(1) प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में भी देश की सीमायें असुरक्षित तथा सीमापार से प्रायोजित आतंकी घटनाओं से नागरिकों व सैनिकों के हताहत होने की घटनायें लगातार जारी, जिससे पूरा देश विचलित व चिन्तित। इस मामलें में भी भाजपा व श्री नरेन्द्र मोदी सरकार की कोरी बयानबाजियों से जम्मू- कश्मीर में खासकर कश्मीर के हालात पिछले लगभग तीन महीने से अत्यन्त ही चिन्ताजनक। जम्मू-कश्मीर की भाजपा-पीडीपी गठबन्ध सरकार ठप: सुश्री मायावती जी
(2) अपने चुनावी लुभावने वायदों के साथ-साथ देश में व्याप्त खासकर जबर्दस्त महँगाई, गरीबी, बेरोजगारी व अशिक्षा आदि राष्ट्रीय समस्याओं को दूर करने में घोर विफलता पर से लोगों का ध्यान बाँटने व उत्तर प्रदेश सहित देश के अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा आमचुनाव में अपनी खराब हालत के मद्देनजर इन मुद्दों को पाकिस्तान के साथ जोड़कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लोगों को भावनात्मक तौर पर ब्लैकमेल (मउवजपवदंस इसंबाउंपस) करने का प्रयास गलत तथा केवल राजनैतिक व चुनावी साजिश: सुश्री मायावती जी।
(3) इन मामलों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कल केरल में की गई बयानबाजी ‘‘दूसरों को नसीहत व खुद को फजीहत’‘ के मुहावरे को ही चरितार्थ करती है। भाजपा सरकार खासकर उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव के मद्देनजर कोई भी नया वायदा करने से पहले अपना पुराना वायदा पूरा करें: बी.एस.पी.।
(4) साथ ही, सपा मुखिया के ’’पुत्रमोह’’ के कारण उत्तर प्रदेश सपा सरकार व सपा परिवार में जारी अन्दरूनी घमासान व गृहयुद्ध के कारण प्रदेश की आमजनता का काफी ज्यादा बुरा हाल। बड़े पैमाने पर लोग डेंगू व चिकनगुनिया जैसी घातक बीमारियों से परेशान, परन्तु सपा सरकार के लोग नीरों की तरह बाँसुरी बजाने में व्यस्त: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी
(बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने आज दिनांक 25 सितम्बर, 2016 को बी.एस.पी. उत्तर प्रदेश स्टेट कार्यालय, 12 माल एवेन्यू में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेन्स को सम्बोधित किया, जिसमें उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की। इसका मुख्य अंश:-)
मीडिया बन्धुओं, आज की यह प्रेस कान्फ्रेंस खासकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक के दौरान कल केरल के कोझिकोड में एक जनसभा को सम्बोधित करते समय खासकर उरी की आतंकवादी घटना में 18 भारतीय सैनिकों के बलिदान के साथ-साथ गरीबी, बेरोजगारी व अशिक्षा को समाप्त करने एवं विकास को भी लेकर जो बातें कहीं है, उस पर अपनी पार्टी की प्रतिक्रिया व्यक्त करने के खास मकसद से बुलायी गयी है।
इस सम्बन्ध में खासकर जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्र उरी में आतंकवादियों द्वारा अपने 18 सैनिकों की शहादत को फिर से नतमस्तक करते हुये, हमारी पार्टी का यह कहना है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस घटना के साथ-साथ पाकिस्तान व पाकिस्तानी जनता के हित व कल्याण की तरफ ध्यान देने की पाकिस्तान सरकार के मुखिया को सलाह देना अच्छी बात है, लेकिन इसके साथ ही दूसरों को कोई सलाह देेने से पहले इनको पहले अपने खुद के गिरेवान में भी यह झांक कर जरूर देखना चाहिये कि इन सब मामलों में इनकी यहाँ अपनी सरकार का अब तक का रिकार्ड क्या उपदेश देने लायक है भी या नहीं, अर्थात् कहीं ऐसा तो नहीं है कि खुद गुड़ खायें और दूसरों को मीठा खाने से परहेज करने की वे सलाह दे रहे हैं।
लेकिन इन बातों को तथ्यों के आधार पर बात करने से पहले मैं यह कहना चाहती हूँ कि उरी में सैनिक शिविर पर आतंकी हुये हमले में 18 जवानों के बलिदान से अपने देश के लोगों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है, और इस सन्दर्भ में अपने देश के लोग केन्द्र की सरकार से व खासकर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से ऐसे ठोस आश्वासन व ऐसी प्रभावी कार्यवाही की उम्मीद करते हैं कि इन घटनाओं की बार-बार यहाँ पुनरावृत्ति ना हो सके, हालांकि इस मामले में अपने देश की जनता यहाँ केन्द्रीय मंत्रियों व खासकर प्रधानमंत्री के बार-बार की बयानबाजी व आश्वासनों से काफी तंग आ गई लगती हैं और अब ये लोग यही चाहते हैं कि आतंकी घटनाओं में लोगांे के जान-माल व खासकर हमारे सैनिकों पर होने वाले लगातार हमले समाप्त हों, और इसमें उन्हें खासकर केन्द्र की वर्तमान भाजपा सरकार से भी काफी मायूसी हाथ लग रही है, इतना ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अपने एक्शन से देश को ऐसा भरोसा नहीं दे पा रहे हैं कि अब बस आगे ऐसा नहीं होगा, अब हमारी सीमायें सुरक्षित है, कोई आतंकी घूसपैठ नहीं कर पायेगा व हमारे किसी भी नागरिक व सैनिक का सीमापार से आतंकी घटनाओं में बलिदान नहीं होगा। यह पूरी तरह से जन अपेक्षा को पूरा कर पाने में केन्द्र सरकार की नाकामी नहीं तो और क्या है?
लेकिन इन सब मामलों में आम राय बनाकर कोई ठोस व लम्बी अवधि की नीति बनाकर उस पर अमल करने के बजाय, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार लोगों का ध्यान बाँटकर उन्हें गुमराह करने का प्रयास करती हुई हमें नजर आ रही है और इस मामलें में आश्चर्य की बात यह है कि यहाँ सीमापार से आतंकी हमलों में लगातर होने वाली भारी जान-माल के नुकसान को रोक पाने में अपनी कमजोरियों व विफलताओं पर से लोगों का ध्यान बाँटने के लिये, अब पाकिस्तान से गरीबी, बेरोजगारी व अशिक्षा से जंग करने की बात कही जा रही है, और साथ ही इस बारे में पाकिस्तान की जनता को भी सलाह दी जा रही है, जबकि इनकी यह बयानबाजी वास्तव में ’’दूसरों को नसीहत, खुद को फजीहत’’ के बहु-प्रचलित मुहावरे को ही प्रदर्शित करने वाली है।
अर्थात् पाकिस्तानी सरकार को व वहाँ की जनता को कोरी सलाह देने से पहले प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को अपने गिरेबान में यह भी जरूर झांककर देखना चाहिये कि इनके पिछले लगभग ढाई वर्षों के शासनकाल के दौरान यहाँ गरीबी, मँहगाई, बेरोजगारी, अशिक्षा के साथ-साथ जनहित व जनकल्याण के मामले में भी इनका रिकार्ड काफी ज्यादा खराब रहा है और इतना ही नहीं बल्कि इन सब मामलों में उन्होंने देश की जनता से लोकसभा आमचुनाव के दौरान किये गये अपने वायदों को थोड़ा भी जमीनी हकीकत में लागू नहीं करके लोगों से वायदा खिलाफी ही की है जिसके परिणाम स्वरूप ही उन्हें विभिन्न राज्यों में खासकर दिल्ली, बिहार, बंगाल, तमिलनाडु व केरल आदि में करारी हार का सामना करना पड़ा है।
इसके साथ-साथ देश में व्याप्त बड़े पैमाने पर खासकर महँगाई, गरीबी, बेरोजगारी व अशिक्षा को समाप्त करने के मामलों में केन्द्र सरकार का रवैया भी काफी ज्यादा लचर रहा है। और इन सभी समस्याओं पर पूरा ध्यान देकर, ठोस व प्रभावी नीति बनाकर, उस पर जबरदस्त तरीके से अमल करने के बजाय, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार खासकर यहाँ बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों के हितों में ही काम करने के लिये, सरकार की शक्ति व संसाधनों का इस्तेमाल करती रही है और अब तो इन्होंने अपने कुछ चहेते उद्योगपतियों के लिये प्रचार व प्रसार करने का भी काम शुरू कर दिया है। यही खास वजह है कि देश की जनता में केन्द्र की वर्तमान भाजपा सरकार के खिलाफ व्यापक जन आक्रोश है, जो सीमा पार से आतंकी घटनाओं में भारी जान-माल की हानि से और भी ज्यादा इनकी परेशानी को बढ़ा देता है।
इसी कारण खासकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड व पंजाब आदि राज्यों की जनता यह चाहती है कि इन राज्यों में होने वाले विधानसभा आमचुनाव के दौरान खासकर भाजपा व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कोई लोक-लुभावन बातें व घोषणायें आदि ना करे, बल्किी इससे पहले वे लोकसभा चुनाव के दौरान किये गये अपने पुराने वायदों को पूरा करके दिखायें और फिर आगे कोई नये आश्वासन व घोषणायें आदि करें।
अर्थात् इस बारे में अपने देश की आमधारणा है कि भाजपा व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार का अब तक का चाल, चरित्र व चेहरा यह बताता है कि यह गरीबों, मजदूरों, किसानों के साथ-साथ दलितों, अन्य पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम व ईसाई समाज की घोर विरोधी व बड़े-बड़े पूँजीपतियों एवं साम्प्रदायिक तत्वों की हितैषी एक कट्टरवादी सरकार है, इसलिये इनसे देश व जनहित एवं जनकल्याण की उम्मीद करना अपने आपको धोखे में रखना ही होगा और इतना ही नहीं बल्कि देश के सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ देश के सैनिकों के हित में केन्द्र की वर्तमान सरकार, कांग्रेस पार्टी की ही सरकार की तरह विफल साबित होगी व सीमापार से निर्देशित होने वाली आतंकी घटनाओं पर विराम नहीं लगा पायेगी, यह गम्भीर चिन्ता की बात है।
साथ ही इस भाजपा सरकार के अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर में अन्दरूनी हालात इतने ज्यादा बिगड़ गयें हैं कि अब वहाँ लगभग तीन महीने के काफी लम्बे समय से हालात सामान्य न होकर काफी बिगड़े हुये हैं, जबकि वहाँ भाजपा व पीडीपी की मिलीजुली सरकार है इससे देश के लोगों की चिन्तायें स्वाभाविक हैं।
इस प्रकार जनहित व जनकल्याण व सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ देशहित व देश के तमाम मामलों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार का अब तक का रिकार्ड ऐसा खराब व विफल साबित करने वाला है, जिसका नुकसान अवश्य ही उन्हें व उनकी पार्टी को उत्तर प्रदेश सहित देश के अन्य और राज्यों में भी होने वाले विधानसभा आमचुनावों में जरूर उठाना पड़ेगा, जिस पर से भी लोगों का ध्यान बाँटने के लिये प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बड़ी चालाकी से अपने देश की ज्वलन्त समस्याओं को पाकिस्तान की ज्वलन्त समस्याओं से जोड़कर यहाँ के लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया है, लेकिन देश की आमजनता को बार-बार बरगलाने की नादानी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को नहीं करनी चाहिये। यह उन्हें आगे चलकर काफी महंगी पड़ सकती है।
अब संक्षेप में हमारी पार्टी का यही कहना है कि अपने भारत देश की राष्ट्रीय समस्याओं अर्थात् यहाँ जानलेवा महँगाई, गरीबी, बेरोजगारी व अशिक्षा आदि को पाकिस्तान की इन समस्याओं से जोड़कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देशहित का यह कोई बड़ा काम नहीं किया है, बल्कि अपनी सरकार की लगभग पिछले ढाई वर्षों के गलत कार्यकलापों व विफलताओं पर से लोगों का ध्यान बांटने के लिए उनको भावनात्मक ब्लेकमेल (मउवजपवदंस इसंबाउंपस) करके खासकर उत्तर प्रदेश व देश के कुछ और राज्यों में भी होने वाले वि.सभा आमचुनाव को प्रभावित करने का यह राजनीतिक प्रयास किया जा रहा है। और यह भाजपा व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उसी चुनावी साजिशों का परिणाम है, जिस रणनीति पर काम करते हुये बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों के धनबल पर इन्होंने लोकसभा का अमचुनाव जीता था, परन्तु अब इनसे लोगों को बहुत ही ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है, खासकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड व पंजाब आदि राज्यों के लोगों को तो इनके इस प्रकार के चुनावी हथकण्डों के बहकावे में कतई भी नहीं आना है।
अब यहाँ अपनी बात समाप्त करने से पहले मैं उत्तर प्रदेश की उस परेशान जनता के बारे में भी यह कहना चहूँगी कि जो वर्तमान में खासकर डेंगू व चिकनगुनिया आदि घातक बीमारियों से त्रस्त हैं और ऐेसे समय में यहाँ वर्तमान सपा सरकार इन लोगांे के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से भी किनारे किये हुये हैं।
वास्तव में प्रदेश की सपा सरकार के गलत कार्यकलापों के साथ-साथ सपा मुखिया के ’’पुत्रमोह’’ के कारण सपा परिवार में जारी भारी अन्दरुनी घमासान व गृहयुद्ध से प्रदेश की आमजनता का काफी ज्यादा नुकसान होना लगातार जारी है। इस मामले में खासकर अपराध-नियन्त्रण व कानून-व्यवस्था एवं विकास कार्यों का तो काफी ज्यादा बुरा हाल है अन्य सरकारी कामकाज पर भी इनका बुरा प्रभाव पड़ने के कारण स्वास्थ्य सेवायें भी ठप्प हैं तथा डेंगू आदि बीमारियों से लोगांे का जीवन अब यहाँ काफी संकट व परेशानियों से घिर गया है और इन बीमारियों के कारण लोगांे में यहाँ हाहाकार मचा हुआ है, परन्तु ऐसे समय में भी सपा सरकार यहाँ ’’नीरो की तरह ही बांसुरी बजाती’’ हुई हमें नजर आ रही हैं। अब ऐसी विकट परिस्थियों का संज्ञान लेकर प्रदेश के राज्यपाल व केन्द्र की सरकार की खास जिम्मेदारी बनती है कि वे प्रदेश की सपा सरकार का, उसकी संवैधानिक जिम्मेदारियों के निर्वहन में घोर विफलताओं की ओर ध्यान आकृष्ट करें ताकि यहाँ प्रदेश के पीड़ित लोगांे को थोड़ी बहुत राहत मिल सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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