लखनऊ - बुन्देलखण्ड के स्वातन्त्रयप्रणेता छत्रसाल जयन्ती पर दो दिवसीय बुन्देली समारोह-2010 भोपाल में ऐतिहासिक सफलता के साथ अविमरणीय छाप छोड़ गया। बुन्देली समारोह का शुभारंभ छत्रसाल तिराहा, टीन शेड पर सांसद कैलाश जोशी द्वारा पुष्पांजलि कार्यक्रम से हुआ। महामहिम राज्यपाल ने संध्या को सुप्रसिद्ध कवि कैलाश मड़बैया के, बुन्देली के पहले सचित्र खण्डकाव्य जय वीर बुन्देले ज्वानन की और इतिहास ग्रंथ विध्य के बॉकुरे का भव्य लोकार्पण किया।
राष्ट्रीय अलंकरणों में छत्रसाल पुरस्कार डॉ. कामिनी दतिया को और बुन्देली कृति पुरस्कार श्री मायूस सागरी बण्डा कसो प्रदान किया गया। डॉ. गंगा प्रसाद बरसैंया ने कृतियों की समीक्षाकी राज्यपाल ने बुन्देली वीरों की सराहना करते हुये लोकार्पित ग्रन्थों के सृजन के लिए कवि मड़बैया की सराहना की। उन्होंने 50 अतिथि साहित्यकारों को जलपान भी कराया शहीद भवन में बुन्देली समारोह का उद्घाटन प्रदेश के वित्तमन्त्री राघव जी ने किया। शहीद भवन में सम्पन्न पहले दिन बुन्देली के राष्ट्रीय कवि सम्मेलन और दूसरे दिन बुन्देली के भाशाई अधिवेशन में डॉ. गंगा प्रसाद बरसैंया, डॉ. कामिनी दतिया, मायूस सागरी बण्डा, लखन लाल खरे कोलारस, रामजी लाल चतुर्वेदी, छतरपुर, स्वदेश सोनी ललितपुर, जवाहर द्विवेदी गुना, राजमती दिवाकर सागर, विश्वविद्यालय,यािज्ञक रायसेन, रामस्वरूप स्वरूप सेवढ़ा, जी.पी. शुक्ल व लालजी टीकमगढ़, कपिलदेव तैलंग, बाबूलाल द्विवेदी बानपुर, राघवेन्द्र सनेही छतरपुर देवदत्त डुबे, बड़ा मलहरा, गोकुल मधुर हटा, कृपाराम अचानक इन्दौर, गोवर्धन राजौरिया विदिशा, सन्तोश पटैरिया खजुराहो, अरूण अपेक्षित शिवपुरी, डॉ आरती दुबे आदि आदि 40 विद्वातों ने भागीदारी कर बुन्देली कवि सम्मेलन और बुन्देली के ललित निबंध प्रस्तुत कर बुन्देली भाषा की श्रीवृद्धि में अविस्मरणीय सहयोग किया और आयोजन को सार्थक बनाकर गरिमा प्रदान की। अध्यक्षता श्री कैलाश मड़बैया ने की ओर संचालन डॉ. राधेश्याम दुबे ने किया।
आयोजन में परिषद के दिल्ली अधिवेशन, ओरछा और बॉदा-कालिंजर के मानकीकरण सम्मेलन, कुण्डेश्वर व शिवपुरी की कर्मशालाओं की उपलबिधयों कीभी सराहना की गई।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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