Posted on 25 September 2012 by admin
उत्तर प्रदेष में जनता दुर्घटना बीमा योजना का नमा परिवर्तित कर ‘‘कृषक दुर्घटना बीमा योजना कर दिया गया है। यह योजना उत्तर प्रदेष के सभी खातेदार और सह खातेदार किसानों के लिए चलाई जा रही है। इस योजना से प्रदेष के लगभग 2.5 करोड़ खातेदार और सह खातेदार आच्छादित होंगे।
योजना के अंतर्गत कृषक का तात्पर्य राजस्व अभिलेखों अर्थात खतौनी में दर्ज खातेदार और सह खातेदार है। बीमा योजना में 12 वर्ष से 70 वर्ष तक के कृषक आच्छादित होंगे। बीमा का आवरण पूर्व में एक लाख रूपये था जिसे बढ़ाकर अब पांच लाख रूपये कर दिया गया है।
बीमा का लाभ उन खातेदारों और सह खातेदारों को अनुमन्य होगा जिनकी अप्रकृतिक मृत्यु आग, बाढ़, बिजली गिरने, करंट लगने, सांप अथवा किसी जहरीले जन्तु के काटने आदि से हो जाती है। प्राकृतिक मृत्यु के प्रकार, प्रकृति आदि के संबंध में बीमा कम्पनी के द्वारा विवाद उठाए जाने पर संबंधित जिले के जिलाधिकरी का निर्णय अंतिम एवं बाध्यकारी होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 23 September 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में देश की 11 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि है, जबकि देश की उपज का 24 प्रतिशत अन्न देश के भण्डार में देेता है। उत्तर प्रदेश के कृषक मेहनती एवं उन्नतिशील हैं प्रदेश अन्न उत्पादन में आगे है। बढती हुई आबादी के साथ-साथ उत्पादन में और वृद्धि की आवश्यकता है। किसान खेती में आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग करें।
प्रदेश के कृषि मंत्री श्री आनन्द सिंह ने किसानों के बीच यह उद्गार आज यहां राज्य कृषि प्रबन्ध संस्थान, रहमान खेड़ा में दो दिवसीय राज्य स्तरीय उन्नत कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि कृषि अब साइंस बन गई है। समय एवं श्रम की बचत के साथ-साथ कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए किसानों को नई तकनीक के उन्नत कृषि यंत्रों का उपयोग करना उनके लिए बहुत हितकर है। प्रदर्शनी में बताया गया कि कृषि यंत्रों में रीपर, राइस प्लण्टर, पावर वीडर, नेपसेक स्प्रेयर, पावर ट्रिलर, रोटावेटर, ट्रैक्टर, सीडकम फर्टीड्रिल आदि कृषि यंत्रों से जुताई, बुआई, कटाई, फसल रक्षा आदि के सभी कार्य सुगमता पूर्वक कम समय एवं कम लागत में अधिक कार्य करते हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि किसान कृषि विभाग को अपना मित्र समझें, विभाग उन्हें गुणवत्तायुक्त बीज, खाद, कृषि रक्षा रसायन एवं कृषि यंत्रों आदि को समय से उपलब्ध करायेगा। उन्होंने कहा कि नये-नये कीड़ों एवं खरपतवार आदि के लिए नई-नई मशीनें उपलब्ध हैं। कृषि विभाग एवं यू0पी0एग्रो के संयुक्त तत्वावधान से कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी एवं सजीव प्रदर्शन के आयोजन में लगभग 50 कृषि यंत्रों, रक्षा रसायन आदि की स्टाल लगाई गई। दिनांक 22 सितम्बर 12 को कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। पंजाब, हरियाणा, गुजरात, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक आदि प्रदेशों के कृषि यंत्र निर्माताओं ने कृषि यंत्रों के साथ भाग लिया। यहां प्रत्येक दिन लकी ड्रा के माध्यम से किसानों को इनाम दिये गये। प्रदर्शनी में कृषि मंत्री एवं प्रमुख सचिव कृषि को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। प्रथम पुरस्कार मो0 वसीम को ‘‘ड्रमसीडर’’, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार में पावर स्प्रेयर, 05 कुन्तल की बखारी दी गई। सभी उत्पादकों को सान्त्वना पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र दिये गये।
प्रदर्शनी में प्रमुख सचिव कृषि श्री राजीव कपूर, यू0पी0एग्रो के प्रबन्ध निदेशक श्री प्रभात सिन्हा, निदेशक कृषि श्री एम0डी0सिंह, अपर निदेशक सर्वश्री पी0के0पाण्डेय, एस0सी0पाण्डेय, एम0पी0सिंह, एल0बी0सिंह, एम0पी0पाठक एवं आर0के0सिंह के अतिरिक्त अधिकारी, विभागीय कर्मचारी के साथ भारी संख्या में किसानों ने बड़े जोश के साथ भाग लिया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 17 September 2012 by admin
800 कमजोर सहकारी समितियों को सुदृढ़ करने हेतु आर्थिक सहायता
प्रदेश के लोक निर्माण, सिंचाई एवं सहकारिता मंत्री श्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का वास्तविक मूल्य दिलाया जायेगा, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो।
श्री यादव आज इटावा के ताखा ब्लाॅक में इफको द्वारा आयोजित मृदा जीर्णोद्धार एवं उत्पादकता परियोजना के अन्तर्गत 25 गांवों को अंगीकृत करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों एवं गांवों के विकास को सर्वोच्च प्राथिमिकता देगी। इसी क्रम में किसानों को सहकारिता के माध्यम से अच्छी गुणवत्ता वाली खाद एवं रसायनों को उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध है। आप सभी किसान भाइयों को विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि आपको समय पर यूरिया, डी0ए0पी0, अन्य आवश्यक खाद, बीज और कृषि रसायनों की आपूर्ति सुनिश्चित की जायेगी। इसके लिये कड़े कदम उठाते हुए सितम्बर माह तक 10 लाख मै0टन से अधिक फास्फेटिक खादों एवं 4.50 लाख मै0टन यूरिया खाद की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली है, जिससे किसान भाइयों को कोई भी कठिनाई नहीं होगी। उर्वरक वितरण पर अनेक प्रकार के अनावश्यक प्रतिबन्ध जिन्हें पिछली सरकार द्वारा लगाकर किसानों को परेशान किया जाता था, उन्हें तत्काल समाप्त कर दिया गया है। किसान भाई जरूरत के हिसाब से उर्वरकों का क्रय नकद एवं ऋण दोनों प्रकार कर सकते है। हमनें इस संबंध में यह भी निर्णय लिया है कि यूरिया की कमी को दूर करने के लिए 4 लाख मै0टन की प्रीपोजीशनिंग पहले से ही कर ली जाए, जिससे लगभग 403 करोड़ रुपये की बचत किसानों को होगी।
श्री यादव ने कहा कि सहकारिता के उत्थान के लिए उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के बकायेदार कृषकों का 50,000 रुपये तक का ऋण माफ करने के लिए 500 करोड़ रुपये की बजट का प्राविधान किया गया है। सहकारी बैंक किसानों एवं ग्रामीणों को आसान एवं सरल प्रक्रिया द्वारा ऋण उपलब्ध करायेंगे, जिसके लिये सहकारी बैंकों को मजबूती प्रदान की गयी है। किसानों को फसली ऋण देने की पर्याप्त उपलब्धता की गयी है। प्रदेश की 800 कमजोर समितियों को पुनः संचालित करने के लिए 2-2 लाख रुपये प्रति समिति वित्तीय सहायता प्रदान की गयी है। उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग को भ्रष्टाचार मुक्त किया जायेगा।
श्री यादव ने कहा कि प्रदेश के समस्त राष्ट्रीय मार्गों को कम से कम 7 मीटर चैड़ा करने के लिए लगभग 1800 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है। इसी प्रकार समस्त जिला मुख्यालयों को 4 लेन मार्ग तथा गांवों को सम्पर्क मार्गों से जोड़ने का काम भी प्रगति पर है। प्रदेश में 49 अधूरे सेतुओं में से 7 सेतु अल्प समय में निर्मित करा दिये गये है तथा शेष की कार्यवाही प्रगति पर है। 11,000 कि0मी0 लम्बाई के प्रमुख मार्गों के नवीनीकरण हेतु 825 करोड़ रुपये अवमुक्त कर दिये है, जिसमें से 1195 कि0मी0 लम्बाई का नवीनीकरण का कार्य पूर्ण हो चुका है।
श्री यादव ने कहा कि नहरों की सफाई की पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है जो प्रदेश में पहली बार हुई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की परिस्थितियों के अनुसार बाढ़ नियंत्रण योजनाओं का पहली बार राज्यव्यापी क्रियान्वयन की पारदर्शी व्यवस्था बनाई गई है। प्रदेश में 1236 ड्रेनों की सफाई का कार्य पूर्ण कराया गया है। सभी नहरों की पटरियों को पक्का करने का निर्णय लिया गया है तथा कुम्भ मेले में सभी व्यवस्थायें चाक-चैबन्ध करने के निर्देश भी दिये गये है। डाॅ0 राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय नलकूप प्रबन्ध परियोजना के अन्तर्गत आगामी 3 वर्षों में 3000 नये राजकीय नलकूपों का निर्माण करने का निर्णय लिया गया है, जिससे अतिरिक्त सिंचन क्षमता बढ़ेगी और अब तक पड़ी असिंचित जमीन पर फसलें लहलहा सकेंगी। वर्षों से लम्बित पड़ी 15 योजनाओं को पूरा करने के लिए 400 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया है।
श्री यादव ने सहकारिता विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों से कहा कि वे किसानों को बोरो पर अंकित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध करायें तथा उन्हें उर्वरकों, उन्नतशील बीजों एवं कृषि रसायनों के उपयोग का सही तरीका भी बतायें। इसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता या शिथिलता को बहुत गम्भीरता से ली जायेगी।
इस अवसर पर जनपद के वरिष्ठ अधिकारी, मा0 सांसद/विधायक तथा इफको निदेशक श्री राज कुमार त्रिपाठी एवं शिशपाल सिंह यादव, क्षेत्रीय प्रबन्धक बलवीर सिंह व राज्य प्रबन्धक योगेन्द्र वर्मा सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 12 September 2012 by admin
उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने आज ग्राम्य विकास विभाग की बैठक में राज्य के विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में जनप्रतिनिधियों की संस्तुतियों के आधार पर 7000 कि0मी0 लम्बे मार्गो के उच्चीकरण प्रस्तावों को अनुमोदित कर दिया है। उन्होने साथ ही निर्देश दिया कि नये कार्यो का निर्माण कार्य प्रत्येक दशा में अगले माह तक आरम्भ कर दिया जाय ताकि आम जनता को योजनाओं का लाभ अविलम्ब मिलना शुरू हो।
कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में आज उनके कार्यालय कक्ष में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से सम्बन्धित राज्य स्तरीय स्थायी समिति की बैठक में श्री आलोक रंजन ने यह निर्देश दिए। उन्होने कहा कि नवनिर्मित सड़कों के निर्माण में नेशनल क्वालिटी मानीटर द्वारा कोई कमी इंगित की जाती है तो सम्बन्धित कार्यदायी संस्थाओं द्वारा उसका तत्काल निराकरण कराया जाय और हर हालत में गुणवत्ता सुनिश्चित करायी जाय। उन्होने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत गत वर्षो में निर्मित सड़कों के नियमित रखरखाव के लिए विशेष रूप से निर्देशित करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में अच्छी सड़क एक बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर है, इसलिए इनको लम्बे समय तक जनोपयोगी बनाये रखने के लिए रखरखाव का महत्व अत्यधिक है। उन्होने कहा कि इसके लिए जरूरी है कि एक रोड मेण्टीनेन्स मैनुअल भी तैयार किया जाय।
बैठक मंे प्रमुख सचिव, ग्राम्य विकास, प्रमुख सचिव, ग्रामीण अभियन्त्रण विभाग, आयुक्त ग्राम्य विकास एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी, उ0प्र0 ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण, सचिव लोक निर्माण विभाग, विशेष सचिव, ग्राम्य विकास एवं अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, विशेष सचिव पंचायती राज, प्रमुख अभियन्ता (ग्रामीण सड़क) लोक निर्माण विभाग तथा निदेशक एवं मुख्य अभियंता, ग्रामीण अभियन्त्रण सेवा सहित अनेक अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में मुख्य रूप से भारत सरकार से प्राप्त सहमति के क्रम में प्रदेश में विभिन्न विभागों/ संस्थाओं द्वारा विगत वर्षो में ग्रामीण क्षेत्रों में निर्मित ऐसी सड़के जो वर्तमान में जर्जर है एवं इस कारण उन पर आवागमन में रूकावट आ गई है के सुधार/उच्चीकरण हेतु प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत तैयार किए गये प्रस्ताव पर चर्चा की गयी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 11 September 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में ऊसर, बीहड़, बंजर एवं समस्याग्रस्त भूमि को कृषि योग्य बनाने के साथ-साथ किसानों को रोजगार उपलब्ध कराने का कार्य किया जायेगा। सरकार की इस अति महत्वपूर्ण योजना पर वर्ष 2012-13 में 47.83 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। 12वीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत भूमि सेना तैयार कर यह योजना क्रियान्वित की जायेगी। प्रदेश के सभी 75 जनपदों में किसानों को ऊसर सुधार हेतु दी जाने वाली सुविधाओं में जिप्सम के प्रयोग पर 90 प्रतिशत अधिकतम् 13500 रुपये प्रति हे0 का अनुदान दिया जायेगा। हरी खाद उत्पादन हेतु 90 प्रतिशत अधिकतम् 2250 रुपये प्रति हे0 अनुदान दिया जायेगा। फसलोत्पादन पर कृषि निवेश पर 50 प्रतिशत अधिकतम् 2500 रुपये प्रति हे0 का अनुदान दिया जायेगा। कृषि वानिकी/उद्यानीकरण हेतु सुरक्षा, खाई एवं गड्ढ़ों की खुदाई पर अधिकतम् 10 हजार रुपये प्रति का अनुदान तथा कृषि वानिकी एवं उद्यानीकरण हेतु पौध/बीज की व्यवस्था पर अधिकतम् 3,000 रुपये प्रति का अनुदान दिया जायेगा।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्यान्न की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उत्पादन/उत्पादकता में वृद्धि लाना अति आवश्यक है। प्रतिवर्ष 25 से 30 हजार हे0 कृषि योग्य क्षेत्र गैर कृषि योग्य क्षेत्र में परिवर्तित हो रहा है। उत्पादन मंे वृद्धि के लिए अधिकतम् अकृष्य क्षेत्र को उपचारित कर कृषि अन्तर्गत आच्छादित किया जाना है। भूमि सेना योजना के माध्यम से समस्याग्रस्त क्षेत्रों का नियोजित रूप से त्वरित विकास कर कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि की जायेगी। सरकार द्वारा इसीलिए भूमि सेना योजना को पुनः क्रियान्वित किये जाने का निर्णय लिया गया है।
भूमि सेना योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के समस्त जनपदों के परियोजना क्षेत्र में ऊसर, बीहड़, बंजर भूमि को भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को राजस्व विभाग के सहयोग से आवंटित कराकर अथवा पहले से आवंटित भूमि को अथवा लघु एवं सीमान्त कृषकों की अनुपजाऊ भूमि को उन्हीं के द्वारा उन्हीं के लिए उन्हीं से सुधार कराया जायेगा। इस तरह इस योजना का मुख्य उद्देश्य भूमि को सुधार कर कृषि योग्य बनाना है। योजना के अन्तर्गत फसल उत्पादकता में वृद्धि, कृषि बागवानी एवं कृषि वानिकी से संबंधित कार्य करना है। इसके अतिरिक्त जलभराव के क्षेत्रों का उपचार करके फसल उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना भी इसका उद्देश्य है। भूमि सेना योजना को एक सुसंगठित अनुशासित एवं क्रियाशील कार्य बल के रूप मंे गठित कर आवश्यकतानुसार विभिन्न कार्यों का प्रशिक्षण देकर भूमि एवं जल संरक्षण, जल संभरण, उद्यानीकरण, कृषि वानिकी आदि कार्यों मंे लगाकर परियोजना क्षेत्र में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जायेंगे। इसमें भूमि सैनिकों के समूह को भूमि सेना कहा जायेगा जिसमें भूमिहीन, खेतिहर, मजदूर, जिनकी आजीविका मजदूरी पर निर्भर है को शामिल किया जायेगा। भूमि सेना के अध्यक्ष को टोलीनायक कहा जायेगा, इन्हें फोटोयुक्त परिचय पत्र भी दिया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 11 September 2012 by admin
केन्द्रीय औषधीय संगध पौधा संस्थान सीएसआईआर में आर्टीमीसिया एनुआ की खेती पर किसानों का ध्यान आकर्षित कराते हुये किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया। किसानो को बताया गया कि आर्टीमीसिया एनुआ पौधे से ही मलेरिया रोधी दवा का निर्माण किया जाता है।इस संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से 180 से अधिक किसानों ने भाग लिया. सुश्री अलका लैब, रतलाम फसल के अनुबंध की खेती के बारे में किसानों को जानकारी दी. निदेशक डॉ. सीएस नौटियाल, किसानों से आह्वान किया कि अपनी मिट्टी की खेती शुरू करने से पहले परीक्षण किया और बेहतर मुनाफे के लिए बेहतर तकनीकों को जानने के. डॉ. नौटियाल ने कहा कि मिशन के तहत सीएसआईआर 800, उनकी आय बढ़ाने के लिए किसानों के लिए प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के लिए जोर दिया जा रहा है. डॉ. ए.के. सिंह, मुख्य वैज्ञानिक ने सूचित है कि सीएसआईआर - इस फसल की खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्योग के साथ परामर्श के समझौते में प्रवेश किया है. डॉ. तोमर, डॉ. ए.के. गुप्ता, डॉ. संजय कुमार, डॉ. आरपी बंसल, डॉ. राम सुरेश, डॉ. आलोक कृष्णा सहित कई वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने भी इस अवसर पर उपस्थित थे.
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 05 September 2012 by admin
प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री राज किशोर सिंह ने पूर्वान्चल में आम की ’गौरजीत’ प्रजाति को बढ़ावा देने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये हैं। यह अगैती प्रजाति अपनी विशिष्ट सुगंध के लिये मशहूर हैं। उन्होंने लीची के क्षेत्रफल में भी विस्तार करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
श्री सिंह आज गोरखपुर में विभाग द्वारा पूर्वान्चल में ’फलों के उत्पादन की सम्भावनाएं’ विषय पर आयोजित एक उद्यान गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार बागबानी क्षेत्र के विकास के लिये प्रतिबद्ध है और इसके लिये अनेक योजनाएं जैसे औद्यानिक मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, पान विकास योजना आदि प्रदेश में संचालित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को इन योजनाओं की पूरी जानकारी दी जानी चाहिये ताकि वे इनका लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि इस गोष्ठी का आयोजन इसी उद्देश्य से किया गया है।
डा0 राघवेन्द्र प्रताप सिंह संयुक्त निदेशक/नोडल अधिकारी, राज्य औद्यानिक मिशन ने पूर्वान्चल में आम, अमरूद, लीची और केला की खेती के व्यवसायीकरण पर प्रकाश डाला। निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री ओ0एन0 सिंह ने गोष्ठी को सम्बोधित करते हुये कहा कि आम, अमरूद, लीची के फलों के क्षेत्र विस्तार पर 75 प्रतिशत तथा केला क्षेत्र विस्तार पर 50 प्रतिशत रोपण सामग्री एवं औद्यानिक निवेशों पर अनुदान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि बागवानी के साथ-साथ विभिन्न ढांचागत सुविधाओं जैसे माडल एवं लघु नर्सरी, ग्रीन हाउस तथा शेड नेट हाउस एवं सब्जी उत्पादन हेतु स्ट्रक्चर निर्माण पर 40 से 50 प्रतिशत तक की अनुदान दी जाती है।
गोष्ठी में औद्यानिक क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले 22 प्रगतिशील कृषकों को अंगवस्त्र भेंटकर उद्यान मंत्री ने सम्मानित किया। गोष्ठी में गोरखपुर, बस्ती, फैजाबाद, देवीपाटन, आजमगढ़ और वाराणसी मण्डल के हजारों कृषकों ने भाग लिया। प्रगतिशील कृषकों ने फसल उत्पादन में आने वाली समस्याओं को वैज्ञानिक के समक्ष रखकर उनका सुझाव प्राप्त किया। अन्त में डा0 राणा प्रताप सिंह, संयुक्त निदेशक उद्यान/प्रशासन, उद्यान निदेशालय, लखनऊ ने दूरस्थ क्षेत्रों से आये कृषकों/क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं/वैज्ञानिकों का आभार प्रकट किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 03 September 2012 by admin
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में फलों के उत्पादन की सम्भावनाओं को देखते हुए प्रादेशिक स्तर पर गुणवत्ता जागरूकता हेतु प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा आगामी 04 सितम्बर, 2012 को गोरखपुर क्लब, गोरखपुर में औद्यानिक गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, मंत्री श्री राजकिशोर सिंह द्वारा पूर्वान्ह 10.00 बजे इसका शुभारम्भ किया जायेगा। गोष्ठी में प्रदेश के गोरखपुर, बस्ती, देवीपाटन, फैजाबाद, आजमगढ़ तथा वाराणसी मण्डल के प्रत्येक जनपद से एक-एक प्रगतिशील किसान को उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री द्वारा पुरस्कृत किया जायेगा। इसी के साथ-साथ इस अवसर पर प्रकाशित की जा रही ‘‘पूर्वांचल में फलोत्पादन की सम्भावनाएं’’ शीर्षक से स्मारिका का विमोचन भी उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री द्वारा किया जायेगा।
इस अवसर पर आमंत्रित उद्यानपतियों को गोष्ठी आयोजन के उद्देश्य पर श्री राजन शुक्ला, सचिव उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा उद्बोधित करेंगे। इसी के साथ प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर की विभिन्न औद्यानिक शोध संस्थानों तथा विभागीय वैज्ञानिकों/अधिकारियों के मध्य सम्य्क विचारोपरान्त प्रदेश के पूर्वांचल में औद्यानिकी के विकास के विभिन्न आयाम तलाशे जायेंगे। गोष्ठी के उद्घाटन सत्र मंे विशेष रूप से प्रदेश सरकार का औद्यानिक विकास दृष्टिकोण एवं बागवानों को दी जा रही सुविधाओं के बारे में निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग श्री ओ0एन0सिंह द्वारा प्रकाश डाला जायेगा। इसके अलावा पूर्वांचल में फलों के उत्पादन की सम्भावनाओं की पृष्ठभूमि पर डा0 राघवेन्द्र प्रताप सिंह, संयुक्त निदेशक एवं नोडल अधिकारी, राज्य औद्यानिक मिशन, उत्तर प्रदेश चर्चा करेंगें।
गोष्ठी के तकनीकी सत्र में विशेष तौर पर आम का सफल उत्पादन, प्रबन्धन एवं कैनोपी मैनेजमेन्ट तथा पूर्वांचल में आम की गौरजीत प्रजाति के विकास की सम्भावनाओं की जानकारी देने के लिए केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, लखनऊ के वैज्ञानिक, डा0 दुष्यन्त मिश्रा को आमंत्रित किया गया है। इसके अलावा इसी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक, डा0 वी0के0सिंह, आम की सघन बागवानी एवं निरन्तर फलन हेतु आवश्यक क्रियाएं तथा फलोत्पादन में प्लास्टिक मल्चिंग की उपयोगिता पर अपने विचार रखेंगे।
प्रदेश के पूर्वांचल में औद्यानिक विकास के अन्तर्गत लीची के बेहतर उत्पादन हेतु राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुजफ्फरपुर, बिहार के निदेशक, डा0 विशाल नाथ तथा प्रधान वैज्ञानिक डा0 शेषधर पाण्डेय अपने विचार व्यक्त करेंगे। आम, अमरूद, केला एवं लीची की बागवानी में एकीकृत नाशी-जीव प्रबन्धन पर डा0 अशरफ हुसैन, वरिष्ठ वैज्ञानिक नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फैजाबाद बतायेंगे तथा बागवानी में टपक सिंचाई की योजना पर चन्द्रशेखर आजाद, कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर के पूर्व कृषि अधिष्ठाता डा0 ए0एन0तिवारी चर्चा करेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 30 August 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में मण्डी परिषद द्वारा ताज ब्राण्ड आलू के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिये आलू के निर्यातकों को भाड़े के मद में दी जाने वाले अनुदान धनराशि 1.50 रूपये प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर 2.00 रूपये प्रति किलोग्राम कर दी गयी है। वर्तमान में इसी दर से धनराशि उपलब्ध करायी जा रही है।
मण्डी परिषद से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश के आलू उत्पादक किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिये मण्डी परिषद द्वारा ताज ब्राण्ड आलू के निर्यात को बढ़ावा देने की विशेष कार्य योजना तैयार की गयी है जिसके अंतर्गत निर्यातकों को अब दो रूपये प्रति किलोग्राम की दर से भाड़ा उपलब्ध कराया जा रहा है।
किसानों को मार्केटिंग सुविधायें उपलब्ध कराने के लिये वर्तमान समय में अनेकों कार्य किये जा रहे हैं जैसे ग्रामीण अवस्थापना केन्द्रों के निर्माण, जनेश्वर मिश्र ग्राम विकास योजना, एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब के निर्माण एवं किसानों को मोबाइल पर कृषि उत्पादों के विक्रय मूल्य की जानकारी की सुविधा आदि के कार्य जो अवश्य ही किसानों के हित में उपयोगी होंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 27 August 2012 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार ने लघु सिंचाई कार्यक्रम के आयोजनेत्तर पक्ष में चालू योजनाओं हेतु रू0 83,29,59,000/- (रूपये तिरासी करोड़ उन्तीस लाख उन्सठ हजार मात्र) की धनराशि अवमुक्त कर दी है।
प्रमुख सचिव लघु सिंचाई श्री संजीव दूबे ने यह जानकारी देते हुये बताया कि उक्त धनराशि चालू वित्तीय वर्ष 2012-13 के अंतर्गत लघु सिंचाई कार्यक्रम की चालू योजनाओं में अन्य व्यय (अधिष्ठान) की मदों में व्यय हेतु उपलब्ध कराई गई है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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