भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि सूबे में सत्तारूढ़ समाजवादी सरकार (सपा) के भ्रष्टाचार ने प्रदेश में सूखे की तपिश को भयंकर रूप में पहुंचा दिया है। वर्ष 2012 में सरकार बनाने के बाद हुई मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पहली प्रेसवार्ता में उन्होंने हर किसान के खेत तक पानी पहुंचाने का वादा किया था। अब जबकि सरकार के चार वर्ष पूरे हो गए हैं गरीब किसान के खेत में पानी पहुंचना तो दूर सपा के संरक्षण में फल-फूल रहे खनन माफिया ने किसान के घर के पास से बह रही नदी पर भी कब्जा जमा लिया है। बुंदेलखंड ही नहीं प्रदेश में बहने वाली हर नदी अवैध खनन से छलनी हो रही है। नदी की गोद में बसे किसानों का इस जननी के जल पर कोई अधिकार नहीं रह गया है।
प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि भूगर्भ जल भी सरकारी संरक्षण में हो रहे अवैध दोहन से काफी नीचे जा रहा है। सपा सरकार ने जानबूझकर ऐसा उस प्रस्तावित कानून भूगर्भ जल संरक्षण, सुरक्षा एवं विकास प्रबंधन, नियंत्रण एवं विनियमन-को आजतक लागू करवाने की कोई कोशिश नहीं की है जिसमें भूगर्भ जल के अवैध दोहन पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है- यही वजह है कि न तो सरकार वाटर रिचार्ज के लिए जरूरी कदम उठा पाई है और न ही गिरते भूजल स्तर को ऊपर उठाने की कोई व्यवस्था कर पाई है। पीने के पानी के लिए प्रदेश की जनता इस भीषण गर्मी में व्याकुल होती जा रही है लेकिन जल निगम हर व्यक्ति को पेयजल मुहैया कराने में विफल रहा है।
प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विकास के लंबे-चैड़े दावे करते फिर रहे हैं तो वे जरा इन प्रश्नों का जवाब दें ?
1-सिंचाई विभाग ने अबतक किन-किन नहरों में टेल तक पानी पहुंचाया है और इनसे अबतक कितने किसान लाभान्वित हुए हैं? अगर सभी नहरों में टेल तक पानी पहुंचा है तो किसान के खेत सूखे क्यों हैं? मुख्यमंत्री या उनके कार्यालय ने कितनी बार सिंचाई विभाग को टेल तक पानी पहुंचाने के निर्देश दिए हैं?
2-बुंदेलखंड और प्रदेश के दूसरे इलाके में भीं पिछले चार वर्षोँ में कुल मिलाकर सैकड़ों किसानों ने आत्महत्याएं की हैं? क्या सरकार ने कभी किसी भी किसान की आत्महत्या के बाद उसके कारणों के तह में जाकर सीधे तौर पर जिम्मेदार किसी भी स्तर के अधिकारी पर कोई कार्रवाई की है?
3-सपा सरकार के भूगर्भ जल विभाग और अन्य संबंधित विभागों ने पिछले चार वर्षों में किस इलाके के भूजल स्तर में अपनी योजनाओं के जरिए सुधार किया है? अगर ये विभाग अपने कार्यों को करने में नाकाम साबित हुए हैं तो क्या किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय हुई है?
4-जल निगम नगर विकास विभाग के तहत आता है जिसकी जिम्मेदारी शहरी इलाकों में लोगों को पेयजल मुहैया कराने की है। सूबे में सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री या उनके कार्यालय ने कितनी बार जल निगम या नगर विकास विभाग को समय रहते जनता के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करने को निर्देश दिया है? अगर निर्देश दिए भी हैं तो उनका पालन क्यों नहीं हुआ है?
प्रदेश प्रवक्ता डा0 चन्द्रमोहन ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सुस्ती और जनता से सीधे जुड़े कार्यों में रुचि न लेने का खमियाजा पूरा प्रदेश भुगत रहा है। मुख्यमंत्री अपनी कैबिनेट के दूसरे प्रभावी मंत्रियों से उनके काम का हिसाब लेने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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