लखनऊ- बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की माननीया मुख्यमंत्री कुमारी मायावती जी की, स्व-लिखित पुस्तक मेरे संघर्षमय जीवन एवं बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफ़रनामा, भाग-टß व इसका अंग्रेज़ी संस्करण आज यहाँ उनके 54वें जन्मदिन के शुभ अवसर पर 5, कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर आयोजित एक सादे किंतु आकर्षक समारोह में विमोचन किया गया। यह पहला अवसर है जब इस पुस्तक के हिंदी व अंग्रेज़ी संस्करण का विमोचन एक साथ हुआ है। इससे पूर्व इस पुस्तक के चार खण्ड हिंदी व अंग्रेज़ी में जारी हो चुके हैं जिसके हिंदी के प्रथम दो खण्डों का विमोचन मान्यवर श्री कांषीराम जी के कर-कमलों द्वारा दिनांक 15 जनवरी सन् 2006 को हुआ था।
बी.एस.पी. की `ब्लू बुक´ के नाम से जानी जाने वाली इस पुस्तक के पाँचवे भाग के 1100 से अधिक पृश्ठों में सुश्री मायावती जी ने एक जनवरी 2009 से 31 दिसम्बर, 2009 की अवधि के दौरान देष में बहुजन समाज पार्टी (बी.एस.पी.) तथा उत्तर प्रदेश में उनके नेतृत्व वाली बी.एस.पी. की चौथी सरकार को पेष आने वाली चुनौतियों, संघर्षो, सफलताओं तथा उनकी सरकार द्वारा आम जनता के हित में लिये गये महत्वपूर्ण निर्णयों एवं उनके कल्याण व विकास हेतु किये गये कार्यों के साथ-साथ अच्छे शासन से सम्बंधित विभिन्न आदेशो-निर्देशो एवं उनके क्रियान्वयन का तिथिवार लेखा-जोखा संजोया गया है।
इस पुस्तक को अत्यंत विष्वस्नीय बनाने हेतु, इस `सफ़रनामा´ के 5वें भाग में भी, पूर्व में जारी किये गये इसके अन्य भागों की ही तरह, घटना-प्रधान चित्रों, लेखों एवं अन्य सरकारी दस्तावेज़ों को सम्मिलित किया गया है।
इस सफ़रनामा के बारे में सुश्री मायावती जी लिखती हैं कि यहसफ़रनामा कोई शिकवा-शिकायत का इंद्राज नहीं है, बल्कि सच्चाई को आम हिंदुस्तानी जुबान में एक सीधे-साधे सत्य की तरह पेश करने की कोषिश की गई है। इस प्रकार घटनाक्रमों को उनकी समग्र वास्तविकता में ही पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
अपने जन्मदिन के सम्बंध में सुश्री मायावती जी अपने सफ़रनामा में लिखती हैं कि हर वर्ष 15 जनवरी को मनाया जाने वाला उनका जन्मदिन देश की आम जनता और उसमें से भी ख़ासकर देश के दलितों व पिछड़ों एवं अन्य समाज में से ग़रीबों एवं असहाय लोगों के हितों की रक्षा के लिये तत्पर बी.एस.पी. मूवमेन्ट को समर्पित होता है, लेकिन समाज के ग़रीब एवं कमज़ोर वर्गों की विरोधी, पूँजीपतियों की हितैशी हमारी विरोधी पार्टियों, ख़ासकर कांग्रेस और बी.जे.पी. तथा इनकी सहयोगी पार्टियों को यह पसंद नहीं है और इसी कारण इन पार्टियों ने, एक सोची-समझी राजनीतिक साज़िष के तहत ख़ासकर उनके जन्मदिन को हमेषा ही विवादित बनाने की कोषिष की है। लेकिन पिछले वर्श तो इन विरोधी पार्टियों ने अति कर दी थी, जिस कारण इस वर्ष अर्थात् सन् 2010 में अपने जन्मदिन को आर्थिक सहयोग दिवस के तौर पर मनाने की परम्परा को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। और अब इस जन्मदिन को मेरी पार्टी व सरकार जन-कल्याणकारी दिवस के रूप में मना रही है।
साथ ही, उत्तर प्रदेश में 16 वर्षो के बाद सन् 2007 में पूर्ण बहुमत वाली बी.एस.पी. की स्थायी सरकार के गठन का उल्लेख करते हुये सुश्री मायावती लिखती हैं कि जनता ने बी.एस.पी. को उत्तर प्रदेष में स्थायी सरकार बनाने का जो मौक़ा दिया उससे प्रतिपक्ष की सभी विरोधी पार्टियाँ एक जुट हो कर बी.एस.पी. के खिलाफ और अधिक शड्यंत्रकारी बन गईं। प्रतिपक्ष की सभी पार्टियाँ ख़ासकर कांग्रेस, भाजपा और सपा ने मिलकर, भारत अमेरिका परमाणु-डील मुद्दे पर संसद में केंद्र सरकार के विष्वास प्रस्ताव के दौरान, मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनने देने के लिये अंदरूनी मिलीभगत की। और यही सब कुछ मार्च-मई सन् 2009 में हुये लोकसभा के आम चुनाव में भी जारी रखा। मक़सद सिर्फ एक था कि देष की राजनीति में अपनी अलग पहचान एवं अपनी अमिट छाप बनाने वाली एक `दलित की बेटी´ को किसी भी क़ीमत पर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर ना बैठने दिया जाये। क्योंकि हमारी विरोधी पार्टियों ख़ासकर कांग्रेस पार्टी को यह अच्छी तरह से मालूम है कि केंद्र में एक बार बी.एस.पी. के नेतृत्व में सरकार बन जाने के बाद कांग्रेस पार्टी की उसी प्रकार से छुट्टी हो जायेगी जिस प्रकार उत्तर प्रदेश में मेरे नेतृत्व में बी.एस.पी. की सरकार बन जाने के बाद से, देश के सबसे बड़े व महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश से कांग्रेस पार्टी की छुट्टी हो गई है और उनके विधायकों की संख्या 403 सदस्यीय विधानसभा में मात्र 20 रह गई है।
साथ-ही-साथ बी.एस.पी. की राश्ट्रीय अध्यक्ष अपनी पुस्तक में कहती हैं कि इसे देष की राजनीति का एक दुर्भाग्य नहीं तो और क्या कहा जायेगा कि एक तरफ परिवारवाद एवं विरासत की राजनीति को बिना रोक-टोक ही नहीं बल्कि बढ़-चढ़ कर प्रोत्साहित किया जाता है और दूसरी तरफ सर्वसमाज के हित को लेकर संघर्श व कुबानियों तथा गुड गवनेन्स के बल पर भारतीय राजनीति में आगे बढ़ने वाली एक एक दलित की बेटी के खिलाफ विभिन्न विरोधी पार्टियों द्वारा मौक़ापरस्त अनैतिक गठबंधन कर लिया जाता है और साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों का इस्तेमाल करके हर बार देश में आम जनता की चाहत को कुचलने का प्रयास किया जाता है।
और जहाँ तक उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के पास ज़िला गौतम बुद्ध नगर के नोएडा और ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के तथा राष्ट्रीय महत्व वाले स्मारकों, स्थलों, पार्कों एवं विश्वविद्यालय के निर्माण का मामला है, कांग्रेस पार्टी तथा केंद्र में उसके नेतृत्व वाली सरकार को यह सब ऐतिहासिक महत्व वाले कार्य क़तई पसंद नहीं आ रहे हैं तथा वे इसे बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं जिस कारण कांग्रेस पार्टी के लोग, आम जनता के हित एवं इस्तेमाल के इन स्मारकों/स्थलों को भी अपने राजनीतिक प्रतिरोध का माध्यम बनाकर, सरकारी तंत्र के दुरुपयोग के साथ-साथ कोर्ट में भी इनका तीव्र विरोध कर रहे हैं। आम जनता इन निर्माणों को अपने लिये उपयोगी समझती है और इनका भरपूर लाभ और आनंद उठा रही है, इसलिये उनके बीच विरोधी पार्टियों के इन नेताओं की दाल नहीं गल पाती है, लेकिन राजनीतिक साज़िश के तहत, इन निर्माण कार्यों का कोर्ट में विरोध इतना तीव्र होता है कि उसकी दूसरी मिसाल मिलनी मुश्किल है, परंतु मैं समझती हूँ कि इसमें हैरानी की कोई बात नहीं होनी चाहिये। यह स्वाभाविक ही है कि हमारी सरकार ने अपने अल्पकाल के शासनकाल में ही विकास और जनोपयोग के जो भव्य निर्माण करवाये हैं उनकी दूसरी मिसाल अपने देश के स्वतंत्रता के बाद के इतिहास में मिलनी बहुत मुश्किल है। हमारी सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में कराये गये ऐतिहासिक निर्माण कार्य वास्तव में कांग्रेस पार्टी को एक चैलेन्ज की तरह से चुभते और खटकते होंगे, क्योंकि आज़ादी के बाद एकछत्र राज करने के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने यहाँ ऐसा कुछ भी नहीं किया जिस पर आम जनता अपने आपको सहज व गौरवािन्वत महसूस कर सके।
अपने जीवन संघर्षो तथा बी.एस.पी. मूवमेन्ट का सफ़रनामा कलमबंद करने की सार्थकता पर प्रकाष डालते हुये सुश्री मायावती जी पुस्तक की प्रस्तावना में लिखती हैं, वैसे यह सब बातें मैं इसलिये लिख कर बता पा रही हूँ क्योंकि सुबह-सवेरे उठकर कुछ लिखने-पढ़ने का मेरा सौक़ काफ़ी पुराना है। यही कारण है कि बी.एस.पी. मूवमेन्ट से सम्बंधित काफी दस्तावेज़ात आज पार्टी के ख़ज़ाने में हैं, जिनकी आज अपनी अहमियत है तथा आने वाले कल में भी इनकी और ख़ास अहमियत होगी इससे क़तई इन्कार नहीं किया जा सकता है।
जन्मदिन के शुभ अवसर पर आयोजित इस पुस्तक विमोचन समारोह में प्रदेष कबीना के वरिष्ठ मंत्रीगण, सांसद, विधायक, वरिष्ठ प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।