Archive | मनोरंजन

सहारावन का तुझ संग प्रीत लगाई सजना लोकप्रियता की ओर अग्रसर

Posted on 18 May 2012 by admin

क्या सोनाली की प्रार्थनाओं से निराली और उसके अजन्मे बच्चे की जान बच जाएगी?

tuzh-sang1सहारावन चैनल पर लोकप्रियता की ओर अग्रसर धारावाहिक ‘तुझ संग प्रीत लगाई सजना’ में सोनाली घर पहुचंती है और लगातार रोती जाती है। वह निराली की हालत के लिए खुद को दोष देती है और वादा करती है कि निराली के आस-पास भी नजर नहीं आएगी, क्योंकि उसे डर है कि उसका दुर्भाग्य निराली और उसके बच्चे पर बुरा असर डाल सकता है। वह निराली की सलामती के लिए दुआ करती है और अपने कान्हाजी से कहती है कि जब तक निराली अच्छी नहीं हो जाती, वह अन्न और जल ग्रहण नहीं करेगी। इस बीच नरेन पहली बार पारूल पर बहुत नाराज होता है और परिवार में जो कुछ भी बुरा घट रहा है, उसके लिए उसे जिम्मेदार ठहराता है। वह उसे चुप रहने या वहां से चले जाने को कहता है। नरेन के व्यवहार में यह परिवर्तन देखकर पारूल को आश्चर्य होता है। नरोत्तम को पता चलता है कि किकी फई घर छोड़कर चली गई हैं और वह इसके लिए पारूल को दोष देते हैं। वह गुस्से में पारूल को घसीटते हुए घर से बाहर निकालने लगते हैं, तभी सोनाली बीच में आ जाती है और उन्हें ऐसा करने से रोकती है। वह उन्हें कहती है कि उसे जो खानदानी चूिड़यां दी गई हंै वह उसे परिवार के बारे में कोई भी फैसला लेने का अधिकार देती है, वह फैसला करती है कि पारूल को इसी घर में रहने दिया जाए और नरेन को आॅफिस वापस जाने का आदेश देती है। नरोत्तम, नरेन से कहते हैं कि वह परिवार के लोगों की अनुपस्थिति में कारोबार का ध्यान रखे।
दूसरी ओर आॅफिस में नरेन, नरोत्तम की कुर्सी पर बैठा है और उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान है। अस्पताल में, निराली को होश आता है, वह दर्द से कराहते हुए सोनाली को पुकारती है। नरोत्तम घर पर ऊषा को फोन करते हैं और उसे सोनाली के साथ जल्द से जल्द अस्पताल पहुचने के लिए कहते हैं।
क्या सोनाली की प्रार्थनाओं से निराली और उसके अजन्मे बच्चे की जान बच जाएगी? यह सब जानने के लिए देखिए सहारा वन पर प्रत्येक सोमवार से शुक्रवार रात 10 बजे से।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

इस फिल्म से रोटी कपड़ा और कमान की याद ताजा हो जाएगी - चन्द्रपाल

Posted on 06 May 2012 by admin

charapal-singhआजमगढ़ में जन्मे और वही पर पढ़ लिख कर बड़े हुए चंद्रपाल सिंह ने कभी यह सोचा भी नही होगा कि एक दिन वह अपनी ही फिल्म की शूटिंग अपने ही प्रांत मंें यानी की यूपी के गोरखपुर जिले मंें करेंगे। बचपन में फिल्म देखने का शौक इंसान को इस कदर दीवाना और पागल कर देता है कि एक दिन वही इंसान फिल्म बनाने का जुनून पाल बैठता है। चंद्रपाल सिंह का यही जुनून उन्हें अपने ही यूपी के गोरखपुर जिले के बनकाटा गांव में ले गया जहां उन्होंने 49 दिन का शूटिंग शेड्यूल आयोजित किया था। इस फिल्म का नाम है- प्रलय (एक अंत की शुरुआत)।वही पढ़ाई पूरी की और पूर्वाचंल मेरी रग रग में बसा हुआ है। मैंने कभी बचपन में सोचा भी नहीं था कि मै एक दिन फिल्म निर्माता बनूंगा और उसकी शूटिंग अपने ही पूर्वाचंल में करूंगा। भगवान ने मेरा यह सपना पूरा  कर दिया। मैं आजमगढ़ से मुंबई गया, मैनें वहां पर कैमरा इक्वुमेंट सप्लाई शुरु की और मुझे इस व्यवसाय में दस पंद्रह वर्ष हो चुके है। आज हर धारावाहिक, रियालिटी और अन्य कार्यक्रमों मेरे ही कैमने शूटिंग के लिए जाते है। आज मेरे पास दौ सौ कैमरे है। शूटिंग देख-देख कर एक दिन मुझे ख्याल आया कि मै खुद ही फिल्म निर्माण क्योें न करू, और एक दिन मेरा यह सपना सच भी हो गया। मेरी पहली फिल्म लकीर के फकीर बन कर तैयार है जो जल्द ही प्रदर्शित होने वाली है। यह फिल्म मेरी दूसरी फिल्म है। इस फिल्म में मैने फिल्म इंडस्ट्री के कई जाने-माने कलाकारों को लिया है और उसकी शूटिंग मैं यहां कर रहा हूॅ। मेरे फिल्म की 90 फीसदी शूटिंग यहां पूरी हो चुकी है। कुछ पैच वर्क और एक आइटम साॅग में मुंबई में पिक्चराइज करने वाला हूं। मेरी फिल्म की कहानी एक ऐसे औरत के आजू-बाजू मंें घूम रही है जो एक पचपन साल के आदमी से शादी कर चुकी है। और इस गांव मंे आकर उसके साथ रहता है।
producer-chandrapal-singh-aaditya-pancholiमाशा पौर ने अपने किरदार के बारे मंें जानकारी देते हुए बताया, गरीबी और मजबूरी की वजह से मेरी शादी गांव की एक पचपन साल के बुढ़े रघुवीर यादव से कर दी जाती है। उसे टीबी की बीमारी है। जब शादी होकर मैं गांव आती हूं तब मेरी खूबसूरती और जवानी मेरी दुश्मन बन जाती है। गांव के कुछ लोग मेरी जवानी के पीछे और मुझे पाने के लिए षडयंत्र रचने लगते है। गांव केा बनिया मनोज जोशी, गांव का डाक्टर शक्ती कपूर, गांव का पुजारी सीताराम पंचाल, गांव का जमीदार मोहन जोशी और ईट भट्टों पर  मैं काम करती हूं उसका मालिक मुकेश तिवारी भी मेरी जवानी से खेलना चाहता है। लेकिन में शुक्रगुजार हूं गांव की एक चाची से जिसका किरदार कुनिका लाल कर रही है। वह हर पल मुझे इनसे बचाने की कोशिश करती है। पर किस्मत को पता नही क्या मंजूर है कहते है ना कि प्रकृति से और नारी से छेड़छाड़ करोगे तो एक दिन प्रलय आ ही जाएगा। यही कहानी इस फिल्म प्रलय की। कहानी में भगवान का दूत बन कर आता है आदित्य पंचोली जब आता है तब कहानी बदल जाती है।
कहते है हिदुस्तान आज भी गावों में बसता है, गांव के किसान दिन रात मजदूरी करके खेती बाड़ी करते है। दिन रात मेहनत करके उनको दो जून की सुख की रोटी भी नसीब नहीं होती । आज भी छोटे गांवों के करोड़ों हिंदुस्तानी रोटी, कपड़ा और मकान जैसी सुविधा से वंचित है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

आने वाली फिल्म रक्तबीजः एक और पान सिह तोमर

Posted on 29 April 2012 by admin

6-sitter-01चंबल के कुख्यात डकैतों के जीवन पर आधारित यथार्थवादी फिल्मों की श्रंृखला में हाल ही चर्चित फिल्म की परम्परा में एक और मील का पत्थर साबित होने वाली फिल्म रक्तबीज षीघ्र रिलीज होने वाली है। 30 वर्शो तक चंबल में कुख्यात रहे ढाई लाख के ईनामी काडू निर्भय सिंह गुजर के जीवन की सच्चाई और वास्तविक पहलुओं को उजागर करने वाली फिल्म के निर्देषक अनिल बलानी ने अनेकों टी.वी सीरियलों तथा टी.वी. षो किये अनुभवी निर्देषक है। फिल्म रक्तबीज षोशणकारी सामाजिक व्यवस्था, भ्रश्ट सरकारी तंत्र, पुलिस, राजनीतिज्ञों और अपराधियों के गठजोड़ पर आधारित है। फिल्म में डाकुओं के जीवन के सच्चाई उनके आपराधिक हथकंडों को बड़ी बारीकी से फिल्माया गया है। रक्तबीज फिल्म की कहानी, घटनायें व आपराधिक तरीके निर्भय गुजर के तौर-तरीकों और उसके जीवन से मेल खाती है। फिल्म में चंबल की दस्यु सुंदरी रही सीमा परिहार से हुये निर्भय गुजर के अंतरंग संबन्धों को भी फिल्मांकन किया गया है।
देषकाल की परिस्थितियों के अनुसार कहानी के पात्रों के नाम काल्पनिक है। रक्तबीज समाज के विभिन्न वर्गो में उत्पन्न हुये दो पात्रों अभय और अजय की जिन्दगी की कहानी हे। जो समाज के दो अलग-अलग क्षेत्रों में षांत व सुखी जीवन जी रहे थे, किन्तु सामजिक अत्याचार, भ्रश्ट पुलिस और सरकारी अव्यवस्था के षिकार होकर दुखत अन्त की ओर बढ़ जाती है।
अभय अत्याचार का षिकार होकर दुर्दान्त डकैत बन जाता है। चुनाव में नेता माया सिंह (टीनू आन्नद) चुनाव जीतकर अभय की पीठ में छुरा भोंक देता है। दूसरी ओर अजय जो एक सफल व्यपारी और उधोगपति है वह व्ययपारिक षत्रुता का षिकार होता है। दोनों का रोमांटिक जीवन प्रेम त्रिकोंणीय से गुजरता है। फिल्म की कहानी के अनुसार राखी सावंत का एक आइटम षांग भी है। रक्तबीज की संवाद प्रभावी व कहानी में रोचकता है। सभी पात्रों के साथ ही निर्देषक अनिल बलानी ने मेहनत की। संगीतकार सतीष-अजय भी मनोरंजन कराने का प्रयास किया। हिन्दी फिल्म रक्तबीज मनोरंजन के साथ ही सामाजिक संदेष भी देगी और कुछ दृष्य दर्षकों को सोचने के लिये मजबूर करेगी।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

सहारावन के ‘झिलमिल सितारों का आंगन होगा’ में राजश्री प्रोडक्शन की अगली बड़ी भारतीय शादी

Posted on 29 April 2012 by admin

dsc_1938सहारावन चैनल पर लोकप्रियता की ओर अग्रसर धारावाहिक ‘झिलमिल सितारों का आंगन होगा’ सम्पूर्ण पारिवारिक मनोरंजन उपलब्ध कराने की राजश्री प्रोडक्शंस की परम्परा की अगली कड़ी है। ‘मैंने प्यार किया’, ‘हम आप के हैं कौन’, ‘हम साथ-साथ हैं’ और ‘विवाह’ जैसी ऐतिहासिक फिल्मों के नक्शेकदम पर चलते हुए ‘झिलमिल सितारों का आंगन होगा’ एक ऐसी कहानी पेश करता है जिसमें एक लड़का, एक लड़की और एक विशाल संयुक्त परिवार मिलते हैं और एक भव्य शादी का कथानक तैयार होता है।
रोमांस के उतार-चढ़ाव के उपरान्त अंगना रायचंद एवं आकाश शर्मा के लिए अब जश्न मनाने का समय है, यह दोनों शादी की दहलीज पर खड़े हैं। इससे पूर्व ही आकाश को एक ऐसी सच्चाई से रू-ब-रू होना पड़ता है, जो पूर्वस्थापित परम्परा के विýद्ध है, जिसके तहत अंगना विदाई समारोह के बाद आकाश के घर नहीं जाती है, बल्कि आकाश को अंगना के घर ‘घर जमाई’ बन कर जाना पड़ता है। अब यह सच्चाई जानने के बाद परेशान आकाश और दर्शकों के समक्ष कई प्रश्न खड़े होते हैं कि क्या, अंगना की मां कल्याणी देवी (सुधा चंद्रन) की तानाशाही भरी मांगों के विýद्ध अपने आत्मसम्मान एवं मर्यादा की रक्षा करते हुए संतुलन स्थापित कर पायेगा? क्या वह कल्याणी द्वारा पंडित से ‘कन्यादान’ के बजाय ‘वर-दान’ की रस्म अदायगी पर सहमति व्यक्त करेगा? क्या वह दुल्हन की कार में रायचंद के घर जाने के लिए राजी होगा?
धारावाहिक के इस एपिसोड पर चर्चा में श्री सूरज बड़जात्या, राजश्री प्रोडक्शंस ने कहा कि, ‘‘राजश्री के अन्तर्गत हमने अपनी फिल्मों और धारावाहिकों में अनेक वैवाहिक समारोहों की शूटिंग की है, लेकिन, ‘झिलमिल सितारों का आंगन होगा’, निश्चित रूप से सबसे अनूठे समारोह में से एक होगा। इसमें सारी रीत उल्टी होती है और वह भी पूरे रस्मों-रिवाज के साथ यहीं हमारा धारावाहिक एक अनोखा मोड़ लेता है।’’
यह सब जानने के लिए देखिए राजश्री प्रोडंक्शस का धारावाहिक ‘झिलमिल सितारों का आंगन होगा’ 30 अप्रैल रात 9 बजे सहारा वन पर, जिसमें विवाह समारोह का आगाज होने जा रहा है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

भरतनाट्यम् नृत्य मंे हुआ भाव राग व ताल का संगम

Posted on 27 April 2012 by admin

‘नागेन्द्र हाराय त्रिलोचनाय…..’

सारेगामा के नृत्योदय कार्यक्रम मंे 12 नृत्यांगनाओं  ने दिखाया कौषल

artists-at-bharata-sandhyaसारेगामा भारतीय संगीत सामाजिक एवं संास्कृतिक वेलफेयर संस्थान के तत्वावधान मंे स्थानीय राय उमानाथ बली प्रेक्षाग्रह मंे सांय भरतसंध्या के अन्तर्गत नृत्योदय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम मंे 12 नृत्यांगनाओं द्वारा गुरू ज्ञानेन्द्र दत्त बाजपेई के निर्देषन मंे भरतनाट्यम नृत्य का प्रर्दषन किया गया। कार्यक्रम मंे मुख्य अतिथि के रूप मंे माननीय संस्कृति मंत्री उ0प्र0षासन श्रीमती अरूणा कोरी तथा विषिण्ट अतिथि के रूप मंे माननीय विधायक बीकेटी गोमती यादव उपस्थित हुये।
इससे पूर्व नृत्योदय कार्यक्रम का षुभारंभ गणमान्य अतिथियों द्वारा द्वीप प्रज्वलन से हुआ तथा नृत्य की षुरूआत रंग देवता की आराधना व स्तुति युक्त प्रस्तुति मल्लारी को राग नाट्टई आदि ताल मंे नृत्यांगना आरती पांण्डे, श्रेया वाजपेई, बैजन्ती नाथ, रचना षर्मा, सुनयना जयसवाल, दीपिका सिंह, मीरा भारती व श्रीलंका मूल की नुवन्ती सेनालिका ने प्रस्तुत किया तो इन्ही नृत्यांगनाओं द्वारा आलारिप्पू को राग नाट्टई व मिश्र चापू ताल मंे प्रस्तुत कर भरतनाट्यम् की पारम्परिक षुरूआत कर दर्षको की तालियाॅं बटोरी।
कार्यक्रम के अगले प्रसून मंे जतिस्वरम् को राग तोड़ी व रूपक ताल मंेे और वर्णम को राग पूर्वीकल्याणी व आदि ताल मंे संजोंकर मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी। अगली प्रस्तुति के रूप मंे अदि षंकराचार्य कृत राग मालिका व ताल खण्डचापू मंे षिव के वर्णन को ‘नागेन्द्र हाराय त्रिलोचनाय…..’ और षिव ताण्डव नटनम आडिनार…को राग वसंत आदि ताल मंे संजोया।
नृत्योदय के अन्तिम प्रसून मंे पारंपरिक समापन के तहत तिल्लाना को मुख्य कलाकारों के साथ प्रथम नृत्योदय के कलाकारों आरती उप्रेती,स्वाती सोनवानी,मोनिका सिंह व हर्षिका वर्मा ने प्रस्तुत कर नृत्य प्रेमियों का अभिनन्दन स्वीकार किया। कार्यक्रम मंे संगतकर्ता के रूप मंे नटुवांगम पर गुरू ज्ञानेन्द्र दत्त बाजपेई,गायन पर ललिता गणेष,मृदंगम पर जी0सुधीर कुमार तथा वायलिन पर संजरी साहू मौजूद थें।
कार्यक्रम का संचालन सुश्री अनीता सहगल ने किया व समापन पर संस्था के अध्यक्ष विवेक वर्मा ने प्रतिभागियों को सफल कार्यक्रम के लिए बधाई दी तो निदेषक रामू सान्याल पूर्व पार्षद ने अतिथियांे का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के दौरान कला जगत की विषिष्ट हस्तियों भी मौजूद थी।ं

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

अवधी उत्सव एवं प्रदर्शन का भव्य आयोजन 19 अप्रैल 2012 को उ0प्र0 संगीत नाटक एकेडमी मे संपन्न

Posted on 19 April 2012 by admin

ऽ    अवधी,भोजपुरी,लोकगीतों एवं नृत्य के प्रदर्शन मे मशहूर कलाकारों ने की शिरकत
ऽ    लगभग 300 स्कूली बच्चों के बीच विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया

avadhiसात करोड़ लोगों के दिलों में बसने वाली, उत्तर प्रदेष की प्रमुख भाषा अवधी है। संस्था द्वारा इस सरल और जन भाषा को बढ़ावा देने तथा उत्तर प्रदेष की संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु संस्था प्रकृति ‘द नेचर’ के तत्वावधान में अवधी उत्सव एवं प्रदर्षन का आयोजन आज दिनांक 19.04.2012 को अपराह्न 12ः00 बजे बाल्मीकि रंगषाला, उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी गोमती नगर, लखनऊ मे किया गया, जिसमें अवधी, भोजपुरी, लोकगीत एवं नृत्य का प्रदर्शन किया गया । साथ ही नये दौर के बच्चों के बीच अवधी भाषा को लोकप्रिय बनाने हेतु स्लोगन, चित्रकला, एवं निबन्ध प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया, जिसमें होली एन्जिल स्कूल, पुलिस माडर्न स्कूल, सेन्ट मेरी स्कूल, फ्लोरेन्स नाइटेंगल स्कूल सहित कई अन्य स्कूलों ने भी भाग लिया।
कार्यक्रम की षुरूआत दीप प्रज्जवलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुई। उत्तर प्रदेष की संस्कृति एवं अवधी भाषा को बढ़ावा देने हेतु लगभग 300 स्कूली बच्चों के बीच विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें
चित्रकला प्रतियोगिता में ग्रुप ए मे पुलिस माॅडल स्कूल के छात्रो मे प्रथम अंकित.सिंह , द्वितीय अभिषेक मेहरोत्रा एवं तृतीय स्थान पर कोमल सरोज व ग्रुप बी मे प्रथम मो0 वसीम, द्वितीय अमन सिन्हा एवं तृतीय स्थान पर मोनू सिंह  रहे।
निबन्ध प्रतियोगिता में प्रथम विनीत कुमार, द्वितीय दिषा रानी और तृतीय स्थान पर पंकज सिंह रहे और
स्लोगन लेखन में प्रथम कंचन यादव , द्वितीय मोहिनी रावत एवं तृतीय स्थान पर अनम रहे ।
कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों ने अवधी, भोजपुरी एवं लोकगीत प्रस्तुत किये। उ0प्र0 के मुख्य कजरी गीत, भोजपुरी एवं अवधी गीतों पर मोहक नृत्य कर कलाकारों ने समां बांध दिया। अवधी उत्सव के मुख्य अतिथि पूर्व जस्टिस श्री एस0सी0 वर्मा जी ने विजेताओं को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया और संस्था की प्रषंसा करते हुए कहा कि उ0प्र0 की संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन की यह पहल बहुत सराहनीय है।
इस अवसर पर श्री एच0एस0 सिंह, वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक, नेषनल इंष्योरेंस, श्री हरि ओम षर्मा, प्रख्यात कवि एवं लेखक, श्री सी0एल0 दीक्षित समाजसेवी एवं पूर्व अध्यक्ष, लखनऊ बार एसोसिएषन, सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी समारोह में उपस्थित थे।
यह कार्यक्रम प्रकृति ‘द नेचर’ संस्था जो कि पिछले एक दशक से नेत्रदान, प्रकृति संरक्षण एवं सांस्कृतिक कार्यों में संलग्न है के द्वारा  आयोजित किया जा रहा है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

अवधी उत्सव एवं प्रदर्शन का भव्य आयोजन 19 अप्रैल 2012 को उ0प्र0 संगीत नाटक एकेडमी मे

Posted on 19 April 2012 by admin

ऽ    अवधी, भोजपुरी, लोकगीतों एवं नृत्य का प्रदर्शन मशहूर कलाकारों द्वारा

सात करोड़ लोगों के दिलों में बसने वाली, उत्तर प्रदेष की प्रमुख भाषा अवधी है। संस्था द्वारा इस सरल और जन भाषा को बढ़ावा देने तथा उत्तर प्रदेष की संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु अवधी उत्सव एवं प्रदर्षन का आयोजन दिनांक 19.04.2012 को अपराह्न 12ः00 बजे बाल्मीकि रंगषाला, उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी गोमती नगर, लखनऊ मे किया जायेगा।, जिसमें अवधी, भोजपुरी, लोकगीत एवं नृत्य का प्रदर्शन किया जायेगा। साथ ही नये दौर के बच्चों के बीच अवधी भाषा को लोकप्रिय बनाने हेतु स्लोगन, चित्रकला, एवं निबन्ध प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें होली एन्जिल स्कूल, पुलिस माडर्न स्कूल, सेन्ट मेरी स्कूल, फ्लोरेन्स नाइटेंगल स्कूल सहित कई अन्य स्कूल भी भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर षहर के अति विषिष्ट एवं गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित होंगे।

यह कार्यक्रम प्रकृति ‘द नेचर’ संस्था जो कि पिछले एक दशक से नेत्रदान, प्रकृति संरक्षण एवं सांस्कृतिक कार्यों में संलग्न है के द्वारा  आयोजित किया जा रहा है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
agnihotri1966@gmail.com
sa@upnewslive.com

Comments (0)

डिस्कवरी चैनल रिवील्डः द मेकिंग आॅप़फ रा.वन में भारत की सबसे दिलकश विज्ञान कथा फिल्मों में से एक के निर्माण के विवरणों को प्रस्तुत कर रहा है

Posted on 21 March 2012 by admin

shah-rukh-khan-in-making-of-ra रा.वन भारतीय सिनेमा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। ये एक बेहद महत्वाकांक्षी और महंगी विज्ञान कथा पिफल्मों में से है जिसमें विश्वस्तरीय विजुअल इपफैक्ट और एनिमेशन विजर्ड का प्रयोग किया गया है। इसने उच्च गुणवत्ता वाली वी एपफ एक्स पिफल्मों के निर्माण में भारत की महारत साबित कर दी है। डिस्कवरी चैनल अपने एक घंटे के कार्यक्रम रिवील्डः द मेकिंग आॅप़फ रा.वन में अब तक बनी सबसे शानदार पिफल्मों में से इस एक के निर्माण के बारे में बताने जा रहा है, एक घंटे के इस विशेष कार्यक्रम को शुक्रवार, 30 मार्च को रात 8 बजे दिखाया जाएगा। इस कार्यक्रम के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए राहुल जौहरी, सीनियर वाइस प्रैजिडैंट और जनरल मैनेजर - दक्षिण एशिया, डिस्कवरी नैटवक्र्स एशिया-पैसिपिफक ने कहा, ‘डिस्कवरी चैनल उच्च गुणवत्ता वाले ऐसे विविध् और विशेष कार्यक्रमों को प्रस्तुत करता है जो हर क्षेत्रा से ताल्लुक रखते हैं, इनमें विज्ञान और टैक्नाॅलाॅजी, खोज, एडवैंचर तथा अपने दर्शकों के मनोरंजन और ज्ञानवधर््न के लिए ऐसे कार्यक्रम होते हैं जिनमें गहराई से किया गया विश्लेषण नजर आता है और साथ ही अंतरंग दृश्य भी होते हैं। रिवील्डः द मेकिंग आॅप़फ रा.वन नामक यह कार्यक्रम दर्शकों को सिनेमा से जुड़ी एक यात्रा पर ले जाएगा और पिफल्मांकन की अनोखी तकनीकों के बारे में उन्हें बताएगा।’ शाहरूख खान का कहना था, ‘रा.वन एक अतिविशेष पिफल्म है। यह अंतर्राष्ट्रीय मानकों वाली पिफल्में बनाने के प्रति भारतीय प्रतिभा के बढ़ते आत्मविश्वास और क्षमताओं को दर्शाती है। मैं खुश हूं कि डिस्कवरी चैनल उस एकदम अनोखी टैक्नाॅलाॅजी और पहले कभी न देखी गई अवधरणाओं को पेश करने जा रहा है जिनका इस्तेमाल रा.वन को बनाने के दौरान किया गया। दर्शक बहुत ही करीब से इस पूरी सृजन प्रक्रिया को देख पाएंगे और उसका आनंद ले पाएंगे। भारतीय पिफल्मों के हर प्रशंसक को यह कार्यक्रम अवश्य देखना चाहिए।’ रिवील्डः द मेकिंग आॅप़फ रा.वन कार्यक्रम भारत की एक बेहद जानी-मानी विज्ञान कथा पिफल्म के निर्माण के पीछे मौजूद विज्ञान पर से पर्दा उठाएगा, और दर्शक जान पाएंगे कि इस शानदार पिफल्म ने किस प्रकार अनेकों बाधओं को पार करके इस सपने को एक हकीकत में तब्दील किया है। इस कार्यक्रम में दिखाया जाएगा कि किस प्रकार बेहद शानदार एक्शन सीक्वैंस और स्पैशल इपफैक्ट्स को डिजाइन किया गया, किस प्रकार किरदारों के चेहरों-मोहरों और सैट के बारे में निर्णय लिया गया। पिफल्म के निर्देशक अनुभव सिन्हा ने कहा, ‘जब मैंने इस पिफल्म के स्पैशल इपफैक्ट्स पर काम करना शुरू किया तो मुझे पूरा भरोसा था कि हमारे पास इन्हें विजुअलाइज करने और अमली जामा पहनाने के लिए प्रतिभा मौजूद थी। डिस्कवरी चैनल का ये कार्यक्रम उस प्रतिभा और कड़ी मेहनत को दिखाता है जो भारत में बनी, तकनीकी तौर पर सबसे उन्नत पिफल्मों में से एक के निर्माण में लगी है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Comments (0)

‘शूद्र’ 25 करोड़ लोगों की कहानी : संजीव जायसवाल

Posted on 27 February 2012 by admin

ज्वलंत और मन को झकझोर देने वाली फिल्म ‘शूद्र द राइजिंग’ जल्द ही रिलीज होने वाली है। ‘शूद्र’ को सेंसर बोर्ड से अभी प्रमाणपत्र नहीं मिला है, लेकिन विषय की गंभीरता, संवेदनशीलता और तेवरों को देखते हुए लगता है कि रिलीज के साथ ही फिल्म विवादों में घिर सकती है।

‘शूद्र’ को पिछले दिनों गोवा में हुए अंर्तराष्ट्रीय फिल्म समारोह में काफी सराहना मिली थी। नए कलाकारों की इस फिल्म को युवा फिल्मकार संजीव जायसवाल ने बनाया है। संजीव फिल्म के निर्माता, निर्देशक और लेखक तीनों ही हैं। पेश हैं संजीव से हुई बातचीत के कुछ अंश -

‘शूद्र’ पर फिल्म बनाने का विचार कैसे आया?

जब कुछ बुजुर्गों ने मुझे बताया कि शूद्रों के पैरो में घंटिया बांध दी जाती थी, कमर में झाडू लटकाया जाता था तो मैं उद्वेलित हो गया। मुझे लगा कि इस गंभीर विषय पर फिल्म बनानी चाहिए। फिर इस बारे में इंटरनेट पर खोजबीन की, किताबों के पन्ने पलटे और समस्या की गहराई जानने और असलियत समझने की कोशिश की और लगा कि वर्षों से फैली हिंसा की जड़ में जाति व्यवस्था ही है।

शूद्रों के प्रति वर्तमान स्थिति ?

आज भी हरियाणा में दलित के हाथ काटे जाते हैं। उड़ीसा में अभी हाल में घरों को जलाया जाता है। देश में दलितों पर होने वाले अत्याचार, अपराध और प्रताड़ना की घटनाओं में उतरोत्तर वृद्धि हो रही है। अभी भी दलितों को धर्मस्थलों में आने से रोका जाता है। केवल कहने भर से कि हम सब एक हैं। कोई परिर्वतन नहीं आने वाला। अपनी जाति को श्रेष्ठ साबित करने के लिए हिंसा और आंतकवाद का सहारा लेकर दूसरी जाति को नीचा दिखाने का षडयंत्र मात्र है, यदि हम अब भी नहीं जागे तो न मानव बचेगा न धर्म। समानता की भावना ही शांति का मूल मंत्र है।

विवाद का शिकार हो सकती है ‘शूद्र’?

हां, हो सकता है। लेकिन हमने जो दिखाया है वो तथ्यों पर आधारित है। असल समस्या सिस्टम की है, अपने फायदे के लिए चंद लोग पूरे समाज को भरमाने और भटकाने का काम करते हैं। ऐसे में गंभीर प्रयास भी विवादों का शिकार हो जाते हैं। हमने समाज की बात की है, ये कोई काल्पनिक कथा नहीं है। जो हुआ है उसे पर्दे पर पूरी ईमानदारी से उतारने का प्रयास किया है। कुछ लोगों को इससे तकलीफ हो सकती है, लेकिन समाज को आईना दिखाएगी ‘शूद्र’।

गोवा में हुए अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह में गोविंद निहलानी, शेखर कपूर और विशाल भारद्वाज जैसे फिल्मकारों ने मेरे प्रयास को सराहा है। इस फिल्म के माध्यम से हम सन्देश देना चाहते हैं कि वे पुरानी रूढ़ीवादी मान्यताओं को त्याग कर आज के बदलते दौर के साथ कदम से कदम मिलाकर चलें।

फिल्म ‘शूद्र’ की खासियत ?

ये सच है कि समाज की इस कड़वी और तल्ख हकीकत को पहले भी बड़े पर्दे पर फिल्माया जा चुका है, लेकिन मेरी फिल्म पूरी तरह से जातिप्रथा के खिलाफ है। मैंने इसकी तह में जाने की कोशिश की है। इसीलिए अतीत में जाकर इसकी वजह तलाशी है। कैसे हिंदुओं ने खुद को ब्राहम्ण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र वर्णों में बांट रखा है। कैसे समाज में जहर फैला जिसकी वजह से सदियों तक दलितों को अछूत बनाए रखा। मैं एक क्रिएटिव आदमी हूं, इसलिए सिनेमा के माध्यम से खामोश क्रांति लाना चाहता हूं।

नए कलाकारों को लेने की वजह ?

मैं अपनी कहानी में कोई समझौता नहीं करना चाहता था, इसलिये मैंने में नए कलाकारों को लिया है, अगर कोई बड़ा अभिनेता लेता तो फिल्म अपने मुद्दे से भटक जाती।

नए कलाकारों ने चरित्र और कहानी के साथ पूरा न्याय किया है। जो मैसेज मैं फिल्म के जरिये देना चाहता था लगता है, उसमें सफल रहा हूं।

फिल्म के बारे में बताइये?

‘शूद्र’ 25 करोड़ लोगों की कहानी है। फिल्म मनु स्मृति से शुरू होकर आज के समय तक आती है और दलितों को उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित किये जाने की समस्या को उठाती है।
इसकी कहानी बाला, माधव और भेरु की है, जिन्होंने अमानवीय परिस्थितियों के खिलाफ मोर्चा खोला। यह कहानी उस संघर्ष की भी है जिस कारण शूद्र कहलाने वाले पिछले तबके के लोग भोजन, पानी, दवाई, आत्म-सम्मान और आजादी के लिए मर रहे हैं। किसी शूद्र को सिर्फ इसलिए मर दिया जाता है कि उसने किसी खास कुएं से एक बूंद पानी पी लिया। घाव से पीडि़त आदमी दवा का मोहताज होकर मरता है, तो वहीं किसी बच्चे को सिर्फ इसलिए प्रताड़ना झेलनी पड़ती है कि उसके कानों में कुछ वेद-मंत्र चले गए हैं।

‘शूद्र’ किसी राजनीतिक फायदे के लिए तो नहीं?

अगर ऐसा होता तो हम इसे चुनाव से पहले रिलीज करने की कोशिश करते। ‘शूद्र’ का सब्जेक्ट बहुत बड़ा है। किसी छोटे लाभ या सस्ती लोकप्रियता के लिए इसे बर्बाद नहीं किया जा सकता। यह एक बड़ा और गंभीर मुद्दा है। हम इसे किसी दल या प्रदेश तक बाँधने की बजाय विश्व स्तर पर ले जाना चाहते हैं इसलिए फिल्म में शिवाजी, डॉ. अम्बेडकर के साथ ही नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे नेताओं की चर्चा की है। यह फिल्म बाबा साहेब डा. अंबेडकर को समर्पित है। फिल्म पर किसी दल को लाभ पहुंचाने से न जोड़ दिया जाए, इसलिए यूपी में विधानसभा चुनावों के बाद ही इसे प्रदर्शित करने की तैयारी है। वहीं अभी फिल्म को सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र भी नहीं मिला है। सबकुछ ठीक रहा तो बाबा साहब के जन्मदिन से एक दिन पूर्व 13 अप्रैल को फिल्म रिलीज करने की योजना है।

Comments (0)

मैक्स ने ‘‘सारे हफ्ते लगे रहो…वीकेंड पर पड़े रहो‘‘ अभियान को किया तेज

Posted on 25 January 2012 by admin

हिन्दी फिल्मों और विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण करने वाले भारत के सबसे लोकप्रिय चैनल मैक्स ने सप्ताहांत के दौरान दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों को प्रचारित करने के लिए अपने नए अभियान ‘‘सारे हफ्ते लगे रहो…वीकेंड पर पड़े रहो‘‘ को आॅन-ग्राउंड प्रसारित करने की योजना बनाई है। मैक्स ने इस संचार अभियान को हाल ही में अपने चैनल पर शुरू किया था। इस अभियान के माध्यम से मैक्स सप्ताहांत पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों की दर्शक संख्या अधिक-से-अधिक बढ़ाना चाहता है।

‘‘सारे हफ्ते लगे रहो…. वीकेंड पर पड़े रहो‘‘ अभियान की शुरूआत मैक्स पर वीकेंड के दौरान प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों के प्रति दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए की गई थी। मैक्स पर सप्ताहांत के दौरान सदाबहार सुपरहिट फिल्मों का प्रसारण किया जाता है। वीकेंड प्रोग्राम्स को प्रोमोट करने के लिए टेलीविजन, सोशल मीडिया और आॅनलाइन मंच पर 3 श्रृंखलाओं को पेश किया गया था। ये तीनों हास्य विज्ञापन फिल्में केन्द्रीय संचार थीम पर आधारित थी और इसमें दिखाया गया था कि पूरे सप्ताह काम में व्यस्त रहने के बाद सप्ताहांत पर मैक्स पर दिखाई जाने वाली ब्लाॅकबस्टर फिल्मों को देखना, खुद को तरोताजा करने कर सबसे बेहतर उपाय है।

अब इस अभियान को आॅनग्राउंड (पर्दे से बाहर) शुरू करने के लिए मैक्स ने वीकेंड पर विभिन्न माॅल्स में विशिष्ट कार्यक्रमों को पेश करने की योजना बनाई है। इसके तहत 11 शहरों - मुंबई, दिल्ली, लखनऊ, चंडीगढ़, अहमदाबाद, इंदौर, नागपुर, जयपुर, वाराणसी, मेरठ और आगरा में स्थित माॅल में इस अभियान को शुरू किया जाएगा। इन सभी स्थानों पर मैक्स माॅल में एक बेडरूम/हाॅल सेटअप स्थापित करने जा रहा है। यहां पर एक टीवी स्क्रीन लगाई जाएगा, जिस पर दर्शक पूरे दिन आराम से बैठकर मैक्स पर प्रसारित होने वाली फिल्मों को देख सकेंगे। इसका उद्देश्य मैक्स पर वीकेंड के मनोरंजक कार्यक्रमों को प्रोमोट करना है।

सुरेन्द्र अग्निहोत्री
मो0 9415508695
upnewslive.com

Comments (0)

Advertise Here

Advertise Here

 

November 2024
M T W T F S S
« Sep    
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
-->









 Type in