Archive | कला-संस्कृति

महान कला साधिका विदुषी स्व0 गिरिजा द ेवी जी की स्मृति म ें 01 मार्च, 2018 का े ‘प्रणामी’ कार्यक्रम का आयोजन

Posted on 28 February 2018 by admin

‘प ्रणामी’ कार्यक्रम स्व0 गिरिजा द ेवी जी की शिष्या प्रख्यात
लोकगायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी द्वारा आया ेजित किया जा रहा है

बनारस घराने की महान कला साधिका विदुषी स्व0 गिरिजा देवी जी की
स्मृति में 01 मार्च, 2018 का े सन्त गाडगे सभागार संगीत नाटक अकादमी परिसर,
गोमती नगर, लखनऊ में साय ं 06ः30 बजे से ‘प्रणामी’ कार्यक्रम का आया ेजन किया
जाएगा। यह कार्यक्रम स्व0 गिरिजा देवी जी की ‘गन्डाबन्ध’ एवं उनकी प्रिय शिष्या
प्रख्यात लोकगायिका श्रीमती मालिनी अवस्थी द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
सेनिया बनारस घराने की प्रख्यात ठुमरी गायिका गिरिजा देवी जी ने उप
शास्त्रीय गायन के प्रकारों का े संगीत के संसार में केन्द्रीय भूमिका दिलवायी। ठुमरी,
दादरा, चैती, कजरी और ढेरों गायिकी के प्रकार, गिरिजा जी के नाम का पर्या य माने
जाते हैं। उन्हा ेंने काशी की परम्परा के शास्त्रीय और लोक पक्ष में असाधारण संतुलन
बनाते हुए, बनारस घराने का महिमामण्डन किया है। रसूलनबाई, बड़ी मा ेतीबाई,
विद्याधरी, काशीबाई और सिद्धेश्वरी देवी की परम्परा का अन्तिम महान नाम गिरिजा
देवी है ं। अपने जीवन की अन्तिम अवस्था तक विदुषी गिरिजा देवी संगीत साधना में
लीन रहीं। उनके अवसान के साथ पूरब अंग गायिकी का एक युग विराम लेता ह ै।
‘प्रणामी’ कार्यक्रम में श्रीमती मालिनी अवस्थी फागुन के भावभीने अवसर पर,
विदुषी गिरिजा देवी की विनम्र शिष्या के रूप में उनके अविस्मरणीय रंग-स्वर रंगत
का े गुनते हुए अपनी स्वर अर्चना प्रस्तुत करेंगी।
सैनिया घराने ने ठुमरी गायन का े नयी ऊँचाइयों तक पहु ंचाने वाली विदुषी
गिरिजा देवी जी की संगीत साधना के दृष्टिगत उन्हें पद्मश्री, पद्मभूषण तथा पद्म
विभूषण पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। पीढ़िया ें का े सौभाग्य प्राप्त हा ेता है यदि
विदुषी गिरिजा देवी जैसी विभूतियों का सान्निध्य और किंचित ज्ञान के आचमन का
सौभाग्य मिले। श्रीमती मालिनी अवस्थी उन सौभाग्यशाली शिष्याओं में से है ं, जिन्हें
अपनी गुरू का भरपूर आशीर्वाद मिला है। वे विश्व में पारम्परिक गायन को पुनः
प्रतिष्ठित करने वाली श्रीमती मालिनी अवस्थी जी का े भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से
सम्मानित किया गया ह ै।

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उपन्यास ‘मदारीपुर जंक्शन’ का मंचन कल

Posted on 24 February 2018 by admin

सुरेन्द्र अग्निहोत्री ,लखनऊ ।बालेन्दु द्विवेदी, संप्रति जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, लखनऊ द्वारा लिखित उपन्यास ‘मदारीपुर जंक्शन’ का मंचन दिनांक 25-02-18 को बाबू बनारसी दास एजूकेशनल ग्रुप, लखनऊ के डाॅ0 अखिलेश दास गुप्ता आॅडिटोरियम में किया जा रहा है। जिसमें मुख्य अतिथि दारा सिंह चैहान कैबिनट मंत्री, उ0प्र0 सरकार तथा अन्य सम्मानित व्यक्ति राज बिसारिया, प्रख्यात रंग निर्देशक, बृजेश शांडिल्य, उदीयमान बालीवुड पाश्र्वगायक, अजीत राय, प्रसिद्ध रंग समीक्षक, शिवमूर्ति, प्रसिद्ध साहित्यकार, सचिन चन्द्र, प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता, राम मणि त्रिपाठी, प्रसिद्ध रंग अभिनेता एवं निर्देशक तथा श्रीमती आसमा हुसैन, लोकप्रिय फैशन डिज़ायनर आदि अतिथि होंगे।fb_img_1517385831973
नाटक का निर्देशन ‘दि थर्ड बेल’ संस्था के प्रसिद्ध रंगकर्मी और निर्देशक आलोक नायर द्वारा किया जाएगा, सह निर्देशक-अभिषेक मिश्रा, संगीत-ऋतिका अवस्थी, वस्त्र विन्यास-गौरव शर्मा, रूपसज्जा-संजय चैधरी, प्रकाश-सुजाॅय घोषाल तथा प्रस्तुति नियंत्रक-राज सिंह द्वारा किया जाएगा। नाटक के प्रमुख किरदारों को सचिन चंद्रा, राममणि त्रिपाठी, देवेंद्र राजभर,गौरव शर्मा, आशू कपूर, नीतू आनंद, अभिषेक मिश्रा, संध्या शुक्ला, कौस्तुभ पांडे, मनोज पाठक, आकाश श्रीवास्तव आदि द्वारा किया जाएगा। पूर्व में दिनांक 30.01.2018 को इलाहाबाद में भी इस उपन्यास का नाट्य मंचन किया जा चुका है। निर्देशक आलोक नायर ने बताया कि उपन्यास की लोकप्रियता को देखते हुए देश के कई अन्य प्रमुख शहरों में इसे मंचित किये जाने की योजना पर कार्य चल रहा है।fb_img_1517385842935
बालेन्दु द्विवेदी ने बताया कि उपन्यास अपने ग्रामीण कलेवर में कथा के प्रवाह के साथ विविध जाति-धर्मों के ठेकेदारों की चुटकी लेता और चिंगोटी काटता चलता है। वस्तुतः उपन्यास के कथानक के केंद्र में पूर्वी उत्तर प्रदेश का मदारीपुर-जंक्शन नामक एक गाँव है जिसमें एक ओर यदि मदारीमिज़ाज चरित्रों का बोलबाला है तो दूसरी ओर यह समस्त विद्रूपताओं का सम्मिलन-स्थल भी है। इस लिहाज़ से मदारीपुर-जंक्शन अधिकांश में सामाजिक विसंगतियों-विचित्रताओं का जंक्शन है।

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सुरेन्द्र अग्निहोत्री को ज्ञानाश्रम सरस्वती शक्ति पीठ सम्मान सम्मानित किया गया

Posted on 22 January 2018 by admin

img-20180122-wa0007झांसी ।मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया, डा.रवीन्द्र शुक्ला पूर्व शिक्षा मंत्री तथा पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन के हाथों से झांसी के राजकीय संग्रहालय के सभागार में वसंत पंचमी महोत्सव के अवसर विश्व मानव संघ, ज्ञानाश्रम सरस्वती शक्ति पीठ की ओर से पत्रकारिता के क्षेत्र में विशेष योग्यदान के लिए लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हमारे व्यूरो प्रमुख सुरेन्द्र अग्निहोत्री को ज्ञानाश्रम सरस्वती शक्ति पीठ सम्मान सम्मानित किया गया है img-20180122-wa0005

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भाषा परस्पर संवाद का एक सशक्त माध्यम: मुख्यमंत्री

Posted on 19 January 2018 by admin

साहित्य का अर्थ ही सबका हित भाषाएं भौगोलिक व सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप होती हैं

तकनीकी शिक्षा को मातृ भाषा में उपलब्ध कराने के लिए शोध कार्यों में समयानुरूप परिवर्तन की जरूरत

साहित्य के माध्यम से ही राष्ट्र, समाज व संस्कृति के दृष्टिकोण को जाना जा सकता है

मुख्यमंत्री दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में राष्ट्र, समाज एवं संस्कृति’ के समापन कार्यक्रम में शामिल हुए

लखनऊ: 19 जनवरी, 2018press-141
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि भाषा परस्पर संवाद का एक सशक्त माध्यम है। भाषा पर मौलिक चिंतन होना आज की आवश्यकता है। आदिकाल से सांस्कृतिक इकाई के रूप में भारत की एक विशिष्ट पहचान रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय एकता की जड़ें भी हमें साहित्य में देखने को मिलती हैं। साहित्य का अर्थ ही सबका हित है। समाज की समस्याओं का निराकरण भी साहित्य में निहित है।
मुख्यमंत्री जी ने यह विचार आज यहां भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान व बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में राष्ट्र, समाज एवं संस्कृति’ के समापन कार्यक्रम के अवसर पर व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र, समाज व संस्कृति भारतीय साहित्य के मूल में है। इसलिए भाषा पर मौलिक चिंतन करते हुए भाषाओं पर कार्य योजना बनाकर शोध करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारतीय साहित्य समेकित संस्कृति, सामाजिक संचेतना एवं राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत है। हमारे साहित्य में भारत राष्ट्र का एक विराट भूगोल चित्रित हुआ है। प्रत्येक भाषा-बोली के रचनाकारों ने इस धरती को भारत माता के रूप में चित्रित किया है। उन्होंने कुम्भ मेले का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां आने वाले श्रद्धालु विभिन्न राज्यों से आते हैं, जिसमें हमें राष्ट्रीय भावना की छवि दिखायी देती है। press-221
योगी जी ने विभिन्न राज्यों से आए विद्वानों से आह्वान किया कि अब आवश्यकता है कि तकनीकी शिक्षा भी मातृ भाषा में उपलब्ध हो, इसके दृष्टिगत हमें अपने शोध कार्यों में समयानुरूप परिवर्तन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भाषाएं भौगोलिक व सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप होती हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य के माध्यम से ही हम किसी भी राष्ट्र, समाज व संस्कृति के दृष्टिकोण को जान सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय साहित्य सुखान्त होता है, जबकि विदेशी साहित्य का केन्द्र बिन्दु दुखान्त होता है। इससे पता चलता है कि हमारी मानसिकता सकारात्मक है।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ0 राज नारायण शुक्ल ने कहा कि भाषा संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं की संचेतना एक है। अध्यक्षीय उद्बोधन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 आर0सी0 सोबती ने किया।
इस अवसर पर विभिन्न भाषाओं के विद्वान, अध्यापकगण तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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इन्डोनेशिया में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव सम्पन्न, सम्मानित हुईं लखनऊ की दस विभूतियाँ

Posted on 18 January 2018 by admin

विगत विश्व हिन्दी दिवस यानी 10 जनवरी 2018 को इंडोनेशिया की सांस्कृतिक राजधानी बाली में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव का आगाज हुआ, जिसका समापन समारोह 14 जनवरी 2018 को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में सम्पन्न हुआ।
इस अवसर पर पचास साहित्यकारों, पत्रकारों, टेक्नोक्रेटो, संस्कृतिकर्मियों के हुये सरस्वत सम्मान के क्रम में लखनऊ की दस विभूतियों का सम्मान किया गया, जिसमें हिन्दी के प्रमुख ब्लॉगर एवं वरिष्ठ साहित्यकार रवीन्द्र प्रभात, अवधी लोकगायिका कुसुम वर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित, सत्या सिंह हुमैन, समाज सेविका कनक लता गुप्ता, योग विशेषज्ञ डॉ॰ उदय प्रताप सिंह, शिक्षाविद कैलाश चन्द्र जोशी, रेवान्त पत्रिका की संपादक लखनऊ निवासी डॉ॰ अनीता श्रीवास्तव तथा हिन्दी विकिपीडिया की प्रबन्धक माला चैबे प्रमुख रहे। img-20180117-wa0302
बहुत सारे कार्यक्रमों का साक्षी बना यह उत्सव। इस अवसर पर लोकार्पित हुयी 18 हिन्दी पुस्तकों में से लखनऊ की डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित की छः पुस्तकें तथा रवीन्द्र प्रभात के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित डॉ॰ सियाराम की शोध पुस्तक ‘‘रवीन्द्र प्रभात की परिकल्पना और ब्लॉग आलोचना कर्म‘‘ प्रमुख रही।
डॉ॰ राम बहादुर मिश्र के संचालन में इलाहाबाद की रंगकर्मी डॉ॰ प्रतिमा वर्मा द्वारा अभिनीत नाटक ‘‘एकाकीपन‘‘ की भावपूर्ण प्रस्तुति श्रोताओं का मन मोहने में सफल रही। इन्डोनेशिया के कलाकारों तथा इण्डोनेशियाई बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुति तथा जकार्ता स्थित जवाहरलाल नेहरू भारतीय सांस्कृतिक परिषद के कलाकारों की हारमोनियम और तबले की युगलबंदी श्रेष्ठ प्रस्तुतियों में से एक रही। जकार्ता के श्री केतन गुरु जी, लखनऊ की कुसुम वर्मा और गोंडा के शिव पूजन शुक्ल के द्वारा प्रस्तुत भजन और लोकगीत दुर्लभ प्रस्तुतियों में से एक रही।
हिन्दी उत्सव के दौरान परिकल्पना द्वारा छः भारतीय प्रतिभागियों को विशेष नगद पुरस्कार प्रदान किए गए, जिसके अंतर्गत सर्वश्रेष्ठ आवाज के लिए अहमदाबाद की सुश्री अंकिता सिंह को डेढ़ लाख रुपये तथा सर्वश्रेष्ठ कविता के लिए आगरा की डॉ॰ सुषमा सिंह, सर्वश्रेष्ठ प्रणय गीत के लिए राय बरेली की डॉ॰ चम्पा श्रीवास्तव, सर्वश्रेष्ठ हास्य कविता के लिए कानपुर के डॉ॰ ओम प्रकाश शुक्ल ‘‘अमिय‘‘, सर्वश्रेष्ठ गजल के लिए बहराइच के डॉ॰ अशोक गुलशन और सर्वश्रेष्ठ लोकगीत के लिए गोंडा के डॉ॰ शिव पूजन शुक्ल को क्रमशः एक-एक लाख रुपये के नगद पुरस्कार प्रदान किए गए।
कवि सम्मेलन के दौरान रवीन्द्र प्रभात, ओम प्रकाश शुक्ल ‘‘अमिय‘‘, सत्या सिंह हुमैन, डॉ॰ अशोक गुलशन, डॉ॰ राम बहादुर मिश्र, डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित, डॉ॰ सुषमा सिंह, डॉ॰ पूर्णिमा उपाध्याय, डॉ॰ माला गुप्ता, डॉ॰ पूनम तिवारी, डॉ॰ चम्पा श्रीवास्तव, डॉ॰ रमाकांत कुशवाहा कुशाग्र, डॉ॰ उमेश पटेल श्रीश, शिव पूजन शुक्ल, कुसुम वर्मा, राम किशोर मेहता, कैलाश चन्द्र जोशी आदि की कवितायें खूब सराही गयी।
समारोह की मुख्य अतिथि रहीं 2015 की मिस इन्डोनेशिया-इंडिया सुश्री ग्रेस वालिया तथा विशिष्ट अतिथि इंडो-इंडियन फ्रेंडशिप एसोशिएशन की अध्यक्ष सुश्री पूनम सागर, सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री लवलीन वालिया और जकार्ता स्थित साधु वासवानी सेंटर के प्रतिनिधि श्री केतन गुरु जी, जकार्ता स्थित आत्मा सेल्फ एक्स्प्रेशन की अध्यक्षा सुश्री शिल्पी धीरज शर्मा, इंडोनेशियन-इंडियन फ्रेंडशिप एसोसिएशन की अध्यक्षा सुश्री ऐश्वर्या सिन्हा और समस्त प्रस्तुतियों की संगीत निर्देशक जकार्ता निवासी सुश्री अर्चिता रॉय की प्रस्तुति उल्लेखनीय रही। विविधताओं से भरा यह सम्मेलन जीवन के अपने अलग-अलग रंगों में धड़कता दिखाई दिया दर्शकों को, अपने आप में अद्वितीय और अनुपम रहा यह उत्सव।

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इन्डोनेशिया में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव, लखनऊ की नौ सख्शियतें सम्मानित होंगी

Posted on 10 January 2018 by admin

आगामी विश्व हिन्दी दिवस यानी 10 जनवरी 2018 को इंडोनेशिया की सांस्कृतिक राजधानी बाली में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव का आगाज होने जा रहा है, जिसका समापन समारोह 14 जनवरी 2018 को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में सम्पन्न होगा। जकार्ता की संस्था साधू वासवानी सेंटर, इंडोनेशियन-इंडियन मैत्री संघ तथा आत्मा सेल्फ एक्स्प्रेसन के सह आयोजन में भारतीय संस्था परिकल्पना के सौजन्य से 10 से 14 जनवरी 2018 को बाली एवं जकार्ता में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव में भारत तथा अन्य देशों के हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के आधिकारिक विद्वान, अध्यापक, लेखक, भाषाविद्, पत्रकार, टेक्नोक्रेट, हिंदी प्रचारक एवं संस्कृतिकर्मी भाग लेने जा रहे हैं। इस अवसर पर नगर की संस्कृतिकर्मी एवं अवधी लोकगायिका कुसुम वर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित, सत्या सिंह हुमैन, हिन्दी के प्रमुख ब्लॉगर लखनऊ निवासी रवीन्द्र प्रभात, समाज सेविका कनक लता गुप्ता, योग विशेषज्ञ डॉ॰ उदय प्रताप सिंह, शिक्षाविद कैलाश चन्द्र जोशी, रेवान्त पत्रिका की संपादक लखनऊ निवासी डॉ॰ अनीता श्रीवास्तव तथा हिन्दी विकिपीडिया की प्रबन्धक लखनऊ निवासी माला चैबे का इस मंच से सारस्वत सम्मान किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि ‘‘विश्व हिन्दी दिवस‘‘ प्रति वर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था तथा पहली बार 10 जनवरी 2006 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह ने यह दिवस मनाया था। इसी कड़ी का अनुसरण करते हुये पूरे विश्व में 10 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस तथा इस सप्ताह को विश्व हिन्दी सप्ताह मनाया जाता है।
जकार्ता स्थित आत्मा सेल्फ एक्स्प्रेशन की संचालिका सुश्री शिल्पी धीरज शर्मा ने सूचित किया है, कि इस आयोजन में जवाहरलाल नेहरू इंडियन कल्चरल सेंटर के निदेशक श्री मकरंद शुक्ल, जकार्ता स्थित भारतीय दूतावास के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन श्री मनीष, जकार्ता स्थित इंडिया क्लब के चेयर परसन श्री राकेश जैन, इन्डोनेशियन-इंडियन मैत्री संघ की अध्यक्ष सुश्री ऐश्वर्या सिन्हा, खुश रहो जकार्ता संस्था के श्री तेज और साधु वासवानी सेंटर के प्रवक्ता श्री राकेश केतन मिश्र की उपस्थिती मात्र से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह आयोजन कितना भव्य और आकर्षक होगा। साथ ही इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी उत्सव के सांस्कृतिक इवेंट्स की मुख्य अतिथि होंगी सुश्री ग्रेस वालिया। उल्लेखनीय है कि जकार्ता की सुश्री ग्रेस वालिया वर्ष 2015 की मिस इंडिया इंडोनेशिया रह चुकी हैं। पंजाबी मूल की यह युवती भारतीय और इन्डोनेशियाई समुदायों के बीच एक पुल के निर्माण की दिशा में सदैव अग्रणी रहती हैं।
इस उत्सव में भारत से राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ॰ राम बहादुर मिश्र, बहराइच के गजलकर डॉ॰ गुलशन, हॉलीवूड, बॉलीवूड तथा गढ़वाली फिल्म अभिनेता एवं वरिष्ठ रंगकर्मी श्री विमल प्रसाद बहुगुणा, अवधी लोक गायन से सजे लखनऊ दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले श्माटी के बोलश् कार्यक्रम की संचालिका और नृत्यांगना कुसुम वर्मा, समाजसेवा और साहित्य को समर्पित लखनऊ की सुपरिचित हस्ताक्षर सत्या सिंह हुमैन, समाजसेवा को समर्पित लखनऊ की सुपरिचित हस्ताक्षर कनक लता गुप्ता, अहमदावाद (गुजरात) से सुश्री अंकिता सिंह, वाराणसी से श्री सचीन्द्र नाथ मिश्र और लखनऊ से उदय प्रताप सिंह, गोरखपुर आकाशवाणी के उद्घोषक, कंपियर तथा भोजपुरी भाषा के जाने माने गीतकार डॉ॰ उमेश कुमार पटेल ष्श्रीशष्, हिमालय यानी उत्तराखंड से हिन्दी साहित्य के सुपरिचित मर्मज्ञ धीरेन्द्र सिंह रांघर, पूर्वाञ्चल के रंगकर्मी डॉ रमाकांत कुशवाहा, शिक्षविद डॉ॰ विजय प्रताप श्रीवास्तव, अवधी के कवि व लोकगायक गोंडा निवासी श्री शिव पूजन शुक्ल, लखनऊ से प्रकाशित रेवान्त पत्रिका की संपादक डॉ॰ अनीता श्रीवास्तव, हिन्दी के वरिष्ठ कवि व साहित्यकार अहमदाबाद निवासी श्री राम किशोर मेहता, हिन्दी के वरिष्ठ कवि व साहित्यकार कानपुर निवासी डॉ॰ ओम प्रकाश शुक्ल ‘‘अमिय‘‘, हिन्दी में हाईकू की सर्जक व वरिष्ठ साहित्यकार लखनऊ निवासी डॉ॰ मिथिलेश दीक्षित, हिन्दी की वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवियत्री रायबरेली निवासी डॉ॰ चम्पा श्रीवास्तव, वरिष्ठ साहित्यकार व शिक्षाविद आगरा निवासी डॉ॰ सुषमा सिंह, प्रमुख शिक्षाविद सृजनधर्मी एवं साहित्यकार आगरा निवासी डॉ॰ प्रभा गुप्ता, प्रमुख शिक्षाविद सृजनधर्मी एवं साहित्यकार आगरा निवासी डॉ॰ माला गुप्ता, प्रमुख शिक्षाविद सृजनधर्मी एवं साहित्यकार आगरा निवासी डॉ॰ पूनम तिवारी, प्रमुख शिक्षाविद सृजनधर्मी एवं साहित्यकार आगरा निवासी डॉ॰ प्रमिला उपाध्याय , वरिष्ठ पत्रकार रायबरेली निवासी डॉ राजेन्द्र बहादुर श्रीवास्तव, प्रमुख शिक्षाविद लखनऊ निवासी श्री कैलाश चन्द्र जोशी, प्रमुख समाजसेवी इलाहाबाद निवासी श्री अजय कुमार, प्रमुख समाजसेवी एवं हिन्दी के यायावर साहित्यकार ऋषिकेश निवासी श्री धीरेंद्र सिंह रांगढ़ तथा इलाहाबाद के रामायण मर्मज्ञ कवि डॉ॰ बाल कृष्ण पांडे आदि भाग ले रहे हैं।
इस अवसर पर लगभग दो दर्जन पुस्तकों का लोकार्पण और एक शाम अवध के लोकगायकों के नाम होगा। विशिष्ट अतिथि होंगे अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सिंग कोच श्री एस0एन0 मिश्र। साथ ही श्रीमती कुसुम वर्मा की कला प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रहेगी।
विविधताओं से भरा यह सम्मेलन जीवन के अपने अलग-अलग रंगों में धड़कता दिखाई देगा दर्शकों को, ऐसी उम्मीद है।

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भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की पावन स्मृति को समर्पित संगोष्ठी

Posted on 06 January 2018 by admin

उत्तर प्रदेष हिन्दी संस्थान, लखनऊ

भारतेन्दु जी ने भारतवासियों को एक सूत्र में बाँधने का कार्य किया - डाॅ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त
moj_0041लखनऊ। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के तत्वावधान में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की पावन स्मृति के अवसर पर ‘नवजागरण की चेतना और भारतेन्दु हरिश्चन्द्र‘ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन शनिवार, 06 जनवरी, 2018 को निराला सभागार, हिन्दी भवन, लखनऊ में किया गया।
डाॅ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो0 सुरेन्द्र दुबे, कुलपति, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी, प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित, पूर्व प्रोफेसर, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं मुख्य वक्ता के रूप में डाॅ0 हरिशंकर मिश्र, पूर्व आचार्य, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ आमंत्रित थे।
दीप प्रज्वलन, माँ सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पार्पण के उपरान्त प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में वाणी वन्दना संगीतमयी प्रस्तुति डाॅ0 पूनम श्रीवास्तव द्वारा की गयी। मंचासीन अतिथियों का उत्तरीय द्वारा स्वागत श्री सुनील कुमार सक्सेना, उपनिदेशक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने किया।
मुख्य वक्ता के रूप में डाॅ0 हरिशंकर मिश्र ने ‘नवजागरण की चेतना और भारतेन्दु हरिश्चन्द्र‘ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र साहित्य जगत के युगप्रवर्तक थे। उन्नसवी शताब्दी में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी ने भारतवासियों के हृदय में नवजागरण पैदा किया। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी में राज्यभक्ति और राष्ट्रभक्ति समान रूप से थी। उनमें बालपन से ही समझने की शक्ति थी। उन्होंने अंगे्रजो के अत्याचार को काफी निकट से देखा था। उनके समय में समाज में बड़ी विडम्बना थी। वे अपने मन की बात को बड़ी दृढ़ता से कहते थे। उन्होंने अंगे्रजी भाषा का विरोध किया। हिन्दी भाषा के उन्नयन में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का योगदान अतुलनीय रहा है, उनका रचना संसार व्यक्तित्व और कृतित्व व्यापक था।
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विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे प्रो0 सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा - उन्नसवीं शताब्दी का जागरण आर्थिक जागरण पर केन्द्रित था। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी दूरदर्शी व्यक्ति थे। उन्होंने साहित्य की प्रत्येक विधा पर अपनी रचनाएं रची। उनके अन्दर नैसर्गिक लेखन की क्षमता थी। उन्हें यह क्षमतायें विरासत में मिली थी। जगत का उन्हें व्यापक अनुभव था। अंग्रेजो के शोषण के खिलाफ उन्होेंने एक आन्दोलन चलाया था। वे अपनी रचना आम बोल-चाल की भाषा में लिखते थे। जनता द्वारा दी गयी पहली उपाधि ‘भारतेन्दु‘ हरिश्चन्द्र जी को मिली। उन्होंने व्यंग्य के माध्यम से जनजागरण किया। हिन्दी के प्रथम गजलकार भारतेन्दु जी थे।
मुख्य अतिथि के रूप में पधारे प्रो0 सुरेन्द्र दुबे, कुलपति, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, झांसी ने अपने सम्बोधन में कहा - भारतेन्दु जी हिन्दी के श्लाका पुरुष थे। नवजागरण पुनर्जागरण ही है। भारतेन्दु जी के समय का जागरण लोक का पुनर्जागरण है। भारतेन्दु जी भारत भक्त विचारक थे। विदेशी वस्तुआंे के प्रबल विरोधी थे। राष्ट्र के निर्माण के मूलतत्वों की खोज भारतेन्दु जी ने की। वे स्त्री-पुरुष की समानता के पक्षधर थे। उनका युग सजीव व चेतना का युग था। उन्होंने अपने नाटकों में समाज का चित्रण किया है। नाटक को ‘पंचमवेद‘ कहा गया है।
अध्यक्षीय सम्बोधन में डाॅ0 सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा0 कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने कहा - भारतेन्दु जी ने हमें भारत की स्वतंत्रता का सूत्र दिया। उन्होंने ‘स्वत्व‘ का महत्व हम भारतवासियों का बताया। उनका साहित्य हमारे अन्दर नयी चेतना का संचार करती है। वे आर्थिक सम्पन्नता के पक्षधर थे। उनका स्वच्छता का अभियान था कि उन्नति में आने वाली बुराइयों को कांटों को निकाल कर फेंकने की आवश्यकता है। वे स्वदेशी चेतना के पक्षधर थे। उन्होंने साहित्य को दरबारी परम्परा से हटाकर जनता के बीच का साहित्य बनाया। भारतेन्दु जी ने भारतवासियों को एक सूत्र में बाँधने का कार्य किया।
समारोह का संचालन, अभ्यागतों का स्वागत एवं आभार डाॅ0 अमिता दुबे, सम्पादक, उ0प्र0 हिन्दी संस्थान ने किया।

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यू0पी0 महोत्सव

Posted on 22 December 2017 by admin

1-3आज दिनांक 22 दिसम्बर 2017 स्थान राजकीय इण्टर कालेज का मैदान महोत्सव स्थल लखनऊ में प्रगति पर्यावरण संरक्षण ट्रस्ट के अध्यक्ष विनोद कुमार सिंह एडवोकेट ने बताया कि ’’प्रगति पर्यावरण संरक्षण ट्रस्ट’’ एक उत्कृष्ट समाजसेवी संस्था है ट्रस्ट द्वारा आयोजित होने वाले यू0पी0 महोत्सव 2017 का दिनांक 23.12.2017 को गोमती आरती एवं दीप दान समय 5 बजे से स्थान झूलेलाल वाटिका पार्क गोमती घाट पर होगा। शुभ आरम्भ दिनांक 24.12.2017 समय शाय 6 बजे माननीय मुख्य अतिथि स्वामी प्रसाद मौर्या जी कैबिनेट मंत्री उत्तर प्रदेष सरकार के कर कमलों द्वारा किया जायेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय श्रीमती संयुक्ता भाटिया महापौर नगर निगम लखनऊ करेंगी। प्रेस वार्ता के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का पोस्टर लान्च किया। पोस्टर लान्चिंग के मौके पर प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि यू0पी0 महोत्सव का इस वर्ष 10वां वर्ष है जो दिनांक 24 दिसम्बर 2017 से प्रारम्भ होगा 07 जनवरी 2018 तक चलेगा स्थान राजकीय इण्टर कालेज का मैदान निशातगंज में आयोजित किया जा रहा है। यू0पी0 महोत्सव की थीम पर्यावरण सुरक्षा समस्या और समाधान, ग्रामीण एवं शहरी विकास हम कहा है और कहां जाना है, महिला सुरक्षा एवं सशक्तिकरण बाल विकास बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओं, ज्वलंत समस्यायें कैसे हो परिवर्तन दिशा दशा एवं नज़ारें, शिक्षा स्वास्थ्य एवं खेल समाजिक प्रगति के आधार स्तम्भ, जनसंख्या वृद्धि, भिक्षावृत्ति, वेष्यावृत्ति रोकना कैसे कहां क्या, कृषि और ग्रामोद्योग, उ0प्र0 के पौराणिक धर्मस्थलों नदियों तालाबों कुओं को विकसित व पूर्नजीवित करना, विकलांग, विधवा वृद्ध महिलायें एवं पुरूषों को आत्मनिर्भर और आत्मसम्मान दिलाने का प्रयास करना उ0प्र0 व देश की लुप्त हो रही कलाओं एवं संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन, खेल खो-खो, रेसलिंग अन्य प्रतियोगितायें भी महोत्सव के दौरान प्रोत्साहित किया जायेगा। इस महोत्सव में बाल प्रतिभा रत्न सम्मान, महिला सम्मान, यू0पी0 रत्न सम्मान एवं अन्य सम्मानों से सम्मानित किया जायेगा।
यू0पी0 महोत्सव 2017 का मुख्य उद्देश्य ’’क्लीन यू0पी0, ग्रीन यू0पी0’’ के तहत वृक्षारोपण, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य, स्वच्छता, षिक्षा युवक एवं युवतियों के अन्दर आत्मविष्वास जागाना एवं उनके अन्दर छिपी हुई प्रतिभा को प्रतियोगिता के माध्यम से उजागर करना और उन्हें आगे बढ़ाने हेतु पूर्ण प्रयास करना युवा पीढ़ी एवं जन साधारण को पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य, कृषि, ग्रामीण विकास उत्तर प्रदेश शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों की लुप्त हो रही लोक कला एवं संस्कृति से परिचित कराना, उनको संरक्षण प्रदान कराना, प्रचार-प्रसार तथा ग्रामीण अंचलों में शहरी क्षेत्रों के निराश्रित एवं गरीब युवा पीढ़ी को जागृत करके पर्यावरण संरक्षण, हैण्डलूम्स, हैण्डीक्राफ्ट, खादी ग्रामोद्योग, नाबार्ड, स्वयं सहायता समूह, कृषि विविधीकरण, खाद्य प्रसंस्करण, महिला सशक्तिकरण, सर्वशिक्षा अभियान, एड्स, जनसंख्या वृद्धि, ग्रामीण विकास, कन्या भ्रूण हत्या, जल संरक्षण, स्वास्थ्य शिक्षा, ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, बाल विकास, मद्य निषेध, नशा-उन्मूलन, मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन, वृद्धा, विधवा, विकलांग कल्याण को बढ़ावा देना, वेश्यावृत्ति, भिक्षा वृत्ति को रोकने, कृषि, रोजगार, खेल को बढ़ावा देने, देश की एकता अखण्डता जैसे ज्वलन्त विषयांे प्रदेश सरकार द्वारा चलाये जा रहे जन कल्याणकारी, लोक-कल्याणकारी, विकास-कलयाणकारी योजनाओं के प्रति युवा पीढ़ी को जागृत करके जन-जागरण अभियान से जोड़ना साथ ही साथ सरकारी गैर-सरकारी संस्थाओं को एक मंच पर लाकर उत्तर प्रदेश को पर्यावरण से युक्त, रोजगार व स्वरोजगार के प्रति लोगों को जागरूक करना, महिलाओं के सामाजिक उत्थान में भागीदारी सुनिश्चित करना जिससे उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश के रूप में विकसित करने में एवं सरकार के कार्यों एवं उपलब्धियों को महोत्सव के माध्यम से जन साधारण तक पहुंचाने का पूर्ण प्रयास कर रही है। अन्त में अध्यक्ष जी ने बताया पर्यावरण, स्वच्छता, कृषि, स्वास्थ, कला संस्कृति , सामाजिक सेवा एवं अन्य विभिन्न क्षेत्रों में समाजहित में अग्रणि भूमिका निभाने वाले व्यक्तियों, संस्थाओं, कर्मचारियों, अधिकारियों को यू0पी0 रत्न 2017 से सम्मानित किया जायेगा। लखनऊ वासियों को बहुरंगी स्टाल प्रदर्शनी झूलों व सांस्कृतिक कार्यक्रमों (भोजपुरी, अवधी, बुंदेलखण्डी, ब्रज, राजस्थानी, पंजाबी, उत्तराखण्डी का लोक नृत्य एवं लोक गायन) कवि सम्मेलन मुशायरा, राक बैण्ड, स्टार नाइट, नाटक मंचन कामेडी नाइट, मैजिक एवं कठपुतली के माध्यम से स्वस्थ मनोरंजन देने का पूर्ण प्रयास किया जायेगा इस मौके पर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष एन0बी0 सिंह, पवन पाल सांस्कृतिक सचिव प्रिया पाल सांस्कृतिक व प्रतियोगिता प्रभारी अरविन्द सक्सेना स्टाल कोआर्डिनेटर, इकबाल मुश्तफा गुड्डू, अरूण द्विवेदी, कृष्णा नन्द राय, व ट्रस्ट के सभी पदाधिकारी मौजूद रहें। अध्यक्ष ने मीडिया के सहयोग हेतु मीडिया को हार्दिक दिल से बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

दिनांक: 25 दिसम्बर 2017
सांस्कृतिक कार्यक्रम - द मैरी क्रिसमस नाइट
समूह नृत्य - चन्द्रकेश एवं साथी कलाकार
राॅक बैण्ड परफारमेन्स पुर्नजनम बैण्ड एकल नृत्य शिवांगी भारद्वाज, निलांद्री सिंह, भव्या सेठ, भव्या श्रीवास्तव, सुक्रिती गुप्ता।
डानसिंग धमाल (प्रस्तुती नृत्यांग्ना डांस इन्सटीट्यूट)

दिनांक: 26 दिसम्बर 2017
प्रतियोगितायें वाद विवाद, निबन्ध, सामान्य ज्ञान
समय 2 बजे से 4 बजे तक
कठपुतली अनुभव पपेट गु्रप सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ0प्र0 सरकार द्वारा।
सांस्कृतिक कार्यक्रम - अवधी नाइट
(प्रस्तुती बी0बी0डी0 स्किल डवलपमेन्ट सोसाइटी)
लोक नृत्य समूह (प्रस्तुती टर्न एण्ड ट्विस्ट डांस इन्सटीट्यूट)

दिनांक: 27 दिसम्बर 2017
प्रतियोगितायें रंगोली, मेहंदी, चित्रकला
समय 2 बजे से 4 बजे तक
फैन्सी ड्रेस, स्वस्थ बेबी शो (आॅडिशन) 4 बजे से 5 तक।
काला जादू सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ0प्र0 सरकार द्वारा।
सांस्कृतिक कार्यक्रम - बृज (प्रस्तुती महावीर एण्ड ग्रुप)

दिनांक: 28 दिसम्बर 2017
प्रतियोगितायें - व्यंजन, पुष्प सज्जा, शिल्पकला, दुल्हन सज्जा
2 बजे से 4 बजे तक।
कब्बाली नसीर अहमद सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ0प्र0 सरकार द्वारा।
सांस्कृति कार्यक्रम - बुन्देलखण्डी (प्रस्तुती हार्ट एण्ड सोल)
राजस्थानी (प्रस्तुती नृत्यांग्ना डांस एण्ड परफारमिंग आर्ट इन्सटीट्यूट)

दिनांक: 29 दिसम्बर 2017
प्रतियोगितायें - स्लो साइकिल रेस, कैरम, शतरंज
समय 12 बजे से 2 बजे तक
डांसिंग सेमी फाइनल समय 2 बजे से 4 बजे तक।
लोक गीत प्रस्तुती जाग्रति जत्था सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा।
सांस्कृतिक कार्यक्रम - भोजपुरी (प्रस्तुती प्रिया पाल) एवं पंजाबी नाइट

दिनांक: 30 दिसम्बर 2017
प्रतियोगितायें - पतंगबाजी समय 12 बजे से 2 बजे तक।
सिंगिंग सेमीफाइनल समय 2 बजे से 4 बजे तक।
नाटक - बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं (प्रस्तुती पूर्णिमा निशा एवं साथी)
समय 4 बजे से 6 बजे तक।
सांस्कृतिक कार्यक्रम डांसिंग नाइट (प्रस्तुती नृत्य डांस एकेडमी)
काॅमेडी नाइट (प्रस्तुती लक्ष्मी कान्त वर्मा (लकी) एवं सम्पूर्ण शुक्ला)

दिनांक: 31 दिसम्बर 2017
प्रतियोगितायें - मटकी तोड, म्यूजिकल चेयर समय 12 बजे से 2 बजे तक
फाइनल स्वस्थ बेबी शो एवं फैन्स ड्रेस समय 2 बजे से 4 बजे तक
कवि सम्मेलन समय 4.30 बजे से
सांस्कृतिक कार्यक्रम - यू0पी0 महोत्सव 2017 दस का दम (प्रस्तुती जे0पी0एस0 टैलेंट हब)

दिनांक: 01 जनवरी 2018
सांस्कृतिक कार्यक्रम - भजन (प्रस्तुती मदन गोपाल जी, कान्तीलाल शाह)
गजल (प्रस्तुती प्रदीप अली)
वेलकम वर्ष 2018 (प्रस्तुती रिधम डी वाइस गु्रप)

दिनांक: 02 जनवरी 2018
रैसलिंग समय 1 बजे से 5 बजे तक।
डांसिंग वैटल समय 6 बजे से।

दिनांक: 03 जनवरी 2018
ग्रैण्ड फिनाले - सिंगिंग समय 2 बजे से।
डांसिंग समय 4 बजे से।
मिस्टर एण्ड मिसिस एवं मिस्टर एण्ड मिस समय 6 बजे से।

दिनांक: 04 जनवरी 2018
मुशायरा एवं कवि सम्मेलन समय 4 बजे से
सांस्कृति कार्यक्रम - उत्तराखण्डी (प्रस्तुती बफैला गु्रप)
डांसिंग परफारमेन्स (प्रस्तुती डैनेमस डिजायर एकेडमी)

दिनांक: 05 जनवरी 2018
सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं पुरस्कार वितरण (प्रतियोगिता में विजेता बच्चों को प्रोत्साहन)
समय 4 बजे से।

दिनांक: 06 जनवरी 2018
सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह
बाल प्रतिभा रत्न सम्मान, महिला सम्मान, यू0पी0 रत्न सम्मान एवं अन्य विशेष सम्मान।
समय 5 बजे से।

दिनांक: 07 जनवरी 2018
सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं समापन सम्मान समारोह (यू0पी0 महोत्सव से जुड़ी संस्थायें एवं विभिन्न क्षेत्रों से आये हैण्डीक्राफ्ट स्टाल धारक)
समय 4 बजे से।

नोट: सांस्कृतिक कार्यक्रमों में समयानुसार बदलाव किया जा सकता है।

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डाॅ0 विद्याविन्दु सिंह एवं डाॅ0 अमिता दुबे की कृतियों को अखिल भारतीय सम्मान

Posted on 14 December 2017 by admin

साहित्य अकादमी (मध्य प्रदेश) द्वारा कृति पुरस्कार योजना के अन्तर्गत वर्ष 2015 के ‘पं0 भवानी प्रसाद मिश्र पुरस्कार‘ से डाॅ0 विद्याविन्दु सिंह की काव्य कृति ‘हम पेड़ नहीं बन सकते‘ तथा वर्ष 2016 के ‘गजानन माधव मुक्तिबोध पुरस्कार‘ से डाॅ0 अमिता दुबे के कहानी संग्रह ‘सुखमनी‘ को पुरस्कृत किया गया।
amita-1 हरियाणा के महामहीम राज्यपाल प्रो0 कप्तान सिंह सोलंकी के करकमलों द्वारा मानस भवन, भोपाल में गणमान्य अतिथियों एवं साहित्यकारों के सम्मुख मंगलवार, 12 दिसम्बर, 2017 को उत्तरीय, श्रीफल, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न एवं रु0 51,000=00 से डाॅ0 विद्याविन्दु सिंह एवं डाॅ0 अमिता दुबे को सम्मानित किया गया। इस अवसर श्री सुरेन्द्र पटवा, संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मध्य प्रदेश सरकार, श्री मनोज कुमार श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव, संस्कृति विभाग, मध्य प्रदेश एवं श्री उमेश कुमार सिंह, निदेशक, साहित्य अकादमी विशेष रूप से उपस्थित रहे। यहाँ उल्लेखनीय है कि अखिल भारतीय स्तर के 10 पुरस्कार में से उपर्युक्त 02 पुरस्कार लखनऊ, उत्तर प्रदेश के दो साहित्यकारों को प्रदान किये गये।

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श्री त्रिपाठी के काव्य संग्रहों का लोकार्पण

Posted on 06 December 2017 by admin

साहित्य यानि सकारात्मक सोच - राज्यपाल

जयपुर, 6 दिसम्बर। राज्यपाल श्री कल्याण सिंह ने कहा है कि सकारात्मक सोच बनाने वाला लेखन ही साहित्य होता है। उन्होंने कहा कि जीवन की टेड़ी-मेड़ी राहों से सुगम मार्ग बनाने में साहित्य सहयोगी होता है।photo-1-6

राज्यपाल श्री सिंह ने बुधवार को यहां राजभवन में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी की कृतियां ‘‘खयालों का सफर‘‘ और ‘‘जख्मों पर शबाब‘‘ के राजस्थानी में अनुदित काव्य संग्रहों का लोकार्पण किया।

राज्यपाल श्री सिंह ने कहा कि श्री त्रिपाठी पचास वर्षों से उनके मित्र हैं। हमारे मत व मन में कभी भिन्नता नही आई। सदैव मधुर सम्बन्ध रहे। बहुमुखी प्रतिमा के धनी श्री त्रिपाठी की कविताओं में जीवन की गहराइयां हंै। राज्यपाल ने कहा कि इन काव्य संग्रहों का अनुवाद सम्यक है। उन्होंने कहा कि श्री त्रिपाठी ने राजनीति, वकालात, कविता और मित्रता में मिशाल कायम की है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि श्री कल्याण सिंह से उनके सम्बन्ध हाथ की लकीरों की तरह हैं। उन्होंने कहा कि यह कविताएं थल, नभ, जल में रचित हुई हैं। कविताएं अनायास ही बन जाती हैं। कविता का स्रोत कैसे व कहां से उत्पन्न होता है, उसका पता ही नही चलता है।
श्री कला नाथ शास्त्री, काव्य संग्रहों की अनुवादक डाॅ. जेबा रशीद व श्री सुन्दरम शांडिल्य ने काव्य संग्रहों के बारे में चर्चा की। राज्यपाल श्री त्रिपाठी ने उनके कार्य में सहयोग के लिए श्री रामेश्वर लाल गोयल, डाॅ. रणजीत सिंह चैहान व श्री विवेक बैद का सम्मान किया। संचालन व स्वागत उद्बोधन डाॅ. प्रकाश त्रिपाठी ने किया।

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