समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री श्री राजेन्द्र चौधरी ने बताया है कि बहुजन समाज पार्टी की मुखिया सुश्री मायावती अपनी प्रेसवार्ता में पुराने पन्ने पढ़ने की आदी हो गर्इ हंै। आश्चर्य है कि सतीश मिश्र जैसे वकील के रहते उन्हें यह ज्ञान नहीं मिला कि राष्ट्रपति शासन कुछ संवैधानिक शर्तो को पूरा करने पर ही लगता है। बसपा मुखिया तो समाजवादी पार्टी सरकार के शपथ ग्रहण की तारीख से ही राष्ट्रपति शासन मांग करने लगी है और इसके लिए वे जो कारण बताती है, वे उनके राज के ही नमूने है। लोकराज लोकलाज से चलता है लेकिन बसपा मुखिया को इसकी कभी परवाह नहीं रही है। वे झूठ और लूट के बल पर पांच साल तक अपना अंधेरराज चलाती रही और आज भी वे समझती है कि उनकी झूठ जनता को बरगलाने में कामयाब हो जाएगा।
सुश्री मायावती प्रदेश में ऐतिहासिक काम करने का दावा करते थकती नहीं है। उन्होने प्रदेश में अनुत्पादक मदों पर बजट खर्च किया। पत्थर लगवाए, उसमें कमीशन खाया। सरकारी बंगले कब्जे में लिए। भार्इ-बहन ने मिलकर खुलकर लूट मचार्इ। उनके ऐतिहासिक कामों का प्रतिफल था कि लोगों ने बसपा सरकार को बाहर का रास्ता दिखाया और अब जनता राहत महसूस कर रही है। बसपा सरकार ने न किसान की चिन्ता की, न गरीब की। अपना घर भरने के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री और भाइयों ने कुछ नहीं किया। इनकी सत्ता में आने से पहले माली हालत क्या थी, सबको पता हैं। अब करोड़ों की सम्पतित रातों रात बना ली। ऐसे में उनके और परिवार के ऊपर आरोप लगाते हैं तो इसमें अस्वाभाविक क्या है?
समाजवादी पार्टी भाजपा से मिली भगत का आरोप लगाते समय सुश्री मायावती अपने राखी के बंधन को भूल गर्इ कि भाजपा के ही चलते वे तीन बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बन सकी। मुसिलमों के कत्लेआम के दोषी नरेन्द्र मोदी के चुनाव में प्रचार करने खुद सुश्री मायावती गर्इ थी। जनता को धोखा देने में उन्हें महारत है। इसीलिए वे तथ्यों को छुपाने और भरमाने वाले बयान देती रहती है। उत्तर प्रदेश में आज समाजवादी पार्टी सरकार में नए उधोग धंधे लग रहे है। 27000 करोड़ रूपए से ज्यादा का अब तक पूंजीनिवेश हो चुका है। किसानों, नौजवानों, महिलाओं, व्यापारियोंं, वकीलों, शिक्षकों सभी के लिए कल्याणकारी परियोजनाओं पर काम चल रहा है। लैपटाप बंट रहे हंै। गरीब महिलाओं को साड़ी और वृद्धों को कंबल बांटे जाने है। युवा वर्ग को बेकारी भत्ता मिल रहा है।
जिस बसपा कुशासन में 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का लाभ छीना गया था उसे फिर देने के लिए मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की कोशिशों का वे विरोध कर रही हैं। जाहिर है, वे न पिछड़ों का भला चाहती है और नहीं अनुसूचित जाति का। वे दलितों की भावनाओं का शोषण कर सिर्फ अपनी तिजोरी भरने का काम करती है। जब उनके लूट की कहानी सामने आती है तो वे मीडिया पर छवि खराब करने का झूठा आरोप लगाकर खुद दलित की बेटी बनने लगती है। हीरे-जवाहरातों की शौकीन सुश्री मायावती पता नहीं किस दलित का प्रतिनिधित्व करती हैं क्योंकि आज तक तो किसी दलित के घर में उसके सुख दु:ख में शरीक होने तो वे गर्इ नहीं। वे तो महलों और पंच सितारा में जिन्दगी जीने की आदी हो गर्इ है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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