मीडिया शायद ही इसे कवर करे, क्योंकि ये कोई हत्या, बलात्कार की खबर नहीं. पर राजभाषा के नाम पर हो रहे जिस भ्रष्टाचार को राजेश्वरी सोलंकी ने उजागर किया है, वह देश भर के हिंदी प्रेमियों के लिए स्तब्ध कर देने वाला है.
राजेश्वरी के इस जज्बे को मेरा सलाम !!
गुजरात के लोग भी कमाल के जुझारू होते हैं. इस मामले में वे यूपी-बिहार आदि से कतई कम नहीं. अब इस महिला को ही देखिये - हिंदी के लिए समर्पित ये गुजराती महिला राजभाषा में बढ़ रहे दिखावे के भ्रष्टाचार के खिलाफ अहमदाबाद से अकेले दिल्ली चल पड़ी है. कोई संगठन नहीं, कोई साथी नहीं, घर वाले भी नहीं. अब वो कल यहां दिल्ली में धरना देने आ रही हैं ! दिन रात हिंदी के लिए घड़ियाली आंसू बहाने और हिंदी के पैसे पर मौज उड़ाने वालों से इतर इस महिला के साहस को मेरा सलाम !!
यूको बैंक चांदखेडा, अहमदाबाद की राजभाषा अधिकारी (53548) सोलंकी राजेश्वरी नरसिंहभाई ने पूरे साहस के साथ न सिर्फ राजभाषा के क्रियान्वयन में की जा रही धांधली का मामला उजागर किया, बल्कि राजभाषा संबंधी आदेशों की जानबूझकर अवहेलना करने के दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए केन्द्र सरकार के आला नेताओं व अधिकारियों को पत्र लिखकर दस दिनों के भीतर उचित कार्रवाई करने अन्यथा धरने पर बैठने की चेतावनी दी थी. जाहिर है, कोई कार्रवाई हुई नहीं, तो ये महिला अकेले दिल्ली में धरना देने चल पड़ीं. कल वे जंतर मंतर पर सुबह से शाम पांच बजे तक सांकेतिक धरने पर बैठेंगी.
राजेश्वरी ने खुलासा किया है कि-
• राजभाषा नियमों का हो रहा घोर उल्लंघन
• रिपोर्टों में झूठा दिखाया जा रहा राजभाषा का कार्यान्वयन
• राजभाषा अधिकारियों को सौंपे जा रहे कार्यालय के अन्य कार्य
• नौकरी की फ़िक्र में अधिकारी वह सब करने को मजबूर जिससे हिंदी का सरोकार नहीं
• राजभाषा का सही कार्यान्वयन कराने वाले को प्रताड़ित करते हैं विभाग
• उन्हें वार्षिक कार्यनिष्पादन रिपोर्ट में अंक कम देना, ताकि पदोन्नति न मिल पाए
• होम टाउन से स्थानांतरण कर बनाया जाता है उच्च अधिकारियों का गुलाम
• प्रवीणता प्राप्त अधिकारी भी नहीं करते हिंदी में कार्य
• ऐसे अधिकारियों पर भी नहीं होती कोई कार्रवाई
• कार्यपालक ही कर रहे राजभाषा नियमों की जानबूझकर अवहेलना
• प्रत्येक वर्ष/तिमाही/माह/दिवस में राजभाषा कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते
• लेकिन कार्यक्रम की रिपोर्ट / कार्यवृत भेजना अवश्य सुनिश्चित किया जाता
राजेश्वरी ने राजभाषा संबंधी आदेशों की जानबूझकर अवहेलना करने वालों पर उचित कार्रवाई तथा न्याय करने की मांग की थी. मांगें नहीं माने जाने पर वे कल नई दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना देंगी
राजभाषा को लेकर की जा रही घपलेबाजी पर राजेश्वरी सोलंकी ने क्या लिखा है?
- सोलंकी राजेश्वरी के अनुसार रिपोर्ट के आंकड़ों पर तथा हिंदी संबंधी कार्यक्रमों के आधार पर पुरस्कार वितरण करने से राजभाषा कासही कार्यान्वयन तो सुनिश्चित नहीं हो रहा बल्कि राजभाषा में दिखावे का भ्रष्टाचार बढ़ रहा है, जो दिखावे के रूप में आयोजित कार्यक्रमों के रूप में देश का खर्च बढ़ाता हैं। प्रवीणता प्राप्त अधिकारियों द्वारा हिंदी में कार्य नहीं किया जाने पर कोई कार्रवाई नहीं करना, कार्यपालकों द्वारा राजभाषा नियमों की जानबूझकर अवहेलना करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं करना, लेकिन प्रत्येक वर्ष/तिमाही/माह/दिवस में राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक, कार्यशाला, निरीक्षण, प्रतियोगिताएं, हिंदी दिवस, हिंदी प्रशिक्षण दिलवाना ही है। परिणाम स्वरूप प्रत्येक वर्ष तिमाही / माह / दिवस में यह कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं एवं कार्यक्रम न किए जाने पर भी कार्यक्रम की रिपोर्ट/कार्यवृत अवश्य भेजना सुनिश्चित अवश्य किया जाता है।
केन्द्र सरकार के अधीनस्थ कार्यालयों में राजभाषा को लेकर की जा रही घपलेबाजी पर राजेश्वरी ने किसे पत्र लिखा था-
राजेश्वरी ने राजभाषा संबंधी आदेशों की जानबूझकर अवहेलना करने के दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत अन्य तमाम केन्द्रीय मंत्रियों को पत्र लिखकर दस दिनों के भीतर उचित कार्रवाई करने अन्यथा धरने पर बैठने की चेतावनी दी थी.
भारतीय रेल विद्युत इंजीनियरिंग संस्थान, नासिकरोड के सेवानिवृत्त राजभाषा अधीक्षक मधुकर अ. सूर्यवंशी के अनुसार सोलंकी राजेश्वरी के आरोपों में कड़वी सच्चाई है.
राजेश्वरी के पत्र पर आधारित रिपोर्ट
एक तरफ जहां देश भर में राजभाषा को लेकर एक सप्ताह, पखवाड़ा और माह भर तक आयोजन करने की तैयारियां चल रही हैं, वहीं एक महिला राजभाषा अधिकारी ने राजभाषा संबंधी आदेशों की जानबूझकर अवहेलना किये जाने तथा राजभाषा अधिकारियों के साथ निष्पक्ष न्याय नहीं रखने का गंभीर आरोप लगाया है. यूको बैंक चांदखेडा, अहमदाबाद की राजभाषा अधिकारी (53548) सोलंकी राजेश्वरी नरसिंहभाई ने पूरे साहस के साथ न सिर्फ राजभाषा के क्रियान्वयन में की जा रही धांधली का मामला उजागर किया है, बल्कि राजभाषा संबंधी आदेशों की जानबूझकर अवहेलना करने के दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए केन्द्र सरकार के आला अधिकारियों को पत्र लिखकर दस दिनों के भीतर उचित कार्रवाई करने अन्यथा धरने पर बैठने की चेतावनी दी है.
सोलंकी राजेश्वरी के अनुसार रिपोर्ट के आंकड़ों पर तथा हिंदी संबंधी कार्यक्रमों के आधार पर पुरस्कार वितरण करने से राजभाषा का सही कार्यान्वयन तो सुनिश्चित नहीं हो रहा बल्कि राजभाषा में दिखावे का भ्रष्टाचार बढ़ रहा है, जो दिखावे के रूप में आयोजित कार्यक्रमों के रूप में देश का खर्च बढ़ाता हैं। प्रवीणता प्राप्त अधिकारियों द्वारा हिंदी में कार्य नहीं किया जाने पर कोई कार्रवाई नहीं करना, कार्यपालकों द्वारा राजभाषा नियमों की जानबूझकर अवहेलना करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं करना, लेकिन प्रत्येक वर्ष/तिमाही/माह/दिवस में राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक, कार्यशाला, निरीक्षण, प्रतियोगिताएं, हिंदी दिवस, हिंदी प्रशिक्षण दिलवाना ही है। परिणाम स्वरूप प्रत्येक वर्ष/तिमाही/माह/दिवस में यह कार्यक्रम आयोजित किए जाते है एवं कार्यक्रम न किए जाने पर भी कार्यक्रम की रिपोर्ट/कार्यवृत अवश्य भेजना सुनिश्चित अवश्य किया जाता है।
भारतीय रेल विद्युत इंजीनियरिंग संस्थान, नासिकरोड के सेवानिवृत्त राजभाषा अधीक्षक मधुकर अ. सूर्यवंशी ने सोलंकी राजेश्वरी के आरोपों का समर्थन करते हुए लिखा है कि सोलंकी राजेश्वरी के आरोपों में कड़वी सच्चाई है। वास्तव में तिमाही के जो आँकडे जाते हैं, वह वास्तविक नहीं होते। किसी भी अधिकारी को हिंदी नियमों की जानकारी नहीं होती। फिर भी हिंदी कर्मचारी को बेवजह प्रताडित किया जाता है। आपने जो आवाज उठाई है वह सही है। मैं भी इसका शिकार हूँ। मैं भी हरेक को लिख चुका हूँ लेकिन कोई असर नही हुआ है।
दरअसल राजभाषा अधिकारी सोलंकी राजेश्वरी नरसिंहभाई का पत्र देश भर के राजभाषा अधिकारियों के गूगल समूह में चर्चा का विषय बना हुआ है. अपने पत्र में राजेश्वरी ने बताया है कि उन्होंने राजभाषा संबंधी आदेशों की जानबूझकर अवहेलना किये जाने के मामले पर 01.08.2016 को केन्द्रीय गृह मंत्रालय एवं वित्त मंत्रालय को एक पत्र भेजकर पूछा था कि क्या ऐसे दोषी कर्मचारी या अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. राजेश्वरी को मंत्रालय से जवाब मिला कि उनका पत्र कार्यालय ज्ञापन सं:12019/04/2016-रा.भा.(शिका.)/ अन्य शिका.-3 दिनांक 12.08.2016 के तहत विभाग द्वारा आवश्यक कार्रवाई हेतु संयुक्त सचिव (प्रशासन), वित्तीय सेवाएं विभाग, वित्त मंत्रालय को भेजा गया है।
इस पत्र में दो बातें लिखी गई हैं, (1) यदि कोई कर्मचारी या अधिकारी जानबूझकर राजभाषा के बारे में लागू प्रावधानों की अवहेलना करता है तो प्रकरण में संबंधित नियमों एवं आदेशों के उल्लंघन होने के आधार पर कार्रवाई की जा सकती है। (2) राजभाषा विभाग सभी केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको एवं केंद्रीय उपक्रमों से समस्त कार्यपालिका को राजभाषा प्रयोग संबंधी सौंपे गए संवैधानिक और सांविधिक दायित्वों के निष्पादन में और वार्षिक कार्यक्रम में उल्लिखित लक्ष्यों की पूर्ति की दिशा में अभीष्ट स्वैच्छिक समर्थन की आशा और अपेक्षा करता है।
इससे पहले राजेश्वरी राजभाषा अधिकारी, यूको बैंक ने उपर्युक्त विषय में विभिन्न सरकारी कार्यालयों को भी ई-मेल व पत्र भेजा था,जिसमें केन्द्रीकृत लोक शिकायत निवारण और प्रणाली के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक के बैंकिंग लोकपाल एवं राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के ई-मेल से उन्हें केवल अंग्रेजी में उत्तर प्राप्त हुए. उन्होंने सूचना का अधिकार कानून-2005 के अंतर्गत सूचना प्राप्ति के लिए पोस्टल ऑर्डर के साथ यूको बैंक के सूचना अधिकारी को भी आवेदन भेजा था, जिसका उत्तर राजेश्वरी को अंग्रेजी में प्राप्त हुआ है। जो राजभाषा नियम 5 का घोर उल्लंघन है।
राजेश्वरी का सवाल वाजिब है कि राजभाषा कार्यान्वयन के लिए 1950 से नियम लागू होने के पश्चात भी सरकारी कार्यालयों द्वारा ऑटो जनरेटेड, सिस्टम जनरेटेड ई-मेल केवल अंग्रेजी में भेजने की व्यवस्था क्यों है? यह विडंबना ही है कि उपर्युक्त उल्लंघनों के पश्चात भी कार्यालयों की रिपोर्टों में राजभाषा कार्यान्वयन सुनिश्चित कर दिया जाता है तथा रिपोर्ट के आंकड़ों व हिंदी संबंधी कार्यक्रमों/ प्रतियोगिताओं के आधार पर पुरस्कार वितरण भी किए जाएंगे। इसी कारण अभी तक राजभाषा का उल्लंघन भी चलता रहा है तथा रिपोर्टों में राजभाषा अनुपालन का दिखावा भी चल रहा है।
हकीकत ये है कि रिपोर्टों में राजभाषा का कार्यान्वयन दिखाकर तमाम राजभाषा अधिकारियों को कार्यालय के अन्य कार्य सौंपे जा रहे हैं। अधिकारी भी अपनी नौकरी की फ़िक्र में वह सब काम करने के लिए बाध्य होता है जिससे हिंदी का सरोकार नहीं होता है और कार्यालय को भी एक ऐसा जीव मिल जाता है जो हिंदी में काम करने या न करने पर भी राजभाषा अनुपालन की ही रिपोर्ट तैयार करता है। जो राजभाषा अधिकारी सही रूप से राजभाषा कार्यान्वयन करना चाहे तथा उल्लंघन करने वाले उच्च कार्यालय व उच्च कार्यपालकों को सूचित करें, तो उसे वार्षिक कार्यनिष्पादन रिपोर्ट में अंक कम देना, ताकि पदोन्नति न मिल पाएं तथा होम टाउन से स्थानांतरण कर देना, ताकि वह अधिकारी भी स्वतंत्र भारत में
राजभाषा के कार्यान्वयन को छोड़कर उच्च अधिकारियों का गुलाम बन जाए तथा राजभाषा कार्यान्वयन का दिखावा करके देश व अपने दायित्वों के प्रति बेईमान बनें।
ज्यादातर सरकारी विभागों में एक धारणा बनी हुई है कि राजभाषा संबंधी आदेशों की जानबूझकर अवहेलना करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं कर सकता है. जबकि ऐसा कहीं पर भी नहीं लिखा गया है तथा किसी भी सरकारी अधिकारी को जानबूझकर राजभाषा नियमों के उल्लंघन का अधिकार भी नहीं दिया गया है. राजभाषा कार्यान्वयन न करने के बावजूद रिपोर्ट में कार्यान्वयन दिखाकर भ्रष्टाचार करना तो कानूनन गुनाह है। रिपोर्ट के आंकड़ों पर तथा हिंदी संबंधी कार्यक्रमों के आधार पर पुरस्कार वितरण करने से राजभाषा का सही कार्यान्वयन तो
सुनिश्चित नहीं हो रहा बल्कि राजभाषा में दिखावे का भ्रष्टाचार बढ़ रहा है, जो दिखावे के रूप में आयोजित कार्यक्रमों के रूप में देश का खर्च बढ़ाता है। प्रवीणता
प्राप्त अधिकारियों द्वारा हिंदी में कार्य नहीं किया जाने पर कोई कार्रवाई नहीं करना, कार्यपालकों द्वारा राजभाषा नियमों की जानबूझकर अवहेलना करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं करना, लेकिन प्रत्येक वर्ष/तिमाही/माह/दिवस में राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक, कार्यशाला, निरीक्षण, प्रतियोगिताएं, हिंदी दिवस, हिंदी प्रशिक्षण दिलवाना ही है। परिणाम स्वरूप प्रत्येक वर्ष/तिमाही/माह/दिवस में यह कार्यक्रम आयोजित किए जाते है एवं कार्यक्रम न किए जाने पर भी कार्यक्रम की रिपोर्ट/कार्यवृत अवश्य भेजना सुनिश्चित अवश्य किया जाता है।
राजेश्वरी का मानना है कि राजभाषा संबंधी आदेशों की जानबूझकर अवहेलना होने पर भी कार्रवाई न करना, तो राजभाषा कार्यान्वयन में दिखावे रूपी भ्रष्टाचार को प्रेरणा और प्रोत्साहन देना है। तथापि यदि उल्लंघन पर कोई कार्रवाई नहीं करनी है तो रिपोर्टिंग में राजभाषा की वास्तविक स्थिति नहीं दर्शाने वाले भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी तथा वास्तविकता की जांच किए बिना ही रिपोर्ट के आंकड़ों को सही मानकर पुरस्कार प्रदान करने हेतु चयन करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों पर भी कार्रवाई करनी होगी, ताकि राजभाषा कार्यान्वयन की वास्तविक स्थिति बनी रहे एवं राजभाषा के कार्यान्वयन के दिखावे का भ्रष्टाचार भी बंद हो। राजभाषा के वास्तविक कार्यान्वयन से या राजभाषा के दिखावे को समाप्त करके हमारे देश के आदर्श सूत्र वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ को सार्थक करना होगा। राजभाषा अधिकारियों/कार्यपालकों का भी राजभाषा कार्यान्वयन की सही रिपोर्ट तैयार करके प्रेषित करने से स्वमान बढ़ेगा तथा अपने कर्तव्यों के प्रति बेईमानी करने के बोझ से मुक्ति मिल जाएगी।
राजेश्वरी ने पत्र में कि देश में राजभाषा के सही सम्मान हेतु उचित कार्रवाई करने का अनुरोध करते हुए लिखा है कि वास्तविकता के बिना हिंदी दिवस मनाना केवल
दिखावा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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