इस दुनिया में आना जाना हर पल होता रहता है

Posted on 27 February 2010 by admin

npनिर्मल पाण्डेय द्वारा निर्देिशत अन्धायुग का एक दृश् -

सुर ना सधे क्या गाऊं में फिल्म बसन्त बहार का यह गीत गाते - गाते निर्मल पाण्डेय शास्त्री राग बसन्त बहार में ऐसे डूबे कि उन्हें होश ही नही रहा कि किसी धारावाहिक के सेट पर है और उन्हें अपना रोल प्ले करने जाना है। लखनऊ में वशZ 2003 को निर्मल पाण्डेय अभिनेत्री मेघना कोठारी के साथ एक धारावाहिक की शूटिंग करने लखनऊ आये कि पुरानी यादें एक बार फिर ताजी हो गई। पूना फिल्म संस्थान से फिल्म रसास्वाद पाठ्यक्रम करने के बाद जब मै मुबई पहुंचा तो अभिनेता राजा बुन्देला ने निर्मल से मुलाकात करायी विक्रम मल्लाह के रूप में बुन्देलखण्ड के मिथकीय चरित्रों के रूप मेें डाकुओं को मिली शोहरत और प्रसिद्धि को बम्बईया फिल्मों ने खूब भुनाया। डाकू फिल्मों के सुभाश घई के रूप में चर्चित यश. चौहान ने निर्मल की अदाकारी की जब प्रशंसा की तो लगा वाकई किसी कलाकार से मिलना हो रहा है। निर्मल मन से जितने निर्मल थे तन से उतने ही निर्मल रहे। फिल्मों में रहते हुये भी अपनापन और मित्रता को सदा याद करते रहे। जब लखनऊ में उपरोक्त धारावाहिक की शूटिंग अम्बेडकर पार्क के पास होनी थी तो तत्कालीन एल.डी.ए.की सचिव ने अनुमति पत्र पर जब कोई निर्णय नही लिया तो निर्देशक के लाख डरने के बावजूद भी निर्मल शूटिंग के लिये तैयार हो गये। निर्मल में गजब का आत्म बल था उसी आत्मबल से प्रभावित होकर इसी धारावाहिक में कम करने आयी अर्चना उनकी जीवन संगनी बन गई। पिछले माह निर्मल लखनऊ के एक माल में मेरे एक मित्र को मिल गये तो उन्होंने ने निर्मल को  मेरी याद दिलायी निर्मल ने स्वयं फोन नम्बर लेकर देर रात में काफी देर तक बाते की और स्टेज पर अन्धायुग फिर से प्रस्तुत करने की रूपरेखा बताते हुये कहा कि अब मेरा दिल नहीं लगता फिल्मों में मुझे तो अपनी मिट्टी की सौधी महक पहाड़ों के झरने  से निकलती कल -कल आवाज बुला रही है। मैं फिर लौट जाना चाहता हूं उस लोक दुनिया में जहां सिर्फ छल नही अपनापन है। निर्मल को संगीत से बड़ा गहरा लगाव था। पहाड़ के कितने लोग गायकों की विलुप्त शैलियों को अंगीकार कर लिया था और उन्हें एलबम के माध्यम से लाना चाहते थे। सुुर राग और रस के एकनिश्ठ साधक निर्मल का असमय जाना मन के लिये एक गहरे दर्द से गुजरने जैसा है। पहाड़ी शास्त्री संगीत को घराने-दर-घराने की परम्परा का निर्वाह करके नयी पीढ़ी को इस अनूठी विरासत को साैंपने का सपना सजाने वाले निर्मल के लिये -

nermal
निर्मल पाण्डेय मेघना कोठारी और सुरेन्द्र अग्निहोत्री

कहने को तो इस दिल में कितनी सारी बाते है,
राह दिखाती सदा रहेगी याद तुम्हारी बाते है,
इस दुनिया में आना जाना हर पल होता रहता है,
जो भी अच्छा काम करेगा जग उसको तो रोता है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
राजसदन 120/132 बेलदारी लेन, लालबाग, लखनऊ।
मो: 9415508695

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.

Advertise Here

Advertise Here

 

November 2024
M T W T F S S
« Sep    
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
-->









 Type in