Posted on 07 December 2013 by admin
राजधानी दिल्ली में एचटी लीडरशिप समिट में सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक से जुड़े प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहाए श्यह वोट हासिल करने का तिकड़म नहीं है। मेरा मानना है कि पिछले पाँच से छह वर्ष में हम देश के किसी न किसी हिस्से में सांप्रदायिक हिंसा का सामना कर रहे हैं और हमारा प्रयास यह रहा है कि ऐसा वातावरण तैयार किया जाएए जिसमें जहां तक संभव हो सके कानून.व्यवस्था से जुड़े मानवीय तरीके से काम कर सकें। अगर दंगों की रोकथाम नहीं की जा सकती है तो दंगा पीडितों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिेए। अतः यहां दो बड़े सिद्धांत हैं जो इस बात पर जोर देते हैं कि सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक का क्या उद्देश्य है। मेरा मानना है कि यह ऐसा विधेयक है जिसका समय आ चुका है। मुजफ्फरनगर और देश के अन्य हिस्सों में जो कुछ हुआ वह इस बात की याद दिलाता है कि एक देश होने के नाते हम देश के सभी नागरिकों की रक्षा करने में अपनी क्षमता पर गर्व कर सकते हैंए लेकिन फिर भी कई बार ऐसा समय आया है जहां त्रुटियां हुई हैं। अगर यह विधेयक संसद में पारित हो जाता है तो इन त्रुटियों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगीश्।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 07 December 2013 by admin
नई दिल्ली में आज हिन्दु्स्ताान टाइम्स1 समिटए 2013 में प्रधानमंत्री डॉक्ट र मनमोहन सिंह के संबोधन का मूल पाठ निम्नुलिखित हैरूश्श्मुझे आप लोगों के बीच आने की खुशी हैए लेकिन हमारी मुलाकात दुखद परिस्थितियों मेंए दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रुपति नेल्स न मंडेला के निधन के समय हो रही है। उन्होंोने विश्वच की अंतरात्मार का प्रतिनिधित्वट किया। वे दमन और अन्या य के विरुद्ध अपनी जनता को विजय दिलाने के लंबे अर्से बाद भी ऐसी ही बुराइयों के प्रति संघर्षरत लोगों के लिए आशा की किरण बने रहे। बटे हुए विश्व में वे सुलह और सद्भाव के साथ काम करने का एक उदहारण थे और आने वाले लंबे अर्से तक हमें उनके जैसी कोई अन्यर शख्सियत देखने को नहीं मिलेगी। भारत उन्हेंल भावनाओं और आदर्शों से एक सच्चाय गांधीवादी मानता है और पूरे विश्वन के साथ मिलकर उनके कार्यों और शिक्षाओं के प्रति आभार व्यक्तव करता है। हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
आज के प्रयोजन की ओर लौटते हुएए मैं दशक भर से हर साल इस प्रकार के सालाना आयोजन करने के प्रयासरत रहने और प्रतिबद्धता दर्शाने के लिए शोभना जी की सराहना करता हूं । आपके पिछले दस समिट्स में से प्रत्ये्क के विषय पर गौर करने पर मैंने पाया कि आपने लगातार भारत के भविष्यद – अवसरों और चुनौतियों दोनों पर ध्यारन केन्द्रित किया है। व्याावसायिक तौर पर भी मीडिया का यह दायित्वऔ बनता है कि वह वर्तमान पर ध्या्न केन्द्रित करेए लेकिन मुझे खुशी है कि इस तरह के समिट के आयोजन जैसे प्रयासों के माध्य्म से वे अकसर भविष्य के बारे में भी चिंतन करते हैं।
इसी भावना को बरकरार रखते हुए इस अवसर का उपयोग करते हुए मैं भी थोड़ा रुक कर बड़े परिदृश्यह पर अपने नजरिये से विचार करना चाहता हूं।
मेरा नाता ऐसी पीढ़ी से हैए जिसने हमारे स्वाचधीनता संग्राम और राष्ट्रर निर्माण के हमारे प्रयासों से आकार लिया। स्वाेधीनता ने हमें आशा प्रदान की और स्वााधीनता ने हमें साहस प्रदान किया। लोकतंत्र ने हमें अधिकार और उत्तमरदायित्व प्रदान किये तथा राष्ट्रा निर्माण ने हमारे संविधान को परिभाषित किया। हमारी पीढ़ी ने तकरीबन आधी सदी धीमी वृद्धिए धीमे औद्योगिक विकासए बार.बार पड़ते अकाल और बहुत कम सामाजिक गतिशीलता देखी। वह भारत आज भी हमारे बहुत से भाइयों और बहनों के लिए विद्यमान हैए लेकिन बहुत कम लोगों के लिए।
बिल्कुकल अलग माहौल में जीवन बिताने के बादए मेरी पीढ़ी लगातार उसकी तुलना हमारे वर्तमान से करती है और वास्तेविकता यह है कि एक पीढ़ी के रूप में हमने अपने जीवन में ऐसे बदलाव का दौर देखा हैए जिसकी कल्पहना भी हमारी युवावस्थान के दौरान संभव नहीं थी। मेरे जैसे लाखों भारतवासी हैंए जिन्होंने अपना बचपन बहुत कम उम्मीाद के वातावरण के बीच बिताया है और उसके बाद बिल्कुएल अलग किस्मक का जीवन जिया है। यह सिर्फ समय के बदलाव मात्र से नहीं हुआए बल्कि भारत की जनता के प्रयासए साहस और महत्वा कांक्षाओं के मिश्रण तथा केन्द्रं और राज्यों् की विभिन्नप सरकारों की ओर से प्रदत्तव नेतृत्वश और मार्गदर्शन से हुआ।
शून्यण वृद्धि दर वाली 1900 और 1950 के बीच की आधी सदी के बाद हमने 3ण्5 प्रतिशत की दर से सालाना वृद्धि होते देखी। जब हमें महसूस हुआ कि दूसरे विकासशील देश हमें पछाड़ रहे हैं और उन्हों ने विकास के नये रास्तेु तलाश लिए हैंए तो हमने भी 1990 के दशक के आरंभिक वर्षों में अपना रास्ताे बदल लिया । पिछले दो दशकों से औसत सालाना वृद्धि दर दोगुने से ज्या दा बढ़कर 7ण्0 प्रतिशत हो गई और भारतीय अर्थव्यधवस्थाे वृद्धि के मार्ग पर बढ़ती गई ।
स्वाढभाविक रूप से इसमें उतार.चढ़ाव के दौर आएंगे। अर्थव्यावस्थाय का चक्र हमारे समक्ष अच्छेू प्रदर्शन के वर्ष और साधारण प्रदर्शन के वर्ष प्रस्तुयत करता हैए लेकिन सबसे ज्याषदा उल्लेपखनीय बात यह है कि अमीर और अमीर होता जा रहा है तथा ग़रीब और ग़रीब होता जा रहा है। आज बहुत से लोग 5 प्रतिशत सालाना वृद्धि दर से संतुष्टब नहीं हैए जबकि हमारी आजादी के दो दशकों से ज्या दा अर्से बाद तक हमारी पंचवर्षीय योजनाओं की वृद्धि दर का लक्ष्यद पांच प्रतिशत था।
वैश्विक चुनौतियों की दिशा में तमाम उतार.चढ़ावों और अतीत में की गई नीतिगत भूलों के बोझ के बावजूद हमारी अर्थव्यतवस्थार वृद्धि के रास्ते पर है। यह पहला सबक हैए जो मैंने थोड़ा रुक कर और उभरते बड़े परिदृश्य् पर गौर करते समय सीखा है। हालांकि आर्थिक वृद्धिए सामाजिक बदलाव और राजनीतिक सशैक्तिकरण ने भारतीयों की बिल्कुिल नई पीढ़ी में नई महत्वाककांक्षाओं को जन्मस दिया है। इसने वृद्धि की तेज रफ्तार और बेहतर जीवन के प्रति बेचैनी बढ़ाने में योगदान दिया है। ये आकांक्षाएं और महत्वााकांक्षाएं सरकारों पर ज्या्दा देनेए बेहतर प्रदर्शन करनेए ज्याादा पारदर्शी बनने और ज्यारदा प्रभावशाली बनने का दबाव बना रही हैं। श्श्बढ़ती महत्वा कांक्षाओं की क्रांतिश्श् जारी है और मैं उसका स्वादगत करता हूं। वास्तकविकता तो यह है कि थोड़ा रुकने और बड़े परिदृश्ये पर गौर करने पर सही मायने में सबसे ज्यावदा महत्व पूर्ण हमारी लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रणाली मालूम पड़ती हैए जो इन अपेक्षाओं पर खरी उतरती आई है। पहले से कहीं ज्यातदा तेजी से बदल रहे भारत के संदर्भ मेंए हमारे गणराज्ये के प्रत्येतक राज्य में सरकारों का निर्वाचन और पुनर्निर्वाचन शांतिपूर्णए निष्पषक्ष और कारगर रूप से होने वाले चुनावों के माध्यकम से होता आया है।
कभी.कभार जनाक्रोश सड़कों पर और मीडिया के माध्यमम से दिखाई दे सकता हैए लेकिन भारत का श्श्शांत बहुसंख्यपक वर्गश्श् सुरक्षा और बदलाव के लिए अपने मताधिकार का इस्तेुमाल वैध लोकतांत्रिक तरीकों से करता है। पिछले दो वर्षों से कुछ बेहद महत्व।पूर्ण और चिंतित नागरिकों ने पूरे राजनैतिक वर्ग पर भ्रष्टद और जनविरोधी होने का आरोप लगाते हुए निराशावाद फैलाने की कोशिश की है। बहुत से लोगों ने यह सुझाव देना शुरू कर दिया है कि भारत में लोकतंत्र ने सही योगदान नहीं दिया। उन्होंनने संसद के फैसलों का सम्मा न करने से इनकार करते हुए संसद पर हमला बोला। क्याक इससे हमारी जनता लोकतंत्र के खिलाफ हो गईघ् क्यार इससे वह निर्वाचन प्रणाली के प्रति हताश हो गईघ् नहीं। पिछले दो वर्षों में हुए प्रत्ये्क चुनाव तथा हाल ही में सम्पलन्न विधानसभा चुनावों में मतदाताओं की संख्याप पर नजर डालिए। महत्वोकांक्षाओं और बढ़ती अपेक्षाओं का मंथन करते हुए भी हमारे देश की जनता ने मतदान करने और लोकतांत्रिक माध्य मों के जरिए बदलाव लाने का रास्ताे चुना। यह दूसरा सबक हैए जो मैंने थोड़ा रुक कर और उभरते बड़े परिदृश्य पर गौर करते समय सीखा है। हमारी जनता की बढ़ती महत्वंकांक्षाओं को पूरा करने तथा उच्चक वृद्धि के साथ राजनीतिक निरंतरता सुनिश्चित करने की नई चुनौती से जूझते हुए हमने वृद्धि की नई रणनीति परिभाषित की जिसे मोटे तौर पर श्श्समावेशी वृद्धिश्श् कहा जाता है। हमारी वृद्धि की प्रक्रियाओं को सामाजिक और क्षेत्रीय रूप से समावेशी बनाना हमारी सरकार की नीतियों का पैमाना रहा है। हमारी समावेशी वृद्धि की रणनीति के 6 घटक हैंरू पहलाए वह है जिसे मैं अकसर श्श्ग्रामीण भारत के लिए नयी व्यिवस्थामश्श् कहता हूं.ग्रामीण विकासए ग्रामीण बुनियादे ढांचे.विशेषकर सड़क और बिजलीए ग्रामीण स्वास्य् र और शिक्षा में निवेश तथा ग्रामीण उत्पा दों के लाभकारी दाम। हम इसे श्श्भारत निर्माणश्श् कहते हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 07 December 2013 by admin
उपराष्ट्रनपति श्री एमण् हामिद अंसारी ने दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रकपति एवं मानवीय भावनाओं और मूल्योंर का उत्कृण्ष्ट प्रतिनिधित्वर करने वाली हमारे दौर की महान विभूति श्री नेल्संन मंडेला के निधन पर गहरा दुख व्य क्त् किया है।
अपने शोक संदेश में उन्होंनने कहा कि श्री मंडेला तानाशाही और अन्यािय के विरुद्ध अपनी जनता के स्वांधीनता और सम्माान प्राप्ति के संघर्ष का जीवंत प्रतीक थे। उन्होंनने कहा कि जहां एक ओर रंगभेद विरोधी आंदोलन के दौरान श्री मंडेला के साहसए दृढ़ता और बलिदान ने लाखों लोगों को प्रेरित कियाए वहीं दूसरी ओर शांतिए क्षमा और सुलह के उनके संदेश ने उन्हेंल एकजुट किया और उसके बाद शांति और प्रगति की राह पर विविधताओं वाले अपने राष्ट्र का नेतृत्व किया।
श्री अंसारी ने कहा कि श्री मंडेला के निधन से दक्षिण अफ्रीका की जनता ने अपने राष्ट्रसपिता और विश्वं ने एक राजनेता को खो दिया हैए जिनका जीवन और साहस तथा अच्छारई का संदेश आने वाले वर्षों में दुनिया को निरंतर प्रेरित करेगा और उसका मार्गदर्शन करता रहेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 09 November 2013 by admin
जन औषधि स्कींमश् के बारे में रसायन और उर्वरक विभाग की स्था्यी समिति से जुड़ी समिति ने सुझाव मांगे हैं। इस समिति के अध्यमक्ष माननीय सांसद श्री गोपीनाथ मुण्डे हैं। आम आदमी के स्वास्य् को ध्याकन में रखकरए सभी को जेनेरिक दवार्इयां आसानी से मुहैया कराने के लिएए उसे राहत पहुंचाने के सिलसिले में भारत सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय ;औषधि विभागद्ध ने नवम्बर 2008 में एक राष्ट्रेव्यांपी अभियान श्जन औषधि स्की मश् ;जेएएसद्ध की शरूआत की है। इस मुहिम को सीधे ही बाजार में हस्तकक्षेप रणनीति के तौर पर राज्य सरकारों के सहयोग से प्रारंभ किया गया है। औषधि विभाग के अधीनए केन्द्री य औषधि सार्वजनिक वितरण विभाग ;सीपीएसयूद्ध के जरिये इस मुहिम के लिए दवाईयों की आपूर्ति की जाएगी। इस अभियान के तहतए शुरू में देश के हर जिले में कम से कम एक जन औषधि स्टोएर खोलने का प्रस्ताएव है। 630 जिलों में एक.एक जेएएस खोलने के लक्ष्यस को प्राप्त करते हुए 30 सितम्ब।र 2013 तक केवल 157 स्टोेर खोले गये हैं। ये स्टोार पंजाबए हरियाणाए ओडिशाए आन्धह.प्रदेशए राजस्थाकनए दिल्ली्ए उत्तदराखण्ड ए पश्चिम.बंगालए जम्मू .कश्मीणरए हिमाचल.प्रदेशए झारखण्डज और केन्द्र शासित प्रदेश चण्डीजगढ में खोले गये हैं। जन औषधि स्कीमम की विस्तृलत जानकारी के लिएूूूण्रंदंनेींकीपण्हवअण्पदण् का अवलोकन करें।
समिति ने श्जन औषधि स्कीिमश् के बारे में विशेषज्ञोंए संस्थाननोंए संगठनों और अन्यं हिस्सेनदारों से सुझाव आमंत्रित करने के साथ ही व्याक्तिगत राय भी मांगी है जिससे लोगों में जन औषधि स्की मए प्रमाणिक दवाओंए दवाइयों के मूल्यज सहित इसकी कार्य प्रणालीए गुणवत्ताकयुक्त दवाइयों तक आसानी से उपलब्धइताए सरकारी और निजी डॉक्टलरों द्वारा परामर्श के बारे में जागरूकता पैदा की जा सके। साथ ही जन औषधि स्टोटरों पर सभी आवश्यशक और सूचीबद्ध दवाइयों की उपलब्ध ताए थोक व्यासपारियों द्वारा बोतल के ऊपरी हिस्सेर पर जानकारीए गैर.सरकारी संगठनोंए अस्पथतालोंए चेरिटेबिलध्कॉरपोरेटध्रेडक्रास समितियों सहित सरकारी निकायों और राज्या सरकारों इत्याेदि के द्वारा इसका सुचारू रूप से क्रियान्वसयन किया जा सके।
सुझाव देने के इच्छु क अपने विचार और सुझाव हिन्दीव या अंग्रेजी में दो कापियों मेंए अतिरिक्तन निदेशक ;क्यूाएंडसीएफद्धए लोकसभा सचिवालयए कमरा नम्बार.150ए संसद भवन एनैक्सीकए नई दिल्ली 110001 ;दूरभाष नम्बयर.23034525ए 23035203ए फैक्स नम्बएर.23016008ए ई.मेल. बवउण्बिेंदेंकण्दपबण्पद पर विज्ञापन प्रकाशित होने की अवधि के समय से तीन सप्ता2ह के भीतर भेज सकते हैं। इसके बाद समिति इस बारे में मौखिक सुझाव भी लेगी। सुझाव पेश करने के सथ ही इच्छुइक लोग अपने विचार समिति के समक्ष उपस्थित होकर भी दे सकते हैं। हालांकि अंतिम निर्णय लेने का अधिकार समिति के पास सुरक्षित होगा।
समिति को प्रस्तुपत किए गये सुझाव और विचार समिति के रिकॉर्डों का हिस्साच होंगे और उन पर गोपनीयता के नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा और उन्हेंच किसी को भी जारी नहीं किया जाएगा। इसका उल्लंरघन समिति के विशेषाधिकारों का हनन माना जाएगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 09 November 2013 by admin
भारतीय वायु सेना का एक मिग.29 विमान जामनगर हवाई अड्डे के समीप आज सुबह करीब 11 बजकर 29 मिनट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह विमान नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर था। इस हादसे में पायलट सुरक्षित है। जमीन पर किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। दुर्घटना के कारणों की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 09 November 2013 by admin
स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की 125वीं जयंती पर 11 नवम्बरए 2013 को एक राष्ट्रीय पोर्टल जारी किया जाएगा। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री श्री केण् रहमान खान इस पोर्टल का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के सलाहकार डॉण् सैम पित्रोदाए मौलाना आजाद की जीवनी लेखिका डॉण् सईदा हमीद और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री वजाहत हबीबुल्लाह भी मौजूद होंगे।
मौलाना अबुल कलाम आजाद एक विद्वान और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के वरिष्ठ नेता थे। वे अपने समय के उन बड़े राष्ट्रीय नेताओं में से एक थेए जो हिन्दू.मुस्लिम एकताए धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के पक्षधर थे। स्वतंत्र भारत में शिक्षा की नींव को सुदृढ़ बनाने में उनके योगदान को देखते हुए देश भर में 11 नवम्बर को उनका जन्म दिन राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
यह पोर्टल केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालयए प्रधानमंत्री के सलाहकार के कार्यालयए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोगए संस्कृति मंत्रालय ने मिलकर तैयार किया है। इस पोर्टल में मौलाना आजाद के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध होगीए जिससे लोग उनके जीवन के बारे में जान सकेंगे और प्रेरणा ले सकेंगे।
यह पोर्टल देश के महान नेताओं की विरासत का अंकीकरण करने और उनके जीवन और काल से संबंधित जानकारी को ऑनलाइन उपलब्ध कराने की दिशा में भारत सरकार द्वारा किया गया प्रयास है। महात्मा गांधी के बारे में भी इसी तरह के पोर्टल का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने इसी वर्ष सितंबर में किया था। पंडित जवाहरलाल नेहरू से संबंधित पोर्टल अभी तैयार किया जा रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 09 November 2013 by admin
राष्ट्रनपति श्री प्रणब मुखर्जी 10 से 11 नवम्बपर 2013 तक पश्चिम बंगाल ;दार्जिलिंगद्ध और सिक्किम ;गंगटोकद्ध के दो दिन के दौरे पर जाएंगे।
श्री मुखर्जी 10 नवम्ब र को पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में सेंट जोसफ स्कूिलए नार्थ प्वा इंट की 125वीं वर्षगांठ के समारोहों का शुभारंभ करेंगे।
11 नवम्ब र को राष्ट्री्य शिक्षा दिवस के अवसर परए राष्ट्रिपति सिक्किम में गंगटोक में 40वीं जवाहरलाल नेहरू राष्ट्री्य विज्ञानए गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी ;जेएनएनएसएमईईद्ध का उद्घाटन करेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 24 October 2013 by admin
रेलवे ने एक अप्रैल से 30 सितंबरए 2013 तक माल की ढुलाई से 43457ण्78 करोड़ रुण् की आय अर्जित की जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह आय 39882ण्99 करोड़ थी। इस तरह इस वर्ष आय में 8ण्96 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। रेलवे ने अप्रैल से सितंबरए 2013 के बीच 511ण्00 मिलियन टन माल की ढुलाई की जबकि पिछले वर्ष यह मात्रा 481ण्35 मिलियन टन थी इस तरह इसमें 6ण्61 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
सितंबरए 2013 में माल की ढुलाई से प्राप्त 6992ण्18 करोड़ रुण् की कुल आय में से 2868ण्06 करोड़ रुण् 39ण्75 मिलियन टन कोयले की ढुलाई से प्राप्त हुये। 736ण्80 करोड़ रुण् 9ण्97 मिलियन टन लौह अयस्क ;निर्यातए स्टील प्लांट और अन्य घरेलु उपयोग के लिएद्ध की ढुलाई से मिले। 654ण्89 करोड़ रुण् 9ण्14 मिलियन टन सीमेंट की ढुलाई से प्राप्त हुये। 574ण्44 करोड़ रुण् 4ण्38 मिलियन टन खाद्यानों की ढुलाई से अर्जित किये गये। 382ण्33 करोड़ रुण् 3ण्19 मिलियन टन पैट्रोल और लुब्रीकेंट की ढुलाई से प्राप्त हुये। 435ण्90 करोड़ रुण् 3ण्17 मिलियन टन ;स्टील प्लांटों और अन्य स्थलों से भेजे गयेद्ध तैयार स्टील और कच्चे लोहे प्राप्त हुये । 418ण्40 करोड़ रुण् 4ण्47 मिलियन टन उर्वरक की ढुलाई से मिले। 124ण्21 करोड़ रुण् 1ण्41 मिलियन टन स्टील प्लांटो के लिए ; लौह अयस्क को छोड़करद्ध कच्चे सामग्री की ढुलाई से प्राप्त हुये। 345ण्24 करोड़ रुण् 3ण्41 मिलियन टन ;माल की ढुलाई द्वाराद्ध कंटेनर सेवा से और 451ण्91 करोड़ रुण् 5ण्97 मिलियन टन अन्य उत्पादों की ढुलाई से प्राप्त हुये।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 24 October 2013 by admin
चीन के प्रधानमंत्री के साथ शिष्टयमंडल स्त र की वार्ता के बाद प्रधानमंत्री डॉण् मनमोहन सिंह की ओर से मीडिया के लिए जारी वक्तीव्यत का मूलपाठ निम्नालिखित हैरू.
श्श् प्रधानमंत्री ली के आमंत्रण पर एक बार फिर पेइचिंग आकर मुझे प्रसन्नधता हो रही है। चीन सरकार और चीन की जनता के गर्मजोशी भरे स्वारगत और उदार मेजबानी ने मेरे दिल को छू लिया है। मैंने प्रधानमंत्री ली को याद दिलाया कि पदभार ग्रहण करने के बाद पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुनने के उनके फैसले की भारत ने कितनी सराहना की थी। इस सालए बहुपक्षीय बैठकों के दौरान मुझे राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली के साथ मुलाकात के कई अवसर मिले और मुझे खुशी है कि इस यात्रा के दौरान मुझे उनसे मुलाकात करने का एक बार फिर अवसर मिला है।
प्रधानमंत्री ली और मेरे बीच अभी.अभी बहुत उपयोगी बातचीत हुई है और हम दोनों के बीच कई महत्वपूर्ण सहमतियां बनी हैं।
पहलाए हमारे बीच इस बात को लेकर सहमति है कि भारत और चीन की ढ़ाई अरब जनता की समृद्धि और प्रगति एशिया के पुनर्त्थान और वैश्विक समृद्धि और स्थायित्व का एक महत्वपूर्ण कारक होगी। तेजी से उभरते दो विशाल देशों के नेता होने के नातेए तेजी से बदलते और अनिश्चित वैश्विक वातावरण के बीचए सामाजिकए आर्थिक प्रगति का पालन करते हुए हमने अपनी सहभागिता का वादा और मैत्रिपूर्ण संबंध बरकरार रखने का संकल्प लिया है। ये हमारा नीतिगत दृष्टिकोण होगा।
दूसराए हम इस बात पर सहमत हैं कि हमारी सीमाओं पर शांतिए भारत.चीन संबंधों में विकास की बुनियाद रहनी चाहिएए जबकि हम भारत.चीन सीमा के प्रश्न पर निष्पक्षए वाजिब और परस्पर स्वीकार्य समझौते के लिए बातचीत कर रहे हैं। यह हमारा नीतिगत मापदंड होगा।
तीसराए हम इस बात पर सहमत हैं कि स्वतंत्र विदेशी नीतियों का अनुकरण करने वाले विशाल पड़ोसी होने के नाते भारत और चीन की ओर से अन्य देशों के साथ बनाए जाने वाले रिश्ते एक.दूसरे की चिंता का कारण न बनें। यह हमारा नीतिगत आश्वासन होगा।
इसके अनुसारए मैंने प्रधानमंत्री ली को सुझाव दिया है कि हम ऐसे कार्य करें जिससे आपसी विश्वास बढ़ेए साझा हित व्यापक बने और आपसी समझ.बूझ में गहराई लाई जा सके। इस योजना के लिए मुझे उनका पूर्ण समर्थन मिला है।
आपसी विश्वास बनाने के लिएए पारदर्शिता बढ़ाने और हमारे साझा पड़ोस सहित सभी स्तरों पर महत्वपूर्ण संपर्क सशक्त बनाने की दिशा में सहमत हुए हैं। हमने सीमापारीय नदियों के बारे में निरंतर और विस्तृत सहयोग के संबंध में अपनी दिलचस्पी व्यक्त की है और मुझे इस बारे में प्रधानमंत्री ली की ओर से आश्वासन मिला है। हमने दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच व्यापक आदान.प्रदान को प्रोत्साहित करने और उसे संस्थागत रूप देने का फैसला किया है।
सीमा पर रक्षा संबंधी सहयोग के समझौते पर हमने अभी.अभी हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता हमारी सीमाओं पर शांतिए स्थायित्व और पुर्वानुमेयता सुनिश्चित करने के वर्तमान माध्यमों में से एक साबित होगा।
प्रधानमंत्री ली दोनों देशों के बीच अरक्षणीय व्यापार असंतुलन को लेकर मेरी चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाई और हमने इस खाई को पाटने के रास्ते तलाशने पर सहमति व्यक्त की। हम प्रधानमंत्री ली के इस सुझाव पर काम कर रहे हैं कि चीनी औद्योगिक पार्क भारत में चीन के निवेश को आकृष्ट करने का माध्यम साबित हो सकता है। हम दक्षिणी सिल्क रोड के माध्यम से दोनों देशों को जोड़ने वाले आर्थिक गलियारे बीसीआईएम की संभावनाएं तलाश रहे हैं।
हम व्यापक हितधारकों के साथ काम करके अपने आर्थिक संबंधों को नई गति प्रदान करने के लिए संकल्पबद्ध हैं। और तो और जिस वक्त प्रधानमंत्री ली और मैं चर्चा कर रहे थेए भारत.चीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी मंच इसी जगह बैठक कर रहा है।
परस्पर समझ को बढ़ावा देने के लिएए हमने प्रान्तीय और उप.क्षेत्रीय आदान.प्रदान को बढ़ावा देनेए उच्च स्तरीय मीडिया फोरम को संस्थागत रूप प्रदान करनेए अगले पाँच वर्षों के लिए युवाओं का आदान.प्रदान करने तथा पंचशील सिद्धांतों के 60 वर्ष पूरे होने के अवसर पर वर्ष 2014 को ष्भारत.चीन मैत्रिपूर्ण आदान.प्रदान का वर्षष् के रूप में मनाने का फैसला किया है। मैं नालंदा विश्वविद्यालय पर सहयोग देने के लिए चीन की सराहना करता हूं।
मैंने चीन के नागरिकों की भारत यात्रा को सुगम बनाने के लिए वीजा को सरल बनाने की अपनी प्रतिबद्धता से प्रधानमंत्री ली को अवगत कराया है और मैं आशा करता हूं कि चीन भी इस प्रकार के आदान.प्रदान को सुगम बनाएगा।
भारत और चीन के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर हमारे बीच स्पष्ट और रचनात्मक बातचीत हुई। यह हमारे संबंधों के विकास की एक महत्वपूर्ण घटना है।
आज रक्षा सहयोगए सड़क परिवहन क्षेत्रए सीमापारीय नदियोंए बिजली उपकरणए सांस्कृतिक आदान.प्रदानए नालंदा विश्वविद्यालय और सिस्टर सिटी संपर्कों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह समझौते हमारे सहयोग का प्रभावशाली दायरा बनाएंगे।
जैसा कि प्रधानमंत्री ली ने कहा है कि भारत और चीन दो प्राचीन सभ्यताएं हैं। हम ढ़ाई अरब जनता के लिए जवाबदेह हैं। जब भारत और चीन हाथ मिलाते हैंए तो दुनिया उसका संज्ञान लेती है। मुझे यकीन है कि मेरी चीन यात्रा से हमारे संबंध स्थिर और त्वरित वृद्धि की दिशा में अग्रसर होंगे। मैं एक बार फिर से प्रधानमंत्री ली को धन्यवाद देता हूं और मैं चीन के नेताओं तथा जनता के साथ आज और कल के संबंधों की प्रतीक्षा करूंगा। इस खुबसूरत शहर में मेरा प्रवास बहुत सुखद रहा और मैं प्रधानमंत्री ली और चीन की जनता का उनकी मेजबानी के लिए आभार व्यक्त करता हूं।ष्
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 21 October 2013 by admin
भारत और हंगरी ने एक महत्वयपूर्ण पहल करते हुए परम्पेरागत चिकित्साे पद्धतियों के विकास और प्रोत्सा हन के लिए एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताएक्षर किये हैं। बृहस्पऔतिवार को हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री डॉण् मनमोहन सिंह और हंगरी के प्रधानमंत्री श्री विक्टैर ओर्बन की मौजूदगी में भारत की ओर से केन्द्री य स्वामस्य्ो एवं परिवार कल्या ण राज्यद मंत्री श्रीमती संतोष चौधरी और हंगरी के राष्ट्री य संसाधन मंत्री श्री जोर्टन बनोंग ने सहमति पत्र पर हस्तातक्षर किये। हंगरी ने भारत की परम्पहरागत चिकित्सा् पद्धतियों विशेषकर आयुर्वेद में काफी दिलचस्पी दिखाई है।
इस सहमति पत्र का मुख्यध उद्देश्यय समानता और परस्पदर लाभ के आधार पर दोनों देशों की परम्प रागत चिकित्साउ पद्धतियों के सशक्तिकरणए प्रोत्सााहन और विकास में सहयोग देना है। सहमति पत्र चिकित्साे की परम्प रागत पद्धतियों के इस्तेमाल को बढ़ावा देनेए इन्हेंत इस्ते माल करने के लाइसेंस तथा एक.दूसरे के बाजारों में उनके विपणन के अधिकार के बारे में कानूनी सूचना के आदान.प्रदानए विशेषज्ञोंए अर्द्ध चिकित्सा कर्मियोंए वैज्ञानिकोंए शिक्षकों और छात्रों की अदला.बदली के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देता है। इस सहमति पत्र पर हस्तााक्षर होने से दोनों देशों के बीच परम्प़रागत चिकित्सास पद्धतियों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगाए जिससे नई आर्थिक और व्यापवसायिक संभावनाओं का पता चलेगा और पर्यटन का विकास होगा।
श्रीमती संतोष चौधरी ने आशा व्य क्ते की कि इस प्रकार के आपसी समझौतों पर हस्तातक्षर होने से भारत आयुर्वेदए यूनानीए योगए सिद्धए होम्योषपेथी जैसी चिकित्सा पद्धतियों को दुनियाभर में स्थातपित कर सकेगा।
उल्लेिखनीय है कि भारतए मलेशिया और त्रिनिडाड टोबेगो के साथ ऐसे ही समझौते कर चुका है और निकट भविष्यक में रूसए नेपालए श्रीलंकाए सर्बिया और मैक्सिको के साथ ऐसे ही समझौते करने वाला है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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