Archive | कला-संस्कृति

संदीप-सूर्या का लखनऊ से बाॅलीवुड नगरी तक का सफर

Posted on 29 May 2011 by admin

नवाबों के शहर लखनऊ की सरज़मी से ताल्लुक रखने वाले संदीप-सूर्या का अपने शुरूआती दिनों में लखनऊ के भातखण्ड़े संस्थान एवं कई अन्य संगीत संस्थानों से काफी जुड़ाव रहा। लगभग 06 साल पहले बाॅलीवुड नगरी की ओर रूख़ करने वाले संदीप-सूर्या ने बाॅलीवुड में एक सफल संगीतकार बनने का लक्ष्य तय किया लेकिन शुरू-शुरू में संदीप-सूर्या को बाॅलीवुड नगरी उस तरह रास नहीं आई जैसा उन्होनें चाहा था मगर अथक प्रयासो, कठिन परिश्रम एवं अपने जुझारूपन के साथ-साथ हार न मानने का जज्ब़ा उन्हें बाॅलीबुड नगरी में अपनी पहली मंज़िल जल्द ही पाने में मद्दगार साबित हुई।

शुरूआती दौर में ही संदीप-सूर्या ने देश की शीर्ष म्यूज़िक कम्पनी टी-सीरीज़, टाइम्स म्यूजिक और फ््रैकफिन म्यूज़िक के म्यूजिक एलबम के साथ अपने करीयर की शुरूआत की।

संदीप-सूर्या दोनों ही लखनऊ के एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते है। संदीप ने गायकी को अपना रास्ता चुनते हुए शास्त्रीय संगीत में शिक्षा प्राप्त की एवं सूर्या ने पाश्चात संगीत की ओर रूख किया। संदीप और सूर्या की मुलाकात म्यूजिक के सिलसिले में एक-दूसरे से हुई।

संदीप-सूर्या ने अलग-अलग संगीत कला में शिक्षा प्राप्त की जोकि फिल्म भिन्डी बाज़ार के संगीत में विविधता को परिलक्षित करती है फिल्म के सभी गाने पूर्णतया एक दूसरे से भिन्न है। संगीत में विभिन्नता के कारण फिल्म के गानों में भी, गायको की भी भिन्नता देखने को मिलती है जहाॅ अक्कड-बक्कड गाने को पश्चात संगीत को ध्यान में रखते हुए सूरज जगन ने अपनी आवाज दी है वही फिल्म के दूसरे गाने आ जा रे पिया को चर्चित सूफियाना गायक कैलाश खेर ने अपनी आवाज से संजोया है। इसके आलावा म्यूजिक के बाजार में आते ही लोगों में लोकप्रिय हो चुके गाना तान के सीना हो जा कमीना को शिवानी कश्यप ने अपनी आवाज दी है एवंम कितनी बातें है गाने को अपनी अलग आवाज के लिए मशहूर गायक रूप कुमार राठौर जी ने गाया है। वहीं दूसरी ओर सामाज़ में व्याप्त गरीबी और अमीरी के बीच के अंतर पर कटाक्ष करने वाले गाने मालदार की जेब गरीब की जिंदगी…को प्रतिभाशाली गायक तोची रैना ने अपनी आवाज़ दी है। संगीत में ट्विीस्ट देने के लिए संदीप-सूर्या ने फिल्म के मुख्य किरदार प्रशान्त नारायनन से भी गाना गवाया है और गायको की श्रेणी में संदीप गोस्वामी ने गायिका श्वेता पंडित के साथ एक ड्वेट गाना भी गाया है।

संदीप-सूर्या के संदीप गोस्वामी अब पूरी तरह से मुम्बई में रहते है लेकिन उनका लखनऊ से जुड़ाव होने का एक मुख्य कारण उनकी समाज सेवी संस्था पाॅम इण्डिया भी है। जिसको संदीप पिछले 03 वर्षो से लखनऊ से बडी ही उत्सुकता से संचालित कर रहे है। संदीप के अनुसार वो अपनी जिन्दगी के ख्वाबों को संगीत एवं इस संस्था के सहयोग से संजोना चाहते है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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अनीता सहगल को ‘‘देवरिया सम्मान’’ से अलंकृत

Posted on 27 April 2011 by admin

देवरिया - चार दिवसीय देवरिया महोत्सव में संचालन कर रही लखनऊ से पधारी बहुमुखी प्रतिभा की धनी अनीता सहगल को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधान सभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने अपने कर कमलों से देवरिया महोत्सव में हाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में श्रेष्ठ एवं प्रभावशाली संचालन हेतु  स्मृति चिन्ह देकर ‘‘देवरिया सम्मान’’ से  सम्मानित किया ।
 

इस मौके पर मुख्य अतिथि ने कहा कि अनीता सहगल संचालन की दुनिया में वह नाम है जो किसी भी बिगड़ते हुए कार्यक्रम को इतने ढंग से पेश कर देती हैं, जिससे कार्यक्रम की शोभा अपने आप बढा जाती है। उन्होंने अपने संबोधन में यह भी कहा कि अनीता सहगल को मैंने कई कार्यक्रमों में सुना है। अनीता की संवाद अदायगी तथा शैरो-शायरी कार्यक्रम में चार चांद लगा देती है।  सलेमपुर के सांसद रमाशंकर विद्यार्थी ने कहा कि ऐसा मंच संचालन मैंने पहले कभी नहीं देखा और न ही सुना। पूर्व एम0एल0सी0 श्रीनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि मैंने तो देवरिया महोत्सव में लगभग समस्त कार्यक्रम  का आनन्द लिया, जिस तरह से मुख्य अतिथि विशिष्ट अतिथि तथा कलाकरों को मंचा पर बआमंत्रित किया जा रहा था, वह वाकई में बहुत ही काबिले तारीफ था। कार्यक्रम के बीच-बीच में जो शायरियां अनीता द्वारा प्रस्तुत की जा रही थी, उस पर दर्शक बिना ताली बजाये नहीं रह पा रहे थे। अन्त में जिलाधिकारी देवरिया जुहेर बिन सगीर ने कहा कि संचालिका महोदया की जितनी भी तारीफ की जाये कम है। मुख्य अतिथि सुखदेव राजभर ने देवरिया के पूर्व ओलम्पिक तैराक विकलांग राजबलि को भी स्मृति चिन्ह देकर ‘देवरिया सम्मान’’ से सम्मानित किया तथा जिलाधिकारी से उनकी पत्नी को रोजगार देने को कहा। अन्त में अनीता सहगल ने मुख्य अतिथि, सम्मानित विशिष्ट अतिथि, जिलाधिकारी महोदय, पुलिस अधीक्षक तथा देवरिया महोत्स समिति के समस्त सदस्यों को धन्यवाद दिया कि उन्होंने मुझे देवरिया महोत्सव में संचालन करने का मौका दिया।चलते-चलते अनीता ने जिलाधिकारी महोदय तथा समिति के सदस्यों के लिये शायारी के माध्यम से बस इतना ही कहा कि:-
भूल से अगर कोई भूल हो गयी हो तो,भूल समझ कर भूल जाना।
भुलाना सिर्फ मेरी भूल को, भूल से मुझे मत भूल जाना।

सुश्री अनीता सहगल को इसके पूर्व राज्यपाल श्री विष्णु कान्त शास्त्री द्वारा श्रेष्ठ चित्रकार के सम्मान के साथ-साथ बहुमुखी प्रतिभा का सम्मान, श्रेष्ठ मंच संचालिका का सम्मान, कला शिरोमणि, कला रत्न का सम्मान सहित अनेकों पुरस्कारों से नवा़जा  जा चुका है।

 

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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स्त्रियों व पुरुषों के बीच भारत का सबसे बड़ा युद्ध: `बिन्दास दादागीरी 4´

Posted on 20 January 2011 by admin

untitled-3जहां पर एक मात्र नियम है `लड़कियों को चित्त करो´ तथा `लड़कों को मारो´

एक साथ ढेर सारी चरचराहट……झटके… शक्ति…..वीरता और आह का दर्शन होने वाला है । सात सनसनाती सुन्दरियां बनाम सात जीवट मर्द - पसीने, रक्त और जोश के साथ एक दूसरे से मुकाबला करते नज़र आयेंगे। या तो मदोंZ की बिग्रेड जीतेगी अथवा सुन्दरियों की बटालियन विजयी होगी। यह मुकाबला पुरुषों और महिलाअों का है। मंगल (मार्स) बनाम शुक (वीनस) यूटीवी बिन्दास-दादागीरी 4।

यूटीवी बिन्दास प्रस्तुत कर रहा है भारत में जेण्डर पर आधारित सबसे बड़ा युद्ध, यानि लड़कों व लड़कियों के बीच का मुकाबला `दादागिरी 4´। जहांं पर दिया जाने वाला टास्क यह निर्धारित करेगा कि क्या वे एक दूसरे के विरुद्ध घातक आक्रमण करने में सफल हो पायेंगे या नहीं। इस जनवरी में प्रारंभ हो रहे इस मुकाबले में जहां पर लड़कियां लड़कों के साथ एक स्तर पर उतर कर जोरदार मुकाबला करेंगी, जहां पर उनका नारी होना सबसे बड़ा शत्रु बन कर उभरेगा। पिछले सत्र से पूर्णत: भिन्न इस वर्ष बिन्दास एक दूसरे से भिड़ने का अवसर प्रदान करेगा तथां प्रतिपक्षी द्वारा सबसे जंगली किस्म की चुनौती का सामना करने के लिये बाध्य कर देगा। ये दोनो टीमें एक दूसरे से अनेक प्रकार के टास्क में प्रतिस्पद्धाZ करने के लिये मैदान-ए-जंग में उतरेंगी, और पुराने व घिसे-पिटे रवायतों, भ्रान्तियों तथा सदियों पुरानी परंपरा को विध्वंस करती नज़र आयेंगी। यूटीवी बिन्दास इस बात को ले कर आश्वस्त है कि दादागीरी की यह नयी पेशकश उनकी खोजपरक प्रोग्रामिंग के ताज में एक और सम्मानजनक पंख का अलंकरण करने में सफल रहेगी तथा समूचे राष्ट्र को अपने टेलीविजन सेट के सम्मुख आनन्द एवं उत्साह के दिलफरेब माहौल में खो जाने के लिये विवश कर देगी। इस चौथे सत्र का शुभारंभ 15 जनवरी को होगा और दूसरा प्रसारण प्रत्येक शनिवार को सायं 7 बजे होगा, केवल यूटीवी बिन्दास पर।

यह रियलिटी शो प्रतिभागियों के न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक चपलता एवं तेजी का भी परीक्षण करेगा। देखिये टीमों को टास्क पर परफॉर्म करते हुये, जिसके अन्तर्गत वे अपने कोहनी से एक गड्ढे को खोदते हुये दूसरे हाथ से एक  केकडे़ को पकड़ कर रखने जैसा

कार्य करेंगे तथा एक बकरी की आन्त से एक पांच रुपये का सिक्का निकालने के लिये बकरी के नेत्र गोलक को दबाने जैसा वीभत्स कार्य करेेंगे। दादागीरी 4 में एक नया टि्वस्ट भी होगा, जिसमें एक प्रतिशोध टास्क का प्रयोजन भी किया जा रहा है। जिसके तहत मुख्य टास्क जीतने वाली टीम अपने प्रतिपक्षी से बदला ले सकेगी।

डी4 के लॉन्च पर टिप्पणी करते हुये यूटीवी बिन्दास के बिजनेस हेड, श्री निखिल गांधी ने कहा कि “यूटीवी के अन्तर्गत हम अपने दर्शकोें को नवीनतम एवं अत्यन्त कल्पनातीत सामग्री पेश करने में विश्वास रखते हैं। दादागीरी के तीन सफल सत्र के उपरान्त हम लिंगों के युद्ध की नई थीम के साथ वापस आ रहे हैं। यह वार्ता का शतिब्दयों पुराना विषय रहा है और अब हम इसे परीक्षण के घरातल पर रखने जा रहे हैं। इस दिलचस्प परिकल्पना के साथ हमारा लक्ष्य घिसी-पिटी, परंपरागत तथा दकियानूसी प्रथा को समाप्त करना भी है तथा मानवीय स्वभाव के उन बेहतरीन लक्षणों को उजागर करना है जो हमारे द्वारा निर्धारित सजगतापूर्ण टास्क में सिन्नहित है। 3 सत्रों के बाद सत्र 4 में साजिश का माहौल काफी आला दर्जे का होगा और एक ऐसे प्रारुप की पेशकश करेगा, जिसमें महिलाओं का सशक्तीकरण प्रमुख मुद्दा होगा। हमें वास्तव में यह पूर्ण विश्वास है कि यह काल दोनों लिंगों को समय के घरातल पर तोलेगा और इस प्रकार हम दादागिरी 4 में स्त्रियों एवं पुरुषों के बीच ऐतिहासिक युद्ध के सृजन में सफल होंगे। अपनी सृजनात्मक सर्वोच्चता की पुनरावृत्ति करते हुये दादागीरी 4 भारत में लिंगों का सबसे बड़ा युद्ध साबित होगा तथा यह शो क्रमबद्ध रुप से शक्तिशाली होता चला जायेगा।´´

डी4 पर एक मेजबान के रुप में अपने प्रवेश के विषय में बोलते हुये बहुमुखी प्रतिभा संपन्न अमित टण्डन ने कहा कि, “यह एक ऐसा शो है जिसके पहले 3 सत्रों को लोगों ने खूब पसन्द किया तथा इसकी वापसी सेे वे बेहद उत्साहित हैं। डी4 इस बार और अधिक मुश्किल संघर्ष को पेश करेगा और दोनो लिंगों को आमने-सामने खड़ा करेगा। बिना किसी पक्ष की तरफदारी किये मैं दोनो पक्षों के बीच एक समर्थन-सेतु का काम करुंगा, जबकि वे उत्तेजक एवं जुनूनी टास्क के माध्यम से युद्ध एवं सर्वाइवल में संलग्न रहेंगे। एक ऐसे चैनल के साथ संबद्ध होना बहुत प्रसन्नतादायी ह,ै जो अपने दर्शकों के लिये ताजगी भरे कंटेंट को ले आने के लिये कृतसंकल्प रहता है। मैं लिंगों के बीच के इस युद्ध के लिये अपने आप को तैयार कर रहा हूं, जिसमें ये जवां मर्द और महिलायें एक दूसरे को या तो मार डालेंगे या खुद मर मिटेंगे।´´

अत: आप का रुझान किस पक्ष की तरफ है र्षोर्षो देखिये टीमों को अपनी कटारों के साथ जंग में उतरते हुये और मैदान-ए-जंग में गजब का उत्पात मचाते हुये, केवल दादागीरी 4में।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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नवीं अखिल भारतीय छायाचित्र कला प्रदर्शनी 2010-11 का उद्घाटन

Posted on 12 January 2011 by admin

राज्य ललित कला अकादमी द्वारा आज अकादमी परिसर में नवीं अखिल भारतीय छायाचित्र कला प्रदर्शनी 2010-11 का उद्घाटन एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया।

प्रदर्शनी का उद्घाटन केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मन्त्रालय में फोटो प्रभाग के निदेशक श्री देवतोष सेन गुप्ता ने किया। इस अवसर पर प्रदर्शनी में शामिल कलाकारों को पुरस्कार भी वितरित किये गये। इसके अन्तर्गत बीस हजार के तीन पुरस्कार पुलकित रावत-(इन्दौर), स्वणेZन्द्र घोष (मुर्शिदाबाद), पंकज शर्मा (बरेली) को तथा दस हजार के दो पुरस्कार कल्पना दीपक शाह (मुम्बई) एवं नीलम सिंह (लखनऊ) को दिये गये। पुरस्कार राशि के अतिरिक्त छायाकारों को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह भी दिये गये। प्रदर्शनी में कुल 35 छायाकारों ने भाग लिया। यह प्रदर्शनी 11 से 22 जनवरी तक प्रतिदिन 11:00 बजे से सांय 6:00 बजे तक दर्शकों के अवलोकनार्थ खुल रहेगी।

इस अवसर पर अकादमी सचिव श्रीमती बीना विद्यार्थी सहित नगर के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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देखिये डिमॉलिशन मैन केवल यूटीवी ऐक्शन पर!

Posted on 16 November 2010 by admin

चैनल : यूटीवी ऐक्शन
नाम : डिमॉलिशन मैन
दिनांक : 21 नवंबर 2010
रात्रि : रात्रि 8.45 बजे

demoकथासार: वर्ष 1996 में जम चुका (फ्रोजेन) एक सजायाफ्ता हत्यारा फीनिक्स 21 वीं शताब्दी में सशर्त रुप से पिघल कर सक्रिय हो उठता है। एक अपराध मुक्त समाज में शारीरिक रुप से सक्रिय होने के बावजूद भी फीनिक्स अपना हिंसक क्रोधोन्माद बरकरार रखता है और कोई भी शक्स उसके ऊपर लगाम नहीं लगा पाता। स्पार्टन नामक पुलिस अधिकारी ने फीनिक्स को 1996 में गिरफ्तार किया था तथा वह एक ऐसे अपराध के लिये अतिशीतित रुप से जम गया था, जो उसने किया ही नहीं था। इस बार पुलिस महकमा फीनिक्स को पुन: गिरफ्तार करने हेतु हताशापूर्ण मन:स्थिति में स्पार्टन की मदद करने के लिये आगे आता है।

देखिये यूटीवी ऐक्शन इस रविवार 21 नवंबर 2010 को रात्रि 8.45 बजे और कुछ वास्तविक ऐक्शन का आनन्द उठाइये !

यूटीवी ऐक्शन के विषय में
यूटीवी ऐक्शन उन चैनलों में से एक है, जो यूटीवी के स्वामित्व में हैं, जैसे यूटीवी बिन्दास, यूटीवी वल्र्ड मूवीज और यूटीवी मूवीज। यह चैनल हिन्दी में डब की गई रोमांचक हॉलीवुड फिल्मों का प्रसारण करता है। इसके अतिरिक्त इस चैनल पर बॉलीवुड की नई ऐक्शन फिल्में भी प्रसारित की जाती हैं। महानगरों एवं अन्य शहरों में रहने वाले दर्शकों के बीच यह काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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खान फेस्टिवल, सिर्फ मैक्स पर

Posted on 09 November 2010 by admin

विद्रोही किस्म की उन हिन्दुस्तानी लड़कियों की टीम का कोच, जिन्हें हिन्दुस्तान की प्रतिष्ठा वापस लाने के लिये वल्र्ड कप में जीतना जरूरी था, आधुनिक समय का वह सीधा सादा पति जो अपनी पत्नी का प्यार जीतने के लिये किसी भी सीमा तक जाने को तैयार था और जिसने खुद को पूरी तरह बदल लेना उचित समझा, पुनर्जन्म लेकर अपने प्यार का बदला चुकाने वाला प्रेमी, प्यार जगा कर दिल जीत लेने वाला रोमियो– एक अभिनेता जिसने हर रोल को बखूबी जिया है, जो हिन्दी फिल्म जगत का बेजोड़ बादशाह है, उसी का नाम है, शाहरूख खान।
प्रमुख हिन्दी फिल्मों और विशेष इवेंट्स के चैनल मैक्स पर 15 नवंबर से एक फिल्म फेस्टिवल के अन्तर्गत बादशाह शाहरूख खान की उन फिल्मों का पुनरावलोकन प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्होंन विविध भावनाओं को साक्षात किया है। इस फेस्टिवल का नाम है, `किंग खान´। इसमें शाहरूख की विविध विषयों वाली फिल्में शामिल की गई हैं जो त्योहारों के इस मौसम में पूरे परिवार के लिये स्वस्थ मनोरंजन का साधन रही है। फिल्में देखने के शौकीनों का मन मोह लेने वाली शाहरूख खान की ये फिल्में मैक्स पर सोमवार से गुरूवार तक रात 8.00 बजे से दिखाई जाएंगी।

मैक्स पर दिखाये जाने वाले इस खान फेस्टिवल में जो फिल्में शामिल की गई हैं, उनमें प्रमुख हैं, `रब ने बना दी जोड़ी´, रब ने बना दी जोड़ी ऐसे विवाह की कहानी है जिसमें पत्नी पति को नही चाहती लेकिन पति शाहरूख खान उसे धीरे धीरे प्यार की राह पर ले आता है। `दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे´ असामान्य लोगों की असामान्य परिस्थितियों में परवान चढ़ी प्रेम कहानी है, `चक दे इण्डिया´ चक दे में शाहरूख ने हॉकी कोच की भूमिका बखूबी निभाई है, `ओम शान्ति ओम´ - ओम शान्ति ओम प्यार और पुनर्जन्म से सम्बंध रखती है। इनके अलावा भी जो फिल्में हैं सभी दशZकों को बांधे रखने वाली हैं।
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मैक्स पर, रात 8.00 बजे से, सोमवार से शुक्रवार 15 नवंबर से 25 नवंबर 2010

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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यूटीवी बिन्दास की नई पेशकश `द चेयर´,

Posted on 23 September 2010 by admin


जिसमें वास्तविक दुनिया जुडे़गी अलौकिक संसार से
परालौकिक संसार के रहस्यों को जानने के लिये तैयार हो जाइये

याद कीजिये उन एकान्तमय यात्राओं और अपने दोस्तों के साथ बिताए गए पलों को, जब बिस्तर में सिकुड़ते हुए और खुद को मोटे कंबल में लपेटकर आप एक-दूसरे से `प्रेतात्माओ´ं का सामना करने के किस्से सुनते थे
या उन रातों को याद कीजिये, जब आप सुनसान सड़क से गुजर रहे थे और आपको विश्वास था कि कोई डरावनी चीज आपका पीछा कर रही थी…

उस समय आपको कैसा महसूस हुआ थार्षोर्षो
भूतों, आत्माओं और अमानवीय शक्तियों की कहानियों ने हर पीढ़ी के लोगों को रोमांचित किया है।
परालौकिक शक्तियों का दूसरा नाम `डर´ है: एक ऐसा एहसास, जो आपके रोंगटे खड़े कर देता है…
जापानी में यूरेई, हिन्दी में भूत, वेल्श में जीनेवर और पुर्तगाली में फैंटसमास के नाम से विख्यात `मृत्यु उपरान्त जीवन´ की परिकल्पना पर पूरे विश्व के अधिकांश लोग विश्वास करते हैं और प्राय: इसका तात्पर्य बुरी शक्तियों से नहीं होता है…

स्नबादवूए 22 ैमचजमउइमत 2010: यूटीवी बिन्दास पेश करते हैं भारत का पहला हॉरर रियालिटी शो- `द चेयर´, जिसमें अवचेतन मस्तिष्क अमानवीय शक्ति से संपर्क साधकर स्तब्ध कर देने वाले अनुभवों को उजागर करेगा। इस शो की शुरूआत 12 सितम्बर से होने जा रही है। अपने प्रकार के इस पहले रियलिटी शो में 13 साहसी व्यक्ति अपने भय पर विजय प्राप्त करने के लिये भारत भर के भयावह स्थानों पर जाएंगे और मृत व्यक्तियों से संपर्क स्थापित करने का प्रयास करेंगे। युवाओं के लिये हमेशा नवीनतम विषय-वस्तु प्रस्तुत करने और रोमांचक मंच प्रदान करने के अपने प्रयास को जारी रखते हुए यूटीवी बिन्दास एक और सफल कार्यक्रम की शुरूआत करने जा रहा है, जो न केवल मनोरंजक होगा, बल्कि इस विषय से सम्बंधित रहस्यों को भी उजागर करेगा।

यूटीवी बिन्दास हर बार उन विश्वासों को चुनौती देने वाली नवीनतम विषय-वस्तु प्रस्तुत करने का प्रयास करता है, जिनके बारे में हम कोई प्रश्न नहीं उठाते हैं। `दूसरी दुनिया´ के कुछ रहस्यमय तथ्यों को उजागर करने पर आधारित `द चेयर´ में भाग लेने वाले व्यक्तियों को सम्मोहन द्वारा अवचेतन अवस्था में पहुंचाया जाएगा(ूपजी ीमसच वि ं तमदवूदमक ेचपतपजनंस ीमंसमतए ैूंजप च्तंोंीद्ध…अर्थात् सामान्य अवस्था से अलौकिक अवस्था में… जिसमें उनकी कुर्सी वास्तविक संसार और उसके पीछे छुपे परिदृश्य के बीच एक `मार्ग´ का कार्य करेगी। मृत व्यक्तियों के संसार के कुछ अनबूझे पहलूओं को उजागर करने वाली इस यात्रा को देखिये 12 सितम्बर से प्रत्येक रविवार शाम 7 बजे केवल यूटीवी बिन्दास पर!
`द चेयर´ की शुरू

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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विधि एवं विधायन क्षेत्र में हिन्दी का और प्रयोग किया जाय - प्रमुख सचिव न्याय

Posted on 14 September 2010 by admin

लखनऊ- उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव सचिव न्याय एवं विधायी श्री के0 के0 शर्मा के कक्ष में आज यहॉं “हिन्दी दिवस´´ के अवसर पर गोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर श्री वर्मा ने कहा कि विधि एवं विधायन के क्षेत्र में हिन्दी का प्रयोग बढ़ा है, इसको और बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि न्याय क्षेत्र में न्यायालयों में हिन्दी का प्रयोग बढ़ा है।

कार्यक्रम का संचालन विशेष सचिव विधायी श्री अलख नारायण ने करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में विधि एवं विधायन में पहले से ज्यादा हिन्दी का प्रयोग हो रहा है इसमें और तेजी की आवश्यकता है।

इस अवसर पर विशेष सचिव न्याय एवं विधायी सर्वश्री एन0 एस0 रावल, महबूब अली एवं रंग नाथ पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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लक्ष्मीपति तिरूपति-बालाजी

Posted on 09 September 2010 by admin

भारत का सबसे धनी और संसार के सबसे धनी मंदिरों में आंध्रप्रदेश में तिरूपति नामक स्थान पर भगवान विष्णु (वैंकटेश) का मंदिर है। वैंकटेश भगवान को कलियुग में बालाजी नाम से भी जाना गया है। तमिल भाषा में तिरू अथवा थिरू शब्द का वही अर्थ है जो संस्कृत में श्री है। श्री शब्द, धन-समृद्धि की देवी लक्ष्मी के लिये प्रयुक्त होता है। तीर्थयात्रियों की संख्या की दृष्टि से रोम (वेटिकन), मक्का और जेरूसलम की तीर्थयात्रा करने वाले यात्रियों की तुलना में अधिक संख्या में श्रद्धालु तिरूपति बालाजी की तीर्थयात्रा प्रतिवर्ष करते हैं। तिरूपति देवस्थान बोर्ड में लगभग पच्चीस हजार कर्मचारी नियुक्त हैं। इस मंदिर में सर्वाधिक चढ़ावा आना अपने आपमें व्यक्त करता है कि जनसाधारण की मनोकामनाएं और कष्ट निवारण हेतु इसकी महत्ता स्वयंसिद्ध है। प्रसंगवश भारत में जनआस्था से जु़डे अन्य महत्वपूर्ण स्थान भी हैं जो क्रमश: चार धाम, बारह ज्योतिर्लिग, इक्यावन शक्तिपीठ, राम और कृष्ण की जन्मभूमि अयोध्या तथा मथुरा इत्यादि हैं। इनकी तुलना में चढ़ावा अधिक तिरूपति मंदिर को क्यों चढ़ाया जाता है? पौराणिक गाथाओं और परम्पराओं से जु़डा इतिहास इस प्रश्न का समाधान प्रस्तुत करता है। यह पौराणिक संक्षिप्त इतिहास यहां प्रस्तुत है-

प्रसिद्ध पौराणिक सागर-मंथन की गाथा के अनुसार जब सागर मंथन किया गया था तब कालकूट विष के अलावा चौदह रत्न निकले थे। इन रत्नों में से एक देवी लक्ष्मी भी थीं। लक्ष्मी के भव्य रूप और आकर्षण के फलस्वरूप सारे देवता, दैत्य और मनुष्य उनसे विवाह करने हेतु लालायित थे, किन्तु देवी लक्ष्मी को उन सबमें कोई न कोई कमी लगी। अत: उन्होंने समीप निरपेक्ष भाव से ख़डे हुए विष्णुजी के गले में वरमाला पहना दी। विष्णु जी ने लक्ष्मी जी को अपने वक्ष पर स्थान दिया। यह रहस्यपूर्ण है कि विष्णुजी ने लक्ष्मीजी को अपने ह्वदय में स्थान क्यों नहीं दिया? महादेव शिवजी की जिस प्रकार पत्नी अथवा अर्द्धाग्नि पार्वती हैं, किन्तु उन्होंने अपने ह्वदयरूपी मानसरोवर में राजहंस राम को बसा रखा था उसी समानांतर आधार पर विष्णु के ह्वदय में संसार के पालन हेतु उत्तरदायित्व छिपा था। उस उत्तरदायित्व में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं हो इसलिए संभवतया लक्ष्मीजी का निवास वक्षस्थल बना।
एक बार धरती पर विश्व कल्याण हेतु यज्ञ का आयोजन किया गया। तब समस्या उठी कि यज्ञ का फल ब्रम्हा, विष्णु, महेश में से किसे अर्पित किया जाए। इनमें से सर्वाधिक उपयुक्त का चयन करने हेतु ऋषि भृगु को नियुक्त किया गया। भृगु ऋषि पहले ब्रम्हाजी और तत्पश्चात महेश के पास पहुंचे किन्तु उन्हें यज्ञ फल हेतु अनुपयुक्त पाया। अंत में वे विष्णुलोक पहुंचे। विष्णुजी शेष शय्या पर लेटे हुए थे और उनकी दृष्टि भृगु पर नहीं जा पाई। भृगु ऋषि ने आवेश में आकर विष्णु जी के वक्ष पर ठोकर मार दी। अपेक्षा के विपरीत विष्णु जी ने अत्यंत विनम्र होकर उनका पांव पक़ड लिया और नम्र वचन बोले- हे ऋषिवर! आपके कोमल पांव में चोट तो नहीं आई? विष्णुजी के व्यवहार से प्रसन्न भृगु ऋषि ने यज्ञफल का सर्वाधिक उपयुक्त पात्र विष्णुजी को घोषित किया। उस घटना की साक्षी विष्णुजी की पत्नी लक्ष्मीजी अत्यंत क्रुद्ध हो गई कि विष्णुजी का वक्ष स्थान तो उनका निवास स्थान है और वहां धरतीवासी भृगु को ठोकर लगाने का किसने अधिकार दिया? उन्हें विष्णुजी पर भी क्रोध आया कि उन्होंने भृगु को दंडित करने की अपेक्षा उनसे उल्टी क्षमा क्यों मांगी? परिणामस्वरूप लक्ष्मीजी विष्णुजी को त्याग कर चली गई। विष्णुजी ने उन्हें बहुत ढूंढा किन्तु वे नहीं मिलीं।

लक्ष्मीजी के भृगु ऋषि पर अव्यक्त क्रोध का परिणाम पौराणिक इतिहास से जाना जा सकता है जो कि भृगु के तीन प्रमुख वंशजों का है। यथा दैत्यगुरू शुक्राचार्य एक अवसर पर अपनी एक आंख फु़डवाकर काणे बन गए, ऋषि च्यवन धोखे से अपनी दोनों आंखें फु़डवाकर एक बार अंधे हो गए थे और अवतार परशुरामजी की अवमानना को राजा जनक के दरबार में शिवजी के धनुष भंग के अवसर पर सभी ने देखा था। अंतत: विष्णुजी ने लक्ष्मी को ढूंढते हुए धरती पर श्रीनिवास के नाम से जन्म लिया और संयोग से लक्ष्मी ने भी पद्मावती के रूप में जन्म लिया। घटनाचक्र ने उन दोनों का अंतत: परस्पर विवाह करवा दिया। सब देवताओं ने इस विवाह में भाग लिया और भृगु ऋषि ने आकर एक ओर लक्ष्मीजी से क्षमा मांगी तो साथ ही उन दोनों को आशीर्वाद प्रदान किया। लक्ष्मीजी ने भृगु ऋषि को क्षमा कर दिया किन्तु इस विवाह के अवसर पर एक अनहोनी घटना हुई। विवाह के उपलक्ष्य में लक्ष्मीजी को भेंट करने हेतु विष्णुजी ने कुबेर से धन उधार लिया जिसे वे कलियुग के समापन तक ब्याज सहित चुका देंगे। अत: जब भी कोई भक्त तिरूपति बालाजी के दर्शनार्थ जाकर कुछ चढ़ाता है तो वह न केवल अपनी श्रद्धा भक्ति अथवा आर्त प्रार्थना प्रस्तुत करता है अपितु भगवान विष्णु के ऊपर कुबेर के ऋण को चुकाने में सहायता भी करता है। अत: विष्णुजी अपने ऎसे भक्त को खाली हाथ वापस नहीं जाने देते हैं।

जिस नगर में यह मंदिर बना है उसका नाम तिरूपति है और नगर की जिस पह़ाडी पर मंदिर बना है उसे तिरूमला (श्री+मलय) कहते हैं। तिरूमला को वैंकट पह़ाडी अथवा शेषांचलम भी कहा जाता है। यह पह़ाडी सर्पाकार प्रतीत होती हैं जिसके सात चोटियां हैं जो आदि शेष के फनों की प्रतीक मानी जाती हैं। इन सात चोटियों के नाम क्रमश: शेषाद्रि, नीलाद्रि, गरू़डाद्रि, अंजनाद्रि, वृषभाद्रि, नारायणाद्रि और वैंकटाद्रि हैं। यह मंदिर प्राचीन दक्षिण भारतीय वास्तु का अनुपम उदाहरण है। इस मंदिर को प्राचीनकाल से पल्लव, पांड्या, चोल, विजयनगर और मैसूर के शासकों का संरक्षण प्राप्त हो रहा है। इस मंदिर में प्रतिवर्ष लगभग बीस हजार श्रद्धालु अपने केश कटवाकर भगवान को मनौती हेतु प्रस्तुत करते हैं। तिरूपति के लड्डूप्रसाद विश्व प्रसिद्ध हैं। यहां लगभग पच्चीस हजार श्रद्धालु तीर्थयात्री प्रतिदिन भोजन प्रसाद नि:शुल्क पाते हैं। तिरूपति के समीप अनेक मंदिर, उपासना स्थल तथा पर्यटन स्थल हैं। यथा-संत रामानुजाचार्य द्वारा 1130 ई. में बनवाया श्री गोविंदराज स्वामी मंदिर, कपिलेश्वर स्वामी मंदिर, देवी पदमावती मंदिर, श्री कल्याण वैंकटेश्वर स्वामी मंदिर, श्री कालहस्ती मंदिर और अगस्त्य स्वामी मंदिर इत्यादि हैं। आकाश गंगा, शिला तोरणम, स्वामी पुष्करणी (तालाब) और प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी चंद्रगिरि के पुरावशेष भी दर्शनीय हैं। मंदिर में दर्शनार्थियों की लंबी कतारें और देवदर्शन का आकर्षण आज भी लाखों श्रद्धालुओं को तिरूपति खींच लाता है।

Vikas Sharma
Editor
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रक्षा बंधन पर बहना को तोहफा देने के लिए पेश है माउइ जिम के चश्मों का अनूठा कलेक्शन

Posted on 10 August 2010 by admin

रक्षा बंधन - साल का वह दिन जब आप अपने सबसे नाजुक बंधन, जिससे सम्भवत: आपको भी ईश्वर ने जरूर नवाजा होगा - आपकी बहन - के लिए कुछ खर्च करते हैं, उसके साथ खुशी बांटने के लिए। सो माउइ जिम आपके लिए लेकर आया है रंगबिरंगे और किस्म-किस्म के चश्मों का खजाना जिसमें आप चुन सकते हैं अपनी बहन के लिए माकूल एक बेहतरीन जोड़ा जो इस रिश्ते की नाजुक डोर को और मजबूत करेगा।
मिठाइयां, सूखे फल, चॉकोलेट सब रक्षाबंधन के पारंपरिक उपहार हैं, जिनका अपना खास मोल है। लेकिन आज भाई-बहन इन पारंपरिक उपहारों से अलग दूसरी चीजें भी भेंट करना पसन्द करते हैं। और इस मुबारक मौके पर धूप के ठण्डे और उपयोगी चश्मों से ज्यादा खूबसूरत उपहार और क्या हो सकता हैर्षोर्षो

माउइ जिम इण्डिया के सेल्स डाइरेक्टर आइ रहमतुल्लाह ने कहा, “ यह पर्व हर हिन्दुस्तानी के दिल में सदियों से गहरे तक रचा-बसा है। राखी वह त्योहार है जिसमें दूसरे उत्सवों की तरह ही उपहार देने का रिवाज है। और लड़कों और लड़कियों के लिए धूप के चश्मे से बेहतर कोई और तोहफा नहीं है। नए कलेक्शन का हर मॉडल कंपनी की प्रॉपराइटरी वाली पोलराइज्डप्लस 2 की 9 लेयरों वाली तकनीकी से लैस है - रंगों की कोई कमी नहीं डिजाइनों की कोई हद नहीं। भूरे, काले, सुनहरे, लाल, नीले और गनमेटल/सिल्वर और मोती के रंगों के फ्रेम - पुरुषों और महिलाओं के लिए खास।

माउइ जिम का कलेक्शन आकर्षक, लुभावना और शानदार है। चश्मों के सभी शौकीनों के लिए कलेक्शन में माउइ जिम के दुनिया भर में मशहूर नई-नई स्टाइलों के फ्रेम मौजूद हैं - हैनेली, सुगर बीच, टर्टल बे और सैण्ड बीच जैसे निहायत हल्के और टिकाऊ रिमलेस फ्रेम। स्टाइल रेंज में इनके अलावा भी कई किस्मों के फ्रेम मौजूद हैं - धातु के रिमलेस फ्रेम, शील्ड, नाइलॉन और धातु के फुल फ्रेम।

धूप के ये चश्में चेहरों पर फिट बैठते हैं जिनका ऑिप्टक्स उम्दा दर्जे का है - खरोंच से सुरक्षित चश्मे जिनमें माउइ जिम के पेटेंट वाली माउइ इवॉल्यूशन तकनीकी का इस्तेमाल किया गया है। शीशे की माउइ जिम इवॉल्यूशन चश्मे सुपर थिन (निहायत पतले) शीशे और पॉलिकाबोZनेट लेंसों की खूबियों से लैस हैं।
रक्षा बंधन कलेक्शन के दाम 6000/- रुपये से शुरू हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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