उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गन्ने का समर्थन व लाभकारी मूल्य की घोषणा न करने से किसानों में भारी अंसंतोष व्याप्त है। डीजल, खाद, बिजली व श्रमिकांें की मजदूरी बढ़ने से गन्ने का लागत मूल्य लगभग 25 प्रतिशत बढ गया है। रालोद सरकार से माँग करता है कि सरकार गन्ने का लाभकारी मूल्य का निर्धारण करते समय किसानों के लागत मूल्य को ध्यान मंें रखते हुये जल्द से जल्द गन्ने की खरीद का समर्थन मूल्य की घोषणा करे। अक्टूबर माह बीत जाने के बाद भी प्रदेश की गन्ना मिलों ने पेराई शुरू नहीं की, इससे रबी की बुआई प्रभावित हो रही है तथा जिसके कारण गेहँू के उत्पादन मंें भारी गिरावट आयेगी।
उन्होंने बताया कि प्रदेश की चीनी मिलों पर प्रदेश के गन्ना किसानों का करोड़ों रूपया बकाया है लेकिन सरकार किसानांें को मिलों से भुगतान कराने में हीलाहवाली कर रही है। उल्लेखनीय है कि देश के मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के गन्ना किसानों को उनके बकाया मूल्य को तत्काल भुगतान कराने के लिए राज्य सरकार को निर्देशित कर चुकी है। लेकिन सरकार अभी तक गन्ना किसानों का बकाया धनराशि का भुगतान कराने में असफल है वहीं राज्य सरकार किसानों पर ऋण वसूली के लिए आर0सी0 काटकर दिन प्रतिदिन दबाव बढ़ा रही है जिससे किसानों में असंतोष व्याप्त हैं।
बसपा सरकार के कार्यकाल में 21 चीनी मिलों को निजी हाथों में बेचने से लगभग 1200 करोड़ रूपये का घोटाला सामने आया है। सरकार के मंत्री व सचिवों ने मिलकर प्रदेश की चीनी मिलों को औने पौने दामों में बेच दिया। इस घोटालें के सम्बन्ध में देश की सर्वाेच्च संस्था कैग ने भी घोटाले की जाँच के लिए सरकार को निर्देशित कर चुकी हैं लेकिन सरकार जाँच के नाम पर लीपापोती कर रही है। रालोद प्रदेश सरकार से मांँग करता है कि चीनी मिलों को निजी हाथों में बेचने से हुये घोटाले की जाँच मा0 उच्च न्यायालय के वर्तमान न्यायालय की अध्यक्षता में गठित आयोग के द्वारा करायी जाये जिससे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो तथा दोषियों को दण्ड मिल सके।
उन्होंने आगे बताया कि धान की फसल पूरे सूबे में तैयार है लेकिन सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण सरकार व सहकारी केन्द्रों पर धान की खरीददारी नहीं हो रही है जिससे किसान धान को औने पौने दामों पर बिचैलिये व व्यापारियों के हाथों पर बेचने पर मजबूर है।
राष्ट्रीय लोकदल सरकार से मांग करता है कि सरकार तत्काल धान केन्द्रों से धान खरीद शुरू करने की घोषणा करें अन्यथा राष्ट्रीय लोकदल किसानों को लामबद्व करके सड़कों पर संघर्ष करने के लिए बाध्य होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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