Posted on 31 December 2015 by admin
मनसा पब्लिकेशन, लखनऊ द्वारा प्रकाशित समालोचनात्मक कृति ‘मानवता का महा काव्य‘ के लोकार्पण का आयोजन उत्तर प्रदेष हिन्दी संस्थान के निराला सभागार, लखनऊ में किया गया। लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता माननीय श्री उदय प्रताप सिंह ने की। समारोह के मुख्य अतिथि डाॅ0 सुधाकर अदीब, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅ0 उषा चैधरी उपस्थित थे।
वाणी वन्दना की प्रस्तुति सुश्री कनक वर्मा द्वारा की गयी। वाणी वन्दना के अनन्तर श्रीमती हेमलता शर्मा की समालोचनात्मक कृति ‘मानवता का महा काव्य‘ का लोकार्पण मा0 श्री उदय प्रताप सिंह जी एवं मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया।
कृतिकार श्रीमती हेमलता शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा - मेरी प्रथम पुस्तक मानवता का महा आख्यान साहित्य सागर में बूँद के समान है। ‘मम अरण्य‘ उपन्यास को पढ़कर मुझे जो आनन्द एवं श्रृद्धा की अनुभूति हुई उसको शब्दों में व्यक्त करना असम्भव था। ‘मम अरण्य‘ के अरण्य में विचरण करते हुए उसके सुगन्धित एवं उपयोगी पुष्पों को चयनित करके जो गुलदस्ता निर्मित हुआ व ‘मानवता का महा आख्यान‘ के रूप में आपके सामने है।
पुस्तक की चर्चा करते हुए श्री पद्मकान्त शर्मा ‘प्रभात‘ ने कहा - डाॅ0 सुधाकर अदीब का ‘मम अरण्य‘ उपन्यास स्वयं ही अद्वितीय कृति है। ‘मानवता का महा आख्यान‘ निश्चय ही एक पठनीय कृति है क्योंकि मम अरण्य के मर्म को इस कृति में संजोया गया है।
श्री दयानन्द पाण्डेय ने कहा - डाॅ0 सुधाकर अदीब तपस्वी साहित्यकार हैं उनके उपन्यास पर पुस्तक लिखने के लिए हेमलता शर्मा जी को बधाई। ‘मम अरण्य‘ में सब कुछ घटता हुआ दिखायी देता है जैसे कोई रील चल रही हो।
डाॅ0 विद्याबिन्दु सिंह ने कहा - कहते हैं पाठ और श्रोत्रा आज दुर्लभ हैं लेखक बहुत हैं। संवेदना के साथ हेमलता जी ने ‘मम अरण्य‘ का महा आख्यान रचा है। आज हर व्यक्ति अपने-अपने अरण्य में जी रहा है सबका अपना-अपना अरण्य रोदन है लेकिन ‘मम अरण्य‘ में यह रोदन नहीं है उसमें पुकार है सबको जोड़ने की।
विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित डाॅ0 उषा चैधरी ने कहा - ‘मम अरण्य‘ की भाषा में पाठकों को काव्य का भी आनन्द आयेगा। यही आनन्द मानवता का महा आख्यान में भी मिलेगा ऐसा मेरा विश्वास है।
मुख्य अतिथि डाॅ0 सुधाकर अदीब ने उपन्यास ‘मम अरण्य‘ से कुछ अंशों का पाठ किया जिसे मंत्रमुग्ध होकर श्रोत्राओं द्वारा सुना गया।
अध्यक्षीय सम्बोधन करते हुए मा0 उदय प्रताप सिंह ने कहा - पहली कृति के लिए हेमलता शर्मा जी को बहुत-बहुत बधाई। ‘राम‘ के पात्र में रखकर पीढि़याँ अपने अनुसार रामकथा को गढ़ लेती हैं। यही रामकथा की महिमा है। देश काल के अनुसार पौराणिक प्रसंगों को संशोधित करने की आवश्यकता होनी चाहिए।
समारोह में श्री विपिन शर्मा ने आभार व्यक्त किया।
समारोह का संचालन डाॅ0 अमिता दुबे, प्रकाशन अधिकारी, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 31 December 2015 by admin
उत्तर प्रदेष हिन्दी संस्थान के स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर बुधवार, 30 दिसम्बर, 2015 को अभिनन्दन पर्व -2014 एवं हास्य नाटक ‘ढोंग‘ का आयोजन किया गया। श्री उदय प्रताप सिंह, माननीय कार्यकारी अध्यक्ष, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान की अध्यक्षता में आयोजित अभिनन्दन पर्व में मुख्य अतिथि के रूप में श्री गोपाल चतुर्वेदी, विशिष्ट साहित्यकार आमंत्रित थे।
दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पार्पण के उपरान्त प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में वाणी वन्दना की प्रस्तुति डाॅ0 अलका निवेदन द्वारा की गयी।
मंचासीन अतिथियों का उत्तरीय द्वारा स्वागत डाॅ0 सुधाकर अदीब, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया।
अभ्यागतो का स्वागत करते हुए संस्थान के निदेशक, डाॅ0 सुधाकर अदीब ने कहा - बाल साहित्यकार समाज को दिशा प्रदान करते हैं। बाल साहित्य की रचना ऐसी हो जिससे बाल मन के मानसिक विकास व नैतिक मूल्यों की संरचना में बढोत्तरी हो। बाल साहित्य की रचना अपने आप में बहुत बड़ा साहसिक कार्य है। बाल साहित्य बाल मन को समझने व सुधारने का कार्य करता है। बाल साहित्यकार बधाई के पात्र हैं।
अभिनन्दन समारोह में ‘सुभद्रा कुमारी चैहान महिला बाल साहित्य सम्मान‘ से श्रीमती स्नेहलता, ‘सोहन लाल द्विवेदी बाल कविता सम्मान‘ से श्री रमाकान्त मिश्र ‘स्वतंत्र‘, ‘निरंकार देव सेवक बाल साहित्य इतिहास लेखन सम्मान‘ से डाॅ0 विजयानंद तिवारी, ‘अमृत लाल नागर बाल कथा सम्मान‘ से श्री रमाषंकर, ‘लल्ली प्रसाद पाण्डेय बाल साहित्य पत्रकारिता सम्मान‘ से श्री बन्धु कुषावर्ती, ‘डाॅ0 रामकुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान‘ से श्री विनय कुमार मालवीय, ‘कृष्ण विनायक फड़के बाल साहित्य समीक्षा सम्मान‘ से डाॅ0 शेषपाल सिंह‘ शेष‘, ‘जगपति चतुर्वेदी बाल विज्ञान लेखन सम्मान‘ से डाॅ0 ज़ाकिर अली ‘रज़नीष‘ एवं ‘उमाकान्त मालवीय युवा बाल साहित्य सम्मान‘ से श्री आषीष शुक्ल को मंचासीन अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया ।
अभिनन्दित साहित्यकारों के प्रतिनिधि के रूप में बोलते हुए डाॅ0 ज़ाकिर अली रज़नीष ने कहा -विश्व मंे हिन्दी की पताका उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने फहराई है। संस्थान अपनी कर्तव्य निष्ठा से विश्व के कोने-कोने से ढूंढकर साहित्यकारों को सम्मानित करता है। बाल साहित्यकारों को लेकर पूरे देश में हलचल है। बाल सृजन करना एक कठिन कार्य कार्य है। बाल साहित्य की बाल मनोरंजन, मानसिक स्तर को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। बाल साहित्यकारों के समक्ष काफी चुनौतियाँ हैं। हमें बच्चों के मानसिक स्तर पर जाकर लिखना होगा।
श्रीमती स्नेह लता द्वारा काव्य पाठ करते हुए कहा -
जकड़ लिया सारी दुनियाँ को नित नवीन मृगतृष्णाओं ने,
वातावरण प्रदूषित करती धरती रौंदी आकाओं ने
नव विचार कर नव अन्वेषण धरती को मानव से जोड़ों
मांग समय की फिर से सोचों बिसरी कविता फिर से खोजो।
मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार रखते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री गोपाल चतुर्वेदी ने कहा - बाल साहित्य की एक नयी विधा हैं आज बाल साहित्य में चुनौतियाँ हैं लेकिन उसमें लचीलापन है। पंचतंत्र की कहानियाँ बच्चों के लिए सर्वाधिक प्रचलित है सार्वभौमिक हैं। बाल कविता के पहले कवि सोहन लाल द्विवेदी थे। पहले बाल साहित्य की महत्ता जन सामान्य को नहीं थी।
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हरि कृष्ण देवसरे ने बाल साहित्य को वैज्ञानिकता प्रदान की। चन्दामामा, पराग, नन्दन बाल पत्रिकाओं ने भी बाल साहित्य को बढ़ावा दिया। बाल साहित्य वह विधा है जो बच्चों को संस्कार सिखाता है। बाल साहित्य का नैतिक आयाम होना चाहिए।
समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए मा0 उदय प्रताप सिंह ने कहा - बाल साहित्य मुख्य साहित्य की धारा से कम नहीं है उन्होंने एक महान साहित्यकार के विचार उद्धृरित किये - अपने बच्चों को इस लिए प्यार करो कि उन बच्चों के माध्यम से आगे चलकर आप जीवित रहेंगे। बच्चों में नैतिक मूल्यों को पैदा कर हम राष्ट्र को आगे बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
समारोह का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डाॅ0 अमिता दुबे, प्रकाशन अधिकारी, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा किया गया।
इस शुभ अवसर पर संस्थान के यशपाल सभागार, हिन्दी भवन में श्री रमेश मेहता द्वारा लिखित तथा वरिष्ठ रंगकर्मी श्री संगम बहुगुणा द्वारा निर्देशित हास्य नाटक ‘ढोंग‘ का मंचन युवा उत्थान समिति, लखनऊ द्वारा किया गया। जिसमें प्रमुख रूप से मंच पर (हकीम गंधाधर) की भूमिका में श्री संगम बहुगुणा, (जमुना) सुश्री ममता प्रवीण, (नरेश) श्री अंकुर सक्सेना, (नीना) सुश्री माही त्रिपाठी, (हरिया) श्री रविकांत शुक्ला, (चंद्रा) सुश्री सिमरन अवस्थी, (प्रेम) श्री अम्बरीश बाॅबी, (पंडित सीताराम) श्री हरीश बडोला ने अभिनय किया। मंच परे (संगीत) श्री आलोक श्रीवास्तव, (प्रकाश परिकल्पना एवं संचालन) श्री मनीष सैनी, (मुख सज्जा) श्री शहीर अहमद, (मंच निर्माण) श्री शिव रतन एवं (प्रस्तुति प्रबन्धन) श्री अनुपम ने की। नाटक के प्रस्तुतकर्ता श्री शैलेन्द्र यादव थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 31 December 2015 by admin
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि अपने कारनामों से सत्ता गंवाकर बसपा बुरी तरह बौखला गई है। सच्चाई है कि जनता ने समाजवादी पार्टी को सत्ता सौंपी। यह बसपा नेतृत्व को पच नही रहा है। इसलिए अनर्गल बयानबाजी करके वे अपनी भड़ास निकालते हैं। बसपा अध्यक्ष का संविधान ज्ञान तो इतना है कि वे मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के शपथग्रहण के दिन से ही प्रदेश में राष्ट्रपति राज की मांग करने लगी थी। आज भी जब वे अपनी प्रेस कांफ्रेस करती हैं तो वही राग अलापने लगती है। देखादेखी उनके पार्टी के दूसरे नेता भी वही बानी बोलने लगते हैं। बहुमत का जनादेश पाकर समाजवादी सरकार बनी है उसके प्रति ऐसी मानसिकता का प्रदर्शन प्रदेश की 22 करोड़ जनता का अपमान है।
बसपा के एक नेता को समाजवादी पार्टी सरकार दलित विरोधी और भाजपा से मेल भी दिखाई देता है। यह उनका दृष्टिदोष है क्योंकि वें स्वयं जानते हैं कि समाजवादी पार्टी और बसपा दोनों के चरित्र और आचरण कैसे हैं। समाजवादी पार्टी कथनी-करनी में भेद नही करती है। बसपा की कथनी-करनी में जमीन आसमान का अंतर है। समाजवादी पार्टी की प्राथमिकता में गाँव गरीब और किसान है तो बसपा राजनीति सिर्फ उगाही का खेल हैं।
यह हकीकत तो बसपा नेताओ को भलीभांति मालूम है कि समाजवादी पार्टी ने हमेशा समाज के उपेक्षित और वंचित समाज की भलाई के काम किए हैं। जब श्री मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे उन्होंने अम्बेडकर महासभा को कार्यालय दिया था, 10 हजार अम्बेडकरनगर गाँवो की योजना कार्यान्वित की थी और विधानसभा मार्ग का नाम भी अम्बेडकर जी के नाम पर रखा था। श्री अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल में समाजवादी सरकार में दलित समाज के उत्थान के लिए कई निर्णय लिए गए हैं। अनुसूचित जाति के छात्रों को छात्रवृत्ति तथा फीस प्रतिपूर्ति के लिए समाजवादी सरकार ने वर्ष 2015-16 के बजट में 2100 करोड़ रुपये रखे हैं। आसरा योजना के अन्तर्गत 300 करोड़ रुपये रखे गये है जिसमें लगभग 8,000 आवासहीन परिवारों को लाभ मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रो में भूमिहीन परिवारों को बीमा योजना का लाभ दिया गया है। समाजवादी पंेशन योजना से 45 लाख से ज्यादा गरीब लाभान्वित होंगे। इन तमाम योजनाओं में दलित शामिल है।
समाजवादी सरकार मलिन बस्तियों के सुधार के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब के लिए बत्ती, पंखा एवं अन्य घरेलू उपकरण चलाए जाने हेतु सोलर पावर पैक उपलब्ध करा रही है। गाँवो में भी सफाई कर्मियों की नियुक्ति होने वाली है। गरीब परिवारों को कैंसर, किडनी, लीवर, दिल की बीमारी आदि में मुफ्त चिकित्सा सुविधायें मिल रही है। अस्पतालों में एक रुपये के पर्चे पर दवांए मुफ्त मिलती है। दलित बच्चों को मुफ्त शिक्षा के साथ पुस्तके, यूनीफार्म भी दिये जाते है।
प्रदेश की जनता के सामने बसपा शासनकाल का भी रिकार्ड है। मुख्यमंत्री के दरवाजे तो क्या उनके आवास की सड़क के आसपास तक कोई दलित महिला या पुरुष नही फटक सकता था। दलित किशोरियों की हत्या और उनके साथ बलात्कार में बसपा विधायक और मंत्री ही दोषी पाए गए। यह भी छुपा नही है कि बसपा की सरकार को भाजपा का सहयोग मिलता रहा है और खुद बसपा अध्यक्ष गुजरात में श्री नरेन्द्र मोदी के पक्ष में प्रचार करने गई थी। जिस बसपा के दामन पर इतने दाग हों उसे समाजवादी सरकार पर आक्षेप करने का नैतिक और राजनैतिक अधिकार कैसे हो सकता है ?
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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