Posted on 21 November 2012 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार कृषकों की समस्याओं के त्वरित निराकरण हेतु कृत-संकल्प है। इसी क्रम में लघु सिंचाई विभाग द्वारा आगामी 5 वर्षों में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 19.20 लाख हेक्टेयर शुद्ध असिंचित क्षेत्र को सिंचित करने की वृहद योजना तैयार की गई है।
लघु सिंचाई विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार निःशुल्क बोरिंग योजना में जल के अपव्यय को रोकने हेतु जल वितरण के लिए एच.डी.पी.ई. पाइप सिंचाई सिस्टम के लिए अधिकतम 3000.00 रुपये के अतिरिक्त अनुदान की स्वीकृति प्रदान की गई है तथा गहरी बोरिंग व मध्यम गहरी बोरिंग योजना में निर्मित नलकूपों के ऊर्जीकरण हेतु विद्युत नियामक आयोग द्वारा समय-समय पर निर्धारित अनुदान पृथक से दिये जाने की व्यवस्था की गई है। वर्तमान में यह अनुदान 0.68 लाख रुपये है। अनुदान की यह राशि आगामी वित्तीय वर्ष 2013-14 से लघु सिंचाई विभाग को उपलब्ध करायी जायेगी तथा लघु सिंचाई विभाग द्वारा कृषकों की बोरिंग होने के उपरान्त ऊर्जीकरण हेतु कृषक के नाम सहित उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन को उपलब्ध करायी जायेगी। साथ ही गहरे एवं मध्यम गहरे नलकूपों में बोरिंग हैण्ड ओवर होने के उपरान्त छः माह के अन्दर बोरिंग फेल होने की दशा में पुनः बोरिंग कराये जाने की व्यवस्था भी की गई है।
गहरे नलकूपों की योजना में जल के अपव्यय को रोकने हेतु वर्तमान में अनुमन्य अनुदान के अतिरिक्त जल वितरण के लिए एच.डी.पी.ई. सिंचाई सिस्टम की स्थापना हेतु अधिकतम 10000.00 रुपये के अनुदान की स्वीकृति प्रदान की गई है।
इसी प्रकार सामूहिक नलकूपों के निर्माण हेतु नये स्वरूप में डा0 राममनोहर लोहिया सामुदायिक नलकूप योजना नामक नयी योजना स्वीकृत की गई है जिसमें अनुसूचित जाति/जनजाति बाहुल्य समूहों को नलकूप निर्माण हेतु अधिकतम 5.00 लाख रुपये तथा सामान्य श्रेणी बाहुल्य समूहों को अधिकतम 3.92 लाख रुपये का अनुदान दिया जायेगा। इस अनुदान में नलकूप निर्माण, जल वितरण प्रणाली तथा नलकूप के ऊर्जीकरण हेतु पृथक-पृथक अनुदान की व्यवस्था है। ऊर्जीकरण हेतु विद्युत नियामक आयोग द्वारा समय-समय पर निर्धारित अनुदान देय होगा तथा वर्ष 2013-14 से ऊर्जीकरण हेतु अनुदान की राशि लघु सिंचाई विभाग को उपलब्ध करायी जायेगी एवं लघु सिंचाई विभाग द्वारा समूह बोरिंग होने के उपरान्त ऊर्जीकरण हेतु धनराशि समूह के नाम सहित उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन को उपलब्ध करायी जायेगी।
सतही जल संसाधनों के उपयोग हेतु पम्पसेट देने की योजना के अन्तर्गत पम्पसेट क्रय हेतु सभी श्रेणी के कृषकों हेतु वर्तमान में अनुमन्य अनुदान 3000.00 रुपये को संशोधित कर निःशुल्क बोरिंग योजना के पैटर्न पर सामान्य श्रेणी के लघु कृषक को अधिकतम 4500.00 रुपये सीमान्त कृषक को अधिकतम 6000.00 रुपये तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के लघु एवं सीमान्त कृषक को अधिकतम 9000.00 रुपये का अनुदान स्वीकृत किया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 13 November 2012 by admin
फिलहाल तीन जनपदों के तीन विकास खण्डांे में सक्रिय प्रणाली को आगे पूरे राज्य में लागू किया जायेगा -आलोक रंजन
उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने आज यहां बताया कि राज्य में मनरेगा योजना में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए जी.पी.एस./जी.आई.एस. आधारित माॅनीटरिंग की एक नवीन प्रणाली लागू की गयी है। उन्होंने बताया कि जी.पी.एस/जी.आई.एस. को मनरेगा में पायलेट योजना के रूप में प्रदेश के लखीमपुर, हरदोई एवं उन्नाव जनपदों के एक-एक विकास खण्डों में लागू किया गया है। उन्होंने बताया कि एन0आई0सी0 के सहयोग से तैयार की गयी इस प्रणाली द्वारा मनरेगा योजना के कार्यों को गूगल-अर्थ पर देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसकी प्रभावशीलिता का मूल्यांकन करने के बाद इस प्रणाली को पूरे प्रदेश में लागू किया जायेगा।
श्री आलोक रंजन ने बताया कि जी.पी.एस/जी.आई.एस. प्रणाली से उपलब्ध कार्य विवरणों के फोटोग्राफ को अक्षांश एवं देशान्तर के साथ राज्य के ग्राम विकास विभाग की वेबसाइट www.rd.up.nic.in में उपलब्ध किया गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष 20012-13 में मनरेगा योजना के तहत जनपद हरदोई के ब्लाक कछौना, लखीमपुर-खीरी के ब्लाक कुम्भी (गोला) एवं उन्नाव के ब्लाक सिकन्दरपुर कर्ण में कराये गये सभी कार्यों को फोटो-चित्रित कर विभाग की वेबसाइट www.rd.up.nic.in पर प्रस्तुत किया गया है।
ग्राम विकास आयुक्त श्री अनिल गर्ग ने इस मौके पर कृषि उत्पादन आयुक्त को सूचित किया कि मनरेगा कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ाने वाली माॅनीटरिंग प्रणाली द्वारा ग्रामीण सम्पर्क, बाढ नियंत्रण, जल संरक्षण और जल संचय, पारंपरिक जल निकायों के नवीनीकरण, सूखारोधन, सिंचाई नहरें, सिंचाई
सुविधाएं अ.जा./अ.ज./इन्दिरा आवास योजना, भूमि विकास, राजीव गांधी सेवा केन्द्र, तटयीय क्षेत्र, ग्रामीण पेय जल, मत्स्य पालन एवं ग्रामीण स्वच्छता से संबंधित सभी जानकारियां गुगल अर्थ एवं ग्रामीण विकास विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
इस अवसर पर उन्होंने बताया कि इस प्रणाली के लागू होने से पूर्व में किये गये सभी कार्यों को दुबारा करके दिखाने की प्रवृत्ति (डुप्लीकेशन) का पता चल सकेगा एवं कार्य का निर्धारण ज्यादा तार्किक होगा तथा एक क्षेत्र विशेष में विकास कार्यों का विश्लेषण भी किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ-साथ फर्जी फिकेशन को रोका जा सकेगा तथा विकास कार्यों की पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
तकनीकी निदेशक श्री जी0पी0सिंह ने बताया कि इस प्रणाली के अन्तर्गत ग्राम विकास विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध शीर्षक स्टेट रिलेटेड लिंक के तहत मनरेगा वर्क मैपिंग (पायलेट प्रोजेक्ट) नाम से एक नवीन विकल्प प्रदान किया गया है जिसके अन्तर्गत 14 प्रकार के कार्यों की स्थिति जैसे पूर्ण कार्य, प्रगतिशील/निलम्बित कार्य/स्वीकृत कार्य, प्रस्तावित कार्य का विवरण दिखाई देगा, एवं इसके पश्चात् continue विकल्प को क्लिक करने पर जनपद चुना जा सकेगा तथा चिन्हित विकास खण्ड की ग्राम पंचायतों के कार्य विवरण को देखा जा सकेगा। उन्होंने जानकारी दी कि कार्य के विवरण के अन्तर्गत जिला, विकास खण्ड, ग्राम पंचायत के नाम के साथ-साथ कार्य का नाम एवं कोड, कार्य का प्रकार तथा कार्य का फोटो उपलब्ध रहेगा। उन्होंने बताया कि इस प्रणाली द्वारा देश के किसी भी कोने से उत्तर प्रदेश में कराये गये मनरेगा के कार्यों को देखा जा सकेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 08 November 2012 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गन्ने का समर्थन व लाभकारी मूल्य की घोषणा न करने से किसानों में भारी अंसंतोष व्याप्त है। डीजल, खाद, बिजली व श्रमिकांें की मजदूरी बढ़ने से गन्ने का लागत मूल्य लगभग 25 प्रतिशत बढ गया है। रालोद सरकार से माँग करता है कि सरकार गन्ने का लाभकारी मूल्य का निर्धारण करते समय किसानों के लागत मूल्य को ध्यान मंें रखते हुये जल्द से जल्द गन्ने की खरीद का समर्थन मूल्य की घोषणा करे। अक्टूबर माह बीत जाने के बाद भी प्रदेश की गन्ना मिलों ने पेराई शुरू नहीं की, इससे रबी की बुआई प्रभावित हो रही है तथा जिसके कारण गेहँू के उत्पादन मंें भारी गिरावट आयेगी।
उन्होंने बताया कि प्रदेश की चीनी मिलों पर प्रदेश के गन्ना किसानों का करोड़ों रूपया बकाया है लेकिन सरकार किसानांें को मिलों से भुगतान कराने में हीलाहवाली कर रही है। उल्लेखनीय है कि देश के मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के गन्ना किसानों को उनके बकाया मूल्य को तत्काल भुगतान कराने के लिए राज्य सरकार को निर्देशित कर चुकी है। लेकिन सरकार अभी तक गन्ना किसानों का बकाया धनराशि का भुगतान कराने में असफल है वहीं राज्य सरकार किसानों पर ऋण वसूली के लिए आर0सी0 काटकर दिन प्रतिदिन दबाव बढ़ा रही है जिससे किसानों में असंतोष व्याप्त हैं।
बसपा सरकार के कार्यकाल में 21 चीनी मिलों को निजी हाथों में बेचने से लगभग 1200 करोड़ रूपये का घोटाला सामने आया है। सरकार के मंत्री व सचिवों ने मिलकर प्रदेश की चीनी मिलों को औने पौने दामों में बेच दिया। इस घोटालें के सम्बन्ध में देश की सर्वाेच्च संस्था कैग ने भी घोटाले की जाँच के लिए सरकार को निर्देशित कर चुकी हैं लेकिन सरकार जाँच के नाम पर लीपापोती कर रही है। रालोद प्रदेश सरकार से मांँग करता है कि चीनी मिलों को निजी हाथों में बेचने से हुये घोटाले की जाँच मा0 उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायालय की अध्यक्षता में गठित आयोग के द्वारा करायी जाये जिससे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो तथा दोषियों को दण्ड मिल सके।
उन्होंने आगे बताया कि धान की फसल पूरे सूबे में तैयार है लेकिन सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण सरकार व सहकारी केन्द्रों पर धान की खरीददारी नहीं हो रही है जिससे किसान धान को औने पौने दामों पर बिचैलिये व व्यापारियों के हाथों पर बेचने पर मजबूर है।
राष्ट्रीय लोकदल सरकार से मांग करता है कि सरकार तत्काल धान केन्द्रों से धान खरीद शुरू करने की घोषणा करें अन्यथा राष्ट्रीय लोकदल किसानों को लामबद्व करके सड़कों पर संघर्ष करने के लिए बाध्य होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 08 November 2012 by admin
उत्तर प्रदेष में रबी की प्रमुख फसलों में शत-प्रतिषत बीजषोधन कराने हेतु 210.80 लाख कुन्तल बीजषोधन का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 17.54 लाख कुन्तल बीज कृषि विभाग के माध्यम से तथा 53.56 लाख कुन्तल बीज अन्य संस्थाओं द्वारा शोधित कराने का लक्ष्य है। शेष 139.71 लाख कुन्तल बीजषोधन हेतु गत 16 अक्टूबर से अभियान संचालित किया जा रहा है, जो आगामी 15 नवम्बर तक जारी रहेगा।
कृषि निदेषक डी0 एम0 सिंह से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेष में फसलों को प्रति वर्ष कुल क्षति की 26 प्रतिषत क्षति रोगों द्वारा होती है। रोगों से होने वाली क्षति कभी-कभी महामारी का रूप भी ले लेती है और इनके प्रकोप से शत-प्रतिषत तक फसल नष्ट होने की संभावना बनी रहती हैं। अतः बुवाई से पूर्व सभी फसलों में बीजषोधन का कार्य शत-प्रतिषत कराया जाना नितान्त आवष्यक है। बीजषोधन का मुख्य उद्देष्य बीज जनित तथा भूमि जनित रोगों को रसायनों एवं बायोपेस्टीसाइड्स के माध्यम से नष्ट करना होता है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 07 November 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में किसानों के हितों की रक्षा के लिये उन्हें कृषि यंत्रों की खरीद खुले बाजार से करने पर भी निर्धारित अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा।
कृषि मंत्री श्री आनन्द सिंह ने आज यहाॅ इस संबंध में बताया कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप सरकार द्वारा किसानों के हित के लिये यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में यह आवश्यक है कि किसानों द्वारा खरीदे जाने वाले कृषि यंत्र आई0एस0आई0 मार्क, सी0आई0ए0ई0 (सेन्ट्रल इन्स्टीट्यूट आॅफ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग) या एस0ए0यू0 (स्टेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप होना चाहिये। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा पुरोनिधानित समस्त योजनाओं में यही व्यवस्था प्रभावी होगी। उन्होंने कहा कि लाभार्थी द्वारा कृषि यंत्रों की खरीद के लिये निर्धारित आवेदन पत्र संबंधित खण्ड विकास अधिकारी अथवा उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी के माध्यम से कृषि निदेशक के कार्यालय को प्रेषित किया जाये।
कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि यंत्रों की क्रय प्रक्रिया में कृषकों को प्रथम आवत- प्रथम पावत के सिद्धान्त के आधार पर उनका प्रार्थना पत्र रजिस्टर्ड किया जायेगा। लाभार्थी कृषकों के प्राप्त आवेदन पत्रों को कार्यालय में सूचीबद्ध किया जायेगा, जिसकी पावती लाभार्थी को भी दी जायेगी। उप कृषि निदेशक द्वारा पात्र लाभार्थियों को अनुमति पत्र निर्गत किया जायेगा। उन्होंने बताया कि इस प्रकार लाभार्थी अपनी सुविधानुसार स्वेच्छा से मानक के अनुरूप कृषि यंत्र खुले बाजार अथवा यू0पी0 एग्रो से खरीद कर सकेगा। क्रय किये गये कृषि यंत्रों की रसीद उप कृषि निदेशक कार्यालय में लाभार्थी द्वारा जमा की जायेगी। इस संबंध में यह व्यवस्था की गयी है कि क्रय किये गये यंत्रों के सत्यापन के उपरांत ही भुगतान किया जायेगा। उन्होंने बताया कि पात्र लाभार्थी का अनुबंधित राशि का भुगतान सीधे बैंक एकाउन्ट में हस्तान्तरित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि पम्पसेट, ट्रैक्टर अथवा उसके द्वारा चालित यंत्रों की खरीद के लिये भी इस प्रक्रिया का अनुपालन सुनिश्चित किया जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 06 November 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग द्वारा रबी 2012 से पूर्व दिनांक 03 नवम्बर, 2012 को ”अपनी मिटटी पहचानें अभियान का तृतीय चरण मनाया गया। दिनांक 03 नवम्बर, 2012 में ”अपनी मिटटी पहचानें अभियान के अन्तर्गत निर्धारित लक्ष्य 402000 के सापेक्ष 287278 71.46 प्रतिशत मृदा नमूनें एकत्रित किये गये है। कृषि विभाग के अधिकारियोंकर्मचारियों द्वारा इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भाग लेकर मृदा परीक्षण के महत्व के बारे में किसानों को जानकारी दी गयी। अभियान दिवस में कृषकों को मिटटी की जांच के आधार पर दी गयी संस्तुति के अनुसार उर्वरक प्रयोग कर, रबी फसलों की बुआर्इ समय से करने हेतु प्रेरित किया गया।
कृषि निदेशक श्री डी0एम0 सिंह ने कहा मृदा स्वास्थ्य कार्ड के माध्यम से कृषकों को यह सलाह भी दी गयी कि अब समय आ गया है कि वे अपने खेत की मिटटी के मुख्य पोषक तत्वों नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश के साथ द्वितीयक एवं सूक्ष्य पोषक तत्वों की भी जांच करायें, क्योंकि जमीन में द्वितीयक एवं सूक्ष्य पोषक तत्वों की भी कमी परिलक्षित हो रही है। यधपि इनकी कम मात्रा प्रयोग करनी होती है किन्तु बिना इनके प्रयोग के अच्छी पैदावार सम्भव नहीं है।
कृषि निदेशक ने बताया कि जो कृषक इस अभियान दिवस में कतिपय कारणों से अपने खेतों की मिटटी के नमूनें प्रयोगशाला में जमा करने से वंचित रह गय है वे अपने खेतों की मिटटी के नमूनें रबी फसलों की बुआर्इ के पूर्व अपने जनदीय भूमि परीक्षण प्रयोगशाला में जमा करें और मिटटी की जांच के परिणाम के आधार पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दी गयी संस्तुति के अनुसार ही आवश्यक उर्वरकों एवं खादों का संतुलित मात्रा में प्रयोग करें, जिससे कि प्रदेश में कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शकित में वृद्धि हो सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 03 November 2012 by admin
लखनऊ, देवीटपाटन एवं फैजाबाद मण्डलों की मण्डलीय रबी गोष्ठी का आयोजन आज कृषि भवन के प्रेक्षागृह में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। बैठक में उन्होंने कहा कि 15 नवम्बर तक गुणवत्तायुक्त बीज (चना को छोड़कर) उपलब्ध कराने की व्यवस्था, सिंचाई, ऊर्जा, कृषि रक्षा, निवेश, बीमा आदि से सम्बन्धित सभी समस्यायें एक सप्ताह में निस्तारित करें। किसानों के पशुओं के लिए मोबाइल पशु चिकित्सालय उनके द्वार तक पहुचेंगे। किसान, खाद्य प्रसंस्करण उद्यानीकरण, पोल्ट्री, पशुपालन आदि से अपनी आय में वृद्धि करें। अधिक से अधिक बिजली दिन में दी जाये। नहरों का पानी टेलों तक पहुंचाया जाये। सभी जनपदों में हरी खाद बोएं। तीनों मण्डलों के मण्डलायुक्त तथा सभी जनपदों के जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, प्रमुख सचिव, कृषि, सहकारिता, दुग्ध उत्पादन, पशुपालन, ग्राम्य विकास भी उपस्थित रहे। प्रदेश में गेंहूँ की बुवाई जोरो पर है इसलिए मुख्य रूप से गुणवत्तायुक्त बीज उर्वरक एवं सिंचाई व्यवस्था पर विशेष चर्चा की गयी। सभी जनपदों में उर्वरकों की कोई कमी नहीं है।
तीनों मण्डलों से आये हुये कृषकों द्वारा गोष्ठी में अवगत कराया गया कि सभी जनपदों में पर्याप्त मात्रा में बीज एवं उर्वरकों की उपलब्धता है। कृषकों के द्वारा मांग की गई कि ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाये।
प्रमुख सचिव, कृषि एवं सहकारिता श्री देवाशीष पाण्डा ने गोष्ठी में आये कृषक बन्धुओं से वार्ता के दौरान यह बताया कि तीनों मण्डलों के सभी जनपदों में गेंहूँ बीज के साथ-साथ रबी फसलांे के बीज समय से उपलब्ध कराये गये हैं। उर्वरकों की उपलब्धता भी सुनिश्चित करायी गयी है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को अवगत कराया कि उर्वकरेां का वितरण सही मूल्य पर करायें। उत्पादन एवं कृषकों की आय में वृद्धि करने के सम्बन्ध में बताया गया कि बीज प्रतिस्थापन दर में वृद्धि की गयी है। गत वर्ष की तुलना में अधिक फसली ऋण वितरण के लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं, जिसे समय से वितरित कराया जाये। उर्वरकों की कमी नहीं है अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्यवाही भी करें।
कृषि निदेशक, श्री डी0एम0 सिंह ने अनुदान पर मिलने वाले निवेशों की विस्तृत जानकारी दी तथा किसानों से अपील की कि उर्वरक एवं सिंचाई के प्रयोग पर वैज्ञानिकता का रुख अपनाये। कृषि निदेशक द्वारा भूमि सेना योजना प्रारम्भ किये जाने की जानकारी दी गयी साथ ही उन्होंने अपने संबोधन में मृदा परीक्षण पर विशेष रूप से प्रकाश डाला मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाये जाने पर भी उनके द्वारा विशेष रूप से बल दिया गया जिससे किसान भाई मृदा परीक्षण की संस्तुतियों के आधार पर संतुलित उर्वरक का प्रयोग कर सकें। उन्होंने मिट्टी की उर्वरा शक्ति बरकार रखने हेतु रसायनिक उर्वरकों को संतुलित प्रयोग करने का सुझाव दिया जिससे मृदा की उर्वरा शक्ति बरकरार रखी जा सके। कृषि निदेशक द्वारा अपने संबोधन में बीज शोधन, मिट्टी शोधन आदि तकनीकी पहलुओं पर जोर देते हुये विस्तार से बताया गया।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने निवेशों की उपलब्धता पर संतोष व्यक्त करते हुए सिंचाई संसाधनों को सुदृढ़ करने हेतु सम्बन्धित विभागों को निर्देश भी दिये। रबी 2012-13 में निर्धारित उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने हेतु उन्होंने तीनों मण्डलों के जिलाधिकारियों से आग्रह किया कि विभिन्न विभागों के अधिकारियों को अपना नेतृत्व प्रदान करें, जिससे निर्धारित कृषि विकास दर प्राप्त की जा सके। गोष्ठी में पशुपालन एवं दुग्ध उत्पादन पर भी किसानों ने वार्ता की तथा पशुपालकों को प्रोत्साहित करने हेतु प्रोत्साहन देने की मांग भी की गयी।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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Posted on 03 November 2012 by admin
कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक रंजन ने प्रदेश में कृत्रिम गर्भाधान के आच्छादन एवं सुदृढ़ीकरण के सम्बन्ध में प्रगति की समीक्षा करते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2012-13 में 70 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने निर्देश दिये हैं कि कृत्रिम गर्भाधान में सुधार करते हुए इससे सम्बन्धित समस्त आकड़ों को कम्प्यूटरीकृत कर लिया जाये। उन्होंने यह भी निर्देशित किया है कि इस महत्वपूर्ण योजना की प्रगति की जांच नियमित रूप से सुनिश्चित की जाये।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने यह निर्देश बृहस्पतिवार को अपने कार्यालय कक्ष में पशुधन विभाग की बैठक में दिये। उन्होंने निर्देश दिये कि कृत्रिम गर्भाधान का माहवार लक्ष्य बनाकर पूर्ति की जाये एवं उत्पन्न पशु-संतति का भी समय-समय पर निरीक्षण सुनिश्चित कराया जाये। इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि पूर्व में उत्पन्न पशु-संतति का मूल्यांकन किया जाये और पूर्व के संतति उन्नयन कार्यक्रम से प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में हुयी वृद्धि का आकलन किया जाये। उन्होंने कहा कि नस्ल सुधार के जरिये राज्य की दुग्ध मांग को पूरा करने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
बैठक के दौरान प्रमुख सचिव पशुधन योगेश कुमार ने अवगत कराया कि कृत्रिम गर्भाधान के आच्छादन में वृद्धि हो इसको दृष्टिगत रखते हुए प्रत्येक पशु चिकित्साधिकारी एवं पशुधन प्रसार अधिकारी द्वारा क्रमशः पांच एवं तीन कृत्रिम गर्भाधान प्रतिदिन कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके साथ-साथ एन0जी0ओ0 में मुख्यतः बाॅएफ एवं पैरावेट का लक्ष्य निर्धारित कर इसकी पूर्ति करायी जा रही है। निदेशक पशुपालन डाॅ0 रुद्र प्रताप ने बताया कि प्रदेश में 1 करोड़ 89 लाख प्रजनन योग्य पशु हैं जिसके सापेक्ष 50 प्रतिशत के लक्ष्य के तहत सितम्बर माह तक 35 प्रतिशत की पूर्ति हो चुकी है। उन्होंने कहा कि अच्छी नस्ल के पशुओं में साहीवाल, मुर्रा तथा भदावरी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
बैठक में प्रमुख सचिव पशुधन श्री योगेश कुमार, निदेशक पशुपालन डाॅ रुद्र प्रताप, अपर निदेशक पशुपालन डाॅ0 पी0एस0 गौतम, विशेष सचिव तथा विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 03 November 2012 by admin
किसानों को रबी फसल के लिए उर्वरक, बीज, फसली ऋण, सिचाई आदि कृषि निवेशों की आपूर्ति मांग के अनुरूप सही दरों पर समय से सुलभ कराये। खाद बीज वितरण व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए नियमित रूप से प्रवर्तन कार्य भी प्रभावी रूप से चलाये। नहरों की सफाई का कार्य 15 नवम्बर तक पूर्ण कराये।।नहरों की सफाई का कार्य प्रारम्भ होने से पूर्व, कार्य के बीच में और कार्य पूर्ण होने पर फोटो ग्राफी अनिवार्र्य रूप से कराये साथ ही निरीक्षण दल बनाकर नहर सफाई कार्य का गहन निरीक्षण तथा सघन पर्यवेक्षण करें। इस कार्य मे सावधानी बरतें और समयबद्ध रूप से कार्य पूर्ण करायें। मण्डल में उर्वरकों एवं बीजो की मांग के सापेक्ष पर्याप्त मा़त्रा में उपलब्धता है।
मण्डलायुक्त रबी फसल की तैयारियां के क्रम में कृषि कार्यक्रमों की जिलेवार समीक्षा कर रहे थे। उन्हांेने कहा कि नहरों के पानी के अलावा बड़ी संख्या में किसान निजी नलकूपों से सिंचाई करते हैे अतः बुआई के समय ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा लोकल फाल्ट को शीघ्रता से ठीक कराने की व्यवस्था करें। आयुक्त ने मण्डल के सभी जिलो के उपस्थित अधीक्षण अभियन्ताओं को निर्देश दिये कि ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर समस्याओं का निदान करायें।
श्री सिंह ने जनपद वार किसान क्रेडिट कार्ड वितरण और फसली ऋण वितरण की समीक्षा की । फसली .ऋण का वितरण लक्ष्य के सापेक्ष न पाये जाने पर उन्हांेने असन्तोष प्रकट करते हुए कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिये । लीड बैक प्रबन्धक आगरा पी0के0 सक्सेना ने बताया कि गत वर्ष 580 करोड़ रूपये का फसली ऋण वितरण किया गया था इस वर्ष अबतक लगभग 283 करोड़ रूपये का फसली ऋण वितरण हो चुका है।
आयुक्त ने बीजो की उपलब्धता की समीक्षा करते हुए दलहन तथा तिलहन बीजो की आपूर्ति पर भी घ्यान देने के निर्देश दियेैै। उन्होंने मण्डल में उर्वरको की उपलब्धता पर सन्तोष प्रकट किया । उन्हांेने जैव उर्वरकों की उपलब्धता, मृदा परीक्षण, कृषि रक्षा रसायनों की उपलब्धता, आदि की भी जिलेवार समीक्षा।
बैठक में संयुक्त विकास आयुक्त राम आसरे, संयुक्त कृषि निदेशक आर0पी0 यादव जनपदों के मुख्य विकास अधिकारी, परियोजना निदेशक , एवं विद्युत नलकूप, सहकारिता, कृषि, नहर, लघु सिचाई आदि विभागों के मण्डलीय एवं जनपदीय अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 22 October 2012 by admin
उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग के अन्तर्गत 15 मण्डलों के सभी जनपदों में दिनांक 20 अक्टूबर 2012 को ‘‘अपनी मिट्टी पहचानें अभियान’’ का द्वितीय चरण संचालित किया गया। इस चरण के अन्तर्गत निर्धारित लक्ष्य 6,03,000 के सापेक्ष कुल 258257 (64.23 प्रतिशत) मृदा नमूनें एकत्रित किये गये। कृषि विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भाग लेकर मृदा परीक्षण के महत्व के बारे में किसानों को जानकारी भी दी गयी।
कृषि निदेशक श्री डी0एम0सिंह ने बताया कि अभियान दिवस में कृषकों को मिट्टी की जांच के आधार पर दी गयी संस्तुति के अनुसार उर्वरक प्रयोग कर, रबी फसलों की बुआई समय से करने हेतु प्रेरित किया गया। कृषकों को यह सलाह भी दी गयी कि अब समय आ गया है कि वे अपने खेत की मिट्टी के मुख्य पोषक तत्वों नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटाश के साथ द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी जांच करायें, क्योंकि जमीन में द्वितीयक एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी कमी परिलक्षित हो रही है यद्यपि इनकी कम मात्रा प्रयोग करनी होती है किन्तु बिना इनके प्रयोग के अच्छी पैदावार सम्भव नहीं है।
कृषि निदेशक ने बताया कि जो कृषक इस अभियान दिवस में कतिपय कारणों से अपने खेतों की मिट्टी के नमूनें प्रयोगशाला में जमा करने से वंचित रह गये है वे अपने खेतों की मिट्टी के नमूनें रबी फसलों की बुआई के पूर्व दिनांक 03 नवम्बर 2012 को आयोजित होने वाले ‘अपनी मिट्टी पहचानें’ के तीसरे चरण में भूमि परीक्षण प्रयोगशालाओं में जमा करें और मिट्टी की जांच के परिणाम के आधार पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड में दी गयी संस्तुति के अनुसार ही आवश्यक उर्वरकों एवं खादों का संतुलित मात्रा में प्रयोग करें, जिससे कि प्रदेश में कृषि उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्वि हो सके।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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