Posted on 30 September 2015 by admin
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा कि विभिन्न विकास परियोजनाओं को प्राथमिकता पर तेजी से पूरा किया जाए, ताकि जनता को समय से इनका लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि आई0टी0 सिटी के जरिये प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ राज्य के नौजवानों को प्रशिक्षण और रोजगार की बेहतर सुविधा मिलेगी। इसलिए आई0टी0 सिटी परियोजना को हर हाल में अक्टूबर, 2016 से शुरू कर दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने यह निर्देश आज यहां आई0टी0 सिटी परियोजना की प्रगति की समीक्षा के दौरान दिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में किसी भी प्रदेश के विकास में सूचना प्रौद्योगिकी की अहम भूमिका है, क्योंकि इसके इस्तेमाल से लोगों को विभिन्न सेवाएं एवं सूचनाएं घर बैठे उपलब्ध कराई जा सकती हैं। लखनऊ में बन रहा आई0टी0 सिटी भविष्य में प्रदेश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इसकी स्थापना से न केवल आई0टी0 से लैस मानव संसाधन की प्रदेश में उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि रोजगार के नए मौके भी मिलेंगे।
समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री को बताया गया कि पिछली
27 अगस्त को भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में बी0ओ0ए0 बैठक के दौरान आई0टी0 सिटी को स्पेशल इकोनाॅमिक ज़ोन का दर्जा देने के लिए औपचारिक सहमति बन गई है। साथ ही, ऐक्सिस बैंक ने पिछली
14 सितम्बर को परियोजना के लिए 468 करोड़ रुपये के मौजूदा ‘लेटर आॅफ ऐग्रीगेट क्रेडिट फैसिलिटीज’ में आवश्यक संशोधन के लिए हामी भर दी है।
बैठक के दौरान श्री यादव के संज्ञान में इस परियोजना के विकास से जुड़े अहम पक्षों को लाया गया। उन्होंने इसकी प्रगति के लगातार अनुश्रवण के भी निर्देश दिए, ताकि लोगों को इस परियोजना का लाभ समय से मिल सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि समाजवादी सरकार प्रदेश का तेजी से विकास कर इसे अगली पंक्ति का राज्य बनाने के लिए काम कर रही है। इसलिए अवस्थापना से जुड़ी परियोजनाओं को प्राथमिकता पर पूरा किया जाना जरूरी है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 30 September 2015 by admin
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री आलोक रंजन ने समस्त प्रमुख सचिवों एवं सचिवों को अपने विभाग से सम्बन्धित 90 सेवाओं को इलेक्ट्रानिक प्रणाली से उपलब्ध कराये जाने तथा ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल से निर्धारित समय-सीमा के अन्दर इन्टीग्रेट कराये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि अन्य विभागों जिनका उल्लेख संलग्नकों में नहीं है, के द्वारा भी वर्तमान वित्तीय वर्ष में प्रदत्त की जा रही सेवाओं को आॅनलाइन माध्यम से उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक साफ्टवेयर एवं हार्डवेयर की व्यवस्था सुनिश्चिित करा ली जाये तथा विकसित होने वाले पोर्टल्स का इन्टीग्रेशन भी यथासंभव ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल से सुनिश्चित कराया जाये। उन्होंने कहा कि उ0प्र0 आई0टी0 नीति-2015 में विभागों द्वारा आई0टी0 सम्बन्धी कार्यों के सम्पादन हेतु आय-व्ययक में 02 प्रतिशत की धनराशि रखे जाने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा है कि सेवाओं को इलेक्ट्रानिक प्रणाली से उपलब्ध कराने हेतु आय-व्ययक में आवश्यक धनराशि की व्यवस्था भी सुनिश्चित करा ली जाये।
मुख्य सचिव ने यह निर्देश समस्त प्रमुख सचिवों/सचिवों को परिपत्र निर्गत कर दिये। 09 विभागों की 26 शासकीय सेवाओं को केवल इलेक्ट्राॅनिक प्रणाली से ही प्रदान किये जाने हेतु यथावश्यक व्यवस्था सुनिश्चित कराकर विभाग स्तर से मैनुअल प्रक्रिया को समाप्त किये जाने हेतु शासनादेश निर्गत किये जाने के सम्बन्ध में आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाये। उन्होंने कहा कि अन्य समस्त विभाग जिनकी सेवायें वर्तमान में आॅनलाईन माध्यम से आम जनमानस को उपलब्ध करायी जा रही है, को भी ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल से इन्ट्रीग्रेट कराये जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाये। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा 09 विभागों की 26 शासकीय सेवायें इलेक्ट्राॅनिक प्रणाली के माध्यम से ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल से आम जनमानस को उपलब्ध करायी जा रही है, जिससे अब तक प्रदेश के 5.11 करोड़ आम जनमानस लाभान्वित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के आम जनमानस को शासकीय सेवायंे त्वरित गति एवं पारदर्शिता से उपलब्ध कराना मा0 मुख्यमंत्री जी के जनहितकारी कार्यक्रमों तथा विकास के एजेण्डा में सम्मिलित है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 30 September 2015 by admin
प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकर्म प्रमुख सचिव डाॅ0 गुरदीप सिंह ने बताया कि औद्योगिक खनिजों की खोज के लिए प्रदेश में लगभग 50,000 वर्ग कि0मी0 पठारी क्षेत्र उपलब्ध है। प्रदेश के दक्षिणी भाग अर्थात बुन्देलखण्ड, मिर्जापुर, सोनभद्र, इलाहाबाद, बाँदा, चित्रकूट आदि जनपदों में खनिज की पर्याप्त मात्रा विद्यमान है, जबकि अन्य जनपदांे में बालू, मोरंग, बजरी आदि उपखनिज भी पाये जाते हैं। उन्होंने बताया कि चट्टान युक्त क्षेत्र, खनिज अन्वेषण की दृष्टि से सम्भावनाओं से भरा हुआ है। इन क्षेत्रांे में अधात्विक तथा धात्विक खनिजांे के पाये जाने की सम्भावनाओं का आंकलन करने के लिए खनिज अन्वेषण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। प्रदेश के खनिज अन्वेषण कार्यकलापों की रुपरेखा तय करने एवं आपसी विचार-विमर्श के लिए यह बैठक आयोजित की गई है।
प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय में आज राज्य भूवैज्ञानिक कार्यक्रयी परिषद की 41वीं बैठक की अध्यक्षता प्रमुख सचिव, भूतत्व एवं खनिकर्म डाॅ0 गुरदीप सिंह ने की। बैठक में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग, उत्तरी क्षेत्र, लखनऊ, पर्यावरण विभाग उ0प्र0, रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेन्टर, लखनऊ, केन्द्रीय भूगर्भ जल सर्वेक्षण परिषद, लखनऊ, निदेशक, भूगर्भ जल सर्वेक्षण, लखनऊ, विभागाध्यक्ष (भू-विज्ञान विभाग), लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं देश व प्रदेश के वरिष्ठ भूवैज्ञानिकों द्वारा भाग लिया गया।
इस मौके पर निदेशक श्री संतोष कुमार खनिज विभाग ने विगत वर्षों में किये गये अन्वेषण कार्यों की प्रगति एवं विभाग की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए बताया कि अन्वेषण क्षेत्र के सभी कार्यक्रम तेजी से पूर्ण कराए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जनपद सोनभद्र के हरदी क्षेत्र में लगभग 1200 मीटर लम्बी, 18 मीटर चैड़ी तथा 15.5 मीटर मोटी स्वर्णयुक्त क्वार्टज पेबल कांग्लोमिरेट की चट्टानों में स्वर्ण की उपस्थिति ज्ञात की गयी है, क्षेत्र में औसत 0.3 ग्राम प्रति टन स्वर्ण की उपस्थिति पायी गयी है। जनपद झांसी के बडागाँव-मऊरानीपुर क्षेत्र में प्रारम्भिक अन्वेषण कार्य पूर्ण कर लिया गया है प्रारम्भिक आकंलन के अनुसार इस क्षेत्र में लगभग 20 मिलियन टन लौह अयस्क के भण्डार उपलब्ध है।
निदेशक ने विभिन्न विभागों द्वारा रखे गए विचारों एवं सुझावों पर सहमति जताते हुए कहा कि विभाग द्वारा अन्वेषण क्षेत्र में गम्भीरता से कार्य किया जा रहा है। साथ ही, आवश्यकता इस बात की भी है कि सम्बन्धित विभागों से समन्वय स्थापित किया जाए, जिससे खनन कार्यांे में किसी प्रकार की तकनीकी समस्या न आने पाए।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रमुख सचिव भूतत्व एवं खनिकर्म डाॅ0 गुरदीप सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस अवसर पर निदेशक खनिज अनुसंधान परियोजना प्रयाद्वीपीय उत्तरी क्षेत्र, भूवैज्ञानिक व विभिन्न विभागों से आए प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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