*चार लाख से अधिक की भीड़*
*50 से अधिक वर्तमान व पूर्व विधायक, सांसद व मंत्री रहे मौजूद*
सुरेन्द्र अग्निहोत्री,लखनऊ
समाजवादी पार्टी से अलग होकर नई पार्टी बनाने वाले शिवपाल ने लखनऊ में
अपने शक्ति प्रदर्शन के लिए जनाक्रोश रैली में भीड जोड कर जता दिया ,
जनाक्रोश रैली के सभामंच पर मुलायम सिंह यादव के पहुंचने से कार्यकर्ताओं
में जोश भर गया। लेकिन उस वक्त स्थिति अजीब हो गई, जब उनके समर्थक मुलायम
सिंह यादव की ही हूटिंग करने लगे। दरअसल, हुआ यूं कि मंच को संबोधित करने
पहुंचे मुलायम सिंह यादव बार-बार समाजवादी पार्टी का ही नाम लेते रहे,
जबकि शिवपाल सिंह यादव की नई पार्टी का नाम प्रगतिशील समाजवादी पार्टी
(लोहिया) है। रविवार को रमाबाई का मैदान ऐतिहासिक भीड़ व जनसैलाब का गवाह
बना। भीड़ का
आलम यह था कि रमाबाई और आसपास का इलाका शनिवार की रात ही घंटों जाम में रहा।
रैली में 50 से अधिक वर्तमान व पूर्व विधायक, सांसद व मंत्री रहे मौजूद रहे।
पूरे प्रदेश से जनसैलाब ट्रेन, बसों व निजी साधनों से शनिवार से ही लखनऊ में
पहुंचने लगा था। भीड़ लगातार शिवपाल यादव जिन्दाबाद, लोहिया अमर रहें व समाजवाद
अमर रहे। कार्यक्रम में नेताजी की गौरान्वित उपस्थिति ने भीड़ का जोश और बढ़ा
दिया।
शिवपाल का उद्बोधन-*
लखनऊ की सरजमीं पर आयोजित होने वाली यह रैली ऐतिहासिक है। देश के इतिहास में
शायद यह पहली बार हो रहा है, जब तमाम पिछड़ी जातियां, दलित, अल्पसंख्यक व
सामाजिक न्याय में आस्था रखने वाले सर्व समाज के लोग एक साथ एक मंच खड़े हैं।
सामाजिक न्याय का अर्थ है-उन सभी व्यक्तियों को न्याय उपलब्ध करवाना, जिन्हें
किसी भी प्रकार के सामाजिक भेद-भाव व वर्चस्व के कारण अन्याय का सामना करना पड़
रहा है।
लोहिया कहा करते थे कि सामाजिक न्याय की लड़ाई तब तक अपने मुकम्मल अंजाम तक
नहीं पहुंच सकती जब तक समाज के अंतिम पायदान पर खड़े गरीब से गरीब व्यक्ति के
जीवन में भी खुशहाली न आ जाए।
पिछले 3 दशकों में देश में सामाजिक न्याय को बहुत कामयाबी मिली है, बहुत लोगों
का जीवन सुधरा है, लेकिन अभी बहुत काम करना बाकी है। सामाजिक न्याय की यात्रा
में बहुत सी जातियां और समूह पीछे छूट गए हैं।
इस रैली का असल मकसद तब पूरा होगा जब तरक्की और खुशहाली आखिरी पायदान पर खड़े
व्यक्ति तक पहुचेगी। सामाजिक न्याय की ये लड़ाई तब सफल होगी जब बिना किसी
भेद-भाव के सभी को रोजी-रोटी-रोजगार,सुरक्षा,मुफ्त दवाई व शिक्षा मिलेगी। ये
लड़ाई इसी बात की है। समाज के हर व्यक्ति को रोजी-रोटी-रोजगार उपलब्ध कराना
सरकार की जिम्मेदारी है, हम सरकार से कोई खैरात नहीं मांग रहे हैं।
लोहियाजी कहा करते थे, ‘जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’। लेकिन
देश में 1931 की जनगणना में जातिगत आकडे आखिरी बार एकत्रित किए गए। मतलब 1931
के जातिगत आंकड़ो के आधार पर 2018 में आरक्षण मिल रहा है। अगर आज ईमानदारी से
जनगणना हो तो पता चल जाए कि दलित, पिछड़ों व अल्पसंख्यकों की संख्या देश की कुल
आबादी की 85 फ़ीसदी है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी जातिगत जनगणना के आधार पर
आरक्षण की पक्षधर है और यदि हमारी सरकार आई तो कानून लाकर जातिगत जनगणना व
उसपर आधारित आरक्षण को लागू किया जाएगा।
आज की भाजपा सरकार गरीब, पिछड़ो व दलित के नाम पर सत्ता में आई थी, लेकिन सरकार
ने इन सभी का वोट लेकर उन्हें केवल छला है। उनके हित में कोई काम नहीं किया और
यही वजह है कि आज गरीब, पिछड़ो, दलित व अल्पसंख्यक समाज का देश और प्रदेश की
तमाम पार्टियों से मोहभंग हो गया है।
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था।
लेकिन उन्हीं के आकड़ें बताते हैं कि केवल साढ़े चार लाख लोगों को रोजगार मिला।
लाखों नौजवान बीटेक और बीएड करके घर बैठे हैं मगर कहीं बहाली नहीं है। भाजपा
ने राजनीति को सोशल मीडिया पर भेजे जाने वाले प्रोपेगैंडा में ही इन छात्रों
को उलझा दिया है।
भाजपा बड़े-बड़े वादे कर सरकार में आई थी। आज बेरोजगारी का क्या आलम है यह किसी
से छुपा हुआ नहीं है। सरकार नौकरियां नहीं दे पा रही है और शिक्षकों,आंगनवाडी
महिलाओं को लाठियों से पीटा जा रहा है और दूसरी ओर उत्तरप्रदेश में प्राइवेट
इन्वेस्टमेंट भी कानून व्यवस्था एवं मूलभूत आधार रचना के आभाव में नहीं आ पा
रहा है। इस कारण युवाओं को नौकरिया नहीं मिल पा रही है। और उत्तर प्रदेश विकास
की दर में भी गिरावट आ रही है। बेरोजगार ही नहीं बल्कि सरकारी कर्मचारियों के
हितों पर भी डाका डाला जा रहा है। बुढ़ापे का सहारा छीना जा रहा है। हमारी यह
बहुत स्पष्ट मांग है कि पुरानी पेंशन की बहाली की जाए एवं 15-20 वर्षो से
संविदा पर कार्य कर रहे संविदा कर्मियों का समायोजन किया जाए।
हम सरकार से ये भी मांग करते हमारे पत्रकार साथियो की पुरानी मांगे जैसे कि
आवास हेतु भूमि एवं पेंशन योजना का लाभ भी शीघ्र नीति बनाकर उपलब्ध कराया जाए।
मैंने यह बात बार -बार दोहराई है कि हमें सबको साथ लेकर चलना है। सबको जोड़कर
समाज बदलना है और जन समर्थन के सहारे देश में सामाजिक परिवर्तन लाना है। मैंने
जीवन भर कमजोरों, पिछड़ों, बुनकरों, व्यापारियों, महिलाओं,अल्पसंख्यकों,
नौजवानों व छात्रों की लड़ाई लड़ी है। यह मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि समाज के
जो लोग कमजोर हैं, चाहे वो किसी समाज के हों, मैं उनके साथ खड़ा हूं। और यह
सिर्फ भाषण में नहीं कह रहा, सभी को पता है, जब हम सत्ता में थे, हमने हर वर्ग
के लोगो की संभव मदद की।
नौजवान दोस्तों ! अब चुनौती बिलकुल नजदीक आ गई है। यह समय लंबे वक्ताओं और
भाषणों का नहीं है, सीधी कार्यवाही का है, सीधी चुनौती स्वीकार करने का है। इस
लड़ाई में सभी वर्गों का साथ आवश्यक है। जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, नफरत
फ़ैलाने का धंधा फलने दृफूलने लगा है। सांप्रदायिक शक्तियां एक दूसरे को लड़ाने
में लग गई हैं, पूरे देश में भय का माहौल बनाया जा रहा है, कहीं भीड़ को भड़का
कर गो हत्या के नाम पर किसी की हत्या कर दी जा रही है तो कहीं किसी धर्म विशेष
के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है।
मुझे डर है कि अयोध्या के बहाने देश को साम्प्रदायिक आग में झोका जा सकता है।
क्योंकि पूर्व में भी ऐसा हो चुका है जब ऐसी ही परिस्थितियों में सर्वोच्च
न्यायालय में हलफनामा देने के बावजूद सरकार उसका पालन नहीं कर सकी और पूरा देश
दंगों की आग में जला और हजारों लोगों को जान व माल का नुकसान सहना पड़ा और देश
की अर्थव्यवस्था को भारी क्षति हुई। अयोध्या में आज स्थानीय लोगों में कोई
आपसी साम्प्रदायिक विवाद नहीं हुआ। ऐसे में अयोध्या शांतिपूर्ण यथास्थिति
सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
हमारा बहुत स्पष्ट मानना है कि किसी भी कीमत पर विवादित भूमि पर सर्वोच्च
न्यायालय के आदेश की अवहेलना नहीं होनी चाहिए। क्योंकि अब तक बातचीत और आपसी
सहमति का कोई नतीजा नहीं निकला, ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार
होना चाहिए।
आज भारतीय जनता पार्टी समाज को जाति और साम्प्रदायिक खांचों में बाँटने के
बाद भगवानों को भी जाति में बाँटने का काम कर रही। बताइए भगवान की भी कहीं कोई
जाति होती है? लेकिन जनता अब इनके जाल में फंसने वाली नहीं है। समाज को बांटने
वालों को अबकी बार सबक सिखाने का मन जनता ने बना लिया है।
आज भाजपा कि सरकार में भ्रष्टाचार का बोलबाला है,ललित मोदी, नीरव मोदी,मेहुल
चोकसी और विजय माल्या जैसे लोग देश का पैसा लूट कर फरार हो गए और सरकार कुछ
नहीं कर सकी। अधिकारी /कर्मचारी सरकार के काबू के बाहर हो गए हैं। जब हम सरकार
में थे हमने तब भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई और मैनपुरी में अगस्त 2016
में ही मंत्री परिषद से इस्तीफे की पेशकश की। हमारी लड़ाई हमेशा भ्रष्टाचार के
खिलाफ रही है उसके लिए हमने पद की भी चिंता नहीं की और उसके बाद जो हुआ वो आप
सब जानते हैं क्योंकि हमारी पुरानी पार्टी अपने मूल सिद्धांतों से भटक चुकी थी
एवं लाखों प्रतिबद्ध मेहनती समाजवादी कार्यकर्ताओं को कुछ चाटुकारों, अवसरवादी
एवं आधारहीन नेताओं के एवज में अपमानित एवं उपेक्षित किया गया।जमीनी स्तर पे
अन्याय, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता के विरुद्ध संघर्ष नहीं हो रहा था एवं
हमारी पुरानी पार्टी सोशल मीडिया पार्टी बनकर रह गई थी। अपनी मूल विचारधारा
एवं सिद्धांतों से भटकी पार्टी में रहकर सिद्धांतों से समझौता करना अब संभव
नहीं था।
जमीनी स्तर पर संघर्ष कर रहे लोगों की समस्याएं उठाने के लिए एवं उनके निराकरण
करने के लिए प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन किया और आज इस विशाल रैली का
आयोजन किया गया
हमने सरकार में मंत्री रहते हुए अनेकों जन्कल्याणकारी कार्य किए, समस्त जिलों
को फोर लेन से जुडवाया। किसानो के लिए सिंचाई व्यवस्था मुफ्त की। नहरों की टेल
तक पानी पहुंचाया। किसानों के लिए हर संभव मदद दी। राजस्व कोड जारी किया एवं
बेरोजगारी पेंशन व लोहिया पेंशन जैसी योजनाओं से गरीब लोगों को सामाजिक एवं
आर्थिक न्याय दिलाने की मुहीम चलाई। आज सरकार द्वारा वे समस्त जन कल्याणकारी
योजनाएं बंद कर दी गयी है।
आज सभी देख रहे हैं कि पुरे प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं
बची है। कानून व्यवस्था ध्वस्त है। प्रदेश में गुंडाराज, जंगलराज व्याप्त है।
पुलिस निर्दोष लोगों के एनकाउंटर में व्यस्त है। लखनऊ में पुलिस द्वारा मर्डर,
बुलंदशहर की हिंसा,नोएडा में पुलिस द्वारा निर्दोष जितेन्द्र यादव को गोली मार
देना, यह सब दर्शाता है कि कानून व्यवस्था का क्या हाल है। पुलिसकर्मी खुद
सुरक्षित नहीं है एवं तथाकथित गोरक्षाको द्वारा आतंक फैलाया जा रहा है ऐसा
लगता है कि भाजपा सरकार के लिए इंसानों से आधिक महत्वपूर्ण गोवंश हो गया है।
थानों व तहसीलों में खुले आम पब्लिक के साथ उगाही की जा रही है। अल्पसंख्यक
समाज में भय व्याप्त है, दलितों व पिछड़ों पर अत्याचार किया जा रहा है एवं
अल्पसंख्यकों,दलितों व पिछड़ों पर अत्याचार करने वालों को सत्ता का संरक्षण
प्राप्त है। सहारनपुर से लेकर ऊना तक की घटनाएं गवाह है।
महंगाई इस कदर बढ़ गई है कि सामान्य परिवारों को दो वक्त की रोजी रोटी का जुगाड़
कर पाना भी मुमकिन नहीं है। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत आसमान छू रही है और
रुपया गिरता जा रहा है। भाजपा सरकार का नारा “सबका साथ सबका विकास“ कि जगह
“कुछ का विकास एवं शेष का सर्वनाश“ हो के रह गया है।
अंत में आज इस रैली को अत्यंत सफल बनाने के लिए मंच पे उपस्थित वरिष्ट साथीगण,
इस रैली में लाखो कि संख्या में उपस्थित हमारी पार्टी के नेता, कार्यकर्ता,
समर्थको एवं पत्रकार बन्धुओं का आभार व्यक्त करता हूं।
*मंच पर मौजूद सम्मानित अतिथिगणः*
1. श्री मुलायम सिंह यादव जी
2. श्री सर्वेश कटियार, बमुपा
3. श्री सुन्दर लाल लोधी, पूर्व विधायक
4. श्री रघुराज शाक्य, पूर्व सांसद
5. श्री राम सेवक यादव
6. डा० सी०पी० राय, मुख्य प्रवक्ता
7. श्री गोपाल कृष्ण वर्मा, बमुपा
8. श्री बी०एल० मातंग, बमुपा
9. श्री अन्सार रजा
10. श्री भगवती सिंह, पूर्व सांसद
11. श्री सुखराम यादव, राज्यसभा सांसद
12. श्री शारदा प्रताप शुक्ला, पूर्व मंत्री
13. श्रीमती सैय्यदा शादाब फातिमा, पूर्व मंत्री
14. श्रीमती अपर्णा यादव
15. श्री वीरपाल यादव, पूर्व सांसद
16. श्री कमाल यूसुफ मलिक, पूर्व मंत्री
17. श्री राम नरेश यादव, पूर्व सदस्य, विधान परिषद
18. श्री आदित्य यादव
19. श्री जय प्रकाश यादव, पूर्व मंत्री
20. श्री मलिक मसूद, पूर्व मंत्री
21. श्री श्याम लाल रावत, पूर्व मंत्री
22. श्री प्रमोद गुप्ता, पूर्व विधायक
23. श्री आशीष यादव आशू, पूर्व विधायक
24. श्री मानिक चंद, पूर्व विधायक
25. श्री सुभाष यादव, पूर्व सदस्य, विधान परिषद
26. श्रीमती नजीवा खान जीनत, पूर्व विधायक
27. श्री अजीम भाई, पूर्व विधायक
28. श्री विजय मिश्रा, विधायक
29. श्री अमनमणि त्रिपाठी, विधायक
30. श्री राम दर्शन यादव, पूर्व विधायक
31. श्री शराफत यार खान, पूर्व विधायक
32. श्री संगम लाल शुक्ला, पूर्व विधायक
33. श्री जय सिंह यादव, पूर्व विधायक
34. कुँवर वीरेन्द्र सिंह, पूर्व सदस्य, विधान परिषद
35. श्रीमती सुखदेवी वर्मा, पूर्व विधायक
36. सुश्री संध्या कठेरिया, पूर्व विधायक