Archive | कला-संस्कृति

छत्रसाल जंयती पर बुन्देली समारोह 10 भोपाल में सम्पन्न

Posted on 03 July 2010 by admin

लखनऊ - बुन्देलखण्ड  के स्वातन्त्रयप्रणेता छत्रसाल जयन्ती पर दो दिवसीय बुन्देली समारोह-2010 भोपाल में  ऐतिहासिक सफलता के साथ अविमरणीय छाप छोड़ गया। बुन्देली समारोह का शुभारंभ छत्रसाल तिराहा, टीन शेड पर सांसद कैलाश जोशी द्वारा पुष्पांजलि कार्यक्रम से हुआ। महामहिम राज्यपाल ने संध्या को सुप्रसिद्ध कवि कैलाश मड़बैया के, बुन्देली के पहले सचित्र खण्डकाव्य जय वीर बुन्देले ज्वानन की और इतिहास ग्रंथ विध्य के बॉकुरे का भव्य लोकार्पण किया।

राष्ट्रीय अलंकरणों में छत्रसाल पुरस्कार डॉ. कामिनी दतिया को और बुन्देली कृति पुरस्कार श्री मायूस सागरी बण्डा कसो प्रदान किया गया। डॉ. गंगा प्रसाद बरसैंया ने कृतियों की समीक्षाकी राज्यपाल ने बुन्देली वीरों की सराहना करते हुये लोकार्पित ग्रन्थों के सृजन के लिए कवि मड़बैया की सराहना की। उन्होंने 50 अतिथि साहित्यकारों को जलपान भी कराया शहीद भवन में बुन्देली समारोह का उद्घाटन प्रदेश के वित्तमन्त्री राघव जी ने किया। शहीद भवन में सम्पन्न पहले दिन बुन्देली के राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और दूसरे दिन बुन्देली के भाशाई अधिवेशन में डॉ. गंगा प्रसाद बरसैंया, डॉ. कामिनी दतिया, मायूस सागरी बण्डा, लखन लाल खरे कोलारस, रामजी लाल चतुर्वेदी, छतरपुर, स्वदेश सोनी ललितपुर, जवाहर द्विवेदी गुना, राजमती दिवाकर सागर, विश्वविद्यालय,यािज्ञक रायसेन, रामस्वरूप स्वरूप सेवढ़ा, जी.पी. शुक्ल व लालजी टीकमगढ़, कपिलदेव तैलंग, बाबूलाल द्विवेदी बानपुर, राघवेन्द्र सनेही छतरपुर देवदत्त डुबे, बड़ा मलहरा, गोकुल मधुर हटा, कृपाराम अचानक इन्दौर, गोवर्धन राजौरिया विदिशा, सन्तोश पटैरिया खजुराहो, अरूण अपेक्षित शिवपुरी, डॉ आरती दुबे आदि आदि 40 विद्वातों ने भागीदारी कर बुन्देली कवि सम्मेलन और बुन्देली के ललित निबंध प्रस्तुत कर बुन्देली भाषा की श्रीवृद्धि में अविस्मरणीय सहयोग किया और आयोजन को सार्थक बनाकर गरिमा प्रदान की। अध्यक्षता श्री कैलाश मड़बैया ने की ओर संचालन डॉ. राधेश्याम दुबे ने किया।

आयोजन में परिद के दिल्ली अधिवेशन, ओरछा और बॉदा-कालिंजर के मानकीकरण सम्मेलन, कुण्डेश्वर व शिवपुरी की कर्मशालाओं की उपलबिधयों कीभी सराहना की गई।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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मार्कण्डेय के निधन से साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति - मुलायम सिंह

Posted on 19 March 2010 by admin

लखनऊ - समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव तथा राष्ट्रीय महासचिव श्री मोहन सिंह ने प्रख्यात कथाकार श्री मार्कण्डेय के निधन पर गहरा शोक जताते हुए कहा है कि उनके निधन से साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति हुई है। सिंह ने अपनी श्रद्धांजलि में कहा कि ग्रामीण जीवन का उन्होंने यथार्थ चित्रण किया था। श्री मार्कण्डेय ने मुंशी प्रेमचन्द की कथा परम्परा को नई दिशा दी थी। उनकी कहानियां भारत ही नहीं, विदेशों में भी अनूदित होकर खूब पढ़ी जाती थीं। उनके निधन से हिन्दी साहित्य जगत में जो सूनापन हो गया है उसका भर पाना सम्भव नहीं।

प्रख्यात साहित्यकार मार्कण्डेय ने बृहस्पतिवार को नई दिल्ली से आजमगढ़ जाने से पूर्व रोहिणी सेक्टर स्थित आवास पर उन्होंने अन्तिम सांस ली। इलाज के लिए वह परिवार सहित यहीं रुके थे। वे करीब अस्सी वर्ष के थे।
उनके परिवार में पत्नी विद्यावती सिंह, एक बेटा और दो बेटियां हैं। बीते दिनों दोबारा कैंसर से पीड़ित होने पर इलाज के लिए उन्हें नई दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर अस्पताल ले जाया गया था।

सिंह नें कहा कि श्री मार्कडेय प्रगतिशील उपन्यासकारों- कथाकारों में गिने जाते थे। नई पीढ़ी को उनकी कृतियों से विशे प्रेरणा मिलेगी। कितने ही युवा लेखकों को उन्होंने प्रोत्साहित किया।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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इस दुनिया में आना जाना हर पल होता रहता है

Posted on 27 February 2010 by admin

npनिर्मल पाण्डेय द्वारा निर्देिशत अन्धायुग का एक दृश् -

सुर ना सधे क्या गाऊं में फिल्म बसन्त बहार का यह गीत गाते - गाते निर्मल पाण्डेय शास्त्री राग बसन्त बहार में ऐसे डूबे कि उन्हें होश ही नही रहा कि किसी धारावाहिक के सेट पर है और उन्हें अपना रोल प्ले करने जाना है। लखनऊ में वशZ 2003 को निर्मल पाण्डेय अभिनेत्री मेघना कोठारी के साथ एक धारावाहिक की शूटिंग करने लखनऊ आये कि पुरानी यादें एक बार फिर ताजी हो गई। पूना फिल्म संस्थान से फिल्म रसास्वाद पाठ्यक्रम करने के बाद जब मै मुबई पहुंचा तो अभिनेता राजा बुन्देला ने निर्मल से मुलाकात करायी विक्रम मल्लाह के रूप में बुन्देलखण्ड के मिथकीय चरित्रों के रूप मेें डाकुओं को मिली शोहरत और प्रसिद्धि को बम्बईया फिल्मों ने खूब भुनाया। डाकू फिल्मों के सुभाश घई के रूप में चर्चित यश. चौहान ने निर्मल की अदाकारी की जब प्रशंसा की तो लगा वाकई किसी कलाकार से मिलना हो रहा है। निर्मल मन से जितने निर्मल थे तन से उतने ही निर्मल रहे। फिल्मों में रहते हुये भी अपनापन और मित्रता को सदा याद करते रहे। जब लखनऊ में उपरोक्त धारावाहिक की शूटिंग अम्बेडकर पार्क के पास होनी थी तो तत्कालीन एल.डी.ए.की सचिव ने अनुमति पत्र पर जब कोई निर्णय नही लिया तो निर्देशक के लाख डरने के बावजूद भी निर्मल शूटिंग के लिये तैयार हो गये। निर्मल में गजब का आत्म बल था उसी आत्मबल से प्रभावित होकर इसी धारावाहिक में कम करने आयी अर्चना उनकी जीवन संगनी बन गई। पिछले माह निर्मल लखनऊ के एक माल में मेरे एक मित्र को मिल गये तो उन्होंने ने निर्मल को  मेरी याद दिलायी निर्मल ने स्वयं फोन नम्बर लेकर देर रात में काफी देर तक बाते की और स्टेज पर अन्धायुग फिर से प्रस्तुत करने की रूपरेखा बताते हुये कहा कि अब मेरा दिल नहीं लगता फिल्मों में मुझे तो अपनी मिट्टी की सौधी महक पहाड़ों के झरने  से निकलती कल -कल आवाज बुला रही है। मैं फिर लौट जाना चाहता हूं उस लोक दुनिया में जहां सिर्फ छल नही अपनापन है। निर्मल को संगीत से बड़ा गहरा लगाव था। पहाड़ के कितने लोग गायकों की विलुप्त शैलियों को अंगीकार कर लिया था और उन्हें एलबम के माध्यम से लाना चाहते थे। सुुर राग और रस के एकनिश्ठ साधक निर्मल का असमय जाना मन के लिये एक गहरे दर्द से गुजरने जैसा है। पहाड़ी शास्त्री संगीत को घराने-दर-घराने की परम्परा का निर्वाह करके नयी पीढ़ी को इस अनूठी विरासत को साैंपने का सपना सजाने वाले निर्मल के लिये -

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निर्मल पाण्डेय मेघना कोठारी और सुरेन्द्र अग्निहोत्री

कहने को तो इस दिल में कितनी सारी बाते है,
राह दिखाती सदा रहेगी याद तुम्हारी बाते है,
इस दुनिया में आना जाना हर पल होता रहता है,
जो भी अच्छा काम करेगा जग उसको तो रोता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
राजसदन 120/132 बेलदारी लेन, लालबाग, लखनऊ।
मो: 9415508695

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पर्यटन विकास की पहल कब

Posted on 26 January 2010 by admin

ललितपुर -  जैसा कि नाम से ही उद्घोषित होता है सुन्दर नगर जो अपने आंचल में पर्यटकों को आकर्षित करने योग्य अनेक अनूठे स्थल छुपाये है जिस पर सरकार द्वारा थोड़ा सा ध्यान देने पर विश्व मानचित्र पर बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में ललितनगरी को स्थापित होने के साथ-साथ यहां के युवाओं को रोजगार के नये संसाधन उपलब्ध कराने का स्थल बन सकता है।lalit-pur-4

उत्तर मध्य रेलवे स्टेशन पर बीना-झांसी जंकशन के बीच स्थित ललितपुर रेलवे स्टेशन पर सभी प्रमुख सबारी गाड़ी रूकने के कारण बड़ी सख्या में पर्यटक आते है, यहां के ऐतिहासिक, पुरातत्वीय, पौराणिक, धार्मिक, औद्योगिक, प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक महत्व के स्थल एक ही जनपद में अन्यत्र कहीं मौजूद नहीं है। प्रकृति के अद्भुत नजारे आदिवासियों का कौतुहल पूर्ण जीवन, विंध्य पर्वत श्रृख्लाओं की गुफाओं में आदिमानवों द्वारा निर्मित शैलचित्रों की विविधता वेतवा नदी पर बना प्राकृति का अनूठा उपहार करकरावल का जल प्रपात, बारह मासी नदियां, हरे-भरे जंगल आध्यित्मक अनुभूतियों से साक्षात्कार कराती युग्म मूर्तियों से सुसज्जित देवगढ़  जहां किले के अन्दर चालीस जैन मिन्दरों की श्रृख्ला के अलावा अवतारवाद की परम्परा का वोध कराता दशावतार मिन्दर, जहां नर से नारायण बनने की कथा पाषाण खंड़ो पर उकेर कर शिल्पी ने आश्चर्य चकित कर दिया, सिद्ध की गुफा नवृराह मिन्दर, राजघाटी, थोड़ी दूरी पर स्थित रणछोर जी का मिन्दर, मुचकुन्द ऋषि की गुफा, जराखों, चान्दपुर जहांजपुर के चन्देल कालीन मिन्दर, दुधई के तन्त्र प्रणाली का ऐतिहासिक मिन्दर पाली का नीलकण्डेश्वर मिन्दर, मदनपुर की आल्हा ऊदल की बैठकी, पटना का पंाडवन, वालावेहट किले के महागणपति, अमृतझरा घाटी, बानपुर का किला, बार का चन्दनवन तथा झूमरनाथ मिन्दर, तालवेहट का मानसरोवर तालाव तथा महाराजा मर्दन सिंह का किला, सेरोन के जैन तथा हिन्दु मिन्दर, देवा माता, सिरसी की गढ़ी, ललितपुर नगर में सीतापाठ, नो मणि बत्तीस खम्मा युक्त बाबा सदन शाह की मजार, बजरिया का बांसा ग्यानानाला के पास स्थित हस्त कुठारों की निर्माण स्थली सुम्मेरा तालाब, जखौरा का पीतल शिल्पकला, कैलगंवा की गौरा पत्थर की कला के साथ बुढ़वार की चन्देरी साड़ी के साथ घने जंगलों में दहाड़ते शेर, गुर्राते तेन्दुए वन भैंसे, गौर, चीतल, हिरण, नीलगाय, आदि वन प्रणियों के संरझण के लिऐ बना भगवान महावीर वन्य विहार में तेन्दु, बीजा, साज, सेमल, खैर सागौन, बेर, जामुन, वेल, आंवला, करघई, गुरार, इमली, महुआ, चिरौंजी, वहेड़ा के साथ वनौषधि  नैसर्गिक रूप से पाई जाती है उनमें मुख्य है अश्वगंधा, सर्पगंधा, शतावर, हरी, वहेड़ा, सफेद मूसली, गुड़मार चिरायता, अर्जुन, ब्रजदन्ती, मोरसखा, घृतकुमारी, भृगंराज, क्रौचबीज, पीपल, गोखरू, निम्ब प्रमुख है। आधुनिक तीर्थ के रूप में विशाल जलराशि को बांधकर बनाये गये माताटीला बांध गोविन्द सागर बांध, रानी लक्ष्मी सागर, जामनी बांध, रोहिणी बांध, सजनाम बांध , शहजाद बांध जो पर्यटन के लिऐ आकर्षण का केन्द्र बन सकता है।lalitpur-2

ललितपुर अपने लालित्य के रूप में पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित 85 स्थलों के अतरिक्त प्राकृतिक और पौराणिक महत्व के अनेक अद्भुत स्थल छुपाये है लेकिन पर्यटन विकास के नाम पर सारे संसाधनों का उपयोग देवगढ़ तक ही सीमित रह गया है जिसमें मात्र एक पर्यटक आवास गृह तथा देवगढ़ किले तक सड़क निर्माण ही हो पाया है। टूटी-फूटी संड़को पर हिचकोले खाते पर्यटकों के लिए पर्यटन परिपथों एवं महत्वपूर्ण स्थलों पर आवासीय सुविधा, जलाशयों में मोटरवोट, ऐडवेंचर टूरिजम तथा इकोटूरिजम, शिल्प ग्राम तथा देवगढ़ के दशावतार मिन्दर प्रागण में प्रतिवर्ष नृत्य महोत्सव, ललितपुर महोत्सव जैसे आयोजन पर्यटकों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते है उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटक स्थल उत्तराखण्ड राज्य बन जाने के कारण उत्तराखण्ड में चले जाने के बाद प्रदेश ही नहीं अपितु देश में इतने विविधता पूर्ण शैव, वैष्णव जैन तथा मुस्लिम संप्रदायों के मठ, मिन्दर और मजारों के साथ आदि मानव से आधुनिक मानव की कला कृतियों से सुसज्जित एक आश्चर्य जनक मूर्ति लोक के रूप में उत्तर प्रदेश के अन्तिम छोर पर होने का अभिशाप सहने को मजबूर है लखनऊ और दिल्ली में पर्यटन विकास की योजना बनाने वाले आला अधिकारी यहां की सच्चाई से रूबरू न होने के कारण उपेक्षा का दंश देते रहते है जबकि ललितपुर में हर तरह के पर्यटन के लिए सभी कुछ तो मौजूद है।lalitpur-3

भक्ति संघ के अध्यक्ष प्रेमनारायण पाठक कहते है ललितपुर को पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए राज्य सरकार के दृढ़ संकल्पित न रहने के कारण महत्वपूर्ण मूर्तियों पर तस्करों की गिद्ध दृष्टि लगी हुई है नृवराह की मूर्ति वर्षो बाद भी पुलिस माल खाने में कैद है। स्थानीय दैनिक समाचार पत्र के संपादक विनीत चतुर्वेदी कहते है युवाओं को रोजगार दिलाने में सहायक पर्यटन उद्योग को विकसित करने के लिए सरकार के साथ जन भागीदारी सुनिश्चित की जाये होटल उद्योग को कई सुविधा देनी होगी तभी पर्यटकों को अच्छी आवासीय व्यवस्था सुलभ हो सकेगी पर्यटको के लिऐ स्थलों पर पहुचने के लिए सुगम मार्ग से लेकर सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था जरूरी है। आखिर एक पर्य क क्या चाहता है। दर्शनीय नैसर्गिक सौदंर्य, ऐतिहासिक धरोहर सुविकसित संस्कृति, विशिष्ट कलाऐं और पर्यटकों के लिऐ ढ़ेर सारी सुविधाए ही ललितपुर के लालित्य को निखार सकती है बस जरूरत है एक ठोस पहल की जो काम ज्यादा करे और ढिढोरा पीटे कम।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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लखनऊ में टोयोटा क्यू वल्र्ड देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी

Posted on 23 January 2010 by admin

•    टोयोटा `क्यू´ वल्र्ड कार्यक्रम का लखनऊ में आयोजन
•    टोयोटा `क्यू´ वल्र्ड का देश के 10  शहरो में आयोजन होगा
•    4 माह का यह कार्यक्रम जनवरी से अप्रैल तक चलेगा
•    ग्राहक टोयोटा कांसेप्ट `एटियोस´ देख पाएंगे
•    टोयोटा कारों की रोमांचक श्रंखला पेश, टोयोटा की गुणवत्ता और तकनीक की शानदार प्रदर्शनी
•    टोयोटा कार श्रंखला को छूने और महसूस करने के साथ ग्राहकों का आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल तकनीक से परिचय

लखनऊ- टोयोटा किलोश्कर मोटर के टोयोटा क्यू वल्र्ड का आज लखनऊ में शुभारंभ हुआ। मोती महल गार्डन में आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम को देखने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी वर्गो से यहां आए लोगों में टोयोटा की चिर प्रतीक्षित कॉम्पैक्ट कार `एटियोस´ के कांसेप्ट मॉडल को देखने का उत्साह देखते ही बनता था। पूरे लखनऊ में कार्यक्रम की चर्चा रही। कार के शौकीन लोगों और संभावित ग्राहकों ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।

एटियोस - वल्र्ड फस्र्ट, इण्डिया फस्र्ट, के साथ टोयोटा मॉस वाल्यूम सेगमेंट में प्रवेश करने के लिए पूरी तरह तैयार है। ग्राहकों तक अधिकतम पहुंच कायम करने के लिए टोयोटा 2010 के अन्त तक अपने डीलर/सर्विस नेटवर्क में लगभग 150 नए डीलरों को जोड़ेगी। वर्तमान में यूपी में टोयोटा के 9 डीलर हैं और ग्राहकों तक बेहतर पहुंच के द्रष्टिकोण से 3 नए डीलर नेटवर्क से जोड़े जाएंगे। वर्तमान में इनोवा और कोरोला अल्टीस का यूपी बाजार पर क्रमश: 21 प्रतिशत, 34 प्रतिशत अधिकार है जबकि 44 प्रतिशत के साथ फाच्युर्नर बाजार का नेतृत्व कर रही है।

इस अवसर पर टोयोटा के वरिष्ठ अधिकारीगण भी शामिल थे जिनमें विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं मैनेजिंग कॉर्डिनेटर श्री मसातो कुरियामा, महाप्रबंधक (विपणन) श्री आशीश कुमार और महाप्रबंधक (विक्रय) श्रीशैलेश शेट्टी।dealer-principal-mr-sandeep-singh-deputy-managing-director-tkm-mr-sailesh-shetty-general-manager-sales-and-mr1

इस अवसर पर टोयोटा किलोश्कर मोटर के उप महाप्रबंधक (विपणन) श्री सन्दीप सिंह ने कहा, हम पूरे देश के कार के शौकीन लोगों और ग्राहकों को टोयोटा की गुणवत्ता और तकनीक से रू-ब-रू रखना चाहेंगे। इस अनुभव को महज एक महानगर के लोगों तक सीमित नहीं रखेंगे। हमारे लिए यह सुनहरा अवसर होगा जबकि हम पूरे देश के ग्राहकों की प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया जान पाएंगे और उसके आधार पर मौजूदा उत्पादों एवं सेवाओं को बेहतर बना पाएंगे। इससे, जाहिर है, ग्राहकों को भी बेहतर सेवा मिल पाएगी। लखनऊ हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण बाजार है और हम यहां भावी विस्तार के लिए उत्सुक हैं। एटियोस कांसेप्ट मॉडल को पेश करने के साथ हमें उम्मीद है कि बहुत कम समय के अन्दर भारतीय बाजार के बड़े हिस्से पर हमारा अधिकार होगा।

हाल में आयोजित दिल्ली ऑटो एक्सपो में टोयोटा एटियोस के वल्र्ड प्रीमियर की शानदार सफलता के बाद टोयोटा की विश्व प्रसिद्ध गुणवत्ता और तकनीक को लखनऊ में पेश किया गया है। एटियोस के कांसेप्ट मॉडल पेश करने को लेकर उत्साहित ग्राहक अब अपने ही हर में इस कार के कांसेप्ट मॉडल को देख पाएंगे।

गौरतलब है कि एटियोस के वल्र्ड प्रीमियर और उसकी नवीनतम तकनीक देखने दिल्ली ऑटो एक्सपो में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी और अब टोयोटा क्यू वल्र्ड के जरिये कम्पनी ग्राहकों तक पहुंच कर उन्हें एटियोस का प्रत्यक्ष अनुभव देगी।

प्रदर्शनी में 11 गाड़ियों की एक शानदार श्रंखला शामिल थी। मजे की बात यह कि लोगों को टोयोटा कारों को छूने और महसूस करने का अभूतपूर्व अनुभव मिला। इस अवसर पर एटियोस की चर्चा रही। प्रदर्शनी में पेश गाड़ियां तीन थीम की प्रतीक दिखीं : पर्यावरण अनुकूल और भावी कार,कांसेप्ट कार और `टोयोटा कार श्रंखलाप्रदर्शनी में हाल में पेश एटियोस कांसेप्ट के अतिरिक्त टोयोटा की मौजूदा और भावी कार श्रंखला की कई मजेदार और रोमांचक गाड़ियां देखने को मिलीं जैसे :
•    हाल में पेश प्रायस - दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाली हाइब्रीड कार
•    हाल में पेश प्रादो डीज़ल
•    एमपीवी सेगमेंट में सबसे पसन्दीदा कार - फाच्युर्नर और एसयूवी का हंशाह - लैण्ड क्रूज़र

प्रदर्शनी में आए ग्राहकों के लिए विशेश तौर पर मौज-मस्ती और मनोरंजक कार्यक्रम आयोजित किए गए थे।

चण्डीगढ़ और लखनऊ के बाद टोयोटा क्यू वल्र्ड देश के 8 अन्य हरों में देखने को मिलेगा जिनमें शामिल हैं मुम्बई, अहमदाबाद, पुणे, कोचीन, बंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता। टोयोटा क्यू वल्र्ड कार्यक्रम 4 माह तक चलेगा।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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इस्लाम बेगुनाहों को कत्ल करने की इजाजत नहीं देता - शाहरूख

Posted on 22 January 2010 by admin

लखनऊ- मुस्लिम बच्चों को ज्यादा से ज्यादा शिक्षा ग्रहण करना चाहिए और अरबी उर्दू के साथ मौजूदा तरक्की की पढ़ाई को जरूर प्राप्त करना चाहिए। इस्लाम बेगुनाहों को कत्ल करने की कभी इजाजत नहीं देता।

उक्त बातें देश भर से आये चुनिन्दा लगभग 20 सहाफी के बीच सिने अभिनेता शाहरूख खान ने अपने बान्द्रा (मुम्बई) स्थित मन्नत आवास पर कही।

उर्दू सहाफियों से एक आसान मुलाकात मेंश्री खान ने कहा कि खासकर मुस्लिम समाज की जो पूरी दुनिया में गलत तस्वीर पेश की जा रही है उससे खासे नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि समाज के एक दो लोग अगर खराब हैं तो उससे पूरे मुस्लिम समाज को जोड़कर देखना गलत है। मसलन कोई ईसाई अगर खराब है तो क्या पूरी ईसाई कौम खराब है, कोई हिन्दू खराब है तो क्या पूरी हिन्दू कौम खराब है। उन्होंने कहा कि जेहाद पर जो बातें की जाती है और जो बताई जाती हैं जेहाद के माने यह बताया जाता है कि कत्ल करना इस्लाम में है। इस्लाम बेगुनाहों को कत्ल करने की कभी इजाजत नहीं देता। इस्लाम अमन व शान्ति का मजहब है उन्होंने यह भी कहा कि मोहम्मद साहब ने मुस्लिम समाज की पढ़ाई पर काफी जोर दिया था और कहा था कि अगर पढ़ाई के लिए चीन जाना हो तो भी जाओ। इसका मतलब यह है कि पढ़ाई के लिए या इल्म हासिल करने के लिए वतन भी छोड़ना पड़े तो वतन को छोड़ो और अपनी शिक्षा से अपनी व देश की तरक्की करो।

शाहरुख खान ने खासकर मुस्लिम बच्चों से कहा कि अगर अरबी उर्दू पढ़ते हो तो उसके साथ-साथ नई टेक्नोलॉजी की पढ़ाई जरूर करें - अल्लाह मियां को याद रखें और कालेज भी जाए।

श्री खान ने अपनी नई फिल्म माई नेम इज खान की चर्चा करते हुए कहा कि यह फिल्म ऐसी है जो हिन्दू-मुस्लिम दोनों किरदारों को पर्दे पर उतारती है। उन्होंने कहा कि इस फिल्म का टाइटिल पहले खान रखना चाहते थे लेकिन यह टाइटिल मनोज कुमार साहब के पास रजिस्टर्ड था इस वजह से इस फिल्म का नाम माई नेम इज खान रखना पड़ा। जबकि मेरा स्वयं का किरदार है कि जरा से दबा कर व हकला कर मैं कई बार माई नेम इज खान कहता हूं। माई नेम इज खान करन जौहर की पिक्चर है जो मेरे अच्छे दोस्तों में से हैं और हम लोगों ने इस पर काफी मेहनत की है।

शाहरूख ने कहा कि किसी के नाम में सरनेम खान लगा होता है तो उसे हर जगह रोका जाता है मेरा किरदार इस फिल्म में एक रिजवान खान नाम के लड़के का है जिसके नाम के आगे खान होने के कारण एअरपोर्ट पर रोक दिया जाता है कि कहीं वह आतंकवादी तो नहीं।

शाहरुख ने यह भी बताया कि मैं 7 फरवरी को लखनऊ भी आ रहा हूं और इसी बीच अलीगढ़ जाने की भी बात कही। शाहरुख खान लखनऊ से गये डेढ़ दर्जन पत्रकारों से अपनी बात बड़े ही खुलूस और मोहब्बत से अपने घर पर रखी।

शाहरुख ने कहा कि काजोल बहुत ही अच्छी अदाकारा हैं और वे अच्छी ढंग से अपने किरदार को इतनी आसानी से अदा कर देती हैं यही उनका बडप्पन है। शाहरुख ने कहा इस फिल्म को लोग जरूर देखें यह आतंकवादियों पर फिल्म नहीं है, यह एक अलग स्टोरी पर आधारित फिल्म है।

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आयी पंचमी ब्वै झुमैलो………….. झुमैलो

Posted on 19 January 2010 by admin

रात्रि होते ही पर्वतीय घाटियों से एक मधुर तथा सामूहिक ध्वनि गूंजने लगती है । झुमैलो………………………….झुमैलो

एक वेदना भरा स्वर जो अनायास ही अपनी ओर खींच लेता है और पहाड़ की नारी के कठोर जीवन के उस दर्द को व्यक्त करता है जिसे वह हृदय के किसी कोने में दबाये रखती है जिसे वह किसी से व्यक्त नहीं कर सकती वही अभिव्यक्ति है “झुमैलो´´।uttara-12

बसन्त ऋतु के आते ही गढवाल की धरती में प्रकृति एक नवविवाहिता की तरह सज उठती है, चारों ओर रंग बिरंगे फूल वातावरण को मनमोहक बना देते है, ऐसे सुखद वातावरण में माइके बिहिन स्त्रियों के हृदय में एक टीस उठती है, कि काश वो भी अपने माइके जाकर इस प्रकृति की तरह उल्लसित हो सकती जो अपने माइके पहुंच जाती है। वो ससुराल के दुखों को प्रकट करने के लिए अपनी व्यथा प्रकट करती है।

फेर बौडीगे स्यौ झुमैलो, फूला सगरौन्द ब्वै झुमैलोuttara-21

दी गन्दा बूरौस झुमैलो। डोला सी गच्छैनी झुमैलो

मैकु बारामास ब्वै झुमैलो, एिक्क रिवु रैगे ब्वै झुमैलो

ग्वरू की बाशुली ब्वै झुमैलो, तू व ना बाज ब्वै झुमैलो

मेरी जिकुड़ी मा -झुमैलो, क्यापणी होद रै झुमैलो।

निरमैव्या धियाण हवै झुमैलो बणु बणु ब्याली ब्वै झुमैलो,

आयी पंचमी ब्वै झुमैलो……………झुमैलो

अर्थात सरसों व राड़े के पौधों पर फूल खिल गये हैं, बुरौश के फूलों से डालियां डोली की तरह सजने लगी है। झुमैलो बसन्त आ गया है। परन्तु मेरे लिए तो बारों महीने सावन की ही ऋतु है। फूल संक्रान्ति लौट आयी है मैं ससुराल में पड़ी हूं, हे चरवाहों की मूरली तू न बज, तुझे सुनकर मेरे हृदय में अजीब सी टीस उठती है। जिनका कोई होगा तो मिलने आऐगा, मैं तो माईके विहिन हूं, बनो बनों में भटकूंगी काश मेरा भी कोयी होता बंसत पंचमी आ गई है, पर मुझे लेने कोई नहीं आया।

झुमैलो नृत्य गीत बसन्त पंचमी से प्रारम्भ होकर विशुवत संक्रान्ति तक चलते हैं। इन गीतों में माइके की स्मृति तथा प्राकृति सौन्दर्य का वर्णन होता है। झुमैलो झूम झूम

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कुसुम भट्ट

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3 इडिएट फिल्म से लौटी सिनेमा घर की रौनक

Posted on 18 January 2010 by admin

0 मनचाही शिक्षा थोपने वाले अभिभावकों के लिए सन्देश बनी फिल्म
0 छात्रों को अभिभावकों के दबाव में नहीं करनी चाहिए पढ़ाई रूचिपूर्ण हो पढ़ाई
0 फिल्म को टैक्स फ्री करने की मांग

सुलतानपुर - नगर स्थित नेशनल टाकीज में वर्षो बाद 3 इडिएट ने रौनक ला दी है। युवाओं के साथ शिक्षा जगत से जुडे़ लोगों में यह फिल्म अधिक पसन्द की जा रही है। इस फिल्म ने सिनेमा हाल के साथ मनोरंजन विभाग का राजस्व भी बढ़ा दिया है।3-idiat-2

नेशनल सिनेमा घर के प्रबन्धक रज्जन ने बताया कि इस फिल्म को देखने के लिए इन दिनों युवाओं की भीड़ के साथ शिक्षा जगत से जुड़े लोग भी देखने आ रहे है। फिल्म देखने वालों ने बताया कि यह फिल्म खासकर उन लोगों के लिए प्रेणना प्रदान करेगी जो अपने बच्चों पर अपने मन की शिक्षा को थोपकर उससे शिक्षा ग्रहण करने को बाध्य करते हैं। आज कल सामान्य सा लोगों का विचार बन गया है कि उनका बच्चा इंजीनियरए डाक्टर अथवा  आई..एस. ,पी.सी.एस. ही बने। इसके लिए अभिभावक अपने बच्चों को बकायदा बाध्य करते हैं जबकि पढ़ाई जिस बच्चें को करनी है उसकी इच्छा जानने की जहमत नहीं की जाती है।

फिल्म में दर्शाया गया है कि छात्रों को उनकी रूचि के अनुसार क्षेत्र विशेष में पढ़ाई करने की पूरी छूट दी जानी चाहिए। साथ ही शिक्षकों के लिए भी सन्देश है कि किताबी कीड़ा बने रहने के बजाय शिक्षा के व्यवहारिक पक्ष पर भी ध्यान दिया जाय। किताब में लिखे अक्षरों को रट कर परीक्षा पास करना ही बड़ी बात नहीं है उसके मायने भी समझ में आने चाहिए। अन्यथा फिल्म के पात्र चतुर की तरह मंच से अर्थ का अनर्थ बोलेगें और हंसी का पात्र बनेगा। इसके अलावा पूरी फिल्म में हास्टल जीवन के वास्तविक स्थिति को दर्शाकर हंसाया गया है। अभिभावकों द्वारा अपनी मंशा को अपने बच्चों पर थोपने का जो नुकशान है उससे बचने का पूरा उपाय दर्शाया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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मजदूरों को रोजगार की गारन्टी का प्रकाशन

Posted on 17 January 2010 by admin

भारत सरकार ने नरेगा (रोजगार गारन्टी अधिनियम) लागू करके भले ही सोंच लिया हो कि इससे गांव के लोगों की रोजी-रोटी की समस्या दूर की जा सकेगी सरकार की यह सोंच भी सम्भवत: सच होती यदि प्रदेश सरकारें अपने-अपने यहां नरेगा योजना ईमानदारी से लागू करती। वास्तव में नरेगा का भी वही हाल हुआ है जैसा कि अन्य सरकारी योजनाओं का होता आया है।

नरेगा में अधिकतर जगहों पर रोजगार के इच्छुक सभी ग्रामीणों का पंजीकरण नहीं हुआ जिनका पंजीकरण हुआ है उनमें से अधितर को निर्धारित 100 दिन का रोजगार नहीं मिला जिन्हें रोजगार मिला है पूरा भुगतान नहीं मिला है अनेक मजदूरों के जॉब कार्ड प्रभावशाली लोगों ने अपने यहां रख रखे हैं।

इन सब बाधाओं के अलावा योजना का बेहतर लाभ न उठा पाने का मुख्य कारण योजना की बारीक जानकारी न होना है। भले ही किसी परिवार को जॉब कार्ड मिल गया हो किन्तु उन्हें लिखित में रोजगार मांगना जरूरी हैं। जब तक काम नहीं मांगेगें, तब तक नरेगा में काम नहीं मिलेगा। बारीक जानकारी न होने के कारण मजदूर इस बात को नहीं जानते हैं। जिसका सरकारी कर्मचारी फायदा उठाते हैं और शिकायत होने पर काम न मांगने की बात कह कर बच जाते हैं। इसी प्रकार नरेगा में अनेक बारीकियां हैं जिन्हें ग्राम प्रधानों, रोजगार सेवकों, निगरानी पर्यवेक्षकों, सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के साथ-साथ मजदूरों को जानना आवश्यक हैं।

इस कमी को श्री शिव प्रसाद भारती ने मजदूरों को रोजगार की गारन्टी पुस्तक लिखकर दूर किया है। जिसका प्रकाशन रोजगार सूचना एवं मार्ग दर्शन गाजियाबाद ने किया है। पुस्तक में नरेगा के अन्र्तगत ग्रमीणों के रोजगार पाने के अधिकार व अन्य जानकारी सामान्य भाषा में विस्तार से दी  गई है। पंजीकरण के बाद जॉब कार्ड के आधार पर सौ दिन रोजगार की मॉग 15  दिन में रोजगार न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता की मांग तथा यदि अभी तक किसी परिवार का पंजीकरण नहीं हुआ तो कैसे कराया जा सकता है जैसी अनेक उपयोगी जानकारी पुस्तक में दी गई हैं। nrega1narega2

पुस्तक मजदूरों के अलावा नरेगा लागू करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों, ग्राम प्रधानों, रोजगार सेवकों, निगरानी पर्यवेक्षकों के लिये विशेष उपयोगी होगी । पुस्तक का मूल्य मात्रा 25/-रू0 मजदूरों को ध्यान में रख कर निर्धारित किया गया है जो उचित प्रतीत होता है।

लेखक                      -    श्री शिव प्रसाद भारती
प्रकाशक                   -    रोजगार सूचना एवं मार्गदर्शन
32, सुचिता काम्पलेक्स, अम्बेडकर रोड, गाजियाबाद    201001
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695

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मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफ़रनामा का विमोचन

Posted on 15 January 2010 by admin

लखनऊ- बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री कुमारी मायावती जी की, स्व-लिखित पुस्तक मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफ़रनामा, भाग-टß व इसका अंग्रेज़ी संस्करण आज यहाँ उनके 54वें जन्मदिन के शुभ अवसर पर 5, कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर आयोजित एक सादे किंतु आकर्षक समारोह में विमोचन किया गया। यह पहला अवसर है जब इस पुस्तक के हिंदी व अंग्रेज़ी संस्करण का विमोचन एक साथ हुआ है। इससे पूर्व इस पुस्तक के चार खण्ड हिंदी व अंग्रेज़ी में जारी हो चुके हैं जिसके हिंदी के प्रथम दो खण्डों का विमोचन मान्यवर श्री कांषीराम जी के कर-कमलों द्वारा दिनांक  15 जनवरी सन् 2006 को हुआ था।

बी.एस.पी. की `ब्लू बुक´ के नाम से जानी जाने वाली इस पुस्तक के पाँचवे भाग के 1100 से अधिक पृश्ठों में सुश्री मायावती जी ने एक जनवरी 2009 से 31 दिसम्बर, 2009 की अवधि के दौरान देष में बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) तथा उत्तर प्रदेश में उनके नेतृत्व वाली बी.एस.पी. की चौथी सरकार को पेष आने वाली चुनौतियों, संघर्षो, सफलताओं तथा उनकी सरकार द्वारा आम जनता के हित में लिये गये महत्वपूर्ण निर्णयों एवं उनके कल्याण व विकास हेतु किये गये कार्यों के साथ-साथ अच्छे शासन से सम्बंधित विभिन्न आदेशो-निर्देशो एवं उनके क्रियान्वयन का तिथिवार लेखा-जोखा संजोया गया है।

इस पुस्तक को अत्यंत विष्वस्नीय बनाने हेतु, इस `सफ़रनामा´ के 5वें भाग में भी, पूर्व में जारी किये गये इसके अन्य भागों की ही तरह, घटना-प्रधान चित्रों, लेखों एवं अन्य सरकारी दस्तावेज़ों को सम्मिलित किया गया है।
इस सफ़रनामा के बारे में सुश्री मायावती जी लिखती हैं कि यहसफ़रनामा कोई शिकवा-शिकायत का इंद्राज नहीं है, बल्कि सच्चाई को आम हिंदुस्तानी जुबान में एक सीधे-साधे सत्य  की तरह पे करने की कोषि की गई है। इस प्रकार घटनाक्रमों को उनकी समग्र वास्तविकता में ही पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
अपने जन्मदिन के सम्बंध में सुश्री मायावती जी अपने सफ़रनामा में लिखती हैं कि हर वर्ष 15 जनवरी को मनाया जाने वाला उनका जन्मदिन दे की आम जनता और उसमें से भी ख़ासकर दे के दलितों व पिछड़ों एवं अन्य समाज में से ग़रीबों एवं असहाय लोगों के हितों की रक्षा के लिये तत्पर बी.एस.पी. मूवमेन्ट को समर्पित होता है, लेकिन समाज के ग़रीब एवं कमज़ोर वर्गों की विरोधी, पूँजीपतियों की हितैशी हमारी विरोधी पार्टियों, ख़ासकर कांग्रेस और बी.जे.पी. तथा इनकी सहयोगी पार्टियों को यह पसंद नहीं है और इसी कारण इन पार्टियों ने, एक सोची-समझी राजनीतिक साज़िष के तहत ख़ासकर उनके जन्मदिन को हमेषा ही विवादित बनाने की कोषिष की है। लेकिन पिछले वर्श तो इन विरोधी पार्टियों ने अति कर दी थी, जिस कारण इस वर्ष अर्थात् सन् 2010 में अपने जन्मदिन को आर्थिक सहयोग दिवस के तौर पर मनाने की परम्परा को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। और अब इस जन्मदिन को मेरी पार्टी व सरकार जन-कल्याणकारी दिवस के रूप में मना रही है।

साथ ही, उत्तर प्रदे में 16 वर्षो के बाद सन् 2007 में पूर्ण बहुमत वाली बी.एस.पी. की स्थायी सरकार के गठन का उल्लेख करते हुये सुश्री मायावती लिखती हैं कि जनता ने बी.एस.पी. को उत्तर प्रदेष में स्थायी सरकार बनाने का जो मौक़ा दिया उससे प्रतिपक्ष की सभी विरोधी पार्टियाँ एक जुट हो कर बी.एस.पी. के खिलाफ और अधिक शड्यंत्रकारी बन गईं। प्रतिपक्ष की सभी पार्टियाँ ख़ासकर कांग्रेस, भाजपा और सपा ने मिलकर, भारत अमेरिका परमाणु-डील मुद्दे पर संसद में केंद्र सरकार के विष्वास प्रस्ताव के दौरान, मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनने देने के लिये अंदरूनी मिलीभगत की। और यही सब कुछ मार्च-मई सन् 2009 में हुये लोकसभा के आम चुनाव में भी जारी रखा। मक़सद सिर्फ एक था कि देष की राजनीति में अपनी अलग पहचान एवं अपनी अमिट छाप बनाने वाली एक `दलित की बेटी´ को किसी भी क़ीमत पर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर ना बैठने दिया जाये। क्योंकि हमारी विरोधी पार्टियों ख़ासकर कांग्रेस पार्टी को यह अच्छी तरह से मालूम है कि केंद्र में एक बार बी.एस.पी. के नेतृत्व में सरकार बन जाने के बाद कांग्रेस पार्टी की उसी प्रकार से छुट्टी हो जायेगी जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में मेरे नेतृत्व में बी.एस.पी. की सरकार बन जाने के बाद से, देश के सबसे बड़े व महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश से कांग्रेस पार्टी की छुट्टी हो गई है और उनके विधायकों की संख्या 403 सदस्यीय विधानसभा में मात्र 20 रह गई है।

साथ-ही-साथ बी.एस.पी. की राश्ट्रीय अध्यक्ष अपनी पुस्तक में कहती हैं कि इसे देष की राजनीति का एक दुर्भाग्य नहीं तो और क्या कहा जायेगा कि एक तरफ परिवारवाद एवं विरासत की राजनीति को बिना रोक-टोक ही नहीं बल्कि बढ़-चढ़ कर प्रोत्साहित किया जाता है और दूसरी तरफ सर्वसमाज के हित को लेकर संघर्श व कुबानियों तथा गुड गवनेन्स के बल पर भारतीय राजनीति में आगे बढ़ने वाली एक एक दलित की बेटी के खिलाफ विभिन्न विरोधी पार्टियों द्वारा मौक़ापरस्त अनैतिक गठबंधन कर लिया जाता है और साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों का इस्तेमाल करके हर बार देश में आम जनता की चाहत को कुचलने का प्रयास किया जाता है।

और जहाँ तक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के पास ज़िला गौतम बुद्ध नगर के नोएडा और ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के तथा राष्ट्रीय महत्व वाले स्मारकों, स्थलों, पार्कों एवं विश्वविद्यालय के निर्माण का मामला है, कांग्रेस पार्टी तथा केंद्र में उसके नेतृत्व वाली सरकार को यह सब ऐतिहासिक महत्व वाले कार्य क़तई पसंद नहीं आ रहे हैं तथा वे इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं जिस कारण कांग्रेस पार्टी के लोग, आम जनता के हित एवं इस्तेमाल के इन स्मारकों/स्थलों को भी अपने राजनीतिक प्रतिरोध का माध्यम बनाकर, सरकारी तंत्र के दुरुपयोग के साथ-साथ कोर्ट में भी इनका तीव्र विरोध कर रहे हैं। आम जनता इन निर्माणों को अपने लिये उपयोगी समझती है और इनका भरपूर लाभ और आनंद उठा रही है, इसलिये उनके बीच विरोधी पार्टियों के इन नेताओं की दाल नहीं गल पाती है, लेकिन राजनीतिक साज़िश के तहत, इन निर्माण कार्यों का कोर्ट में विरोध इतना तीव्र होता है कि उसकी दूसरी मिसाल मिलनी मुश्किल है, परंतु मैं समझती हूँ कि इसमें हैरानी की कोई बात नहीं होनी चाहिये। यह स्वाभाविक ही है कि हमारी सरकार ने अपने अल्पकाल के शासनकाल में ही विकास और जनोपयोग के जो भव्य निर्माण करवाये हैं उनकी दूसरी मिसाल अपने देश के स्वतंत्रता के बाद के इतिहास में मिलनी बहुत मुश्किल है। हमारी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में कराये गये ऐतिहासिक निर्माण कार्य वास्तव में कांग्रेस पार्टी को एक चैलेन्ज की तरह से चुभते और खटकते होंगे, क्योंकि आज़ादी के बाद एकछत्र राज करने के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने यहाँ ऐसा कुछ भी नहीं किया जिस पर आम जनता अपने आपको सहज व गौरवािन्वत महसूस कर सके।

अपने जीवन संघर्षो तथा बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफ़रनामा कलमबंद करने की सार्थकता पर प्रकाष डालते हुये सुश्री मायावती जी पुस्तक की प्रस्तावना में लिखती हैं, वैसे यह सब बातें मैं इसलिये लिख कर बता पा रही हूँ क्योंकि सुबह-सवेरे उठकर कुछ लिखने-पढ़ने का मेरा सौक़ काफ़ी पुराना है। यही कारण है कि बी.एस.पी. मूवमेन्ट से सम्बंधित काफी दस्तावेज़ात आज पार्टी के ख़ज़ाने में हैं, जिनकी आज अपनी अहमियत है तथा आने वाले कल में भी इनकी और ख़ास अहमियत होगी इससे क़तई इन्कार नहीं किया जा सकता है।

जन्मदिन के शुभ अवसर पर आयोजित इस पुस्तक विमोचन समारोह में प्रदेष कबीना के वरिष्ठ मंत्रीगण, सांसद, विधायक, वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

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