‘देश बेंच देने को हैं तैयार यहां व्यापारी’
इलाहाबाद। राष्ट्र्रीय प्रतिभा विकास मंच और तारिका विचार मंच के संयुक्त तत्वाधान में एक कवि सम्मेलन का आयोजन देवरी में किया गया जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि डा0 शम्भू नाथ त्रिपाठी अंशुल तथा संचालन जगदम्बा प्रसाद शुक्ल ने किया। सरस्वती मां के चित्र पर माल्यार्पण के बाद रामनाथ त्रिपाठी‘रशिकेश’ ने वीणापाणि की वन्दना प्रस्तुत किया-
कर में वीणा लिये मातु आ जाइये।
शंख पुस्तक व माला में छा जाइये।।
कवि अवध नारायण शुक्ल ‘अनगढ़’ ने अपनी हास्य कविताओं के द्वारा खूब तालियां बटोरी-
अंगनइया बीच से कुइयां, तनिक पटाइ द पिया।
हास्य व्यंग्य के पुरोधा कवि कोटेश्वर नाथ त्रिपाठी चिरकुट इलाहाबादी ने अपनी कविताओं द्वारा श्रोताओं को लोट पोट कर दिया। -
लोग धरती को आसमान समझ लेते हैं
हम तो श्रोता को ही भगवान समझ लेते हैं।
वरिष्ठ कवि राम लखन शुक्ल ने अपनी अवधी रचनाओं की प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया-
जउने दिन सिय के हरेसि हइ रवनवा उहीं हो दिन ना,
राम भइले बन जोगिया, उहीं हो दिन ना।
डा0 भगवान प्रसाद उपाध्याय की कविता -
अधरों का संबंध गीत से बहुत पुराना है ने कार्यक्रम को उंचाई प्रदान किया। संचालन कला के कुशल चितेरे वरिष्ठ कवि व पत्रकार जगदम्बा प्रसाद शुक्ल ने देश की वर्तमान व्यवस्था पर करारा व्यंग्य कसते हुए कहा-
भारत की रक्षा कैसे कर पाओगे कृष्ण मुरारी।
देश बेंच देने को हैं तैयार यहाॅं व्यापारी।।
कवि सम्मेलन में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा0 शम्भू नाथ त्रिपाठी ‘अंशुल’, बालेन्दु मिश्र, सारंग तथा बैजनाथ मिश्र ‘कल्पनेश’ ने भी अपनी रचना प्रस्तुत कर श्रोताओं की मंत्रमुग्ध कर दिया।कार्यक्रम के समापन अवसर पर सामाजिक परिवर्तन फाउंडेशन के अध्यक्ष कृष्णा शुक्ला ने कहा कि साहित्यकार देश के विकास को अपनी लेखनी द्वारा सही मार्गदर्शन दे सकते हैं और समाज को आइना दिखाने का काम भी बखूबी निभा सकते हैं संगठन की ओर से आगत कवियों को शाल, प्रतीक चिन्ह एवं प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया।देर रात तक चलने वाले इस कार्यक्रम में भारी संख्या में श्रोतागण एकत्र होकर काव्य गंगा में गोता लगाते रहे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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