Posted on 28 January 2013 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चीनी उद्योग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से प्रदेश में स्थापित होने वाली नई चीनी मिलों को विभिन्न प्रकार के टैक्सों में छूट एवं रियायतें देने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इस नई प्रोत्साहन नीति-2013 के अन्तर्गत अब प्रदेश के चिन्हित जनपदों- देवरिया, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, अमेठी, बदायूं, गाजीपुर, बलिया, इटावा, मैनपुरी, रायबरेली, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, एटा, कन्नौज, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, झांसी, जालौन, ललितपुर आदि में नई चीनी मिलों की स्थापना के लिये प्रोत्साहन दिया जायेगा। इसके तहत को-जेनरेशन इकाई एवं डिस्टलरी की स्थापना प्रदेश में कहीं भी की जा सकेगी।
नई प्रोत्साहन नीति के तहत इस उद्योग में निवेश करने वालों को विभिन्न प्रकार की छूट एवं रियायतें भी देने की व्यवस्था की गयी है। इसमें ऋण पर पांच प्रतिशत ब्याज उपादान, गन्ना क्रय कर पर छूट, सोसायटी कमीशन के 75 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति दी जायेगी। देसी मदिरा हेतु शीरा आरक्षित करने से छूट, शीरे पर प्रशासनिक शुल्क की छूट, स्टाम्प ड्यूटी एवं भूमि रजिस्ट्री शुल्क में छूट की व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त शीरे का प्रथम क्रय/विक्रय की तिथि से 5 वर्ष तक भुगतान किये गये वैट व केन्द्रीय विक्रयकर के योग के समतुल्य अथवा वार्षिक विक्रय की 10 प्रतिशत धनराशि, जो भी कम हो, ब्याजमुक्त ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जायेगी। प्रतिपूर्ति, छूटें अथवा ऋण अधिकतम पांच वर्ष के लिए अनुमन्य होगा।
ये सभी छूट एवं रियायतें उन्हीं चीनी मिलों को मिलेंगी जो प्रदेश सरकार द्वारा चिन्हित जिलों में स्थापित हों। इसके अतिरिक्त नीति घोषित होने के उपरान्त चीनी मिलों में निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया हो अथवा नीति घोषित होने के 3 वर्षों के अन्दर व्यावसायिक उत्पादन प्रारम्भ हो गया हो। को-जेन/आसवनी नीति घोषित होने के 2 वर्षों के अन्दर व्यावसायिक उत्पादन प्रारम्भ करना होगा।
सरकार द्वारा सुनिश्चित किया जायेेगा कि कम्पनी/इकाई द्वारा सम्पूर्ण गन्ना मूल्य का भुगतान समय से कर दिया गया हो। नई नीति के तहत पांच वर्षों में प्रत्येक इकाई को 75 करोड़ रुपये से अधिक छूट एवं रियायतें नहीं दी जायेंगी। यदि कोई कम्पनी/इकाई त्रुटिपूर्ण सूचना अथवा अभिलेखों के माध्यम से छूट या रियायतें प्राप्त करती हैं तो ज्ञात होने पर यह धनराशि भू-राजस्व की भांति सरकार द्वारा वसूल की जायेंगी।
प्रदेश के इन चिन्हित जिलों में चीनी उद्योग को प्रोत्साहति करने के लिये नई चीनी मिलों की स्थापना, को-जेन एवं आसवनियां लगने से प्रदेश की जनता को और अधिक रोजगार के अवसर मिलेंगे, किसानों को और अधिक गन्ने का भुगतान होगा तो किसान भी खुशहाल होंगे। इन चीनी मिलों की स्थापना से प्रदेश में और अधिक विद्युत का उत्पादन किया जा सकेगा तथा समग्र रूप से चिन्हित क्षेत्रों का आर्थिक विकास होगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 25 January 2013 by admin
उत्तर प्रदेश सरकार ने आगामी रबी विपणन वर्ष 2013-14 के लिये गेहूॅ क्रय व्यवस्था संबंधी समय-सारिणी जारी कर दी है।
खाद्य विभाग द्वारा जारी सर्कुलर में सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि गेहूॅ क्रय संबंधी केन्द्रों के निर्धारण सहित अन्य सभी आवश्यक व्यवस्थाएं आगामी 18 मार्च तक पूरी कर ली जायें ताकि सभी क्रय केन्द्र समय से क्रियाशील हो सकें, जिससे एक अप्रैल से गेहूॅ की खरीद प्रारम्भ हो सके।
सर्कुलर में कहा गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूॅ की खरीद में जिलाधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अतः गेहूॅ क्रय एजेन्सियों के स्थानीय अधिकारियों के साथ जिलाधिकारियों द्वारा एक बैठक तत्काल आयोजित कर ली जाये तथा आवश्यकतानुसार समय-समय पर बैठक भी कराते रहें, जिससे निर्धारित अवधि तक अपेक्षित कार्य सुगमता पूर्वक पूरा हो सके। भारत सरकार ने विपणन वर्ष 2013-14 के लिये गेहूॅ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1350 रूपये प्रति कुन्तल घोषित किया है
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 24 January 2013 by admin
उत्तर प्रदेश में किसानों को कृषि कार्यों में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिये कृषि विभाग द्वारा दिसम्बर, 2013 तक 27.55 लाख किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराये गये, जबकि वर्तमान वित्तीय वर्ष में 52.13 लाख किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।
कृषि मंत्री श्री आनन्द सिंह ने आज यहाॅ इस संबंध में बताया कि रबी में कृषि निवेश जैसे- उर्वरक, बीज, सिंचाई, रक्षा रसायन, कृषि यंत्र आदि खरीदने के लिये समस्त ग्रामों के पात्र किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराने के लिये अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं।
श्री सिंह ने बताया कि पुराने समय में किसानों को महाजनों से ऋण लेना पड़ता था, जिस पर ऊॅची दर पर सूद देना पड़ता था और किसान ऋण के चुंगल में फंसता चला जाता था। उन्होंने कहा कि अब किसानों के लिये ग्रामीण बैंकों द्वारा कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 24 January 2013 by admin
किसान रबी की नकदी फसलों में वैज्ञानिक खेती को अपनायें
जनपद में लगेगी दुग्ध अवशीतन इकाई -कृषि उत्पादन आयुक्त
प्रदेश के किसानों को रबी की नकदी फसलों की वैज्ञानिक खेती के प्रति अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जाय जिससे वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकंे तथा विकास की मुख्य धारा से अपने को जोड़ सकें।
यह जानकारी प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने आज ग्राम दौलतपुर, विकास खण्ड हरख, बाराबंकी में इफको द्वारा आयोजित रबी नकदी फसल विचार गोष्ठी एवं नेत्र चिकित्सा शिविर का उद्घाटन करने के दौरान दी।
इस दौरान कृषि उत्पादन आयुक्त ने श्री राम सरन वर्मा द्वारा अपनायी जा रही नयी कृषि तकनीकी को किसानों से अपनाने की अपील की। उन्होंने जनपद के जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी एवं संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि किसानों को अधिक से अधिक वैज्ञानिक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाय। उन्होंने जनपद में दुग्ध एवं पशुपालन विकास हेतु एक दुग्ध अवशीतन इकाई लगाने के लिए इससे संबंधित प्रस्ताव भेजने के भी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये। उन्होंने किसानों की मांग पर जनपद में मेन्था परिशोधन इकाई को खाद्य सुरक्षा मिशन में लाने का भी आश्वासन दिया।
श्री आलोक रंजन ने किसानों को मृदा स्वास्थ्य संवर्धन के प्रति सचेत किया तथा इस दिशा में इफको द्वारा किये जा रहे कार्यों की भी सरहना की। उन्होंने हाइटेक फार्म-हाउस पर नवीन कृषि यंत्रों एवं विभिन्न विभागों द्वारा लगायी प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा इसके साथ नेत्र चिकित्सा शिविर का भी भ्रमण किया।
गोष्ठी में कृषि निदेशक श्री डी0एम0सिंह, संयुक्त महाप्रबन्धक (विपणन) श्री आर0पी0सिंह, निदेशक (एच0आर0डी0), राज्य विपणन प्रबन्धक श्री योगेन्द्र कुमार तथा जिले के संबंधित विभागीय अधिकारी एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 23 January 2013 by admin
ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संचालित डा0 राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजनान्तर्गत कार्यक्रमों/योजनाओं के कार्यान्वयन के संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिये गये हैं। इसमें ग्रामीण पेयजल के प्राविधान पर विशेष बल दिया है। हैण्डपम्पों के बीच 75 मीटर की दूरी निर्धारित की गयी है।
प्रमुख सचिव, ग्राम्य विकास श्री राजीव कुमार की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि हैण्डपम्पों का अधिष्ठान 100 की आबादी पर किया जाये तथा 02 हैण्डपम्पों के मध्य 75 मीटर की दूरी रखी जाये।
यदि ग्राम, पेयजल गुणवत्ता की समस्या से प्रभावित हों तो ग्राम की समस्त आबादी को पाइप पेयजल योजना, अधिक गहरे हैण्डपम्पों अथवा शोधन संयंत्रों के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाये, तभी ग्रामों को संतृप्त समझा जायेगा।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 22 January 2013 by admin
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता श्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव की योजना सभी किस्म के कृषि उत्पादों को लाभप्रद बनाने की है। विशेषकर फलों और सब्जियों के प्रसंस्करण के संसाधनों की कमी को वे दूर करना चाहते हैं। साथ ही किसानों की आय में बढ़ोत्तरी के लिए वे कई उत्पादों की नई किस्मों केा उगाने की सुविधा भी देना चाहते हैं। इस दृष्टि से राज्य सरकार द्वारा नई उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण नीति भी बन रही है।
प्रदेश में पहली बार पान उत्पादन प्रोत्साहन योजना 21 जिलों उन्नाव, रायबरेली, लखनऊ, सीतापुर, बाराबंकी, कानपुरनगर, सुल्तानपुर, ललितपुर, महोबा, बाॅदा, प्रतापगढ़, जौनपुर , बलिया, गाजीपुर, आजमगढ़, इलाहाबाद, अमेठी, वाराणसी, मिर्जापुर, एवं सोनभद्र में स्वीकृत की गई है। इस योजना में पान किसानों केा कुल लागत का 50 फीसद अनुदान के तौर पर मिलेगा। अनुदान राशि सीधे किसानों के खाते में जायेगी। वर्ष 2012-13 में शासन ने तदर्थ एक करोड़ की राशि रखी है। इस योजना के फलस्वरूप पान की खेती छोड़ चुके किसान फिर इस ओर आकर्षित होंगे।
समाजवादी पार्टी की सरकार के द्वारा 305 हेक्टेयर क्षेत्र में हर मौसम में फलने वाले नए बाग लगाए गये और 1439 हेक्टेयर क्षेत्र में पुराने बागो का रखरखाव कराया गया। इससे प्रदेश को आम, अमरूद, आंवला, लीची, बेल, बेर, शरीफा और नींबू, जैसे लोकप्रिय फलों की उपलब्धता किफायती दामों पर हो सकेगी। केले की नई प्रजाति गैंडनैन(जी-9) के उत्पादन और विस्तार की योजना 800 हेक्टेयर क्षेत्र में टिशू कल्चर से षुरू की गई है। किसानों को 1700 हेक्टेयर क्षेत्र में अधिक लाभ देने वाली मिर्च, हल्दी, अदरक और लहसुन की नई किस्में उगाने की सुविधा दी गई है।
भारत सरकार की मेगा फूड पार्क स्कीम के अन्तर्गत राज्य की फल पट्टियों और फल मंडियों वाले सभी जिलों में खाद्य प्रसंस्करण सेक्टर के सभी प्रकार के उद्योगों को विकसित कराने का नीतिगत निर्णय लिया गया है। इसमें निजी निवेशकों को बढ़ावा देने के लिए व्यापक कार्यवाही की जा रही है। गोमतीनगर लखनऊ में स्थित पुष्पफल एवं सब्जी की आधुनिक मंडी ‘‘अपना बाजार’’ जो विगत 15 वर्षों से क्रियाशील नहीं हो पाई है, उसको रिडिजाइनिंग करते हुए क्रियाशील करने की कार्यवाही की जा रही है। इसी की भंाति अन्य शहरों में भी ‘अपना बाजार‘ विकसित किए जायेगें।
इसके अतिरिक्त प्रदेश में पहली बार लोहिया पर्यावरणीय उद्यान योजना के तहत कन्नौज, इटावा और बस्ती जिलों में लगभग एक-एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में उद्यान स्थापना की कार्यवाही प्रारम्भ की गई है। स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार कृषि उत्पादन के क्षेत्र में फिर से नया रिकार्ड बनाने को प्रयत्नशील है, जिसकी पिछले पाॅच वर्षों के बसपाराज में घोर उपेक्षा हुई थी। मुख्यमंत्री जी ने कृषि और उससे जुड़े हर क्षेत्र के सम्यक् विकास पर जोर दिया है और उसके अनुकूल परिणाम भी सामने आ रहे हैंे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 22 January 2013 by admin
प्रादेशिक, फल-शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन आगामी 23 एवं 24 फरवरी को राजभवन के प्रांगण में आयोजित किया जायेगा। प्रदर्शनी का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव तथा समापन महामहिम श्री राज्यपाल द्वारा कराया जाना प्रस्तावित किया गया है। आयोजन में गृह वाटिका एवं शोभाकार उद्यानों की प्रतियोगिता हेतु प्रविष्टि शुल्क, प्रवेश शुल्क तथा शिक्षाप्रद एवं औद्यानिक उत्पादों के स्टाॅल लगाये जाने हेतु स्टाॅल की शुल्क दरों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गयी है। यह दरें गत वर्षाें की भांति ही लागू रहेंगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव श्री जावेद उस्मानी ने आज शास्त्री भवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष के सभागार में ’प्रादेशिक फल-शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी समिति’ द्वारा आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भविष्य में बैठक आयोजित करने के एक सप्ताह पूर्व सम्बन्धित सदस्यों को एजेण्डा अवश्य उपलब्ध करा दिया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि समिति द्वारा प्रस्तावित प्रादेशिक, फल-शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी का आयोजन की तिथियों के अनुसार मा0 मुख्यमंत्री एवं महामहिम श्री राज्यपाल से शीघ्रताशीघ्र अनुरोध कर समय प्राप्त कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि पुरस्कार वितरण समारोह को और अधिक सुगमता और व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने हेतु समिति के प्रस्ताव के अनुसार महामहिम श्री राज्यपाल के कर-कमलों द्वारा 28 रनिंग शील्ड (चल बैजयन्ती) एवं 23 पुरस्कार महिलाओं एवं बच्चों के लिए अर्थात कुल 51 पुरस्कार अवश्य करा दिए जायें, परन्तु शेष पुरस्कारों के नामों की घोषणा कार्यक्रम में ही कराकर उनकी सुविधानुसार उपलब्ध करा दिया जाये। उन्होंने कहा कि इस बार प्रदर्शनी में लगाए जाने वाले विभागीय स्टाॅलों में से श्रेष्ठ स्टाॅल लगाने वाले प्रतिभागियों में से एक को शील्ड देकर पुरस्कृत किया जाए।
श्री उस्मानी ने कहा कि समिति के आय-व्यय का आॅडिट चार्टड एकाउण्टेन्ट से कराकर आय-व्यय बैलेंस शीट अवश्य बनायी जाए। उन्होंने कहा कि समिति के प्रस्ताव के अनुसार इस आयोजन हेतु 21 लाख रूपये प्रदर्शनी के लिए बजट की स्वीकृति हेतु इस शर्त के साथ अनुमति प्रदान की जा रही है कि व्यय की जाने वाली मदों का पूर्ण विवरण औचित्य सहित पत्रावली पर प्रस्तुत कर अनुमोदन प्राप्त किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रादेशिक फल-शाकभाजी एवं पुष्प प्रदर्शनी-2013 की डाक्यूमेन्ट्री फिल्म सूचना विभाग से गत वर्षाें की भांति बनवाकर व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित कराने हेतु जनमानस को सी0डी0 आदि अवश्य उपलब्ध करायी जाए।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदर्शनी को आकर्षक एवं सुव्यवस्थित रूप से आयोजित कराने हेतु प्रदर्शनी स्थल पर सेना एवं पी0ए0सी0 के बैण्ड का निःशुल्क प्रबन्ध कराने के साथ-साथ स्वच्छता के लिए कूडादान एवं पर्याप्त संख्या में अच्छी क्वालिटी के अस्थायी हाईजेनिक प्रसाधन (महिला एवं पुरूष) आदि की व्यवस्था नगर निगम तथा विकास प्राधिकरण लखनऊ द्वारा करायी जाए। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी स्थल पर स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था नगर निगम एवं जल संस्थान, लखनऊ द्वारा तथा प्रदर्शनी स्थल के निकट वाहनों की पार्किंग स्थल की व्यवस्था पुलिस महानिदेशक/एस0पी0 (यातायात) द्वारा सुनिश्चित करायी जाए। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी में निःशुल्क साहित्य वितरण कराने हेतु उद्यान विभाग द्वारा सूचना ब्यूरो स्थापित कराया जाए तथा बच्चों को आकर्षित करने के लिए विद्यालयों को आमंत्रित किया जाए।
बैठक में बताया गया कि प्रदर्शनी में निजी पौधशाला स्वामियों को भी स्टाॅल लगाने तथा शोभाकार पौधों की बिक्री हेतु आमंत्रित किया जायेगा।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन, प्रमुख सचिव श्री राज्यपाल श्री मंजीत सिंह, सचिव उद्यान डाॅ0 रजनीश दुबे सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 19 January 2013 by admin
रबी में उगाई जाने वाली सब्जियों में आलू का प्रमुख स्थान है, जिसमें कीटों/रोगों के प्रकोप के फलस्वरूप उत्पादन प्रभावित होता है। इसलिए यह आवश्यक है कि फसलों की नियमित निगरानी करते रहें कीट/रोग के प्रकोप की स्थिति में तत्काल उनके रोकथाम के उपाय अपनायें। आलू की फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों/रोगों माहू एवं कटवर्म कीट, अगेती-पछेती झुलसा, मोजैक रोग प्रमुख है।
कृषि निदेशक श्री डी0 एम0 सिंह से प्राप्त जानकारी के अनुसार आलू के कीटों में कीट पत्तियों एवं तनों का रस चूसकर नुकसान पहुॅंचाता है। यदि कीट का प्रकोप आर्थिक क्षति स्तर 5 प्रतिशत प्रभावित पौधे से अधिक हो तो एजाडिरैक्टिन 0.15 प्रतिशत ई0 सी0-2.5 लीटर, डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई0सी0-1.0 लीटर, मिथाइल-ओ-डिमेटान 25 प्रतिशत ई0 सी0 1.0 लीटर में से किसी एक को प्रति हे0 की दर से 500-600 ली0 पानी में घोल कर छिड़काव करें।
श्री सिंह ने बताया कि कटवर्म भूमिगत कीट है। कीट की सूडि़याॅं रात के समय छोटे-छोटे पौधों को जमीन की सतह से काट देती हैं। कीट के प्रकोप की स्थिति में क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई0सी0 की 1.0 से 1.5 लीटर मात्रा को 600-700 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए। उन्होंने बताया कि आलू की फसल में अगेती/पछेती झुलसा रोग का प्रकोप होने पर पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे बनते हैं तथा तीव्र प्रकोप होने पर सम्पूर्ण पौधा झुलस जाता है। रोग के प्रकोप की स्थिति में मैन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू0पी0-2.0 कि0ग्रा0, जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यू0पी0-2.5 कि0 ग्रा0 रसायनों में से किसी एक को प्रति हे0 की दर से 600-800 ली0 पानी में घोल कर छिड़काव किया जाये। श्री सिंह ने बताया कि यह रोग विषाणुओं द्वारा फैलता है जिसका प्रमुख वाहक कीट सफेद मक्खी है, जिसकी रोकथाम हेतु रोग ग्रसित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए। रोग वाहक कीटों को नष्ट करने के लिए डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई0 सी0-1.0 लीटर, फास्फामिडान 40 प्रतिशत एस0एल0-500 मि0ली0 रसायनों में से किसी एक को प्रति हे0 की दर से 600-700 ली0 पानी में घोल कर छिड़काव करें।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com
Posted on 17 January 2013 by admin
राष्ट्रपति भवन के कम्युनिटी हाल में कल आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने कृषि उत्पादन के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाले राज्यों को पुरस्कृत किया, जिसमें उत्तर प्रदेश को मोटे अनाज में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के फलस्वरूप ’’कृषि कर्मण एवार्ड’’ दिया गया। इस पुरस्कार को प्रदेश शासन की ओर से कृषि मंत्री, श्री आनन्द सिंह एवं कृषि निदेशक, श्री देव मित्र सिंह ने प्राप्त किया। पुरस्कार के अंतर्गत प्रदेश को ट्राफी तथा एक करोड़ रूपये की नकद धनराशि प्राप्त हुयी। मोटे अनाज के उत्पादन एवं उत्पादकता में प्रदेश ने वर्ष 2010-11 के सापेक्ष 10.30 प्रतिशत एवं 11.90 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, जिसके कारण प्रदेश को वर्ष 2011-12 में ’’कृषि कर्मण पुरस्कार’’ दिया गया है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश में मोटे अनाजों के उत्पादन में कुल खाद्यान्नों के उत्पादन एवं उत्पादकता में भी वर्ष 2011-12 में वर्ष 2011 की तुलना में क्रमशः 6.44 एवं 4.58 प्रतिशत की वृद्धि प्राप्त की है। इसी वर्ष में प्रदेश में दलहन उत्पादन में भी अब तक सर्वोच्च वृद्धि क्रमशः 19.10 प्रतिशत उत्पादन में एवं 10.27 प्रतिशत उत्पादकता में दर्ज की है।
पुरस्कार वितरण समारोह में प्रदेश के जनपद फर्रूखाबाद एवं जनपद आगरा के एक-एक कृषक को भी उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु प्रशस्ति-पत्र एवं एक-एक लाख रूपये की नकद राशि से राष्ट्रपति ने पुरस्कृत किया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री शरद पवार एवं केन्द्रीय राज्य कृषि मंत्री श्री तारिक अनवर सहित विभिन्न राज्यों के वरिष्ठ अधिकारीगण एवं विभिन्न राजनेता भी सम्मिलित हुये।
इस उपलब्धि के लिये कृषि विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों एवं प्रदेश के प्रगतिशील कृषकों को बधाई देते हुये कृषि मंत्री श्री आनन्द सिंह ने यह अपेक्षा की है कि कृषि विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी और लगन एवं निष्ठा से कार्य कर अगले वर्ष और अच्छी उपलब्धि प्राप्त करें और उत्तर प्रदेश को सर्वोच्च पुरस्कार दिलाने में सहयोग प्रदान करेंगे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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Posted on 15 January 2013 by admin
राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के 70वें दौर के राज्य स्तरीय प्रशिक्षण में भाग लेने के लिये आये मण्डलीय उप निदेशकों एवं जिला अर्थ एवं संख्याधिकारियों को सम्बोधित करते हुये आर्थिक बोध एवं संख्या निदेशक श्री प्रेम नारायण ने कहा कि राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के अंतर्गत इस आवृत्ति में एकत्रित किये जा रहे ’भू सम्पत्ति एवं पशुधन धारिता’ ऋण एवं निवेश तथा ’कृषक परिवारों की स्थिति का मूल्यांकन’ से संबंधित आॅकड़े अन्य आवृत्तियों में एकत्रित करायें गये आॅकड़ों से और भी अधिक महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कृषक परिवारों की स्थिति का मूल्यांकन, जोत, फसल उत्पादन तथा ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र में परिवारों की परिसम्पत्तियों के भण्डार, ऋण ग्रस्तता के विस्तार, पूॅजी निर्माण तथा अन्य परिमाणात्मक सूचनाएं भी प्राप्त होंगी जो राज्य के ग्रामीण व नगरीय परिवारों की साख संरचना के मूल्यांकन तथा अधिक प्रभावी साख नीति बनाने में सहायक सिद्ध होंगी।
श्री प्रेम नारायण ने आज यहाॅ योजना भवन के सभागार में मण्डलीय उपनिदेशक/जिला संख्याधिकारियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि इस सर्वेक्षण के दौरान किसी भी व्यक्ति या परिवार से संग्रह की गयी जानकारी गुप्त रखी जाये तथा अन्य सरकारी विभागों के समक्ष ये प्रकट न की जायें। उन्होंने कहा कि इन सर्वेक्षणों की सफलता जनता द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। इसलिये इस सर्वेक्षण को गंभीरता के साथ पूरे मनोयोग, ईमानदारी एवं परिश्रम से पूरा किया जाये। सर्वेक्षण के दौरान यदि किसी भी प्रकार की कठिनाई आती है तो मुख्यालय के अधिकारियों से सम्पर्क करके समस्या का निराकरण करें। इसमें किसी भी प्रकार का संकोच न करें तथा अपने अनुभव का अदान-प्रदान करें। श्री नारायण ने कहा कि जो कार्मिक सूचना एकत्र करने क्षेत्र में जायें वे प्रतिदर्श परिवार/सूचक से उनका सहयोग प्राप्त करने के लिये अनुरोध करें, जिससे सही एवं पूर्ण आंकड़े उपलब्ध हो सकें।
कार्यक्रम से पूर्व निदेशक श्री प्रेम नारायण ने दीप प्रज्जवलित कर प्रशिक्षण का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम में संयुक्त निदेशक श्री बी0राम, भारत सरकार के संयुक्त निदेशक, उप निदेशक के साथ ही सभी जिलों के अर्थ एवं संख्या अधिकारी एवं निदेशालय के सभी अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित थे।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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