समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में बिजली के मामले में केन्द्र का रवैया पूरी तरह असहयोगपूर्ण है। राज्य सरकार अपने संसाधनों के बल पर प्रदेश में विद्युत आपूर्ति के लिए दिन रात एक किए हुए है लेकिन केन्द्र सरकार कुछ मदद करने के बजाय राज्य सरकार को ही कठघरे में खड़ा करने की कवायद में लगी है। केन्द्र और राज्य में दो भिन्न दलों की सरकारें हैं लेकिन संविधान में जिस संघीय ढांचे की व्यवस्था है उसमें जनहित में परस्पर सहयेाग की अपेक्षा की जाती है न कि असहिष्णुता की। केन्द्र और राज्य के “व्यापारिक संबंध“ नहीं है।
मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने जो तथ्य रखे हैं उससे तो यही जाहिर होता है कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री सिर्फ अपनी बात पर जिद पकड़ कर बैठ गए है। केन्द्र कोटे से कम बिजली दे रहा है, पर्याप्त कोयले की सप्लाई नहीं हो रही है और रूग्ण विद्युत वितरण कम्पनियों की दशा सुधारने का काम नहीं हो रहा है, इससे केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री किनाराकशी नहीं कर सकते हैं।
जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। इसके साथ केन्द्र सरकार सौतेला व्यवहार कर रही है। उत्तर प्रदेश से भी आधी आबादी से भी कम के दिल्ली राज्य को उत्तर प्रदेश के आवंटन के लगभग 70 प्रतिशत के बराबर विद्युत आवंटन किया गया हैं इसी तरह महाराष्ट्र को उत्तर प्रदेश के 5788 मेगावाट आवंटन के सापेक्ष 6396 मेगावाट का आवंटन किया गया है। स्पष्ट है कि वर्तमान ढांचे से विद्युत आवंटन में असमानता बढ़ती है। बड़ी जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश की यह उपेक्षा राजनीतिक कारणों से की जा रही है। यह नितांत असंवैधानिक कदम है।
केन्द्र सरकार की उपेक्षा के कारण प्रदेश के सभी बिजलीघरों को पर्याप्त मात्रा में कोयला की आपूर्ति नहीं होने से कई बिजलीघर क्षमताभर बिजली का उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। उत्तरी क्षेत्र के एनटीपीसी के उत्पादन गृहों में कुछ इकाइयां कोयले की कमी के कारण बंद हो गई हैं। अनपरा और पारीछा बिजलीघरों में कोयले के अभाव में बिजली उत्पादन कम हो गया है। रोजा पावर प्लांट बंद है।
केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री का दावा है कि केन्द्रीय कोटे से सबसे ज्यादा बिजली दी जा रही है जबकि खुद उनके अपने आंकडें वास्तविकता से परे है। केन्द्रीय कोटे से 7 सितम्बर,2014 रविवार को ही 5863 मेगावाट बिजली आवंटित की गई जबकि 3972 मेगावाट बिजली की ही सप्लाई हुई। यानी आवंटित कोटे से 1891 मेगावाट कम बिजली दी गई। इसी तरह वे राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना में विलम्ब के लिए राज्य की कानून व्यवस्था की बात करते है। दरअसल भाजपा की रीति नीति में अफवाहबाजी का बहुत महत्व है।
उत्तर प्रदेष से भाजपा के 71 सांसद है। विडंबना है कि वे मतदाताओं के प्रति अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं निभा रहे है। प्रदेश की जनता की परेशानी से उनका कोई लेना देना नहीं है। केन्द्र सरकार प्रदेश के हितों की जैसी अनदेखी और उपेक्षा कर रही है उस पर भाजपा के इन सांसदों ने कभी विरोध नहीं जताया। राजनीति न करने की बात करनेवाले केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री जी बताएं कि राजनीति का यह घिनौना खेल उत्तर प्रदेश के साथ ही क्यों खेला जा रहा है ?
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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