Archive | कृषि

कृषि से संबंधित वैज्ञानिक सलाह उपलब्ध कराने के लिए फसल सतर्कता समूह की बैठक

Posted on 27 August 2012 by admin

उत्तर प्रदेश के किसानों को कृषि से संबंधित वैज्ञानिक सलाह उपलब्ध कराने के लिए फसल सतर्कता समूह की बैठक आगामी 29 अगस्त को यहाॅं कृषि अनुसंधान परिषद, किसान मण्डी भवन में पूर्वान्ह 11.00 बजे आयोजित की जायेगी।
फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार गन्ने को विभिन्न छेद करने वाले कीटों (बोरर) से बचाव हेतु अण्ड परजीवी ट्राइकोगामा कार्ड को गन्ने की फसल में बांध दे। इसके लिए 50 हजार पौड़ 15 दिन के अन्तराल में प्रति हे0 बाॅंधे।
गन्ने के जिन खेतों में लताओं वाले खरपतवार लिपट कर बाढ़वार को प्रभावित कर रहे हैं उन्हें खेत से निकाल कर खरपतवार मुक्त करें यह मौसम कीटों के प्रकोप का होता है अतः चोटीबेधक, पाइरीला, अंकुर बेधक, काला चिटका, गुरदासपुर बेधक, सफेद मक्खी कीटों का प्रकोप दिखाई पड़ने पर समय-समय पर निरीक्षण कर रोकथाम सुनिश्चित करें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

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15 गन्ना किसानों को पुरस्कृत करने की घोषणा

Posted on 22 August 2012 by admin

प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त कामराज रिज़वी ने वर्ष 2009-10 एवं 2010-11 के राज्य गन्ना प्रतियोगिता में विजयी 15 गन्ना किसानों को पुरस्कृत करने की घोषणा की है। इन किसानों ने गन्ने की अगैती प्रजाति, पौधा तथा पेड़ी तीन अलग-अलग संवर्गों में प्रदेश भर में सर्वाधिक उपज लेकर अव्वल स्थान प्राप्त किया है।
घोषित परिणाम के अनुसार वर्ष 2009-10 में अगैती प्रजाति वर्ग में मिझौड़ा, फैजाबाद के श्री बलराम तिवारी, पेड़ी संवर्ग में सकौती, मेरठ के   चरन सिंह एवं सामान्य संवर्ग में सकौती, मेरठ के ही महावीर प्रथम रहे। इसी प्रकार संवर्गवार पीलीभीत के घनश्याम दास, मवाना, मेरठ के  विजय पाल एवं जे0वी0गंज, लखीमपुर खीरी के शिवसागर शुक्ल द्वितीय तथा मझोला पीलीभीत के ी राजवीर सिंह, गागलहेड़ी, सहारनपुर के       श्री महक सिंह व मवाना, मेरठ के वीरेन्द्र पाल तृतीय घोषित किये गये हैं।
वर्ष 2010-11 में अगैती प्रजाति संवर्ग में दौराला, मेरठ के इरशाद अहमद व सामान्य संवर्ग में खतौली, मुजफ्फरनगर के बलजोर सिंह प्रथम घोषित किये गये हैं। इसी तरह इन दो संवर्गों में क्रमशः विलासपुर, पीलीभीत के श्री हरदेव सिंह, मवाना, मेरठ के श्री वीरेन्द्र पाल सिंह द्वितीय तथा पीलीभीत के डोरीलाल व मवाना, मेरठ के श्री धर्मपाल सिंह तृतीय घोषित किये गये हैं। राज्य गन्ना प्रतियोगिता के सचिव एवं विभाग के मुख्य प्रचार अधिकारी डाॅ0 भूपेन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया कि प्रदेश का गन्ना विकास विभाग राज्य गन्ना प्रतियोगिता के सचिव एवं विभाग के मुख्य प्रचार अधिकारी डाॅ0 भूपेन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया कि प्रदेश का गन्ना विकास विभाग वर्ष 1949 से प्रतिवर्ष राज्य गन्ना प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है। प्रतियोगिता 3 संवर्गों-पेड़ी तथा पौधा (शीघ्र पकने वाली) एवं पौधा (सामान्य) के लिये आयोजित की जाती है। प्रत्येक संवर्ग में प्रथम पुरस्कार प्राप्त विजयी कृषक को 10,000 रूपये, द्वितीय को 7,000 रूपये एवं तृतीय को 5,000 रूपये नगद धनराशि एवं स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक के साथ प्रशस्ति प्रमाण-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाता है।
डा0 बिष्ट के अनुसार वर्तमान में प्रदेश की औसत गन्ना उपज 59.35 टन प्रति हेक्टेअर है, जबकि पुरस्कार से नवाजे जा रहे इन किसानों ने 192-196 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त कर गन्ने की खेती में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है और यह परिणाम इस बात की ओर भी संकेत करते हैं कि प्रदेश की धरती में अभी और अधिक उत्पादन की क्षमता मौजूद है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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कम वर्षा वाले क्षेत्रों में ज्वार,बाजरा, उर्द, मूंग एवं तिल की बुआई करें

Posted on 22 August 2012 by admin

उत्तर प्रदेश में जिन क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हुई है तथा धान की रोपाई नहीं हो सकी है उन क्षेत्रों में धान के स्थान पर सीमित सिंचाई एवं कम समय में तैयार होने वाली फसलों में ज्वार, बाजारा, उर्द, मंूग एवं तिल की बुआई प्राथमिकता के आधार पर की जाये। यदि सम्भव हो तो मक्का, ज्वार, बाजरा की फसलों में मूंग, उर्द एवं लोबिया की सहफसलों की खेती भी की जाये। इससे सूखे की स्थिति में नुकसान कम होगा।
फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकांे की सलाह के अनुसार कम वर्षा होने के कारण खरपतवार अधिक उग आते हैं। अतः निराई-गुड़ाई करके खरपतवार नियंत्रण करने के साथ-साथ नमी भी संरक्षित होती है। अतः खड़ी फसलों में सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए ढ़ाई किलो यूरिया तथा ढ़ाई किलो पोटाश को 600-800 ली0 पानी के घोल बनाकर खड़ी फसल पर प्रति हे0 की दर से छिड़काव करें।
कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि रोपाई के बाद मौसम अनुकूल न होने के कारण यदि पौधे मर गये हों तो उनके स्थान पर दूसरे पौधे शीघ्र लगाये जायें ताकि प्रति इकाई क्षेत्रफल में पौधों की संख्या कम न होने पाये और अच्छी पैदावार हो सके इसके अतिरिक्त अपर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्रों में नहरों के अन्तिम छोर तक पानी पहंुचाने की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जानी चाहिये तथा नहरों में अवैध कटान पर नियंत्रण किया जाये। अपर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्रों में राजकीय नलकूपों को चालू हालत में रखा जाये। खराब होने पर उनकी तुरन्त मरम्मत की जाये, जिस से फसलों का नुकसान कम हो सके।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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पांच लाख लीटर क्षमता की लखनऊ डेयरी में किसानो की भागीदारी सुनिश्चित की जाये -कृषि उत्पादन आयुक्त

Posted on 22 August 2012 by admin

उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आलोक रंजन ने दुग्ध विकास विभाग को निर्देश दिया है कि लखनऊ में स्थापित होने वाली 05 लाख लीटर क्षमता की राज्य की पहली डेयरी के स्वरूप को इस तरह विकसित किया जाय की लखनऊ जनपद के अतिरिक्त समीपवर्ती क्षेत्रों के किसानो की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। उन्होने कहा कि किसानो को बड़ी संख्या में डेयरी से जोड़ने पर दूध की आपूर्ति सुलभ बनी रहने के अतिरिक्त प्रजाति उन्नयन एवं चारा उपलब्धता को उच्च स्तर पर बनाये रखने की सरकार की योजना को लोकप्रियता मिलेगी।
श्री आलोक रंजन आज यहां अपने कार्यालय में लखनऊ में 05 लाख लीटर क्षमता की राज्य की पहली डेयरी की मुख्यमंत्री की घोषणा को अमली जामा पहनाने के सम्बन्ध में दुग्ध विकास विभाग की बैठक कर रहे थे। इस बैठक में राष्ट्रीय पशु कल्याण बोर्ड (एनीमल वेलफेयर बोर्ड) के को-आप्टेड सदस्य प्रो0 पी0के0 उप्पल, दुग्ध विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री बी0पी0 नीलरत्न, विशेष सचिव श्री रामबहादुर, महाप्रबन्धक पी0सी0डी0एफ0, निदेशक, पशुधन एवं कृषि, पशुधन, दुग्ध विकास विभाग के अधिकारी और विशेषज्ञ उपस्थित थे।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि डेयरी की स्थापना के सम्बन्ध में सम्पूर्ण प्रक्रियाएं शीघ्र पूरी की जायें। उन्होने कहा कि इस डेयरी को एक माडल डेयरी के रूप में स्थापित किया जायेगा, जिसमें उन्नत प्रजाति के पशुओं की उपलब्धता डेयरी के अन्दर सुनिश्चित करने के साथ समीपवर्ती क्षेत्र के किसानो को भी उन्नत प्रजाति के पशु सुलभ कराये जायेंगे और यह सुनिश्चित किया जायेगा कि कृत्रिम गर्भाधान के लिए उपलब्ध बीज किसी भी तरह के जेनेटिक असन्तुलनों एवं संक्रमणों से मुक्त हों। उन्होने कहा कि इसके लिए डेयरी को रिसर्च एवं डेवलेपमेण्ट केन्द्र के रूप में भी विकसित किये जाने के लिए प्रक्रिया शुरू की जाय।
श्री आलोक रंजन ने दुग्ध विकास के क्षेत्र में गतिशीलता लाने के लिए एक यूनीफाइड कमाण्ड तैयार करने के निर्देश पशुपालन एवं दुग्ध विकास विभाग को दिए और कहा कि डेयरी स्थापना के लिए एक स्पेशल परपज व्हीकल (एस0पी0वी0) गठित की जाय ताकि इस महत्वपूर्ण कार्य के शीघ्र सम्पादन में विभागीय सोच और प्रक्रिया में एकरूपता लायी जा सके।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देकर रोजगार सृजन किया जायेगा -शिव कुमार बेरिया

Posted on 14 August 2012 by admin

उत्तर प्रदेश सरकार ने नक्सल प्रभावित जनपदों-सोनभद्र, चन्दौली एवं मिर्जापुर में रेशम उत्पादन को बढ़ावा देकर और अधिक रोजगार सृजन का निर्णय लिया है।
यह जानकारी रेशम एवं वस्त्र उद्योग मंत्री श्री शिवकुमार बेरिया ने देते हुए बताया कि पहले यह योजना नक्सल प्रभावित जनपदों सोनभद्र, चन्दौली, गाजीपुर, देवरिया, बलिया, मऊ एवं कुशीनगर में लागू की गयी थी। उन्होंने बताया कि अब 12वीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत अत्यधिक नक्सल प्रभावित जनपदों में रोजगार सृजन पर विशेष बल दिया जायेगा। इस वित्तीय वर्ष में नक्सल प्रभावित 677 ग्रामों में कृषकों का चयन कर उनकी निजी भूमि पर रेशम उत्पादन का कार्य कराया जायेगा। रेशम कीट एवं कोया उत्पादन से स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार के अवसर सृजित होंगे।
श्री बेरिया ने बताया कि इन सभी ग्रामों को रेशम विकास कार्यक्रम से जोड़ा जायेगा। योजनान्तर्गत सामुदायिक/ग्राम समाज की भूमि पर शहतूत एवं अर्जुन पौध रोपण कराया जायेगा। उन्होंने बताया कि जनपद चन्दौली, सोनभद्र एवं मिर्जापुर में पूर्व में कराये गये 2000 एकड़ क्षेत्र में तथा 100 एकड़ नये क्षेत्र में अर्जुन वृक्षारोपण हेतु उर्वरक, कीटनाशक, दवाइयों एवं अर्जुन पौध के क्रय आदि पर 148 लाख रूपये का प्राविधान किया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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वर्तमान मौसम बागवानी एवं वानिकी के लिये उपयुक्त

Posted on 14 August 2012 by admin

वर्तमान मौसम बागबानी एवं वानिकी के लिये उपयुक्त है। किसान आम, अमरूद, आॅवला, लीची, केला एवं नीबू वर्गीय अन्य फलों के रोपण के लिये प्रबंध कर पौध रोपण का कार्य शीघ्र करें। वानिकी अर्थात् बड़े वृक्ष लगाने के लिये कृषक आम, गुलमोहर, महुआ, कटहल, जामुन, कंजी, नीम आदि के बीजों की बुवाई करें।
फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के अनुसार बागबानी में केले की अवांछित पुत्तियों की कटाई करें तथा फल वाले पौधों में स्टेकिंग एवं आवश्यकतानुसार जल निकास का प्रबंध करें।
नीबू के कैंकर रोग की रोकथाम के लिये यह मौसम अनूकूल है। इसकी रोकथाम के लिये काॅपर आक्सीक्लोराइट 3-4 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। आॅवले में इस समय सड़न रोग की समस्या हो सकती है। इस की रोकथाम के लिये 8-10 ग्राम बोरेक्स प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें। तराई क्षेत्रों में इस समय आम के मुख्य कीट शूट गाल सिला का प्रकोप हो सकता है, इससे बचाव के लिये क्वीनालफास या डाईमेथोएट दो मिली ग्राम प्रति लीटर पानी में छिड़काव करें।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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किसानों को किसी भी कीमत पर खाद की कमी नहीं होने दी जाएगी

Posted on 12 August 2012 by admin

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि प्रदेश के किसानों को किसी भी कीमत पर खाद की कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि खाद की कालाबाजारी और घटतौली करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने राज्य के समस्त जिलाधिकारियों और जिला कृषि अधिकारियों को इस सम्बन्ध में सख्त निर्देश देते हुए कहा कि खाद की उपलब्धता के सारे उपाय सुनिश्चित किये जाएं। उन्होंने कहा कि खाद की कीमतों पर निगाह रखें और सुनिश्चित करें कि विक्रेता किसानों से खाद के बोरों पर मुद्रित मूल्य से अधिक कीमत वसूल न करने पाएं। अधिक मूल्य पर खाद बिक्री की शिकायत बर्दाश्त नहीं की जाएगी और कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जिलाधिकारियों और विशेष रूप से जिला कृषि अधिकारियों को निर्देश दिये कि खाद की घटतौली और कालाबाजारी रोकने के उपाय प्राथमिकता पर किये जाएं।
श्री यादव ने इन अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि खाद से सम्बन्धित किसानों की समस्याओं का तत्काल समाधान भी प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि इन निर्देशों का अनुपालन न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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प’ाुधन समस्या निवारण केन्द्र की सुविधाओं का अधिक से अधिक लाभ उठायें

Posted on 10 August 2012 by admin

उत्तर प्रदे’ा के प’ाुपालन एवं लघु सिंचाई मंत्री श्री पारस नाथ यादव ने प्रदे’ा के पशुपालकों से अपील की है कि वे मुख्यमंत्री के कु’ाल नेतृत्व में स्थापित `प’ाुधन समस्या निवारण केन्द्र´ की सुविधाओं का अधिक से अधिक लाभ उठायें।
प’ाुपालन मंत्री ने कहा है कि प’ाुपालकों की विभिन्न समस्याओं के त्वरित एवं गुणवत्तापरक निस्तारण हेतु `प’ाुधन समस्या निवारण केन्द´्र की स्थापना प’ाुपालन निदे’ाालय में की गई है, जिसका टोल फ्री नं0 18001805141 है। उन्होंने कहा कि इस नम्बर पर कोई भी प’ाुपालक अपनी समस्या/ि’ाकायत नि:’ाुल्क दर्ज करा सकता है। उन्होंने कहा कि केन्द्र पर टोलफ्री नं0 के अतिरिक्त प’ाुपालक फोन नं0 0522-2741991 एवं 0522-2741992 पर भी ि’ाकायत दर्ज करा सकते हैं।
उपयुZक्त फोन नंबरों पर ि’ाकायत दर्ज कराने पर संबंधित ि’ाकायत को कम्प्यूटर पर तत्काल दर्ज कर ि’ाकायतकर्ता को उसका ि’ाकायत न0 एवं अधिकारी का नाम, मो0 नं0 एंव ि’ाकायत निस्तारण की अपेक्षित अवधि के बारे में ि’ाकायत केन्द्र द्वारा ि’ाकायतकर्ता के मोबाइल नम्बर पर सूचित किया जायेगा। साथ ही ि’ाकायत का संक्षिप्त विवरण ि’ाकायतकर्ता एवं ि’ाकायत निस्तारण करने वाले अधिकारी के  मोबाइल नंबर पर एस0 एम0 एस0 के माध्यम से भी उपलब्ध कराया जायेगा। संबंधित अधिकारी ि’ाकायत का निर्धारित अवधि में निस्तारण कर ि’ाकायत केन्द्र को निस्तारण के बारे में अवगत करायेगा। तत्प’चात केन्द्र द्वारा ि’ाकायत निस्तारण के विवरण से ि’ाकायतकर्ता को उसके मोबाइल नंबर पर अवगत कराया जायेगा। श्री यादव ने कहा कि उक्त नवीन कार्यक्रम से प’ाुपालन विभाग की सेवाओं की सामयिक उपलब्धता सुदूर ग्रामीण अंचलों तक सुनिि’चत हो सकेगी तथा समस्या के निस्तारण में तेजी आयेगी।
श्री यादव ने कहा है कि प्रदे’ा की वर्तमान सरकार प’ाुपालकों के आर्थिक उत्थान हेतु कृत-संकल्प है तथा प’ाुपालन को और गति’ाील बनाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। प्रदे’ा में प’ाुपालन विभाग द्वारा प’ाुपालकों के हितार्थ प’ाु चिकित्सा, टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान, बधियाकरण, प’ाु बांझपन निवारण, चाराबीज वितरण, कुक्कुट पालन को बढ़ावा, चारा तथा चारागाह विकास इत्यादि कार्यक्रम संचालित कियो जा रहे हैं। संचालित कार्यक्रमों से प्रदे’ा की लगभग 639.66 लाख प’ाुधन सम्पदा को आच्छादित किया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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कृ”ाकों को 75 प्रति’ात अनुदान पर उपलब्धता करायी जायगीे

Posted on 10 August 2012 by admin

उत्तर प्रदे’ा में मृदा की उर्वरता एवं उत्पादकता में निरन्तर न्हास की समस्या को दृष्टिगत रखते हुये प्रदे’ा सरकार ने निर्णय लिया है कि सल्फर, जिंक सल्फेट, जिप्सम एवं सूक्ष्म पो”ाक तत्वों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये कृ”ाकों को 75 प्रति’ात अनुदान पर इनकी उपलब्धता करायी जायगीे। राज्य सरकार का यह अनुभव रहा है कि भारत सरकार द्वारा देय अनुदान पर भी कृ”ाकों द्वारा इन पो”ाक तत्वों का आ’ाातीत उपयोग नहीं हो पा रहा है। अत: कृ”ाकों को इन पर राज्य से भी अनुदान देते हुये कृ”ाकों को प्रोत्साहित किया जायेगा।
इस संबंध में कृि”ा मंत्री श्री आनंद सिंह ने बताया कि प्रदे’ा की मृदा में पो”ाक तत्वों की कमी से फसलों की गुणवत्ता एवं उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। अत: इन तत्वों की कमी को दूर करने के लिये जिंक सल्फेट , जिप्सम एवं माइक्रोन्यूट्रिएन्ट मिश्रण के प्रयोग की संस्तुति वैज्ञानिकों द्वारा की गयी है। कृ”ाकों में सूक्ष्म पो”ाक तत्वों की महत्ता की पर्याप्त जानकारी का अभाव एवं आर्थिक कारणों से इन तत्वों के प्रयोग पर अधिक ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसके कारण इनका प्रयोग आव’यकता के अनुरूप नहीं हो पा रहा है।
कृि”ा मंत्री ने बताया कि अनुदान योजना समस्त श्रेणी के कृ”ाकों के लिये अनुमन्य होगी। इनके वितरण का मुख्य आधार ´´मृदा स्वास्थ्य कार्ड´´ होगा, जिसमें खेत एवं फसल का विवरण अंकित होगा, उसी के आधार पर मात्रा का निर्धारण कर कृ”ाकों को पो”ाक तत्व की मात्रा उपलब्ध करायी जायेगी। वितरण में लघु एवं सीमान्त कृ”ाकों को प्राथमिकता दी जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रदे’ा सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि इस योजना का लाभ अधिक से अधिक कृ”ाकों तक पहुंचे, इसके लिये प्रचार एवं प्रसार पर भी वि’ो”ा बल दिया जाये।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
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उर्वरकों की बोरी पर छपे मूल्य देख कर ही उर्वरक खरीदें प्रति बोरी सामान्य यूरिया का मूल्य 300.80 रूपये -कृषि मंत्री

Posted on 09 August 2012 by admin

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री श्री आनन्द सिंह ने बताया है कि यूरिया उर्वरक का मूल्य नियंत्रण प्रणाली के अधीन भारत सरकार द्वारा निर्धारित है, जिसमें 50 कि0ग्रा0 सामान्य यूरिया की बोरी का मूल्य 300 रूपये 80 पैसे है तथा नीम कोटेड यूरिया का मूल्य 314 रूपये 82 पैसे है। उन्होंने बताया कि कुछ चालाक किस्म के उर्वरक व्यवसायी यूरिया तथा अन्य उर्वरक के बोरे पर छपे हुये मूल्य को मिटाकर उस पर अधिक मूल्य अंकित कर बेच रहे हैं। कृषि मंत्री ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे सहकारी समितियों, यू0पी0 एग्रो, गन्ना संघ, पी0सी0एफ0, इफको, कृभको एवं निजी क्षेत्र के उर्वरक विक्रय केन्द्रों पर उपलब्ध यूरिया तथा अन्य उर्वरक बोरे पर अंकित मूल्य को अवश्य देखे कि छपे हुये मूल्य को मिटाकर विक्रय मूल्य पुनः तो नहीं लिखा गया है। यदि ऐसा है तो तत्काल जनपद के जिला कृषि अधिकारी अथवा उर्वरक कन्ट्रोल रूम कृषि भवन, लखनऊ में फोन नं0 0522-2206925 पर सूचना दें।
कृषि मंत्री ने बताया कि कुछ जनपदों में उर्वरक व्यवसाईयों द्वारा यूरिया उर्वरक का अनाधिकृत भंडारण कर कृत्रिम आभाव उत्पन्न किया जा रहा है, ऐसे जनपदों हेतु कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भेज कर कार्यवाही करायी जा रही है। शासन स्तर से भी प्रदेश के जिलाधिकारियों को आदेश दिये गये हैं कि उर्वरक आपूर्तिकर्ताओं, यू0पी0 एग्रो, पी0सी0एफ0, गन्ना संघ, इफको, कृभकों एवं निजी क्षेत्र के उर्वरक आपूर्तिकर्ताओं के गोदामों तथा थोक एवं फुटकर व्यवसाईयों के गोदामों, भण्डारों की जाॅच करायी जाये।
कृषि मंत्री ने बताया कि नियंत्रण मुक्त फास्फेटिक एवं पोटेशिक उर्वरकों यथा डी0ए0पी0, एन0पी0के0 व एम0ओ0पी0 के मूल्यों में प्रदायकर्ता संस्थाओं द्वारा गत   01 जून से वृद्धि की गयी है। प्रदेश में इस से पूर्व उपलब्ध 5.11 लाख मी0टन डी0ए0पी0, 3.25 लाख मी0टन एन0पी0के0, 0.42 लाख मी0टन एम0ओ0पी0 को पुराने दरों पर ही बेचा जायेगा। उन्होंने बताया कि उर्वरकों के प्रत्येक बोरे पर अधिकतम बिक्री मूल्य छपा रहता है। बोरी पर अंकित उर्वरक मूल्य को देखकर ही भुगतान करें तथा कैश मेमो (रसीद) अवश्य प्राप्त करें। उन्होंने बताया कि बोरे पर छपे मूल्य से अधिक मूल्य पर विक्रय किया जाना दण्डनीय अपराध है। यदि किसी उर्वरक विक्रेता द्वारा बोरे पर छपे मूल्य से अधिक की माॅग की जाती है तो उसके विरूद्ध कार्यवाही हेतु जनपद के जिलाधिकारी अथवा जिला कृषि अधिकारी/उप कृषि निदेशक को तत्काल सूचित करें।
श्री आनंद सिंह ने बताया कि जनपदों में गत् 01 जून से पूर्व से भण्डारित एवं उपलब्ध डी0ए0पी0, एन0पी0के0 व म्यूरेट आॅफ पोटाश बोरे पर अंकित अधिकतम खुदरा मूल्य पर ही पुरानी दरों पर बेचा जायेगा। पुरानी दरें डी0ए0पी0 की 910.00 रूपये प्रति बोरी, एन0पी0के0 12ः32ः16 की 823.60 रूपये व म्यूरेट आॅफ पोटाश की मूल्य 680.00 रूपये प्रति बोरी थी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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