प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री राज किशोर सिंह ने पूर्वान्चल में आम की ’गौरजीत’ प्रजाति को बढ़ावा देने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये हैं। यह अगैती प्रजाति अपनी विशिष्ट सुगंध के लिये मशहूर हैं। उन्होंने लीची के क्षेत्रफल में भी विस्तार करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
श्री सिंह आज गोरखपुर में विभाग द्वारा पूर्वान्चल में ’फलों के उत्पादन की सम्भावनाएं’ विषय पर आयोजित एक उद्यान गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार बागबानी क्षेत्र के विकास के लिये प्रतिबद्ध है और इसके लिये अनेक योजनाएं जैसे औद्यानिक मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, पान विकास योजना आदि प्रदेश में संचालित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को इन योजनाओं की पूरी जानकारी दी जानी चाहिये ताकि वे इनका लाभ उठा सकें। उन्होंने कहा कि इस गोष्ठी का आयोजन इसी उद्देश्य से किया गया है।
डा0 राघवेन्द्र प्रताप सिंह संयुक्त निदेशक/नोडल अधिकारी, राज्य औद्यानिक मिशन ने पूर्वान्चल में आम, अमरूद, लीची और केला की खेती के व्यवसायीकरण पर प्रकाश डाला। निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण श्री ओ0एन0 सिंह ने गोष्ठी को सम्बोधित करते हुये कहा कि आम, अमरूद, लीची के फलों के क्षेत्र विस्तार पर 75 प्रतिशत तथा केला क्षेत्र विस्तार पर 50 प्रतिशत रोपण सामग्री एवं औद्यानिक निवेशों पर अनुदान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि बागवानी के साथ-साथ विभिन्न ढांचागत सुविधाओं जैसे माडल एवं लघु नर्सरी, ग्रीन हाउस तथा शेड नेट हाउस एवं सब्जी उत्पादन हेतु स्ट्रक्चर निर्माण पर 40 से 50 प्रतिशत तक की अनुदान दी जाती है।
गोष्ठी में औद्यानिक क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले 22 प्रगतिशील कृषकों को अंगवस्त्र भेंटकर उद्यान मंत्री ने सम्मानित किया। गोष्ठी में गोरखपुर, बस्ती, फैजाबाद, देवीपाटन, आजमगढ़ और वाराणसी मण्डल के हजारों कृषकों ने भाग लिया। प्रगतिशील कृषकों ने फसल उत्पादन में आने वाली समस्याओं को वैज्ञानिक के समक्ष रखकर उनका सुझाव प्राप्त किया। अन्त में डा0 राणा प्रताप सिंह, संयुक्त निदेशक उद्यान/प्रशासन, उद्यान निदेशालय, लखनऊ ने दूरस्थ क्षेत्रों से आये कृषकों/क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं/वैज्ञानिकों का आभार प्रकट किया।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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