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चीनी उद्योग के लिये को-जेनरेशन एवं आसवनी प्रोत्साहन नीति-2013 लागू

Posted on 28 January 2013 by admin

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चीनी उद्योग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से प्रदेश में स्थापित होने वाली नई चीनी मिलों को विभिन्न प्रकार के टैक्सों में छूट एवं रियायतें देने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इस नई प्रोत्साहन नीति-2013 के अन्तर्गत अब प्रदेश के चिन्हित जनपदों- देवरिया, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, अमेठी, बदायूं, गाजीपुर, बलिया, इटावा, मैनपुरी, रायबरेली, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, एटा, कन्नौज, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, झांसी, जालौन, ललितपुर आदि में नई चीनी मिलों की स्थापना के लिये प्रोत्साहन दिया जायेगा। इसके तहत को-जेनरेशन इकाई एवं डिस्टलरी की स्थापना प्रदेश में कहीं भी की जा सकेगी।
नई प्रोत्साहन नीति के तहत इस उद्योग में निवेश करने वालों को विभिन्न प्रकार की छूट एवं रियायतें भी देने की व्यवस्था की गयी है। इसमें ऋण पर पांच प्रतिशत ब्याज उपादान, गन्ना क्रय कर पर छूट, सोसायटी कमीशन के 75 प्रतिशत की प्रतिपूर्ति दी जायेगी। देसी मदिरा हेतु शीरा आरक्षित करने से छूट, शीरे पर प्रशासनिक शुल्क की छूट, स्टाम्प ड्यूटी एवं भूमि रजिस्ट्री शुल्क में छूट की व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त शीरे का प्रथम क्रय/विक्रय की तिथि से 5 वर्ष तक भुगतान किये गये वैट व केन्द्रीय विक्रयकर के योग के समतुल्य अथवा वार्षिक विक्रय की 10 प्रतिशत धनराशि, जो भी कम हो, ब्याजमुक्त ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जायेगी। प्रतिपूर्ति, छूटें अथवा ऋण अधिकतम पांच वर्ष के लिए अनुमन्य होगा।
ये सभी छूट एवं रियायतें उन्हीं चीनी मिलों को मिलेंगी जो प्रदेश सरकार द्वारा चिन्हित जिलों में स्थापित हों। इसके अतिरिक्त नीति घोषित होने के उपरान्त चीनी मिलों में निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया हो अथवा नीति घोषित होने के 3 वर्षों के अन्दर व्यावसायिक उत्पादन प्रारम्भ हो गया हो। को-जेन/आसवनी नीति घोषित होने के 2 वर्षों के अन्दर व्यावसायिक उत्पादन प्रारम्भ करना होगा।
सरकार द्वारा सुनिश्चित किया जायेेगा कि कम्पनी/इकाई द्वारा सम्पूर्ण गन्ना मूल्य का भुगतान समय से कर दिया गया हो। नई नीति के तहत पांच वर्षों में प्रत्येक इकाई को 75 करोड़ रुपये से अधिक छूट एवं रियायतें नहीं दी जायेंगी। यदि कोई कम्पनी/इकाई त्रुटिपूर्ण सूचना अथवा अभिलेखों के माध्यम से छूट या रियायतें प्राप्त करती हैं तो ज्ञात होने पर यह धनराशि भू-राजस्व की भांति सरकार द्वारा वसूल की जायेंगी।
प्रदेश के इन चिन्हित जिलों में चीनी उद्योग को प्रोत्साहति करने के लिये नई चीनी मिलों की स्थापना, को-जेन एवं आसवनियां लगने से प्रदेश की जनता को और अधिक रोजगार के अवसर मिलेंगे, किसानों को और अधिक गन्ने का भुगतान होगा तो किसान भी खुशहाल होंगे। इन चीनी मिलों की स्थापना से प्रदेश में और अधिक विद्युत का उत्पादन किया जा सकेगा तथा समग्र रूप से चिन्हित क्षेत्रों का आर्थिक विकास होगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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