आज दिनांक 22 नवम्बर, 2015 को ‘राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान’, उ0प्र0 के तŸवावधान में जयशंकर प्रसाद सभागार, राय उमानाथ बली प्रेक्षाग्रह, कैसरबाग, लखनऊ में वर्ष 2015 में आयोजित लेख/निबन्ध प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा0 हरशरण दास, मा0 अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, उ0प्र0 ने की, कार्यक्रम मंे मुख्य अतिथि श्री शिवाकान्त द्विवेदी, विशेष सचिव, प्राविधिक शिक्षा विभाग, उ0प्र0 शासन एवं विशिष्ट अतिथि श्री हर्षवर्धन अग्रवाल, फाउन्डर ट्रस्टी, हेल्प यू ट्रस्ट, हजरतगंज, लखनऊ थे। कार्यक्रम का सफल संचालन श्री विजय त्रिपाठी ने किया तथा अतिथियों का स्वागत श्री विनोद चन्द्र पाण्डेय ‘विनोद’ द्वारा किया गया।
उक्त समारोह में संस्थान द्वारा बनाये गये जाने माने वरिष्ठ साहित्यकार स्व0 डाॅ0 रामाश्रय सविता की साहित्यिक साधना पर आधारित वृत्त चित्र का लोकार्पण एवं प्रदर्शन भी किया गया। उक्त वृत्तचित्र का लेखन डाॅ0 रश्मिशील ने किया है। इसके अतिरिक्त श्रीमती इन्द्रासन सिंह ‘इन्दु’ की सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘नारियों का महाभारत’ का भी लोकार्पण किया गया।
संस्थान द्वारा राज्यकर्मी साहित्यकारों हेतु एक निबन्ध/लेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसके विषय 1. हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार में चलचित्रों का योगदान 2. हमारा प्रिय कवि, थे:-
इस प्रतियोगिता में पुरस्कार योग्य पाये गये 10 लेखकों/निबन्धकारों को रु0 1,000.00 का पुरस्कार तथा अन्य 10 लेखक/निबन्धकारों को भी अच्छे लेखों के लिए रु0 500.00 के पुरस्कार प्रदान किये गये जिनका विवरण निम्नलिखित है:-
हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में चलचित्रों का योगदान
1. श्री के0पी0 वर्मा, संयुक्त आयुक्त, कामर्शियल टैक्स, मुख्यालय, लखनऊ, सम्प्रति, उपाध्यक्ष, जी0एस0टी0एन0, नई दिल्ली।
2. श्री आलोक कुमार मिश्रा, मुंसरिम/रीडर, अपर सिविल जज (जू0डि0) कोर्ट नं0 1, खीरी प्रतिनियुक्त, कम्प्यूटर अनुभाग जिला जज, लखीमपुर-खीरी।
3. श्री जयभारत, सहायक राजस्व लेखाकार, वरिष्ठ लिपिक, कलेक्ट्रेट, बदायूँ।
4. श्री पद्म प्रकाश शर्मा, संयुक्त सचिव, उ0प्र0 विधान सभा, उ0प्र0 सचिवालय।
5. श्री अखिलेश कुमार श्रीवास्तव, सहायक समीक्षा अधिकारी कार्यालय मा0 नेता सदन, विधान सभा (मुख्यमंत्री संसदीय कार्य) उत्तर प्रदेश।
प्रोत्साहन पुरस्कार
1. श्रीमती सुधा शुक्ला, उपसचिव, महिला एवं बाल विकास, उ0प्र0 सचिवालय, लखनऊ।
2. श्री अशोक कुमार पाण्डेय, अनुभाग अधिकारी, वित्त (वेतन आयोग) अनुभाग-1, उ0प्र0 सचिवालय, लखनऊ।
3. श्री आत्म प्रकाश पाण्डेय, समीक्षा अधिकारी आबकारी विभाग,
4. डाॅ0 चांदनी बाला, सहायक समीक्षा अधिकारी राजस्व-3 (लेखा) उ0प्र0 सचिवालय, लखनऊ।
5. श्रीमती अन्जुम शहनाज़, सहायक समीक्षा अधिकारी, सचिवालय प्रशासन (बजट) अनुभाग, उ0प्र0 सचिवालय।
6. डा0 रमेश चन्द्र तिवारी, अनुभाग अधिकारी, पर्यावरण अनुभाग, उ0प्र0 सचिवालय लखनऊ।
हमारा प्रिय कवि
1. श्री विकास कुमार, क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी, हजरतगंज, लखनऊ।
2. डाॅ0 भारती सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर/अध्यक्ष, हिन्दी विभाग महाराजा बिजली पासी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, आशियाना लखनऊ।
3. सुश्री उपमा गुप्ता, समीक्षा अधिकारी, भाषा अनु0-4 भाषा विभाग, उ0प्र0 सचिवालय।
4. श्री दीपक श्रीवास्तव, प्रोग्रामर, राजकीय पाॅलीटेक्नीक, बाराबंकी।
5. श्री दिनेश कुमार, अनुसेवक, उ0प्र0 सचिवालय।
प्रोत्साहन पुरस्कार
1. श्री रामफेर, पुस्तकालयाध्यक्ष, केन्द्रीय पुस्तकालय निदेशालय पशुपालन विभाग, बादशाह बाग, लखनऊ।
2. कु0 शिल्पा, अनुसेविका, महिला बाल विकास विभाग, उ0प्र0 सचिवालय।
3. डाॅ0 दीपक कोहली, अनुसचिव, सचिवालय प्रशासन विभाग, उ0प्र0 सचिवालय लखनऊ।
4. श्री विजय कुमार पाण्डेय, समीक्षा अधिकारी, कारागार प्रशासन एवं सुधार अनुभाग-1 उ0प्र0 सचिवालय।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री शिवाकान्त द्विवेदी, विशेष सचिव, प्राविधिक शिक्षा विभाग, उ0प्र0 शासन ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा साहित्य से ज्ञान और ज्ञान से समाज को दिशा प्राप्त होती है अतः साहित्य लेखन आवश्यक है। जैसी चेतना जाग्रत होगी वैसा सृजन होता है और लोकमंगल की कामना से साहित्य सृजन करना चाहिए। इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, फाउन्डर ट्रस्टी, हेल्प यू ट्रस्ट, हजरतगंज, लखनऊ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि स्व0 रामाश्रय सविता एक कुशल अध्यापक एवं साहित्यकार थे और उनके जीवन से यह पता चलता है कि सरलता और सादगी से ही अनुकरणीय व्यक्तित्व का निर्माण होता है। इसके पश्चात समारोह के अध्यक्ष डा0 हरशरण दास, मा0 अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ने अपने विचार इस प्रकार प्रकट किये कि मैं सविता जी का व इस प्रकार के व्यक्तित्व वाले किसी भी व्यक्ति का सम्मान करता हूँ तथा सभी साहित्यकारों से आग्रह किया कि वे अच्छा, समाज को प्रेरणा प्रदान करने वाला साहित्य लिखें और आपसी सहयोग/सामन्जस्य से सभी के हित के लिए रचनायें रचें और यह भी कहा कि किसी भी साहित्यकार को जब कोई सम्मान प्राप्त होता है तो उसका समाज के प्रति दायित्व और बढ़ जाता है।
अन्त में संस्थान के संगठन मंत्री, श्री बुद्धराम विमल ने सभी आगन्तुक अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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