ऽ अवधी,भोजपुरी,लोकगीतों एवं नृत्य के प्रदर्शन मे मशहूर कलाकारों ने की शिरकत
ऽ लगभग 300 स्कूली बच्चों के बीच विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया
सात करोड़ लोगों के दिलों में बसने वाली, उत्तर प्रदेष की प्रमुख भाषा अवधी है। संस्था द्वारा इस सरल और जन भाषा को बढ़ावा देने तथा उत्तर प्रदेष की संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु संस्था प्रकृति ‘द नेचर’ के तत्वावधान में अवधी उत्सव एवं प्रदर्षन का आयोजन आज दिनांक 19.04.2012 को अपराह्न 12ः00 बजे बाल्मीकि रंगषाला, उ0प्र0 संगीत नाटक अकादमी गोमती नगर, लखनऊ मे किया गया, जिसमें अवधी, भोजपुरी, लोकगीत एवं नृत्य का प्रदर्शन किया गया । साथ ही नये दौर के बच्चों के बीच अवधी भाषा को लोकप्रिय बनाने हेतु स्लोगन, चित्रकला, एवं निबन्ध प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया, जिसमें होली एन्जिल स्कूल, पुलिस माडर्न स्कूल, सेन्ट मेरी स्कूल, फ्लोरेन्स नाइटेंगल स्कूल सहित कई अन्य स्कूलों ने भी भाग लिया।
कार्यक्रम की षुरूआत दीप प्रज्जवलन एवं सरस्वती वंदना के साथ हुई। उत्तर प्रदेष की संस्कृति एवं अवधी भाषा को बढ़ावा देने हेतु लगभग 300 स्कूली बच्चों के बीच विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें
चित्रकला प्रतियोगिता में ग्रुप ए मे पुलिस माॅडल स्कूल के छात्रो मे प्रथम अंकित.सिंह , द्वितीय अभिषेक मेहरोत्रा एवं तृतीय स्थान पर कोमल सरोज व ग्रुप बी मे प्रथम मो0 वसीम, द्वितीय अमन सिन्हा एवं तृतीय स्थान पर मोनू सिंह रहे।
निबन्ध प्रतियोगिता में प्रथम विनीत कुमार, द्वितीय दिषा रानी और तृतीय स्थान पर पंकज सिंह रहे और
स्लोगन लेखन में प्रथम कंचन यादव , द्वितीय मोहिनी रावत एवं तृतीय स्थान पर अनम रहे ।
कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों ने अवधी, भोजपुरी एवं लोकगीत प्रस्तुत किये। उ0प्र0 के मुख्य कजरी गीत, भोजपुरी एवं अवधी गीतों पर मोहक नृत्य कर कलाकारों ने समां बांध दिया। अवधी उत्सव के मुख्य अतिथि पूर्व जस्टिस श्री एस0सी0 वर्मा जी ने विजेताओं को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया और संस्था की प्रषंसा करते हुए कहा कि उ0प्र0 की संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन की यह पहल बहुत सराहनीय है।
इस अवसर पर श्री एच0एस0 सिंह, वरिष्ठ मण्डल प्रबन्धक, नेषनल इंष्योरेंस, श्री हरि ओम षर्मा, प्रख्यात कवि एवं लेखक, श्री सी0एल0 दीक्षित समाजसेवी एवं पूर्व अध्यक्ष, लखनऊ बार एसोसिएषन, सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी समारोह में उपस्थित थे।
यह कार्यक्रम प्रकृति ‘द नेचर’ संस्था जो कि पिछले एक दशक से नेत्रदान, प्रकृति संरक्षण एवं सांस्कृतिक कार्यों में संलग्न है के द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
सुरेन्द्र अग्निहोत्री
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