चीन के प्रधानमंत्री के साथ शिष्टयमंडल स्त र की वार्ता के बाद प्रधानमंत्री डॉण् मनमोहन सिंह की ओर से मीडिया के लिए जारी वक्तीव्यत का मूलपाठ निम्नालिखित हैरू.
श्श् प्रधानमंत्री ली के आमंत्रण पर एक बार फिर पेइचिंग आकर मुझे प्रसन्नधता हो रही है। चीन सरकार और चीन की जनता के गर्मजोशी भरे स्वारगत और उदार मेजबानी ने मेरे दिल को छू लिया है। मैंने प्रधानमंत्री ली को याद दिलाया कि पदभार ग्रहण करने के बाद पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुनने के उनके फैसले की भारत ने कितनी सराहना की थी। इस सालए बहुपक्षीय बैठकों के दौरान मुझे राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली के साथ मुलाकात के कई अवसर मिले और मुझे खुशी है कि इस यात्रा के दौरान मुझे उनसे मुलाकात करने का एक बार फिर अवसर मिला है।
प्रधानमंत्री ली और मेरे बीच अभी.अभी बहुत उपयोगी बातचीत हुई है और हम दोनों के बीच कई महत्वपूर्ण सहमतियां बनी हैं।
पहलाए हमारे बीच इस बात को लेकर सहमति है कि भारत और चीन की ढ़ाई अरब जनता की समृद्धि और प्रगति एशिया के पुनर्त्थान और वैश्विक समृद्धि और स्थायित्व का एक महत्वपूर्ण कारक होगी। तेजी से उभरते दो विशाल देशों के नेता होने के नातेए तेजी से बदलते और अनिश्चित वैश्विक वातावरण के बीचए सामाजिकए आर्थिक प्रगति का पालन करते हुए हमने अपनी सहभागिता का वादा और मैत्रिपूर्ण संबंध बरकरार रखने का संकल्प लिया है। ये हमारा नीतिगत दृष्टिकोण होगा।
दूसराए हम इस बात पर सहमत हैं कि हमारी सीमाओं पर शांतिए भारत.चीन संबंधों में विकास की बुनियाद रहनी चाहिएए जबकि हम भारत.चीन सीमा के प्रश्न पर निष्पक्षए वाजिब और परस्पर स्वीकार्य समझौते के लिए बातचीत कर रहे हैं। यह हमारा नीतिगत मापदंड होगा।
तीसराए हम इस बात पर सहमत हैं कि स्वतंत्र विदेशी नीतियों का अनुकरण करने वाले विशाल पड़ोसी होने के नाते भारत और चीन की ओर से अन्य देशों के साथ बनाए जाने वाले रिश्ते एक.दूसरे की चिंता का कारण न बनें। यह हमारा नीतिगत आश्वासन होगा।
इसके अनुसारए मैंने प्रधानमंत्री ली को सुझाव दिया है कि हम ऐसे कार्य करें जिससे आपसी विश्वास बढ़ेए साझा हित व्यापक बने और आपसी समझ.बूझ में गहराई लाई जा सके। इस योजना के लिए मुझे उनका पूर्ण समर्थन मिला है।
आपसी विश्वास बनाने के लिएए पारदर्शिता बढ़ाने और हमारे साझा पड़ोस सहित सभी स्तरों पर महत्वपूर्ण संपर्क सशक्त बनाने की दिशा में सहमत हुए हैं। हमने सीमापारीय नदियों के बारे में निरंतर और विस्तृत सहयोग के संबंध में अपनी दिलचस्पी व्यक्त की है और मुझे इस बारे में प्रधानमंत्री ली की ओर से आश्वासन मिला है। हमने दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच व्यापक आदान.प्रदान को प्रोत्साहित करने और उसे संस्थागत रूप देने का फैसला किया है।
सीमा पर रक्षा संबंधी सहयोग के समझौते पर हमने अभी.अभी हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता हमारी सीमाओं पर शांतिए स्थायित्व और पुर्वानुमेयता सुनिश्चित करने के वर्तमान माध्यमों में से एक साबित होगा।
प्रधानमंत्री ली दोनों देशों के बीच अरक्षणीय व्यापार असंतुलन को लेकर मेरी चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाई और हमने इस खाई को पाटने के रास्ते तलाशने पर सहमति व्यक्त की। हम प्रधानमंत्री ली के इस सुझाव पर काम कर रहे हैं कि चीनी औद्योगिक पार्क भारत में चीन के निवेश को आकृष्ट करने का माध्यम साबित हो सकता है। हम दक्षिणी सिल्क रोड के माध्यम से दोनों देशों को जोड़ने वाले आर्थिक गलियारे बीसीआईएम की संभावनाएं तलाश रहे हैं।
हम व्यापक हितधारकों के साथ काम करके अपने आर्थिक संबंधों को नई गति प्रदान करने के लिए संकल्पबद्ध हैं। और तो और जिस वक्त प्रधानमंत्री ली और मैं चर्चा कर रहे थेए भारत.चीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी मंच इसी जगह बैठक कर रहा है।
परस्पर समझ को बढ़ावा देने के लिएए हमने प्रान्तीय और उप.क्षेत्रीय आदान.प्रदान को बढ़ावा देनेए उच्च स्तरीय मीडिया फोरम को संस्थागत रूप प्रदान करनेए अगले पाँच वर्षों के लिए युवाओं का आदान.प्रदान करने तथा पंचशील सिद्धांतों के 60 वर्ष पूरे होने के अवसर पर वर्ष 2014 को ष्भारत.चीन मैत्रिपूर्ण आदान.प्रदान का वर्षष् के रूप में मनाने का फैसला किया है। मैं नालंदा विश्वविद्यालय पर सहयोग देने के लिए चीन की सराहना करता हूं।
मैंने चीन के नागरिकों की भारत यात्रा को सुगम बनाने के लिए वीजा को सरल बनाने की अपनी प्रतिबद्धता से प्रधानमंत्री ली को अवगत कराया है और मैं आशा करता हूं कि चीन भी इस प्रकार के आदान.प्रदान को सुगम बनाएगा।
भारत और चीन के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर हमारे बीच स्पष्ट और रचनात्मक बातचीत हुई। यह हमारे संबंधों के विकास की एक महत्वपूर्ण घटना है।
आज रक्षा सहयोगए सड़क परिवहन क्षेत्रए सीमापारीय नदियोंए बिजली उपकरणए सांस्कृतिक आदान.प्रदानए नालंदा विश्वविद्यालय और सिस्टर सिटी संपर्कों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह समझौते हमारे सहयोग का प्रभावशाली दायरा बनाएंगे।
जैसा कि प्रधानमंत्री ली ने कहा है कि भारत और चीन दो प्राचीन सभ्यताएं हैं। हम ढ़ाई अरब जनता के लिए जवाबदेह हैं। जब भारत और चीन हाथ मिलाते हैंए तो दुनिया उसका संज्ञान लेती है। मुझे यकीन है कि मेरी चीन यात्रा से हमारे संबंध स्थिर और त्वरित वृद्धि की दिशा में अग्रसर होंगे। मैं एक बार फिर से प्रधानमंत्री ली को धन्यवाद देता हूं और मैं चीन के नेताओं तथा जनता के साथ आज और कल के संबंधों की प्रतीक्षा करूंगा। इस खुबसूरत शहर में मेरा प्रवास बहुत सुखद रहा और मैं प्रधानमंत्री ली और चीन की जनता का उनकी मेजबानी के लिए आभार व्यक्त करता हूं।ष्
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com