मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से आर्थिक विकास करते हुए उच्च जीवन स्तर वाले स्पन्दनशील समाज (टपइतंदज ैवबपमजल) के विकास हेतु ‘उत्तर प्रदेश सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्ट अप नीति-2016’ को लागू करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने अधिकारियों को नीति का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने यह जानकारी आज यहां देते हुए बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्ट अप नीति-2016 के तहत उत्तर प्रदेश को भारत के उच्च वरीयता वाले राज्य के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। नीति का मुख्य उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा क्षेत्र की कम्पनियों हेतु प्रदेश को निवेश की दृष्टि से एक आकर्षक स्थल बनाना है, जहां एक सौहार्दपूर्ण तथा इण्डस्ट्री फ्रैण्डली वातावरण उपलब्ध हो सके।
प्रवक्ता ने बताया कि यह नीति जब तक अन्यथा विनिर्दिष्ट न हो, नोएडा, ग्रेटर नोएडा एवं ट्रांस यमुना क्षेत्र सहित सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश के लिए प्रभावी होगी। यह नीति एक चार सूत्रीय रणनीति के आधार पर क्रियान्वित की जाएगी, जिसके तहत सूचना प्रौद्योगिकी सम्बन्धी अवस्थापना का विकास, मानव पूंजी/कौशल विकास, प्रोत्साहन तथा उद्योगों को सहायता जैसे बिन्दु शामिल होंगे। इस नीति के तहत सूचना प्रौद्योगिकी नगरों/पाक्र्स के विकास के लिए राज्य द्वारा विभिन्न पी0पी0पी0 माॅडल पर बल दिया जाएगा। साथ ही, पी0पी0पी0 परियोजनाओं में निवेश को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी निवेश क्षेत्र की स्थापना हेतु भारत सरकार के साथ सहयोगात्मक भूमिका निभाएगी। सम्प्रति उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के किनारे आई0टी0आई0आर0 की स्थापना प्रस्तावित है। सूचना प्रौद्योगिकी के लिए काॅर्पस की स्थापना की जाएगी। प्रत्येक विभाग अपने आयोजनागत बजट का न्यूनतम 02 प्रतिशत अथवा उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा समय-समय पर यथानिर्देशित धनराशि सूचना प्रौद्योगिकी उपयोग के लिए अलग रखेगा। प्रदेश के ब्राण्ड प्रमोशन के लिए धन की आवश्यताओं को भी आई0टी0 काॅर्पस से ही पूरा किया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि शपथ पत्र तथा नोटरी से सत्यापन को पूर्ण रूप से समाप्त करते हुए इनके स्थान पर स्व-घोषणा की प्रक्रिया प्रचलित की जाएगी। अभिलेखों के स्थान पर सेवा डिलीवरी के लिए डेटा सेट्स का उपयोग किया जाएगा। इस नीति के तहत राज्य में एक मेगा काॅल सेण्टर की स्थापना की जाएगी। इसका उद्देश्य न केवल नागरिकों को उनके हित में संचालित विभिन्न सरकारी योजनाओं के प्रति संवेदनशील बनाया जाएगा, अपितु बाधाओं का निराकरण भी कराया जाएगा।
प्रवक्ता ने आगे बताया कि विभिन्न विभागों की कार्य कुशलता में सुधार लाने, प्रतिवर्तन समय में कमी लाने, सिटीजन चार्टर की मांगों को पूरा करने, पारदर्शिता तथा विभागों के उत्तरदायित्व में बढ़ोत्तरी के लिए ई-कार्यालय स्थापित किए जा रहे हैं। इस नीति के तहत विभिन्न विभागों में कम कागज के उपयोग से कागज-विहीन (पेपर लेस) होने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। प्रथम चरण में इस एप्लीकेशन का उपयोग अवकाश स्वीकृति जैसे अंतःविभागीय कार्यों और सेवाओं के लिए किया जाएगा तथा द्वितीय चरण में इस एप्लीकेशन का क्रियान्वयन अंतर-विभागीय कार्यों एवं सेवाओं हेतु किया जाएगा।
इस नीति के तहत स्कूलों में कम्प्यूटर शिक्षा/आई0ई0टी0 साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जाएंगे। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आरम्भिक शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों को स्कूल में कम्प्यूटर की बेसिक शिक्षा भी मिले। इसके लिए समस्त स्कूली अध्यापकों/अध्यापिकाओं को कम्प्यूटर/सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों, शैक्षणिक संस्थानों, पर्यटन स्थलों तथा व्यावसायिक केन्द्रों को चरणबद्ध ढंग से वाई-फाई समर्थ बनाया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी एवं स्टार्ट अप नीति-2016 के तहत सरकारी सूचनाओं का डिजीटाइजेशन किया जाएगा। इसके तहत सरकारी गजट अधिसूचना, शासनादेश, अधिनियमों, नियमावली, परिपत्रों, नीति तथा कार्यक्रम अभिलेख जैसी समस्त पब्लिक डोमेन सूचनाओं का डिजीटलीकरण किया जाएगा और उन्हें चरणबद्ध ढंग से इलेक्ट्राॅनिक एक्सेस के लिए वेब पर उपलब्ध कराया जाएगा। इस नीति में साइबर सुरक्षा पर भी ध्यान दिया जाएगा। आॅनलाइन सुरक्षा के बारे में उत्तर प्रदेश सरकार जागरूकता पैदा करेगी।
प्रवक्ता ने बताया कि आई0टी0 सेवाओं के नवाचार एवं शोध व डिजाइन हेतु उत्कृष्टता के केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। आई0टी0 उद्योग के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों द्वारा अथवा आई0आई0एम0 लखनऊ, आई0आई0टी0 कानपुर, ट्रिपल आई0टी0 इलाहाबाद तथा आई0टी0 बीएचयू जैसी संस्थाओं से सहयोग लिया जाएगा। इसके अलावा मानव पूंजी/कौशल विकास तथा क्षमता विकास कार्यक्रमों को कौशल विकास मिशन तथा भारत सरकार द्वारा घोषित इसी प्रकार की योजना के माध्यम से बढ़ावा दिया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश में समाज के विभिन्न स्तरों तथा विभिन्न स्थानों पर सूचना प्रौद्योगिकी विकास का स्तर अलग-अलग है। इस अंतर को समाप्त करने के लिए प्रदेश सरकार मेधावी छात्र-छात्राओं को लैपटाॅप वितरित कर रही है और डिजिटल सूचनाओं से उनका सशक्तीकरण कर रही है। इस नीति के तहत एम-गवर्नेंस को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके तहत एम-सेहत, एम-स्वास्थ्य, यूपीवन, यूपीबस आदि जैसे मोबाइल एप्लीकेशन विभिन्न विभागों द्वारा विकसित कर व्यवहार में लाए जा रहे हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा के उपयोगार्थ भूमि/कार्यालय के लिए जगह/इमारत क्रय किए जाने या पट्टे पर लिए जाने पर स्टाम्प शुल्क फीस में इस प्रतिबंध सहित शत-प्रतिशत छूट प्राप्त होगी कि 03 वर्षों के भीतर परिचालन प्रारम्भ हो जाए। इसके साथ ही व्यावसायिक परिचालन आरम्भ होने के पश्चात 05 वर्ष की अवधि तक विद्युत ड्यूटी से शत-प्रतिशत छूट अनुमन्य होगी। इसके अलावा औद्योगिक प्रोत्साहन उपादान भी अनुमन्य कराया जाएगा। गैर वित्तीय प्रोत्साहन के तहत 25 के0वी0ए0 से कम क्षमता के विद्युत जनरेटर सेट्स, सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी जनित सेवा उद्योग, उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम की परिधि से मुक्त होंगे। इसके अलावा इन्हें निर्बाध बिजली की आपूर्ति की जाएगी।
प्रवक्ता ने बताया कि स्टार्ट-अप्स द्वारा मोबाइल एवं सूचना प्रौद्योगिकी, इण्टरनेट से जुड़े कार्य, ई-काॅमर्स, एनिमेशन आदि सोशल मीडिया, मोबिलिटी आदि सूचना प्रौद्योगिकी एवं बी0पी0एम0 क्षेत्र में हुई मौलिक परिकल्पना, सशक्त समिति द्वारा अनुमोदित आई0टी0 से सम्बन्धित अन्य कार्य पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। प्रदेश में यूपीएलसी द्वारा एक नीति कार्यान्वयन इकाई का गठन किया जाएगा, जिसमें प्रतिनियुक्ति पर अधिकारी रखे जाएंगे तथा बाहर से लिए गए परामर्शी भी होंगे, जो 05 वर्षों की अवधि तक, सूचना प्रौद्योगिकी नीति एवं स्टार्ट-अप नीति-2016 के कार्यान्वयन हेतु गठित समिति को, गतिविधियों के अनुश्रवण एवं उनकी जानकारी देने में सहायता करेंगे।
प्रवक्ता ने बताया कि एकल खिड़की निस्तारण सहायता के लिए सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में एक सरकारी निकाय नीति कार्यान्वयन इकाई का गठन किया जाएगा, जो उद्यमियों तथा अन्य सूचना प्रौद्योगिकी इकाइयों को स्टैच्युटरी मामलों के समयबद्ध रूप से निस्तारण में सुगमता और प्रभावी रूप से सहायता करेगी।
प्रवक्ता ने बताया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तर की एक सशक्त समिति सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग की प्रगति पर दृष्टि रखेगी और सूचना प्रौद्योगिकी नीति के अनुपालन का अनुश्रवण करेगी। इसमें कृषि उत्पादन आयुक्त, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त तथा सूचना प्रौद्योगिकी, वित्त, नियोजन, लघु उद्योग, वाणिज्य कर, ऊर्जा, परिवहन, राजस्व एवं आवास एवं नगर विकास विभागों के प्रमुख सचिव सदस्य होंगे।
प्रवक्ता ने बताया कि इस नीति के तहत नगरों का वर्गीकरण किया जाएगा, जिसमें टीयर एक में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, टीयर दो व तीन में लखनऊ, आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, मेरठ, वाराणसी, बरेली इत्यादि तथा 20 लाख से अधिक की आबादी वाले अन्य नगर खास तौर से यमुना एक्सप्रेस-वे क्षेत्र सहित, टीयर तीन में 20 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर शामिल होंगे।
प्रवक्ता ने बताया कि मेगा परियोजनाओं के तहत 200 करोड़ रुपए से अधिक पूंजी निवेश वाली परियोजनाओं को मेगा प्रोजेक्ट की श्रेणी में वर्गीकृत किया जाएगा। इसके अलावा एम.एस.एम.ई. के तहत ऐसी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिक जनित सेवा क्षेत्र इकाइयां, जिनका वार्षिक व्यवसाय 25 करोड़ रुपए तक हो, को एम.एस.एम.ई. के तहत वर्गीकृत किया जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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