Archive | April 12th, 2017

गन्ना मूल्य का समय से भुगतान सुनिश्चित कराने एवं बकाया

Posted on 12 April 2017 by admin

भुगतान न करने वाली चीनी मिलों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई का निर्णय

मंत्रिपरिषद ने गन्ना मूल्य का समय से भुगतान सुनिश्चित कराने एवं बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान न करने वाली चीनी मिलों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।

इस सम्बन्ध में मंत्रिपरिषद को अवगत कराया गया कि पेराई सत्र 2014-15 के लिए गन्ना किसानों का अवशेष देय 20,646.07 करोड़ रुपए के सापेक्ष 10 अप्रैल, 2017 तक 20,605.96 करोड़ (99.81 प्रतिशत) गन्ना मूल्य भुगतान किया जा चुका है। इसी प्रकार पेराई सत्र 2015-16 के लिए देय 18,003.21 करोड़ के सापेक्ष किसानों को अब तक 17,853.11 करोड़ (99.17 प्रतिशत) रुपए का भुगतान किया जा चुका है। पेराई सत्र 2016-17 की स्थिति की जानकारी देते हुए बताया गया कि 10 अप्रैल, 2017 तक (अध्यासी चीनी मिल को गन्ना आपूर्ति किए जाने की तिथि से 14 दिन पूर्व तक) कुल देय गन्ना मूल्य 22,630.67 करोड़ रुपए के सापेक्ष किसानों को 18,327.52 करोड़ (80.99 प्रतिशत) गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है। पेराई सत्र 2016-17 अभी चल रहा है, इसलिए इस पेराई सत्र के समाप्त हो जाने के उपरान्त गन्ना मूल्य की वास्तविक देयता निर्धारित की जाएगी।

बाद में प्रेस वार्ता में मंत्रिपरिषद के फैसलों की जानकारी देते हुए मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह एवं श्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारियों एवं गन्ना आयुक्त को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि किसी भी चीनी मिल द्वारा गन्ना किसानों के भुगतान के लिए निर्धारित समय सारणी का अनुपालन न करने की दशा में सख्त कार्रवाई की जाए।

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प्रदेश में बालू/मौरम की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए उ0प्र0 उपखनिज (परिहार) नियमावली, 1963 में संशोधन करने का निर्णय

Posted on 12 April 2017 by admin

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश में बालू/मौरम की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए तात्कालिक निर्णय लेते हुए उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली, 1963 में संशोधन करने का निर्णय लिया है।

ज्ञातव्य है कि प्रदेश में नदी तल में उपलब्ध बालू/मौरम आदि के पट्टे पर खनन संक्रियाएं मा0 उच्च न्यायालय के आदेशों से स्थगित हैं। दिनांक 21 दिसम्बर, 2016 को मा0 उच्च न्यायालय ने यह भी व्यवस्था दी कि वर्तमान में लागू नियमावली किसी दूसरे प्रदेश से जारी परिवहन प्रपत्र के आधार पर प्रदेश में उपखनिजों के परिवहन से मान्य नहीं करते। इसके कारण अन्य प्रदेशों से आने वाले उपखनिजों की आपूर्ति भी रुकी है, जिसके क्रम में मंत्रिपरिषद ने आज यह निर्णय लिया है।

उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में गठित मंत्री समूह की संस्तुति के आधार पर उत्तर प्रदेश उपखनिज (परिहार) नियमावली के नियम-70 में संशोधन करके अन्य प्रदेशों द्वारा जारी वैध परिवहन प्रपत्र को प्रदेश में उपखनिजों के परिवहन हेतु मान्य करने का फैसला लिया है। यह भी निर्णय लिया गया है कि इस नियम का उल्लंघन करने पर पूर्व निर्धारित 01 हजार रुपए दण्ड के स्थान पर 25 हजार रुपए का दण्ड रोपित किया जाएगा।

बाद में प्रेस वार्ता में मंत्रिपरिषद के फैसलों की जानकारी देते हुए मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह एवं श्री श्रीकांत शर्मा ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण करने तथा प्रदेश में पर्याप्त बालू एवं मौरंग इत्यादि उपलब्ध कराने के लिए मंत्री समूह का गठन किया था। मंत्री समूह ने तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए जो संस्तुति की है। इसके आधार पर व्यवस्था की गई है कि जिलाधिकारियों के माध्यम से मात्र 06 माह के लिए ई-निविदा के माध्यम से 10 एकड़ तक के पट्टे दिए जाएंगे। इस व्यवस्था के प्रभावी होने से पहले अन्य प्रदेशों द्वारा जारी वैध परिवहन प्रपत्र को मानने का निर्णय लिया गया है, जिससे तात्कालिक बालू/मौरम की कमी को दूर किया जा सके। आगे मंत्री समूह के निर्णय के आधार पर दीर्घावधि नीति बनाने का निर्णय लिया जाएगा।

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प्रदेश के हर घर को सातों दिन, चैबीसों घण्टे विद्युत आपूर्ति करने के लिए भारत सरकार के साथ 14 अप्रैल, 2017 को

Posted on 12 April 2017 by admin

साइन किए जाने हेतु निर्धारित सहमति पत्र अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के हर घर को सातों दिन, चैबीसों घण्टे विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार के साथ 14 अप्रैल, 2017 को साइन किए जाने के लिए निर्धारित सहमति पत्र को अनुमोदित कर दिया है।

ज्ञातव्य है कि प्रदेश के सभी घरों, उद्योगों, वाणिज्यिक संस्थानों एवं कृषि क्षेत्र तथा अन्य आवश्यकताओं के दृष्टिगत 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति उपलब्ध कराने हेतु प्रदेश सरकार एवं भारत सरकार के संयुक्त प्रयास से “24×7 पावर फाॅर आॅल’’ योजना को लागू किया जाना है। “24×7 पावर फाॅर आॅल’’ का मुख्य उद्देश्य वित्तीय वर्ष, 2019 के अंत तक प्रदेश के सभी उपभोक्ताओं को गुणवत्तापरक विद्युत आपूर्ति उपलब्ध कराना, कृषि क्षेत्र के बिजली की आपूर्ति के घण्टों को आवश्यकतानुसार प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित किया जाना एवं प्रदेश के सभी असंयोजित घरों को समयबद्ध सीमा के अंतर्गत वित्तीय वर्ष, 2019 के अंत तक विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराना है।

वित्तीय वर्ष, 2019 में प्रदेश के प्रत्येक घर को विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराने में यह आंकलन है कि वित्तीय वर्ष, 2019 में ‘पीक’ विद्युत की आवश्यकता 18,918 मेगावाॅट होगी, जो वित्तीय वर्ष, 2022 में 24,770 मेगावाॅट हो जाएगी। इस कार्य हेतु पावर ग्रिड द्वारा 765/400 के0वी0ए0 विभव स्तर की क्षमता 24000 मेगावाॅट से बढ़ाकर 30,500 मेगावाॅट करना एवं 400 से 220 विभव स्तर को 9,615 एम0वी0ए0 से बढ़ाकर 10,430 मेगावाॅट करना जरूरी है। उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन काॅर्पोरेशन लि0 द्वारा वित्तीय वर्ष, 2017-19 के बीच में ट्रांसमिशन की क्षमता 765/400 के0वी0ए0 को 9000 एम0वी0ए0 से बढ़ाकर 16000 एम0वी0ए0 करना एवं 400 से 220 के0वी0ए0 क्षमता 16,500 मेगावाॅट से बढ़ाकर 24,585 मेगावाॅट करना प्रस्तावित है।

इसी प्रकार उ0प्र0 पावर ट्रांसमिशन काॅर्पोरेशन लि0 द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-19 के बीच में 32 के0वी0 क्षमता 29,650 एम0वी0ए0 बढ़ाकर 39,040 एम0वी0ए0 किया जाना प्रस्तावित है। 33 के0वी0ए0 क्षमता को वर्तमान में 49,670 मेगावाॅट बढ़ाकर 52,430 किया जाना प्रस्तावित है। इसी प्रकार जनरेशन में विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़ाने हेतु प्रस्ताव किए गए हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अनुमोदित कार्य योजना तथा नीति को भारत सरकार के सहयोग से लागू किया जाएगा।

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