कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक रंजन ने प्रदेश में कृत्रिम गर्भाधान के आच्छादन एवं सुदृढ़ीकरण के सम्बन्ध में प्रगति की समीक्षा करते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2012-13 में 70 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने निर्देश दिये हैं कि कृत्रिम गर्भाधान में सुधार करते हुए इससे सम्बन्धित समस्त आकड़ों को कम्प्यूटरीकृत कर लिया जाये। उन्होंने यह भी निर्देशित किया है कि इस महत्वपूर्ण योजना की प्रगति की जांच नियमित रूप से सुनिश्चित की जाये।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने यह निर्देश बृहस्पतिवार को अपने कार्यालय कक्ष में पशुधन विभाग की बैठक में दिये। उन्होंने निर्देश दिये कि कृत्रिम गर्भाधान का माहवार लक्ष्य बनाकर पूर्ति की जाये एवं उत्पन्न पशु-संतति का भी समय-समय पर निरीक्षण सुनिश्चित कराया जाये। इसके साथ-साथ उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि पूर्व में उत्पन्न पशु-संतति का मूल्यांकन किया जाये और पूर्व के संतति उन्नयन कार्यक्रम से प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में हुयी वृद्धि का आकलन किया जाये। उन्होंने कहा कि नस्ल सुधार के जरिये राज्य की दुग्ध मांग को पूरा करने के लिए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
बैठक के दौरान प्रमुख सचिव पशुधन योगेश कुमार ने अवगत कराया कि कृत्रिम गर्भाधान के आच्छादन में वृद्धि हो इसको दृष्टिगत रखते हुए प्रत्येक पशु चिकित्साधिकारी एवं पशुधन प्रसार अधिकारी द्वारा क्रमशः पांच एवं तीन कृत्रिम गर्भाधान प्रतिदिन कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके साथ-साथ एन0जी0ओ0 में मुख्यतः बाॅएफ एवं पैरावेट का लक्ष्य निर्धारित कर इसकी पूर्ति करायी जा रही है। निदेशक पशुपालन डाॅ0 रुद्र प्रताप ने बताया कि प्रदेश में 1 करोड़ 89 लाख प्रजनन योग्य पशु हैं जिसके सापेक्ष 50 प्रतिशत के लक्ष्य के तहत सितम्बर माह तक 35 प्रतिशत की पूर्ति हो चुकी है। उन्होंने कहा कि अच्छी नस्ल के पशुओं में साहीवाल, मुर्रा तथा भदावरी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
बैठक में प्रमुख सचिव पशुधन श्री योगेश कुमार, निदेशक पशुपालन डाॅ रुद्र प्रताप, अपर निदेशक पशुपालन डाॅ0 पी0एस0 गौतम, विशेष सचिव तथा विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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