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कॉमनवेल्थ गेम :सरकार सीबीआई जांच को तैयार

Posted on 09 August 2010 by admin

राष्ट्रमंडल खेल से जुड़ी परियोजनाओं में भारी भ्रष्टाचार होने के आरोपों के बीच सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह कथित अनियमितताओं की सीबीआई से जांच कराने को तैयार है

शहरी विकास मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने कहा, ‘वास्तविक खर्च 11,500 करोड़ रुपये का है। 50,000 करोड़ और एक लाख करोड़ रुपए के आंकड़े पूरी तरह से गलत हैं।’ राष्ट्रमंडल खेलों से जुड़ी परियोजनाओं में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार होने के आरोपों के बारे में रेड्डी ने कहा, ‘हो सकता है कि सरकारी एजेंसियों ने कुछ अनियमितताएं की हों। हर एक आरोप की जांच की जाएगी। यहां तक कि हम सीबीआई से भी इसकी जांच करने को कह सकते हैं।’

रेड्डी ने इन आरोपों से भी इनकार किया कि राष्ट्रमंडल खेल की आयोजन समिति ने अनियमितताएं की हैं। उन्होंने कहा कि आयोजन समिति भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड [बीसीसीआई] की ही तरह स्वतंत्र संगठन है। अगर कुछ समस्याएं हैं या आयोजन समिति के बारे में भ्रष्टाचार के आरोप हैं तो सरकार जांच शुरू कर सकती है। अगर ऐसा है तो सभी जांच एजेंसियां, केंद्रीय सतर्कता ब्यूरो, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, प्रवर्तन निदेशालय कार्रवाई करेगा तथा विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम के तहत भी कदम उठाए जाएंगे।

विपक्ष के उन्हें लोकसभा में अपनी बात नहीं रखने देने के बारे में मंत्री ने कहा कि वह आरोपों का जवाब देना चाहते थे क्योंकि वह राष्ट्रमंडल खेल संबंधी मंत्री समूह के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं पिछले 42 साल से विधायक या सांसद रहा हूं। मैंने ऐसा कभी नहीं देखा कि एक मंत्री जब बोलना चाह रहा हो तो उसे विपक्ष ने नहीं बोलने दिया हो।’ कुछ भाजपा सदस्यों द्वारा दिल्ली में इस खेल आयोजन पर सवाल उठाए जाने के संदर्भ में रेड्डी ने कहा कि खेलों की मेजबानी करने का फैसला 2003 में अटल बिहारी वाजपेई की तत्कालीन सरकार ने किया था। जब संप्रग सत्ता में आया तो यह कर्तव्य पूरा करना उसकी नैतिक तथा राजनीतिक जिम्मेदारी थी।

रेड्डी ने फिर जोर दिया कि खेल आयोजन के लिए सिर्फ 11,500 करोड़ रुपये की राशि ही खर्च की जा रही है। दिल्ली में बुनियादी विकास से जुड़ी परियोजनाओं और खेल परियोजनाओं के बीच असमंजस हो सकता है। उन्होंने कहा कि मेट्रो को नोएडा, गुड़गांव तथा हवाई अड्डे तक विस्तार देने के खर्च को राष्ट्रमंडल खेल की तैयारियों के खाते में नहीं डाला जा सकता। रेड्डी ने कहा, ‘विपक्षी सदस्यों को पूरी जानकारी नहीं है।’ बहरहाल, उन्होंने कहा, ‘अगस्त अंत तक सभी परियोजनाएं पूरी कर ली जाएंगी। राष्ट्रमंडल खेल का आयोजन अच्छी तरह से करने की हमारी काबिलियत को लेकर कोई संदेह नहीं है।’

रेड्डी ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी तैराकी परिसर दुनिया में श्रेष्ठ है। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के वास्तुशिल्प को भी श्रेष्ठ करार दिया। राष्ट्रमंडल खेल संबंधी कुछ परियोजनाओं में विलंब को विपक्ष द्वारा राष्ट्रीय शर्म का विषय बताए जाने पर रेड्डी ने कहा, ‘जब इतनी सारी परियोजनाएं एकसाथ चल रही हों तो दो महीने का विलंब होना शर्म का विषय नहीं है।’


Vikas Sharma
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कॉमनवेल्थ गेम्स में होगी बढ़ेंगे सेक्स वर्कर की धूम

Posted on 09 August 2010 by admin

देश की राजधानी दिल्ली  में दो महीने बाद 19वें राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन होना है। इतने बड़े अवसर के लिए दिल्ली में सुरक्षा तो चाक चौबंद की ही जा रही है तो वही प्रशासन एक और बात का ध्यानरखे है। खेलों के दौरान सेक्स वर्कर्स के बढ़ने पर भी पुलिस की कड़ी नजर है। स्वयं सेवी संस्थाओं, पुलिस और टूर ऑपरेटर्स का मानना है कि गेम्स के समय राजधानी में दुनियाभर से आए लोगों को

h2लुभाने का सेक्स वर्कर्स पुरजोर कोशिश करेंगे पोस इलाको में माकन किराये पर ले कर सेक्स वर्कर्स इनमे अपना के ठिकाने बना सकते है जो की देशी और विदेशी भी होंगे । इस समय वैश्यावृत्ति के प्रकरण भी बढ़ने की संभावना है। इसलिए प्रशासन पहले से ही इन्हें नियंत्रित करने के प्रयासों में जुट गया है। इंडियन एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स ने इस संदर्भ में पर्यटन मंत्रालय से इन गतिविधियों पर निगरानी रखने की गुहार लगाई है। संघ के अध्यक्ष विजय ठाकुरने कहा, खेलों के दौरान उक्रेन, जियोर्जिया, कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, किर्गिजिस्तान और अन्य जगहों से सेक्स वर्कर्स भारत आ सकते हैं।



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रामगढ़ ताल की प्रदूषण नियन्त्रण परियोजना के लिए राज्य सरकार ने 3.72 करोड़ रूपये स्वीकृत किये

Posted on 29 July 2010 by admin

उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय झील संरक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत जनपद गोरखपुर के रामगढ़ ताल की प्रदूषण नियन्त्रण परियोजना के लिए तीन करोड़, 72 लाख, 85 हजार, आठ सौ रूपए की धनराशि स्वीकृत की है।
नगर विकास विभाग ने इस सम्बन्ध में शासनादेश जारी कर दिया है। राष्ट्रीय झील संरक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत रामगढ़ ताल की प्रदूषण नियन्त्रण परियोजना के लिए केन्द्र सरकार ने 8.70 करोड़ रूपए की धनराशि अवमुक्त कर दी है। इस ताल को प्रदूषण मुक्त करने के लिए राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा सामूहिक परियोजना बनाई गई थी, जिसमें से 30 प्रतिशत राज्यांश के रूप में तीन करोड़, 72  लाख, 85 हजार, 8 सौ रूपये की धनराशि स्वीकृत की गई है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
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आई0ए0एस0 प्रारिम्भक परीक्षा-2011 सत्र में प्रवेश परीक्षा 20 जुलाई-2010 को

Posted on 28 June 2010 by admin

आई0ए0एस0 प्रारिम्भक परीक्षा-2011 सत्र में प्रवे हेतु आवेदन पत्र 10 जुलाई तक जमा करें
प्रवे परीक्षा 20 जुलाई-2010 को

पी0सी0एस0 प्रारिम्भक परीक्षा प्रवे हेतु आवेदन पत्र जमा करने की अन्तिम तिथि 20 जुलाई
पी0सी0एस0 प्रारिम्भक प्रवे परीक्षा 30 जुलाई को

लखनऊ - उत्तर प्रदेष सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ी जाति के निर्धन वर्ग के मेधावी अह्र पुरूश अभ्यर्थियों हेतु प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षाओं के पूर्व नि:शुल्क कोचिंग की व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है।

यह जानकारी आज यहॉ उप निदेक श्री महेन्द्र प्रताप सिंह छत्रपति शाहूजी महाराज शोध एवं प्रषिक्षण संस्थान, भागीदारी भवन, गोमती नगर, लखनऊ ने दी है। उन्होंने बताया कि संस्थान में आगामी अगस्त 2010 से आई0ए0एस0 एवं पी0सी0एस0 प्रारिम्भक परीक्षा 2011 के पूर्व कोचिंग सत्र चलाया जाना प्रस्तावित है। जो छात्र आई0ए0एस0 प्रारिम्भक परीक्षा-2011 की कोचिंग सत्र में प्रवेष लेना चाहते हैं वह अपना आवेदन पत्र आगामी 10 जुलाई तक संस्थान में जमा कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि कोचिंग प्रवेष परीक्षा आगामी 20 जुलाई को होगी।

श्री सिंह ने बताया कि इसी प्रकार पी0सी0एस0 प्रारिम्भक परीक्षा-2011 की कोचिंग हेतु आवेदन पत्र जमा करने की अन्तिम तिथि आगामी 20 जुलाई निर्धारित की गई है। उन्होंने बताया कि पी0सी0एस0 प्रारिम्भक परीक्षा-2011 के पूर्व प्रवेष परीक्षा आगामी 30 जुलाई को होगी। प्रवेष परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों को नि:शुल्क- आवास, वातानुकूलित-व्याख्यान कक्ष, पुस्तकालय एवं मेस सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी। उन्होंने बताया कि इच्छुक छात्र विस्तृत जानकारी संस्थान के सूचना पट तथा वेबसाइट पर प्राप्त कर सकते हैं।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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उ0प्र0 से गुजरने वाली कामन वेल्थ गेम्स क्वीन्स बेटन रिले का भव्य व शानदार आयोजन सुनिश्चित किया जाये-मुख्य सचिव

Posted on 28 June 2010 by admin

रात्रि विश्राम से सम्बन्धित जनपदों में सांयकाल भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाय

लखनऊ - मुख्य सचिव श्री अतुल कुमार गुप्ता ने दिल्ली में कामन वेल्थ गेम्स-2010 के आयोजन के पूर्व उ0प्र0 से होकर गुजरने वाली कॉमन वेल्थ गेम्स क्वीन्स बेटन रिले के भव्य व शानदार आयोजन के लिए सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक निर्दे देते हुये कहा कि क्वीन्स बेटन रिले 8 जुलाई से 13 जुलाई तथा 19 से 22 सितम्बर के दौरान प्रदे के विभिन्न जनपदों से गुजरेगी।

मुख्य सचिव श्री गुप्ता ने एनेक्सी सभाकक्ष में आयोजित बैठक में क्वीन्स बेटन रिले कार्यक्रम के गुजरने के दौरान उत्तर प्रदेष में आयोजित होने वाले कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी लेते हुए बेटन रिले में ज्यादा से ज्यादा जनसहभागिता सुनिश्चित  करने के साथ स्कूली बच्चों की भी व्यापक सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु प्रदे व जनपद स्तर पर विभिन्न समितियां गठित कर आवश्यक कार्यवाही करने को कहा। उन्होंने कहा कि कामनवेल्थ गेम्स को ग्रीन गेम्स का दर्जा दिया गया है। अत: रिले से गुजरने वाले सम्बन्धित जनपदों में पर्यावरण जागरूकता तथा रूट आदि पर व्यापक वृक्षारोपण करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। उन्होंने कहा कि क्वीन्स बेटन रिले हेतु निर्धारित रूट पर राश्ट्रीय/अन्तर्राश्ट्रीय ख्याति प्राप्त खिलाड़ियों तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा बेटन के साथ दौड़ लगायी जाये।

बैठक में बताया कि क्वीन्स बेटन रिले 8 जुलाई 2010 को उत्तराखण्ड से बरेली (बहेड़ी) में प्रवे करेगी। इसके पष्चात् शाहजहांपुर, सीतापुर, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी (सुल्तानपुर), इलाहाबाद, वाराणसी होते हुए 13 जुलाई को (गया) बिहार में प्रवे करेगी तथा पुन: 19 सितम्बर, 2010 को झांसी होते हुए आगरा से 22 सितम्बर, 2010 को राजस्थान में प्रवे करेगी। लखनऊ में बेटन रिले 09 जुलाई को सायं 04:15 बजे इटौंजा से प्रवे करेगी तथा पक्का पुल होते हुए बड़ा इमामबाड़ा होते हुए रेजीडेंसी, परिवर्तन चौक होते हुए सी0एम0एस0, कानपुर रोड के लिए प्रस्थान करेगी। जहां बेटन रिले के स्वागत में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इस अवसर पर डाक विभाग द्वारा क्वीन्स बेटन रिले पर विषेश आवरण का विमोचन भी किया जायेगा। 10 जुलाई को क्वीन्स बेटन रिले बड़ा इमामबाड़ा से के0डी0 सिंह बाबू स्टेडियम होते हुए रायबरेली जनपद के लिए प्रस्थान करेगी।

मुख्य सचिव श्री गुप्ता ने क्वीन्स बेटन रिले के प्रभावी आयोजन हेतु स्टेडियमों के साथ रात्रि विश्राम से सम्बन्धित जनपदों में सांयकाल भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के भी निर्देष दिये।

बैठक में प्रमुख सचिव गृह कुंवर फतेह बहादुर, प्रमुख सचिव खेलकूद डा0 ललित वर्मा, सचिव पर्यटन श्री अवनीष अवस्थी, सचिव खेलकूद डॉ0 हरिओम व सम्बन्धित जनपदों के जिलाधिकारी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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नौकरशाहों ने जनगणना की बारीकियों को ताक में रखा और नाम की समानता केआधार पर सूचियां तैयार कर दीं

Posted on 12 June 2010 by admin

अब इस बार फिर  स्वतंत्रता संग्राम में तेजी लाने के लिए जिन दो दुखती रगों को खंगाला गया वे थीं गरीबी और जाति। स्वतंत्रता प्राप्ति का ध्येय था गरीबी हटाना और जाति मिटाना। एक चतुर चिकित्सक की भांति अंग्रेज हमारी पीडा को पहचान तो गए, पर गलत दवाई का नुस्खा दे गए। जाति के जरिए गरीबी मिटाने का नुस्खा। परिणाम सामने है: साठ से ज्यादा की आयु होने पर भी स्वतंत्र भारत में न जाति मिटी है और न ही गरीबी। मगर नुस्खा बरकरार है। यह सच है कि भारत की सामाजिक रचना की आसान पहचान जाति से है। जनगणना में आखरी बार जातियों की गणना सन् 1931 में की गई। तब की गणना से आज तक कई जातियों ने अपने नाम बदले और उस माध्यम में आदिवासियों (ट्राइब्स) के कई समूह कुछ क्षेत्रों में जाति बन गए।

 बाहर से आने वाले समूह भी जातियां बन कर इस संरचना के अंग हो गए और तथाकथित जाति-व्यवस्था के वर्ग में कुछ ऊपर उठे एवं कुछ ऊपर उठने की चेष्टा करते रहे। 1931 की जनगणना में आदिवासी समाजों को भी धर्म के आधार पर विभाजित कर दिया गया। केवल उन्हें ही ‘आदिवासी’ की संज्ञा दी गई जो धर्म-परिवर्तन से दूर रहे। एक नाम होते हुए भी वे धर्म के आधार पर श्रेणियों में विभक्त हो गए। भील, मीणा, गोंड, मुंडा सहित सभी आदिवासी समाजों में वे ही आदिवासी की श्रेणी में रखे गए जो 1931 की जनगणना के शीर्ष अधिकारी हटन के शब्दों में ‘हिन्दुओं के मंदिर से अभी दूर हैं।’

स्वतंत्र भारत के संविधान में दी गई अनुसूची के प्रावधान ने इस प्रक्रिया को पीछे धकेल दिया। अनुसूची में सम्मिलित करने के लिए उत्साही नौकरशाहों ने जनगणना की बारीकियों को ताक में रखा और नाम की समानता केआधार पर सूचियां तैयार कर दीं और इस प्रकार जाति कहे जाने वाले समूहों के बदलाव की प्रक्रिया को स्तब्ध कर दिया। जो समूह अपनी पहचान तजकर ऊंचा उठना चाहते थे, वे अब फिर से पुरानी पहचान को जीवित करने की होड में लग गए। बदलती हुई जाति फिर पीछे लौटने लगी। समाजशाçस्त्रयों ने 1950 के दशक से बराबर यह बात कही कि जाति में जबर्दस्त लोचनीयता है। समय के प्रहारों को झेलने की उसमें क्षमता है। उनकी यह धारणा गलत नहीं थी। जाति आज भी जीवित है। पर यह ‘जाति’ है क्या ‘जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी’ की उक्ति को जाति चरितार्थ करती है।

ऎसी स्थिति में प्रश्न उठता है कि क्या जनगणना जातियों की गणना कर पाएगी। ‘जाति’ के बारे में पढाते समय सन् 1960 में मैंने अपनी कक्षा के छात्रों से उनका नाम और जाति एक प्रश्नावली के माध्यम से पूछा। जाति के स्थान पर किसी ने लिखा-भारद्वाज, किसी ने ब्राह्मण, किसी ने पंजाबी, किसी ने केडिया, किसी ने कोठारी, किसी ने जैन ये सब उनके उपनाम थे: कोई गोत्र था, तो कोई परिवार को मिली पदवी का सूचक, कोई धर्म का बोध कराता था तो कोई वर्ण का। और ये सब जाति के पर्याय थे एम.ए. की कक्षा में, और वह भी समाजशास्त्र की कक्षा में पढने वालों के।

इतनी गलतफहमी जब पढे लिखों में है तो फिर निरक्षरों का क्या जनगणना के लिए भेजे जाने वाले क्लर्को और स्कूल अध्यापकों से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वे जाति और अन्य जाति-समझे जाने वाले संबोधनों में भेद कर सकें। जाति के सम्बन्ध में ये जो विसंगतियां हैं, वे इस बात की सूचक हैं कि जिस जाति नामक संस्था को हम खंडित करना चाहते हैं, उस दिशा में यह सही चरण है। इसी कारण आज ढेरों अंतरजातीय विवाह होने लगे हैं। किन्तु जिस स्तर पर जाति को प्रबल करने की चेष्टा है वह जाति के ऊपर का स्तर है- वर्ण का या वर्ण जैसे संकुल का। ब्राह्मण एक वर्ण है, जाति नहीं। इसी प्रकार यादव, गुजर, मीणा कई जातियों के संकुल हैं। इस स्तर पर उनका एकीकरण संख्या की अभिवृद्धि का माध्यम है। वोट की राजनीति के लिए उपयोगी माना जाने वाला कदम है। पर समाजशास्त्रीय दृष्टि से देखे तो जाति का ऎसा राजनीतिकरण न तो नेताओं के अभीष्ट को पूरा करता है और न ही विकास के उद्देश्य को। यह नियम है कि ज्यों-ज्यों किसी समूह की संख्या बढती है, त्यों-त्यों उस समूह में गुटबंदियां बढती हैं जो लोगों को जोडती नहीं, तोडती हैं।

किसी जाति के धनवान अपनी सम्पदा को जाति के समस्त सदस्यों में नहीं बांटते। दलित कही जाने वाली जातियों में भी लोग ‘मक्खन की परत’ की बात करते हैं और तथाकथित ऊंची जातियों में भी कई दीन-हीन परिवार हैं। पीडा की पहचान एक बात है, उपचार दूसरी बात। आज की स्थिति यह है: दर्द बढता गया ज्यों-ज्यों दवा की। बात कडवी है, पर कहने का समय आ गया है।

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सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण ही किसानों ने की आत्म हत्या - मुलायम सिंह

Posted on 21 May 2010 by admin

लखनऊ - समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की तीन दिवसीय बैठक में, जो कोलकता में आज शुरू हुई, राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव ने अपने उद्घाटन भाण में कहा कि देश के समक्ष आज गम्भीर समस्याएं पेश है। राष्ट्र की आतंरिक और बाहरी सुरक्षा को खतरा बढ़ता जा रहा है। अपनी ढुलमुल नीतियों के कारण मंहगाई और किसानों की तबाही की जिम्मेदारी से केन्द्र सरकार बच नहीं सकती। सरकार की किसान विरोधी नीतियों के कारण ही किसानों ने आत्म हत्या की है, जब कि देश की अर्थ व्यवस्था कृषि पर निर्भर है।

उन्होंने कहा कि किसानो को उनके उत्पादन का लाभकारी मूल्य तो छोड़िये, उत्पादन का लागत मूल्य भी नहीं मिलता है। किसानों की हालत बहुत खराब है। जब तक कृषि को प्राथमिकता नहीं दी जायेगी तब तक आर्थिक समस्याओं और मंहगाई की समस्या का समाधान नहीं हो सकता है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने नक्सल समस्या के बारे में केद्र सरकार की मनमानी की चर्चा की। उन्होंनें कहा कि बेकारी की समस्या का समाधान हुए बिना राष्ट्र में अशन्ति बनी रहेगी। मजबूरी में लोग हथियार उठाते हैं। समाजवादी पार्टी की सरकार में सोनभद्र-मिर्जापुर और वाराणसी में विकास हुआ।  दवाई-पढ़ाई और बेकारी दूर करने की पहल की गई। पुलिस भर्ती केन्द्र सोनभद्र में खोला गया। नक्सलियों के साथ वार्ता और संवाद स्थापित किया गया। पीड़ितों के साथ अन्याय और शोण का अन्त किया गया। उनकी समस्या का समाधान समाजवादी पार्टी सरकार ने किया और विकास कार्यो हेतु तत्काल मुख्यमन्त्री ने दो सौ करोड़ रूपये की व्यवस्था की।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार मौज मस्ती में है। राष्ट्र की समस्याओं की उसे कोई परवाह नहीं है। चीन से राष्ट्र की सीमाओं को गम्भीर खतरा है। पाकिस्तान से नकली नोट और हथियार वाया चीन और नेपाल भारत आ रहे हैं। चीन से अरूणाचल और हिमाचल को खतरा है। वही देश विकास और तरक्की करता है जहॉ अशान्ति और असुरक्षा न हो।

श्री यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी को विचारधारा के आधार पर जन आन्दोलन की ताकत में परिवर्तित करना आवश्यक है। उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि बसपा सरकार के अलोकतांत्रिक आचरण और भ्रश्टाचार ने तमाम रिकार्ड तोड़ दिए हैं। जब तक उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार नहीं जायेगी तब तक उत्तर प्रदेश की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता।

राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पश्चिम बंगाल सरकार के मन्त्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री किरनमय नन्दा ने सभी का स्वागत किया। बैठक में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री बृजभूण तिवारी एवं श्री रशीद मसूद, महासचिव श्री मोहन सिंह,  प्रो0 रामगोपाल यादव, श्री रामजी लाल सुमन, नेता विरोधी दल, उत्तर प्रदेश विधानसभा श्री शिवपाल सिंह यादव, श्री रामआसरे कुशवाहा, श्री विशम्भर प्रसाद निशाद, डा0 सुनीलम, समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव तथा प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी सहित सभी सदस्य बैठक में उपस्थित रहे।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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बसपा सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में उ0प्र0 में विकास शून्य रहा - द्विजेन्द्र त्रिपाठी

Posted on 13 May 2010 by admin

लखनऊ - सुश्री मायावती के नेतृत्व में बसपा सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में उ0प्र0 में विकास शून्य रहा, सिर्फ पत्थरों के अवैध खनन में मन्त्रियों एवं विधायकों द्वारा कमीशनखोरी, मौरंग के खनन में कमीशनखोरी, पार्कों, मूर्तियों और स्मारकों के निर्माण में अरबों रूपये बर्बाद किया गया तथा बसपा विधायकों और मन्त्रियों के नाम कई हत्याएं तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. रीता बहुगुणा जोशी का घर जलाया जाना ही बसपा सरकार की मुख्य उपलब्धि रही।

गैर कांग्रेसी सरकारों के कार्यकाल में बिजली उत्पादन हेतु कोई भी पावर प्लाण्ट नहीं लगाया गया जबकि कांग्रेस शासनकाल में ओबरा, अनपरा, ऊंचाहार, टाण्डा आदि तमाम बिजलीघर स्थपित किये गये। जबकि गैर कांग्रेसी सरकारों के कार्यकाल में लगातार गिरावट होती चली गई,जिसके कारण मांग और आपूर्ति में काफी अन्तर आ गया। जिसका हश्र यह हुआ कि जहां 13मई2007 को बसपा सरकार की मुखिया ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद यह ऐलान किया था कि गांवों को चौदह घंटे बिजली दी जायेगी, बिजली मिलना तो दूर आज चाहे शहर हो या गांव, 18 से 20घंटे बिजली की कटौती हो रही है। जिसके कारण जहाँ प्रदेश के 2लाख 17हजार किसानों के गेहूं की फसल बिजली न होने के कारण सिंचाई के अभाव में ऐंठ जाने के कारण बिजली खरीदने वाला कोई नहीं है। इतना ही नहीं बिजली न होने से किसानों को सिंचाई के लिए 35रूपये प्रति लीटर डीजल खरीदना पड़ा जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी जर्जर हुई। बिजली के न होने से जहां प्रदेश के उद्योग चौपट हो रहे हैं, व्यापार पर भी विपरीत असर पड़ रहा है। बिजली न होने से प्रदेश के लाखों छात्रों की शिक्षा पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। विगत बीस वर्षो से कोई भी पावर प्लाण्ट तो लगना दूर टाण्डा तथा ऊंचाहार को प्रदेश सरकार ने एनटीपीसी को बेंचने का काम किया। प्रदेश सरकार को इस सम्बन्ध में एक श्वेतपत्र जारी करना चाहिए कि प्रदेश में चीनी मिलें तथा सैंकड़ों फैक्ट्रियाँ कैसे बन्द हो गईं और इसकी जिम्मेदारी किसकी है।

उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि प्रदेश की बसपा सरकार की तीन वर्ष की उपलब्धि में केन्द्र सरकार द्वारा जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए दिये गये धन में भ्रष्टाचार, घोटाला भी रहा, जिसे पहले तो सरकार दबाती रही किन्तु बाद में कांग्रेस पार्टी द्वारा आन्दोलन करने और दबाव बनाने पर लगभग तीन दर्जन जिलों के अधिकारियों पर कार्यवाही करनी पड़ी। सबसे बड़ी उपलब्धि इस सरकार की दलित उत्पीड़न में बढ़ोत्तरी की रही, जिसके तहत प्रदेश के तमाम जिलों में दलितों की जमीनों पर बसपा विधायकों, मन्त्रियों एवं सांसदों द्वारा जबरन कब्जा किया गया।

एक ओर जहां प्रदेश की ध्वस्त कानून व्यवस्था के चलते प्रदेश में कोई नया उद्योग नहीं स्थापित हुआ, वहीं पूरा प्रदेश आज बिजली और पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहा है। सरेआम हत्या, लूट, डकैती तथा महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाओं में बाढ़ आना भी बसपा सरकार की प्रमुख उपलब्धि रही। अभी हाल ही में सुलतानपुर में कंाग्रेस कार्यकर्ता मयंकेश शुक्ला की हत्या में नामजद स्थानीय बसपा विधायक ने भी बसपा सरकार की उपलब्धि में चार चान्द लगाने का कार्य किया है। जनतान्त्रिक मूल्यों को कुचलने का कार्य इस सरकार में किया गया है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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सूरत जीरो स्लम आपदा : और 1650 झोपड़ियां टूटी

Posted on 08 May 2010 by admin

सूरत/ बीते एक हफ़्ते में महानगर पालिका ने शहर के तीन इलाकों से 1650 झोपड़ियों को तोड़ा है। सूरत को झोपड़पट्टी रहित बनाने के मिशन ने अबकि 8500 से भी ज्यादा लोगों को बेघर बनाया है। इसके बदले, प्रशासन ने उन्हें शहर की सीमारेखा से कोसों दूर कोसाठ या अन्य इलाकों में बसाने का आश्वासन दिया है।

सुभाषनगर झोपड़पट्टी हटाने की बड़ी कार्रवाई को अंजाम तक पहुंचाने के बाद, सूरत महानगर पालिका ने अपने काम को जारी रखा और मैनानगर इलाके की तकरीबन 300 झोपड़ियों को तोड़ डाला। उसके बाद, उदना और सेंट्रल जोन में भी विध्वंस का यही नजारा देखने को मिला। यहां की तुलसीनगर और कल्याणनगर की तकरीबन 1100 झोपड़ियों को तोड़ा गया। इस इलाके में एक सड़क व्यवस्था को ठिकाने पर लाना था, जिसके चलते 5000 से ज्यादा गरीबों को ठिकाने लगाया गया। नतीजन, यहां से प्रशासन ने 24000 वर्ग मीटर की जगह खाली करवायी है। मगर दूसरी तरफ, यहां से उजड़े लोगों की शिकायत है कि- वैकल्पिक व्यवस्था के नाम पर, प्रशासन ने उनके लिए बमरोली और बेस्तान जैसे इलाकों में चले जाने का सुझाव भर दिया है, उसके आगे कुछ भी नहीं किया है।
 
इसी तरह, सेंट्रल जोन में सड़क को 80 फीट चौड़ा करने के लिए तकरीबन 550 झोपड़ियों को तोड़ा गया है। यहां से तकरीबन 2500 से ज्यादा लोगों को उजाड़ने के बाद प्रशासन ने दावा किया है कि- शुरू में तो रहवासियों ने डेमोलेशन का बहुत विरोध किया, मगर बाद में कोसाठ में बसाने की बात पर सब मान गए। जबकि यहां से उजाड़े गए लोग कहते हैं कि- उन्हें डेमोलेशन की सूचना तक नहीं दी गई थी और डेमोलेशन की कार्रवाई को बड़ी निर्दयतापूर्वक पूरा किया गया, जिसके चलते उन्होंने प्रशासन का विरोध भी किया।
 
प्रशासन की तरफ से यह साफ हुआ है कि उसका अगला निशाना अब बापूनगर कालोनी है, जहां तकरीबन 2700 घरों में 15000 से भी ज्यादा लोग रहते हैं। प्रशासन ने यह भी साफ किया है कि- फिलहाल स्लम डेमोलेशन का जो लक्ष्य उसके सामने है, उसे 15 दिनों के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।
 
 
कैसे बनेगा सूरत जीरो स्लम : 
सूरत को जीरो स्लम बनाने के लिए 1 लाख से ज्यादा झोपड़ियों को तोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। मगर सरकारी योजना में पुनर्वास के लिए केवल 42 हजार घर बनाये जाने हैं। ऐसे में 56 हजार से ज्यादा घरों का क्या होगा ?

एक तरफ झोपड़ियों को साफ करने का काम जोरो पर है, दूसरी तरफ उन्हें बसाने की बात तो बहुत दूर, अभी तक तो यही साफ नहीं हो पाया है कि बसेगा कौन, कैसे और कब तक ?

झोपड़पट्टियों को उजाड़ने के बाद उन्हें कोसाठ जैसी जगहों पर बसाने का अश्वासन दिया जा रहा है, यह जगह विस्थापितों की जगहों से 15 किलोमीटर तक दूर है। फिर यह बाढ़ प्रभावित इलाका भी है। इसलिए एक बात तो यह है कि शहर के बाहर उन्हें काम नहीं मिलेगा और अगर वह काम की तलाश में शहर आए-गए भी तो 150 रूपए प्रति दिन की दिहाड़ी मजदूरी में से कम-से-कम 40 रूपए प्रति दिन (क्योंकि यहां से बस नहीं मिलती, सिर्फ ऑटो मिलते हैं) का तो किराया ही जाएगा। ऐसे में अगर किसी दिन मजदूरी नहीं मिली तो उस दिन का किराया तो फालतू में ही जाएगा। दूसरी बात यह भी कि जब यहां का इलाका बाढ़ के चलते पानी से भर जाएगा तो यहां की स्थिति पहले से कहीं ज्यादा भंयकर हो जाएगी।

किसी भी प्रशासन को झोपड़ियां तोड़ने के पहले संयुक्त राष्ट्र की गाइडलाईन माननी होती है। मगर बहुत सारे तजुर्बों से यह जाहिर हुआ है कि सूरत महानगर पालिका ने संयुक्त राष्ट्र की गाइडलाईन खुला उल्लंघन हो रहा है।

सूरत महानगर पालिका पर आरोप हैं कि उसने झोपड़पट्टियों में गलत सर्वेक्षण किये हैं। इसके अलावा वह कागजातों को लेकर भी कई गंभीर अनियमिताओं से घिरी हुई हैं।
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शिरीष खरे ‘चाईल्ड राईटस एण्ड यू’ के ‘संचार-विभाग’ से जुड़े हैं।

Vikas Sharma
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E-mail :editor@bundelkhandlive.com
Ph-09415060119

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विनय चन्द्र मिश्र, राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य मनोनीत

Posted on 03 May 2010 by admin

लखनऊ - समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव ने बार कांउसिल आफ इण्डिया के पूर्व अध्यक्ष तथा वरिष्ठ अधिवक्ता श्री विनय चन्द्र मिश्र को समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्य समिति का सदस्य मनोनीत किया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री रामगोपाल यादव ने श्री मिश्र को बधाई देते हुये आशा व्यक्त की है कि श्री मिश्र पूरी लगन व मेहनत के साथ सक्रिय होकर समाजवादी पार्टी को मजबूत बनाने का काम करेंगे।

श्री वी0सी0 मिश्र हाईकोर्ट बार एसोसिएशन इलाहाबाद के सात बार प्रेसीडेंट, हाईकोर्ट के पॉच वरिष्ठतम सीनियर एडवोकेट की एल्डर्स कमेटीके आजीवन सदस्य, बार काउंसिल आफ इण्डिया के तीन बार अध्यक्ष तथा अनेक विधिक संस्थाओं के पदाधिकारी रहे है। छात्र जीवन में अनेक आन्दोलनों में जेल गए तथा 1992 में इंटरनेशनल बार एसोसिएशन की कांफ्रेस में केंस (फ्रांस) में भारतीय प्रतिनिधि मण्डल का नेतृत्व किया। श्री मिश्र लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ्  के अध्यक्ष भी रहे हैं। वे छात्र जीवन से ही समाजवादी आन्दोलन से जुडे़ रहे है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

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