नन्द निकेतनएनाका हिंडोला में २८ जून २०१५ए को चेतना साहित्य परिषद् के
तत्त्वावधान में श्री कृष्ण मुरारी ष्विकलष् जी की अध्यक्षता एवं श्री अरविन्द कुमार झा जी के कुशल
संचालन में ष्नव सृजनष् काव्य संध्या का आयोजन किया गयाण्
कार्यक्रम का शुभारम्भ श्री मुकुट बिहारी मिश्र ष्मुकुटष् की सुमधुर सरस्वती वंदना से
हुआण्
प्रथम पुष्प के रूप में ओज कवि श्री सौरभ श्रीवास्तव ष्सौरभष् ने ओजएश्रृंगार और हास्य को मिश्रित करते हुए मुक्तकों का पाठ कर खूब तालियाँ बटोरीण्ण्ण्
श्कली कश्मीर की तुझको जो यूँ ही कह दिया हमनेंए
तेरे अब्बा तो यूँ भड़के कि पकिस्तान हों जैसेण्ण्ण्श्
श्रृंगार के युवा कवि श्री धीरज मिश्र ने अपने अशआर पढ़ कर समां बाँध दियाण्ण्
श्आँधियों का काम ही है घोसलों को तोड़नाए
फिर परिंदों का शज़र से रूठना वाजिब नहींण्ण्श्
प्रख्यात छंदकार श्री राजेंद्र शुक्ल ष्राजष् जी ने अपने मनोहारी छंदों से उपस्थित श्रोताओं और कवियों का मन मोह लियाण्ण्ण्
श्कोई.कोई खुद को अपार संकटों में डालए
दुनियाँ की खातिर डिठौना माँग लेता हैण्ण्श्
प्रसिद्ध हास्य कवि श्री अरविन्द कुमार झा जी ने हास्य रस से परिपूर्ण दोहे पढ़ कर श्रोताओं का खूब मनोरंजन कियाण्ण्
श्सूरज का घट जाएगाए निशिदिन बढ़ता तापए
शुभ.विवाह इसका कहींए जो करवा दें आपण्ण्श्
श्री प्रमोद द्विवेदी ष्प्रमोदष् ने वीर और भक्ति रस में पगे हुए छन्द सुनाकर श्रोताओं को
मन्त्रमुग्ध कर दिया.
श्किन्तु किसी ने भी जो भूल से की शत्रुता तोए
शत्रुता का भूत भी उतारा मेरे श्याम नेंण्ण्श्
वरिष्ठ हास्य कवि श्री भोला नाथ अधीर जी अपनों दोहों से श्रोताओं को लोट.पोट कर दियाण्ण्
श्आप चाहते हैं अगरए दें उत्तर तत्कालए
तो फिर हमसे पूछिएएसीधे सरल सवालण्ण्श्
वरिष्ठ कवि श्री सरस कपूर जी नें अपनें मधुर गीतों से काव्य संध्या को एक नए रंग में रंगने का सफल प्रयास कियाण्ण्
श्जीवन जल का नाम दूसराएनित्य निरंतर ही बहताए
नव पल्लव तो आयेंगे हीएपतझड़ कहाँ सदा रहताण्ण्ण्श्
अन्त में कार्यक्रमाध्य्क्ष श्री कृष्ण मुरारी ष्विकलष् जी ने सभी कवियों को साधुवाद
देते हुए अपने काव्यपाठ के साथ कार्यक्रम का समापन कियाण्ण्
श्मधुपूरित जीवन के गीत गए कब गायेए
बातों ही बातों में यह जीवन बीत गयाण्ण्श्
कार्यक्रम में जाने माने कवियों श्री नवीन बैसवारीएश्री मृदुल शर्माएश्री अशोक शुक्ल ष्अंजानष्एश्री अनिल वर्माएश्री विष्णु शर्माएश्री महेश घावरी आदि नें भी काव्यपाठ
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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