प्रदेश के गन्ना एवं चीनी आयुक्त कामराज रिज़वी ने वर्ष 2009-10 एवं 2010-11 के राज्य गन्ना प्रतियोगिता में विजयी 15 गन्ना किसानों को पुरस्कृत करने की घोषणा की है। इन किसानों ने गन्ने की अगैती प्रजाति, पौधा तथा पेड़ी तीन अलग-अलग संवर्गों में प्रदेश भर में सर्वाधिक उपज लेकर अव्वल स्थान प्राप्त किया है।
घोषित परिणाम के अनुसार वर्ष 2009-10 में अगैती प्रजाति वर्ग में मिझौड़ा, फैजाबाद के श्री बलराम तिवारी, पेड़ी संवर्ग में सकौती, मेरठ के चरन सिंह एवं सामान्य संवर्ग में सकौती, मेरठ के ही महावीर प्रथम रहे। इसी प्रकार संवर्गवार पीलीभीत के घनश्याम दास, मवाना, मेरठ के विजय पाल एवं जे0वी0गंज, लखीमपुर खीरी के शिवसागर शुक्ल द्वितीय तथा मझोला पीलीभीत के ी राजवीर सिंह, गागलहेड़ी, सहारनपुर के श्री महक सिंह व मवाना, मेरठ के वीरेन्द्र पाल तृतीय घोषित किये गये हैं।
वर्ष 2010-11 में अगैती प्रजाति संवर्ग में दौराला, मेरठ के इरशाद अहमद व सामान्य संवर्ग में खतौली, मुजफ्फरनगर के बलजोर सिंह प्रथम घोषित किये गये हैं। इसी तरह इन दो संवर्गों में क्रमशः विलासपुर, पीलीभीत के श्री हरदेव सिंह, मवाना, मेरठ के श्री वीरेन्द्र पाल सिंह द्वितीय तथा पीलीभीत के डोरीलाल व मवाना, मेरठ के श्री धर्मपाल सिंह तृतीय घोषित किये गये हैं। राज्य गन्ना प्रतियोगिता के सचिव एवं विभाग के मुख्य प्रचार अधिकारी डाॅ0 भूपेन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया कि प्रदेश का गन्ना विकास विभाग राज्य गन्ना प्रतियोगिता के सचिव एवं विभाग के मुख्य प्रचार अधिकारी डाॅ0 भूपेन्द्र सिंह बिष्ट ने बताया कि प्रदेश का गन्ना विकास विभाग वर्ष 1949 से प्रतिवर्ष राज्य गन्ना प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है। प्रतियोगिता 3 संवर्गों-पेड़ी तथा पौधा (शीघ्र पकने वाली) एवं पौधा (सामान्य) के लिये आयोजित की जाती है। प्रत्येक संवर्ग में प्रथम पुरस्कार प्राप्त विजयी कृषक को 10,000 रूपये, द्वितीय को 7,000 रूपये एवं तृतीय को 5,000 रूपये नगद धनराशि एवं स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक के साथ प्रशस्ति प्रमाण-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाता है।
डा0 बिष्ट के अनुसार वर्तमान में प्रदेश की औसत गन्ना उपज 59.35 टन प्रति हेक्टेअर है, जबकि पुरस्कार से नवाजे जा रहे इन किसानों ने 192-196 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त कर गन्ने की खेती में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है और यह परिणाम इस बात की ओर भी संकेत करते हैं कि प्रदेश की धरती में अभी और अधिक उत्पादन की क्षमता मौजूद है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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