कम वर्षा वाले क्षेत्रों में ज्वार,बाजरा, उर्द, मूंग एवं तिल की बुआई करें

Posted on 22 August 2012 by admin

उत्तर प्रदेश में जिन क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा हुई है तथा धान की रोपाई नहीं हो सकी है उन क्षेत्रों में धान के स्थान पर सीमित सिंचाई एवं कम समय में तैयार होने वाली फसलों में ज्वार, बाजारा, उर्द, मंूग एवं तिल की बुआई प्राथमिकता के आधार पर की जाये। यदि सम्भव हो तो मक्का, ज्वार, बाजरा की फसलों में मूंग, उर्द एवं लोबिया की सहफसलों की खेती भी की जाये। इससे सूखे की स्थिति में नुकसान कम होगा।
फसल सतर्कता समूह के कृषि वैज्ञानिकांे की सलाह के अनुसार कम वर्षा होने के कारण खरपतवार अधिक उग आते हैं। अतः निराई-गुड़ाई करके खरपतवार नियंत्रण करने के साथ-साथ नमी भी संरक्षित होती है। अतः खड़ी फसलों में सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए ढ़ाई किलो यूरिया तथा ढ़ाई किलो पोटाश को 600-800 ली0 पानी के घोल बनाकर खड़ी फसल पर प्रति हे0 की दर से छिड़काव करें।
कृषि वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि रोपाई के बाद मौसम अनुकूल न होने के कारण यदि पौधे मर गये हों तो उनके स्थान पर दूसरे पौधे शीघ्र लगाये जायें ताकि प्रति इकाई क्षेत्रफल में पौधों की संख्या कम न होने पाये और अच्छी पैदावार हो सके इसके अतिरिक्त अपर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्रों में नहरों के अन्तिम छोर तक पानी पहंुचाने की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जानी चाहिये तथा नहरों में अवैध कटान पर नियंत्रण किया जाये। अपर्याप्त वर्षा वाले क्षेत्रों में राजकीय नलकूपों को चालू हालत में रखा जाये। खराब होने पर उनकी तुरन्त मरम्मत की जाये, जिस से फसलों का नुकसान कम हो सके।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

1 Comments For This Post

  1. कृष्ण Says:

    सुन्दर लेख्

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