और सरदार पटेल को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि आचार्य जी विलक्षण विद्वान और समाजवादी चिंतक थे। उनके भाषण क्रांतिकारी होते थे। प्रखर वक्ताओं में उनके बाद मौलाना अबुल कलाम आजाद की ही चर्चा होती थी। सरदार बल्लभ भार्इ पटेल ने देश की  आजादी के बाद छोटी-बड़ी सभी रियासतो को भारतीय संघ में शामिल कर भारत की एकता को मजबूत किया। उन्होने कहा समाजवादी आंदोलन से गैर कांग्रेसवाद को बल मिला। आपातकाल में लोकतंत्र की हत्या की गर्इ। इसके बाद कांग्रेस अकेले बहुमत में आने से बहुत दूर हो गर्इ है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि देश बनाने का संघर्ष समाजवादियों ने किया है। उनकी नीतियों पर चलकर उनके सपनों को पूरा करना है तो संघर्ष करना होगा। नौजवान हीनता की भावना त्यागें। समाजवादी पार्टी भेदभाव मिटाकर सबको साथ लेकर चलने पर विश्वास करती हैं। हम मानते हैं कि वायदा खिलाफी भ्रष्टाचार है। इसलिए समाजवादी पार्टी सरकार के पांच साल के चुनावी वायदे अधिकांश डेढ़ साल में ही पूरे कर दिए गए है। अब एक बड़ी चुनौती लोकसभा चुनाव के रूप में सामने है। हमें एक संकल्प और सशक्त विचारधारा के साथ केन्द्र में वैकलिपक सरकार बनाने का लक्ष्य पूरा करना है।
इस मौके पर सर्वश्री अरविन्द सिंह गोप, राममूर्ति वर्मा, राजा चतुुर्वेदी, राजीव कुमार सिंह, योगेश प्रताप सिंह, एस0पी0 यादव, नर्इमुल हसन, नफीस अहमद, जरीना उस्मानी, राज किशोर मिश्र, (मंत्रिगण) एस0आर0एस0 यादव, प्रदेश सचिव श्रीमती चन्द्रा रावत, श्रीमती आशा किशोर(विधायक), फिदा हुसैन अंसारी, जनार्दन ओझा, विजय यादव बृजेश यादव, पी0डी0 तिवारी, नरेन्द्रमणि त्रिपाठी, संगीता यादव, पारस यादव, सियाराम यादव, कमलाकांत प्रजापति, सूर्य कुमार सिंह, जगदीप सिंह, धर्मानन्द तिवारी, प्रेमचन्द्र गुप्ता, रामपति राजभर, मो0 एबाद, जगन्नाथ यादव, चंदि्रका पाल, डा0 आशालता सिंह, दिनेश यादव, सागर धानुक, राम सागर यादव, रमाशंकर यादव, ताराचन्द्र यादव, धनज्जय शर्मा, संजीव मिश्रा, प्रेम प्रकाश वर्मा, अशोक देव, रजिया नवाज, मा0 शेर अली खां संजय सविता विधार्थी, सिराज अली, इरफान अली, राज लक्ष्मी आगा, शहीन फातिमा, राधेलाल, राकेश पाण्डेय, रशिम पाण्डेय आदि हजारों की उपसिथति उल्लेखनीय रही।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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प्रत्येक भारतीय बचपन से पढ़ता चला आ रहा है कि पांडव नैतिक स्तर पर विलक्षण थे

Posted on 01 November 2013 by admin

प्रत्येक भारतीय बचपन से पढ़ता चला आ रहा है कि पांडव नैतिक स्तर पर विलक्षण थे तथा अन्याय के शिकार हुये थे, जबकि कौरव चालाक, छली एवं दुष्ट प्रवृतित के थे। मालनाड मंदिर, केरल की यात्रा करने पर असुर के राष्ट्रीय बेस्टसेलर लेखक आनंद नीलकांतन ने मंदिर के आराध्य देव को दुर्योधन के रुप में चिनिहत किया है, जो महाभारत का खलनायक था। इस आश्चर्यजनक खोज ने उन्हें हसितनापुर के परास्त युवराज एवं कौरव वंश के आख्यान को गहरार्इ से छिद्रान्वेषित करने के लिये प्रेरित किया। अजय ने पूर्वस्थापित दृषिटकोणों को चुनौती दी है तथा हमें एक बार पुन: सोचने के लिये विवश किया है। यह पुस्तक ज्ञान की शकित को रेखांकित करती है। यह पारंपरिक महाकाव्य में दुर्योधन (दिया गया नाम : सूयोधन) की छवि से इतर एक नवीन तथ्यपरकता की ओर संकेत करता है।

आधुनिक समय की चिंतन धारा से उदभूत प्रश्न :
इतिहास विजेताओं द्वारा लिखा गया है तथा जय (महाभारत) पांडवों के पक्ष में लिखी गयी कृति है। यह लेखन विजेताओं को लेकर पूर्वाग्रहों से ग्रसित है तथा कौरवों की पूरी तरह से नकारात्मक तस्वीर प्रस्तुत करता है। कुछ अन्तदर्ृषिटयां तथा आधुनिक मेधा से उदभूत चुनौतियां इस प्रकार के प्रश्नों एवं संशयों को जन्म देती हैं:

•    आखिर क्यों एक पिता (एक ज्ञानी राजा) ने अपने बच्चों का नाम खलनायकों जैसा रखा? उदाहरणार्थ, दुर्योधन (धन एवं शकित का दुरुपयोग करने वाला), दुस्साशन (गलत-प्रशासक)? इनके नाम बदले गये प्रतीत होते हैं।
•    सूयोधन (दुर्योधन का असली नाम) की वंशावली एक न्यायवादी राजा की थी, उसने अपने पुत्र के पैतृक अधिकार को अपने भार्इ के बच्चों को दे दिया था और उसकी मां ने र्इश्वर द्वारा प्रदत्त मनुष्यों के लिये सबसे बड़े वरदान (नेत्र ज्योति) को अपने पति की नेत्रहीनता को देखते हुये न्योछावर कर दिया था। इसकी तुलना में जहां तक पांडवों की बात है, तो ये सभी भार्इ ऐसे लोगों से जन्में थे, जो उनके पिता नहीं थे। उन्होंने एक पत्नी को साझा किया, जुए में अपनी पत्नी को दांव पर लगाया, इस प्रकार के कुछ प्रश्न अवश्य खड़े होते हैं।

‘अजय नाम क्यों?
इसके दो कारण हैं, प्रथम - जय (महाभारत) पांडवों के नजरिये से कही गयी कथा है, जबकि कहानी का दूसरा पक्ष कौरवों का है, जिन्हें हमने ‘अजय कहा है। इसके अतिरिक्त संस्कृत में ‘अजय का अर्थ अपराजेय है, जो कौरव वंश के लिये बिलकुल सटीक है, क्योंकि उन्होंने युद्ध के अंत तक आत्म-समर्पण नहीं किया और अंतिम सांस तक लड़ते रहे।

कुछ आकर्षक विवरण :
•    इस पुस्तक के चार प्रमुख नायक दुर्योधन, कर्ण, अश्वत्थामा एवं एकलव्य हैं। इस कहानी में सभी चार महारथियों को समान महत्ता प्रदान की गयी है, लेकिन इस पूरी कथा में दुर्योधन बिना किसी खलनायकी प्रवृतित के मुख्य नायक बना रहा है।
•    निर्वासन की अवधि में पांडवों की खोज में दुर्योधन सुदूर दक्षिण के जंगलों में
भटकते हुये मालनाड पहुंचा। थकान और प्यास की अवस्था में उसने जल का आग्रह किया। उसे एक अधेड़ अछूत महिला ने ताड़ी पीने के लिये दिया। उसने जल ग्रहण किया तथा उसे तथा उस स्थान को अपने आशीर्वचनो से अभिसिंचित किया।
•    राजधर्म के अपने सिद्धान्त पर कायम रहते हुये, दुर्योधन ने इन पर्वतों पर शिव की आराधना प्रारंभ कर दी और वंचितों की सुरक्षा की प्रार्थना की। उसने देवस्थानम के निर्माण हेतु सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि को दान स्वरुप प्रदान किया। आज भी इस संपतित पर दुर्योधन के नाम पर भूमि कर लिया जाता है।
•    दुर्योधन ने यह भी सुनिशिचत किया कि गांधारी (उसकी मां), दुशाला (उसकी बहन), कर्ण (उसका मित्र), द्रोण (उसके गुरु) तथा अन्य को मंदिर के पास सम्मानजनक स्थान प्राप्त हो। कौरव जाति के सदस्य आज भी मंदिर के पुजारी हंै।
•    पुस्तक यह भी अनुसंघानित करती है कि आखिर क्यों भीष्म, द्रोण जैसे महान आदर्शवादी एवं भगवान कृष्ण की संपूर्ण सेना दुर्योधन के पक्ष में लड़ी।

लेखक का कथन :
आनंद नीलकांतन : यह आधुनिक नजरिये के साथ हमारी पौराणिक कथा के पुन: अन्वेषण का एक प्रयास है तथा इसमें देखने वाली बात यह है कि इस कथा के वही घटनाक्रम कैसे लगते हैं, जब उन्हें पराजितों के पक्ष में देखा जाता है। क्या इन लोगों को पैदाइशी खलनायक के रूप में पेश किया जाता रहा है, क्योंकि ये अपने समय से बहुत आगे थे? पांडवों, कर्ण, द्रौपदी, कुंती तथा महाभारत के अन्य नाटकीय व्यकितत्वों के विषय में अनेक पुस्तकें हैं। लेकिन दुर्योधन के विषय में कौन बात करता है।

प्रकाशक का कथन : इस असाधारण पुस्तक के प्रकाशन का अवसर प्राप्त करने पर टिप्पणी करते हुये श्री स्वरूप नंदा, सीर्इओ, लीड स्टार्ट पबिलशिंग ने कहा, ”हम आनंद नीलकांतन के ‘अजय’ को प्रकाशित कर काफी प्रफुलिलत महसूस कर रहे हैं। अधिकांश संख्या में पुस्तक प्रेमियों तक अपनी पहुंच का विस्तार करने के संदर्भ में हम पहली बार इस पुस्तक को अखिल भारतीय स्तर पर 10 विभिन्न भाषाओं में लान्च कर रहे हैं। यह कार्य अंग्रेजी संस्करण के लान्च के 90 दिनों के बाद किया गया है। मैं व्यकितगत रूप से इस पुस्तक से अत्यंत प्रभावित हुआ हूं, क्योंकि इसने महाभारत को एक पूर्णत: नवीन नजरिया प्रदान किया है। यह एक ऐसी कहानी है, जिसे हम सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं। ‘अजय’ को पढ़ना एक जानी पहचानी कथा को नये नजरिये से समझने का प्रयास है। यह मसितष्क को एक संभावनाओं के परिदृश्य में ले जाता है, जिसे हमने कभी भी स्वीकार नहीं किया।

पुस्तक के पिछले कवर का परिचय :
महाभारत, भारत के महान काव्य में शामिल है। लेकिन जहां जय पांडवों की कहानी है, जिसे कुरूक्षेत्र के विजेताओं के नजरिये से वर्णित किया गया है, वहीं अजय अपराजेय कौरवों की कहानी है, जिन्होंने आखिरी सांस तक मुकाबला किया।

भारत के अत्यंत शकितशाली साम्राज्य के âदय स्थल में एक क्रांति का उदभव हुआ। हसितनापुर के नम्र पितृसत्तात्मक पुरूष भीष्म अपने साम्राज्य की एकता को बरकरार रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सिंहासन पर धृतराष्ट्र आसीन हैं, जो एक नेत्रहीन शासक हैं तथा उनकी पत्नी गांधारी विदेशी मूल की हैं। सिंहासन के साये में कुंती विराजमान है, जो एक विधवा रानी है। जिनकी महत्वाकांक्षा है कि उनका प्रथम पुत्र शासक बने तथा सभी उसका सम्मान करें तथा इसकी अन्य पाश्र्व कथाओं में निम्न उल्लेखनीय हैं :

•    शकितशाली दक्षिणी संघ के रहस्यमय गुरू परशुराम पर्वत से लेकर सागर तट तक अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहते हैं तथा अपनी इच्छा के सम्मुख सभी को नतमस्तक करना चाहते हैं।
•    एक युवा निषाद एकलव्य जातिगत विडंबनाओं से उबर कर एक योद्धा बनना चाहता है।
•    एक निर्धन सारथी का पुत्र कर्ण दक्षिण की यात्रा कर अपने समय के सबसे प्रतिषिठत गुरू से शिक्षा ग्रहण करता है तथा इस धरती का सबसे बड़ा धनुर्धर बनता है।
•    यदुवंश के चमत्कारिक नेता बलराम समुद्र में एक समग्र नगर के निर्माण का स्वरूप देखते हैं और अपने लोगों को समृद्ध और गौरवशाली देखने के इच्छुक हैं।
•    नागों के गुरिल्ला नेता तक्षक पददलितों द्वारा उदभूत एक क्रांति को प्रोत्साहित करते हैं, जो भारत के जंगलों में पूरी आशा के साथ प्रतीक्षारत हैं, जहां पर उत्तरजीविता एक मात्र धर्म है।
•    भिक्षुक जर एवं उसका नेत्रहीन कुत्ता धर्म भारत के धूल-धूसरित पथ पर विचरण करते हैं तथा स्वयं से भव्य लोगों एवं घटनाओं के साक्षी बनते हैं, जिसमें पांडव और कौरव अपनी कठोर नियति से जूझ रहे होते हैं।

इस भयावह अराजकता के बीच हसितनापुर का उत्तराधिकारी राजकुमार सुयोधन पूरी दिव्यता के साथ अपने जन्मसिद्ध अधिकार का दावा करता है तथा अपने अंतरात्मा के अनुसार निर्णय लेता है। वह अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है अथवा ऐसा उसका विश्वास है। इसी दौरान हसितनापुर के राजमहल के गलियारों में एक विदेशी राजकुमार भारत को बर्बाद करने का षड़यंत्र रचता है। और पासा फेंका जाता है….

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी नेए श्री राजेन्द्र यादव के निधन पर शोक जताया।

Posted on 01 November 2013 by admin

उनकी पत्नी श्रीमती मन्नु भंडारी को भेजे गए शोक संदेश में उन्होंने कहा कि श्री राजेन्द्र यादव प्रसिद्ध हिन्दी लेखकए प्रख्यात उपन्यासकार एवं विद्वान व्यक्ति थे। उन्होंने हिन्दी साहित्य को अपनी विशिष्ट शैली के माध्यम से समृद्ध बनाया। उऩके निधन से साहित्यिक जगत ने अपना प्रतिभाशाली लेखक खो दियाए जिन्होंने हिन्दी साहित्य को अत्याधिक योगदान दिया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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श्री के0पी0 सक्सेना के निधन पर राज्यपाल दु:खी

Posted on 01 November 2013 by admin

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, श्री बी0एल0 जोशी ने प्रसिद्ध साहित्यकार एवं हास्य कवि, पदमश्री से सम्मानित श्री के0पी0 सक्सेना के निधन पर गहरा दु:ख व्यक्त किया है।
राज्यपाल ने अपने शोक सन्देश में कहा है कि प्रदेश के बरेली जनपद में जन्में श्री के0पी0 सक्सेना ने लखनऊ को अपनी कर्मभूमि बनाया। वे हिन्दी, उदर्ू और अवधी भाषा के जानकार थे। उन्होंने भारतीय सिनेमा के लिये संवाद भी लिखे। उन्होंने कहा कि उनकी रचनाएं व्यंग्य से शुरू होती थी और गम्भीर मोड़ पर आकर समाप्त होती। उन्होंने कहा कि उनके निधन से साहित्य जगत ने हास्य-व्यंग्य का एक अदभूत सितारा खो दिया है।
श्री जोशी ने दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए दु:खी परिजनों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त की है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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मुजफ्फरनगर में चार लोगों की हत्या ने प्रदेश सरकार की विफलता को उजागर किया।

Posted on 01 November 2013 by admin

मुजफ्फरनगर में चार लोगों की हत्या ने प्रदेश सरकार की विफलता को उजागर किया। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्र मोहन ने प्रदेश पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि अखिलेश यादव सरकार कानून व्यवस्था बनाने में पूरी तरह विफल हुर्इ। दिपावली के पर्व पर माहौल में अशानित रहना बेहद दुखद है।
प्रदेश प्रवक्ता डा0 मोहन ने कहा कि प्रदेश के एडीजे मुकुल गोयल का बयान ßमुजफ्फरनगर में हालात कभी सामान्य नही थेß, शासन व प्रशासन की विफलता को ही उजागर करती है।
प्रदेश प्रवक्ता डा0 मोहन ने कहा कि इतना लम्बा समय होने के बावजूद अगर हालात सामान्य नही तो यह किसकी जिम्मेदारी है? दरसल सरकार के पक्षपातपूर्ण कार्यवाही के कारण ही सरकार जनविश्वास खो चुकी है।
प्रदेश प्रवक्त डा0 मोहन ने कहा कि सरकार को पशिचम उत्तर प्रदेश के किसानों के हालात की भी चिन्ता करनी चाहिए। अज्ञात नकाबपोशों द्वारा वहां किसानों और खेतों पर हमले हो रहे है।
प्रदेश प्रवक्ता डा0 मोहन ने कहा कि पशिचम उत्तर प्रदेश के लिए यह समय खेती के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सरकार को प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही करनी चाहिए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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राष्ट्रीय लोकदल द्वारा आधुनिक भारत के निर्माता लौहपुरूष सरदार बल्लभ भार्इ पटेल की 139 वीं जयन्ती पूरे उ0प्र0 मे हर्षोल्लाष के साथ मनायी गयी

Posted on 01 November 2013 by admin

राष्ट्रीय लोकदल द्वारा आधुनिक भारत के निर्माता लौहपुरूष सरदार बल्लभ भार्इ पटेल की 139 वीं जयन्ती पूरे उ0प्र0 मे हर्षोल्लाष के साथ मनायी गयी तथा सभी जनपदीय इकाइयों ने लौहपुरूष की याद में विचार गोष्ठी आयोजित कर उन्हें याद किया। इस अवसर पर प्रदेष मुख्यालय में Þआधुनिक भारत और सरदार बल्लभ भार्इ पटेलß विषयक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता प्रदेष अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने की।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुये प्रदेष अध्यक्ष ने कहा कि भारत के इतिहास में दो गलितयां तथा उ0प्र0 के इतिहास में एक गलती हुर्इ हे जिसका खामियाजा देष और प्रदेष को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यादि आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भार्इ पटेल होते तो देष की दूसरी तस्वीर होती परन्तु देष ने यह सौभाग्य खो दिया। 1977 में श्रद्वेय चौधरी चरण सिंह को प्रधानमंत्री बनाकर उपरोक्त भूल सुधार की जा सकती थी परन्तु नेताओं की साजिष के कारण यह सम्भव न  हो सका। इसी तरह उ0प्र0 में 1989 में चौ0 अजित सिंह के मुख्यमंत्री बनने से उ0प्र0 का चौमुखी विकास हो सकता है था परन्तु यह भी सम्भव न हो सका।
श्री चौहान ने सरदार बल्लभ भार्इ पटेल, आचार्य नरेन्द्र देव की जयन्ती पर उन्हें श्रद्वा सुमन अर्पित करते हुये कहा कि लौहपुरूष ने भारत गण राज्य में निजाम हैदराबाद सहित 562 छोटे छोटे राज्यों का विलय कराकर भारत को भव्यता प्रदान की। आज देष में सरदार जी जैसे दृढ़ निष्चयी व दूरदर्षी राजनेताओं की आवष्यकता है। उन्होंने श्रीमती इनिदरा गांधी के शहीद दिवस पर भावभीनी श्रंद्वाजलि दी।
गोष्ठी को सम्मानित करते हुये राष्ट्रीय सचिव अनिल दुबे ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे नरेन्द्र मोदी द्वारा भव्य पटेल प्रतिमा के निर्माण को ढोंग करार देते हुये  कहा कि  सरदार जी ने देष में भार्इ चारा कायम करते हुये देष की एकता व अखण्डता बनाने में अपना जीवन लगा दिया। मोदी जैसे लोगो द्वारा पटेल की प्रतिमा लगाना सरदार बल्लभ भार्इ पटेल का अपमान है।
गोष्ठी को सम्बोधित करते हुये प्रदेष महाासचिव प्रो0 यज्ञदत्त शुक्ल ने कहा कि सरदार जी ने देष को जो भौगोलिक सिथति प्रदान की देष उसके लिए उनका आभारी है।
गोष्ठी को पूर्व मंत्री सचिचदांनंद गुप्त, मध्य उ0प्र0 के अध्यक्ष राकेष कुमार सिंह मुन्ना, प्रदेष महासचिव हाजी वसीम हैदर, युवा रालोद के प्रदेष अध्यक्ष आरिफ महमूद, विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष संतोष यादव, विभूति नारायन पाण्डेय, अम्बुज पटेल, आर0पी0 सिंह चौहान, किरन सिंह, रमावती तिवारी, मनोज सिंह चौहान आदि रालोद नेताओं ने सम्बोधित किया।
लखनऊ महानगर द्वारा आयोजित गोष्ठी में महानगर के संयोजक नवीन शर्मा ने आये हुये नेताओं को धन्यवाद दिया तथा गोष्ठी का संचालन जिला महासचिव रवि प्रकाष सैनी ने किया।
यह जानकारी राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता ने एक प्रेस विज्ञपित में दी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेष अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने प्रदेष सरकार को कटघरे में खडे़ करते हुये कहा

Posted on 01 November 2013 by admin

राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेष अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने प्रदेष सरकार को कटघरे में खडे़ करते हुये कहा कि पुन: पषिचमी उ0प्र0 में साम्प्रदायिकता की घटना होने से साबित होता है कि प्रदेष सरकार ने अपना जनता में अपना इकबाल खो दिया है। शानित प्रदायिकता को बढावा देने वाली यह सरकार पूर्ण रूप से असफल साबित हो चुकी है। ऐसे में प्रदेष को निष्पक्ष व भयमुक्त सुषासन देने हेतु राष्ट्रपति शासन ही एक मात्र विकल्प शेष है। प्रदेष सरकार को बर्खास्त किया जाये।
श्री चौहान ने महामहिम राज्यपाल से गुहार लगाते हुये कहा कि वह प्रदेष  सरकार को निर्देषित करें कि घटना की उच्चस्तरीय जांच तथा दोषियों को दणिडत किया जाये जिससे जनता में विष्वास पैदा हो सके। उन्होंने कहा कि जब तक  मुजफ्फरनगर, शामली तथा आस पास के क्षेत्रों की जनता में निष्पक्ष कार्यवाही करने का विष्वास पैदा नहीं होता तब तक वहां शानित बहाल होने वाली नहीं है।
यह जानकारी राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता ने एक प्रेस विज्ञपित में दी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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विश्व संवाद केन्द्र जियामऊ लखनऊ के अधीश सभागार में आज सरदार वल्लभ भार्इ पटेल की जयंती के अवसर पर

Posted on 01 November 2013 by admin

विश्व संवाद केन्द्र जियामऊ लखनऊ के अधीश सभागार में आज सरदार वल्लभ भार्इ पटेल की जयंती के अवसर पर सरदार पटेल  और राष्ट्रवाद विषय  पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आर्इआर्इएम के प्रो. भारत भास्कर बाजपेर्इ और विशिष्ट अतिथि नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट (इणिडया) के पूर्व अध्यक्ष पीयूष कान्त राय उपसिथत थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार व पूर्व राज्यसभा सांसद राजनाथ सिंह ‘सूर्य उपसिथत थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आर्इआर्इएम के प्रो. भारत भास्कर बाजपेर्इ ने कहा कि लौहपुरुष सरदार बल्लभ भार्इ पटेल ने आजादी के बाद रियासतों में बंटे देश को एक सूत्र में पिरोया था। विशाल भारत की कल्पना बिना सरदार पटेल के बिना पूरी नहीं होती।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल गांधी के विचारों से पूर्णतया प्रभावित थे। जब चंपारण में गांधी जी की बात कोर्इ नहीं सुनता था उस समय सरदार पटेल आगे आये और जनता की वेदना को समझते हुए सबको अंग्रेजों के खिलाफ खड़ा किया। उनके बारे में कहा जाता है कि वे देश के लिए सोचते समय अपनी आलोचना की भी परवाह नहीं करते थे। आजादी के बाद सरदार पटेल के ऊपर 565 रियासतों और बि्रटिश काल के दौरान उपनिवेशीय प्रांतों को भारत में मिलाने की जिम्मेदारी आ गर्इ। पटेल ने अपनी कूटनीतिक और रणनीतिक कुशलता से इस कर्तव्य को बखूबी निभाया और जरूरत पड़ने पर बल प्रयोग से भी नहीं चूके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार व पूर्व राज्यसभा सांसद राजनाथ सिंह सूर्य ने कहा कि भारतीयों को उनकी संस्कृति व सभ्यता से अलग करने के लिए अंग्रेजों ने नये इतिहास का सृजन किया। जिसका प्रभाव आज तक दिखार्इ पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि सारे भेदभाव के बावजूद कश्मीर से कन्याकुमारी  तक सांस्कृतिक राष्ट्रवाद   है उसे हिन्दुत्व कह सकते हैं। सबसे पहले डा. भीमराव अम्बेडकर ने हिन्दुत्व शब्द का प्रयोग किया था।  वर्तमान रानीतिक परिदृश्य पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आज राजनीतिक दल साम्प्रदायिकता से लड़ने की बात करते हैं और जातिवाद और सम्प्रदायवाद को बढ़ावा देते हैं। दुनिया के किसी भी देश में आरक्षण की व्यवस्था नहीं है लेकिन भारत में आरक्षण के नाम पर समाज को बांटने का काम किया जा रहा है। देश की 14 प्रान्तीय कमेटियों में से 13 कमेटियों ने अध्यक्ष पद के लिए सरदार पटेल का नाम सुझाया था लेकिन फिर भी उन्होंने कांग्रेस को संगठित करने के लिए अध्यक्ष नहीं बने।
कार्यक्रम को नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट (इणिडया) के पूर्व अध्यक्ष पीयूष कान्त राय,
द हिन्दू के पूर्व विशेष संवाददाता जे.पी.शुक्ल, अखिल भारतीय मजदूर संघ के कोषाध्यक्ष सर्वेश चन्द्र, लखनऊ जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान लखनऊ के निदेशक अशोक सिन्हा ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम का संचालन विश्व संवाद केन्द्र के प्रमुख राजेन्द्र ने किया। धन्यवाद ज्ञापन दिवाकर अवस्थी ने किया। इस अवसर पर, विश्व हिन्दू परिषद के विभाग संगठन मंत्री हरिश्चन्द्र, संघ के जिला प्रचारक सुरेन्द्र, निशांत, अखिलेश यादव, आशीष त्रिपाठी, रवि जायसवाल एवं संघर्ष वर्मा सहित तमाम लोग उपसिथत थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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